हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
 जनभागीदारी से ही संभव सुशासन

 जनभागीदारी से ही संभव सुशासन

by pallavi anwekar
in सामाजिक, सितंबर- २०१६
0

भारत में सुशासन की कल्पना रामराज्य, शिवाजी महाराज का   शासन, चन्द्रगुप्त मौर्य का शासन आदि स्वरूप में की जाती है| इन सभी शासकों ने अपनी प्रजा का पालक के रूप में भरण-पोषण किया| उनकी सुविधा, विकास, सुरक्षा और उत्कर्ष के लिए अपना जीवन न्यौछावर किया| इनकी छत्रछाया में जनता सुखी तथा सम्पन्न तो थी ही; साथ ही अपने राजा, शासक के लिए प्राणार्पण करने को भी तत्पर रहती थी| बिना किसी मांग के शासक के द्वारा प्रजा के लिए उचित हर कार्य करना सुशासन का एक पहलू है तथा शासक के एक इशारे पर शासक का इच्छित कार्य प्रजा के द्वारा किया जाना दूसरा पहलू है| रामराज्य, शिवाजी, राणाप्रताप के सुशासन में हमने एक पहलू की झलक देखी है|

 दूसरा पहलू

दूसरा पहलू है शासक के इशारे पर प्रजा का कार्य करना| क्या इसका कोई उदाहरण आपको याद आता है? २ सितंबर १९६५ को पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया था| उस समय लाल बहादुर शास्त्री भारत के प्रधानमंत्री थे| हमारी सेना ने पाकिस्तानी सेना का डटकर मुकाबला किया और वह लाहौर तक पहुंच गई| अमेरिका ने इस परिस्थिति में भारत को चेतावनी दी की अगर युद्ध बंद नहीं किया गया तो पी एल ४८० के तहत गेंहू की आपूर्ति बंद की जाएगी| शास्त्री जी इस चेतावनी से डरे नहीं| उन्होंने कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन की मदद से यह निष्कर्ष निकाला कि अगर देश की जनता एक दिन का व्रत रखे तो अमेरिका की धमकी का असर नहीं होगा| उन्होंने सभी देशवासियों को आव्हान किया कि वे एक दिन का व्रत रखें| उनके इस आव्हान को देश की जनता ने मन से स्वीकारा और एक दिन का व्रत रखकर उनका साथ दिया|

इसके उपरांत २०१४ तक देश पर अधिकतम समय कांग्रेस का शासन रहा परंतु देश की जनता को अपना परिवार समझकर, उसे साथ लेकर आगे बढने की मानसिकता उस शासन में नहीं दिखाई दी| देश की जनता परिवारवाद, घोटालों, भ्रष्टाचारों से आहत हो गई और अंतत: मई २०१४ में उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में एक नया शासक चुना|

नरेंद्र मोदी ने प्रधान मंत्री बनने के बाद ही जनता से कहा कि वे शासक नहीं सेवक के रूप में कार्य करेंगे| उनकी सरकार देश के अंतिम श्रेणी के व्यक्ति के उत्थान के लिए प्रयासरत रहेगी| ये सारी घोषणाएं उन्होंने केवल खुद के या अपनी सरकार के दृष्टिकोण से नहीं कहीं बल्कि इसमें जनता का भी सहयोग मांगा|

उन्होंने देश के आर्थिक रूप से सक्षम लोगों को आव्हान किया कि वे गैस की सब्सीडी छोड दें| जनता ने उनका आव्हान स्वीकार किया और सब्सीडी छोडी| इसका सुपरिणाम यह हुआ कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के घरों में भी गैस सिलेंडर पहुंचे| महिलाओं को चूल्हे के धूएं से मुक्ति मिली|

 जिम्मेदारी

केंद्र सरकार द्वारा पिछले दो सालों में जितनी भी योजनाएं या अभियान शुरू किए गए वे सभी जनता के हित के लिए तथा जनता की मदद से पूर्ण होनेवाले हैं| और अगर ऐसा है तो क्या इन्हें पूर्ण करने की जिम्मेदारी केवल प्रधान मंत्री, केंद्र सरकार या राज्य सरकार की होगी? क्या देश की जनता भी इन योजनाओं को सफल करने के लिए उतनी ही उत्तरदायी नहीं है? अवश्य है|

अगर प्रधान मंत्री ने स्वच्छता अभियान की शुरुआत कर देश की जनता से यह अपील की है कि वे अपने परिसर को स्वच्छ रखें तो अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने परिसर को स्वच्छ रखें| हर बार हम यह अपेक्षा क्यों रखें कि महापालिका हमारे परिसर की सफाई करेगी? क्यों केवल पर्यावरण दिवस या किसी अन्य किसी विशेष अवसर पर हम हाथों में झाडू लेकर केवल फोटो खिंचाने के लिए सफाई करने का ढोंग करते हैं और कुछ ही समय बाद वाहनों के अंदर बैठकर कचरा रास्तों पर फेंकते नजर आते हैं?

अगर प्रधान मंत्री स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं की शुरुआत कर रहे हैं तो हमारे युवाओं को चाहिए कि वे अपना व्यवसाय शुरु करने के लिए उद्यत हों| आज भी हमारे युवा व्यवसाय से अधिक प्राथमिकता नौकरी को देते हैं| इसके पीछे यह एक कारण भी हो सकता है कि उन्हें उद्योगों के लिए आवश्यक मार्गदर्शन या धन न मिलता हो| परंतु अब सरकार इन दोनों आव्हानों में युवाओं का साथ देने के लिए तैयार है तो क्या युवाओं को प्रधान मंत्री का साथ नहीं देना चाहिए?

गंगा नदी हमारे लिए केवल नदी, जलस्रोत नहीं है| हम उसे माता कहते हैं| उसकी स्वच्छता के लिए सरकार ने ‘गंगा स्वच्छता अभियान’ की शुरुआत की| अब हम फिर यह सोच कर बैठ गए कि योजना सरकार ने शुरु की है तो सफाई भी वही करे| चलो यह भी मान लिया कि इतनी बडी नदी की सफाई करना हमारे बस में नहीं है परंतु उसे गंदा न करना तो हमारे बस में हैं| नदियों के घाटों पर सम्पन्न होने वाले कर्मकांडों के बाद जो सामान नदियों में विसर्जित किया जाता है उसे हम रोक सकते हैं| कारखानों से निकले प्रदूषित पानी और कचरे को नदी में न बहाया जाए इस ओर भी हम प्रयत्न कर सकते हैं|

 

pallavi anwekar

Next Post
‘पूरब नीति’ की कूटनीतिक सफलता

‘पूरब नीति’ की कूटनीतिक सफलता

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0