वंचितों की पक्षधर सरकार 

मो दी सरकार के पिछले दो वर्ष के कार्यकाल पर गौर करें तो स्पष्ट होगा कि सरकार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता के मामले में उपेक्षितों के पक्ष में और बेहतर काम किया है| इसे ही सुशासन कहना तर्कसंगत होगा| इस सुशासन के मुख्य मुद्दों को निम्नानुसार प्रस्तुत किया जा सकता है-

 फिक्र करने वाली सरकार

सुशासन उसे ही कहा जाता है जब सरकार उपेक्षित वर्ग की फिक्र करने वाली और उनकी समस्याओं को जानने वाली हो| इस प्रयास में मोदी सरकार ने जनता तक पहुंच कर उनकी जरूरतों के मुताबिक अविलम्ब कदम उठाए हैं| ऐसे कुछ कदम निम्न हैं-

* बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत लड़कियों के हितों की रक्षा और हर शिशु बालिका को समाज में प्रतिष्ठा दिलाने की कोशिश की गई| जनवरी २०१५ में यह अभियान आरंभ किया गया| इस अभियान से वर्ष के अंत तक हरियाणा में शिशु बालिकाओं की वृद्धि परिलक्षित हुई| पिछले दस वर्षों में पहली बार पुरुष-महिला अनुपात ९०० से पार कर ९०३ हो गया| इस तरह बालिकाओं के प्रति समाज में जागरुकता फैलाने और उनकी सुरक्षा के लिए देश में पहली बार ऐसा अभियान चलाया गया|

* बलात्कार, एसिड हमलों से पीड़ित युवतियों के पुनर्वसन के लिए ३० एकीकृत संकट निवारण केंद्रों की स्थापना को मंजूरी दी गई, जिनमें से दिसम्बर २०१५ तक १० केंद्र कार्यरत हो चुके थे| ऐसे केंद्रों की मांग लम्बे अर्से से की जा रही थी|

* सिकल सेल रक्ताल्पता की बीमारी की चिकित्सा के लिए जापान से समझौता किया गया| बीमारी का पता लगाने के लिए नई ‘टर्बिडिब् टेस्ट’ विकसित की गई| इससे ३ करोड़ बच्चों को लाभ पहुंचा| प्रधान मंत्री ने इस समझौते के लिए जापान दौरे में व्यक्तिगत ध्यान दिया|

* देश में पहली बार व्यापक ‘राष्ट्रीय नशीले पदार्थ मांग निवारण’ नीति बनाने के प्रयास हुए और वह अब अंतिम स्तर पर है| इससे लगभग ३० लाख नशाखोरों को लाभ पहुंचेगा और युवकों में नशे की लत पर अंकुश लगेगा|

* गन्ना उत्पादक किसानों को उन पर लदे कर्ज को चुकाने के लिए करीब ६ हजार करोड़ रु. की सहायता दी गई तथा फसल बर्बाद होने पर दिए जाने वाले मुआवजे में ५०% की बढ़ोत्तरी की गई| इससे कर्ज में डूबे किसानों को बड़े पैमाने पर राहत मिली है|

* रोग निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत परजीवों से होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए कृमिनाशक दवाओं के वितरण का कार्यक्रम चलाया गया| यह अपने तरह का विश्‍व का सब से बड़ा कार्यक्रम है, जिससे १४ करोड़ लोग लाभान्वित होंगे|

 वंचितों का सशक्तिकरण

भारत में अब तक कल्याण गतिविधियां एवं शासकीय कार्य मोटे तौर पर तात्कालिक रहे हैं| कई बार तो यह वंचित समाज को किसी तरह खुश करने के लिए होते रहे हैं| लेकिन नई सरकार ने वंचित स्वयं अपने पिछड़ेपन को त्यागे इसलिए समाज के अंतिम वर्ग का सशक्तिकरण करने का बीड़ा उठाया| नीतियों में अंतरों को पाटकर और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव करने की दृष्टि से ये सुधार किए गए| इनमें से कुछ सुधार निम्न हैं-

* अनुसूचित जातियों के उद्यमियों के लिए उद्यम पूंजी निधि एवं साख संवर्धन गारंटी योजनाएं शुरू की गईं, जिनसे हजारों दलित उद्यमी लाभान्वित हुए| भारत में पहली बार इस तरह के कदम उठाए गए|

* यही नहीं, पहली बार अन्य पिछड़े वर्गों के लिए उच्च शिक्षा हेतु राष्ट्रीय छात्रवृत्ति जारी की गई| अनुसूचित जातियों के छात्रों के लिए समुद्रपारीय शिक्षा ॠण के लिए सब्सिड़ी की योजना शुरू की गई|

* इसी तरह, सैनिटरी मार्ट योजना, ग्रीन बिजनेस योजना एवं स्वच्छता उद्यमी योजना के जरिए ‘स्वच्छ भारत’ एवं सफाई कर्मचारियों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है| स्वच्छ भारत अभियान के तहत ऐसी अनोखी योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनसे जीवनयापन के साधन के अवसर भी उपलब्ध हो रहे हैं|

* राष्ट्रीय करिअर सेवा के अंतर्गत रोजगार कार्यालय करिअर केंद्र के रूप में तब्दील हो रहे हैं, जिनसे सेवा नियोजक एवं रोजगार इच्छुक करीब आ रहे हैं| यह अनोखा सुधार है|

* एकीकृत कृषि उपज बाजार एवं ई-मंडी के विकास के लिए कृषि उपज मंडी प्रावधानों में सुधार किया गया है| इससे बिचौलियों की जरूरत नहीं होगी और किसानों को उचित मूल्य पाने की गारंटी होगी|

* ग्रामीण युवकों को रोजगार दिलाने के लिए डीडीयू-जीकेवाई को संशोधित कर ग्रामीण युवक कार्यक्रम बनाया गया हे और इस परिणाम यह होगा कि युवकों को करिअर में सहायता तो मिलेगी ही, रोजगार की भी गारंटी होगी|

* सरकार उपेक्षित वर्गों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए वित्तीय समामेलन को प्राथमिकता दे रही है| अब तक यह केवल शाखा स्तर तक होता था| लेकिन अब दृष्टिकोण में सुधार किया गया है और बैंक खाते वित्तीय समावेश की सफलता का सूचकांक माना जा रहा है|

* प्रधान मंत्री जन धन योजना एवं अन्य बीमा योजनाएं आरंभ की गई हैं| इन सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लोग लाभ उठा रहे हैं और इससे उनका वित्तीय सशक्तिकरण हो रहा है|

* मिट्टी स्वास्थ्य योजना शुरू की गई है, जिससे मिट्टी के परीक्षण के लिए तकनीकी सहायता उपलब्ध हो रही है| इससे १४ करोड़ किसानों को लाभ हुआ है|

प्रतिसादात्मक एवं आदर्श शासन

कल्याण एवं न्याय में विलम्ब सुशासन नहीं माना जाता| सरकार प्रणाली को सही समय में प्रतिसादात्मक बनाने के लिए गंभीरता से काम कर रही है| इसके अंतर्गत ई-सक्षम शासन, शासन व्यवस्था को कायम किया जा रहा है और स्मार्ट और पारदर्शी प्रणाली पर बल दिया जा रहा है, जिससे उपेक्षित समुदायों को उचित न्याय प्राप्त हो सके| इस तरह के कुछ कदम निम्न हैं-

* मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सा सेवाओं के अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य नीति जारी की गई है| लम्बे समय से इसकी मांग की जा रही थी, जिसे नई सरकार ने पूरा किया| इसी तरह बाल न्याय कानून में संशोधन कर जनता की एक और मांग पूरी की गई|

* इसी तरह अनुसूची में न होने जातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग गठित किया गया| इस तरह की वंचित १०% जनजातियों को अनुसूची में शामिल करने पर विचार करने एवं उनके पुनर्वसन के लिए एक संस्थागत संरचना प्रस्तुत की गई|

* आंगनवाडी के निर्माण जैसे अन्य विकास कार्यों को मनरेगा, पीएमजीएसवाई, एवं आईएवाई जैसी योजनाओं के तहत कर सम्पदा निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया| इन योजनाओं को संशोधित कर इनमें अब वृक्षारोपण, बंधारा निर्माण आदि जोड़ा गया है| ऐसे सुधारों से जीवनयापन के साधन और मुहैया होते हैं और संरचनातमक विकास का दायरा भी बढ़ता है|

* आंगनवाडी विस्तार योजना के अंतर्गत कम्पनी सामाजिक दायित्व के तहत आधुनिक आंगनवाडियां बनाई जा रही हैं| यह सुशासन का एक उदाहरण है|

* इसी तरह बच्चों की निगरानी की प्रणाली भी लागू की गई है| रेल्वे स्टेशनों पर ऐसी निगरानी व्यवस्था की गई है|

* एक अन्य आदर्श योजना के अंतर्गत गांवों में ‘ग्राम सुविधा सेवा एवं ई-कार्यालय’ का प्रावधान किया गया है| इस एकीकृत स्थान पर महिलाओं से सम्बंधित योजनाओं पर अमल होगा|

* श्रम सुविधा पोर्टल आरंभ किया गया है, जो कर्मचारियों के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं के लए एकीकृत स्थान होगा| इसी तरह कर्मचारी भविष्य निधि के सदस्य कर्मचारियों को यूएन संख्या दी जाने से कहीं से भी उन्हें सुविधा उपलब्ध होगी|

* इसी तरह असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को बैंक खाता एवं आधार कार्ड संलग्न पहचान-पत्र जारी किए जा रहे हैं, जिनसे ऐसे ९०% मजदूरों को लाभ होगा| इससे उनके खातों में रसोई गैस सब्सिडी एवं एनएसएपी लाभ अंतरित किए जा सकेंगे| सीधे लाभ अंतरण की इस योजना का १५ करोड़ से अधिक मजदूरों को लाभ हुआ|

* ई-व्यापार प्रणाली का उपयोग कर आदिवासियों की वस्तुओं की बिक्री के लिए ई-शॉप आरंभ किया गया है| ट्राइफड ने इसके लिए स्नेपडील से समझौता किया है| कारीगरों की कला वस्तुओं आदि की बिक्री के लिए एनबीसीएफडीसी ने ई-मार्केटिंग शुरू की है| इसी तरह ॠण के हिसाब-किताब एवं वसूली के लिए भी निगरानी व्यवस्था कायम की गई है|

 शासन में जन सहयोग

पिछड़ेपन को दूर करने के लिए एवं अधिक प्रतिसादात्मक व सक्षम प्रशासन के लिए महज प्रौद्योगिकी और नौकरशाही के भरोसे न रहते हुए जन सहयोग एवं स्थानीय समस्याओं को हल करने पर सरकार ने ध्यान केंद्रित किया| इससे स्पष्ट होता है कि सरकार ने लोकतांत्रिक तरीके से शासन पर ध्यान दिया है| इससे जुड़े कुछ कदम निम्न हैं-

* उदाहरण के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और स्वच्छ भारत अभियानों में मुख्य भूमिका समाज की है| यह पहल समाज की, समाज के लिए एवं समाज की ओर से है|

* वनवासी क्षेत्रों में संरचनात्मक एवं मानव विकास के बीच खाई को पाटने के लिए वनबंधु कल्याण योजना शुरू की गई है| इसी तरह प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना खंड/जिला स्तर पर स्थानीय सिंचाई समस्याओं को दूर करने के लिए जारी की गई है| यह नीचे से ऊपर की ओर प्रवाहित दृष्टिकोण है|

* इसी तरह ाूर्सेीं वेबसाइट एवं प्रधान मंत्री की मन की बात इसी संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं| ‘माई गव’ में कई नीतिगत मसलों एवं दिशानिर्देशों पर चर्चा हुई और जिन पर सरकार ने कार्रवाई की|

* जून २०१५ में ाूर्सेीं.ळप औसत ९५०० उपयोगकर्ताओं के १.३० लाख हिट मिले| दिसम्बर २०१५ में इस वेबसाइट के १८.२ करोड़ पंजीयत सदस्य थे| १.६८ लाख सुझाव एवं २६.१ लाख टिप्पणियां आईं| इसका सरकार फीडबैक के रूप में उपयोग कर रही है|

प्रक्रियात्मक न्याय

मोदी सरकार ने विभिन्न योजनाओं के जरिए जमीनी स्तर तक प्रक्रियात्मक न्याय पहुंचाने की पहल की है| नीचे कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं, जिनसे वितरणात्मक न्याय किस तरह संभव हुआ है यह स्पष्ट होता है-

* जन धन योजना विश्‍व की सब से बड़ी वित्तीय सम्मिलन की योजना है| उपेक्षितों को बैंक खाते खुलवाने के लिए बैंकों ने स्थानीय लोगों को ‘बैंक मित्र’ के रूप में नियुक्त किया| ऐसे १.२६ लाख बैंक मित्रों की नियुक्ति की गई| उन्होंने लोगों को बैंक खाते खुलवाने के लिए प्रेरित किया|

* चुनाव घोषणा-पत्र में नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने का आश्‍वासन दिया था| पिछले दो वर्षों के कार्यों पर गौर करें तो दिखाई देगा कि भ्रष्टाचार में कमी आई है| भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार ने ‘निगरानी एवं संतुलन’ की प्रणाली कायम की है, जिसमें ई-शासन, प्रणाली आधारित नीति निर्देशित शासन एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाना शामिल है| २जी स्पेक्ट्रम एवं कोयला खानों का उचित आबंटन इस दिशा में एक कदम है, जिससे सरकारी कोष को ३ लाख करोड़ रु. का लाभ हुआ|

* दिव्यांगों को उपकरणों की सहायता के लिए २३ माह में १८०० शिविर आयोजित किए गए, जबकि २०१४ के पूर्व के २० वर्षों में महज १०० शिविर आयोजित किए गए थे| सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने १०० विशाल शिविरों का आयोजन किया, जिसमें १ करोड़ रु. से अधिक के उपकरण वितरित किए गए| यह इसलिए संभव हो पाया क्योंकि मंत्रालय ने कम्पनियों को कम्पनी दायित्व कोष से इसके लिए राशि दिलवाने को मनाया| स्वैच्छिक संगठनों के जरिए यह कार्यक्रम पूरा किया गया| वाराणसी में ८००० दिव्यांगों को कृत्रिम पैर, तिपहिया साइकिल एवं अन्य उपयोगी उपकरणों के वितरण के लिए विश्‍व का सब से बड़ा शिविर आयोजित किया गया| गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकार्ड में इसे दर्ज किया गया है|

* सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने अनुसूचित जातियों, अन्य पिछड़े वर्गों, आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के छात्रों को ७४६५ करोड़ रु. की छात्रवृत्तियों का वितरण किया| पिछले दो वर्षों में इसके प्रति दलित वर्गों में जागरूकता आई है|

इस वितरित न्याय के अलावा मोदी सरकार ने प्रक्रियात्मक न्याय दिलाने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखी| इसके बिना सही लोगों तक सही लाभ नहीं पहुंचते| पिछले दो वर्षों में अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्गों के निगमों के जरिए अधिक सुलभ ॠण दिलाए गए और सफाई कर्मचारियों, पिछड़े वर्गों को कौशल प्रशिक्षण के लिए अधिक धन दिया गया| श्रम शिक्षा, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, कार्यस्थल पर सुरक्षा आदि पर काम किया गया| लक्ष्य यह था कि पिछड़ापन दूर करने के लिए वंचितों को अधिक सक्षम बनाया जाए और स्थानीय समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर ही ढूंढा जाए|

मोदी सरकार ने डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के विचारों के अनुसार वंचितों को सामाजिक न्याय दिलाने एवं उनके कल्याण के लिए कदम उठाए| दिल्ली के अलीपुर में डॉ. आंबेडकर रहे थे, जहां अब उनका स्मारक बनाया जा रहा है| डॉ. आंबेडकर के लेखों एवं भाषणों के चार खंडों को ब्रेल लिपि में अंतरित किया गया| उनकी स्मृति में डाक टिकट, सिक्के भी जारी किए गए|

 

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