हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
 समग्र ग्राम स्वराज की ओर….

 समग्र ग्राम स्वराज की ओर….

by अश्विन झाला
in ग्रामोदय दीपावली विशेषांक २०१६, सामाजिक
0

 जलगांव स्थित गांधी रिसर्च फाउण्डेशन समग्र गाम विकास को मूर्त रूप देने में लगा हुआ है| इसके तहत रास्ते, क्लास रूम, स्कूल परिसर की मरम्मत आदि; कृषि आधारित सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देना, पर्यावरण का संरक्षण, माइक्रो-फाइनेंस जैसी आर्थिक बातों का समावेश, शिक्षा और मूल्य आधारित जीवन यापन के संसाधन गांव में मुहैया कराना आदि बुनियादी संरचना की स्थापना के कार्य शामिल हैं|

ह मारे एक देहात को लोकतंत्र का एक छोटा से नमूना बन जाना    चाहिए और अपनी सब आवश्यकताओं की सामग्री वहीं पैदा करनी चाहिए| इसके लिए कोई धुआंधार ऐलान या प्रस्तावों की जरूरत नहीं| इसके लिए जरूरत है हिम्मत की, बहादुरी की, बुद्धि की और एकतंत्र होकर काम करने की शक्ति की| गांधीजी का यह मंत्र गांधी रिसर्च फाउण्डेशन के द्वारा कार्यरत ग्राम स्वराज का मंत्र बन गया है, प्रयत्न जुट रहे हैं, संभावना निर्माण हो रही है और हां, गांव, गांव बन रहा है|

आइए जलगांव स्थित गांधी रिसर्च फाउण्डेशन के द्वारा कार्यरत ग्राम विकास के कार्यों की एक झलक को देखें|

गांधी रिसर्च फाउण्डेशन बहुआयामी गतिविधियों के माध्यम से गांधीजी के जीवन मूल्यों को स्थापित करने, सत्य, अहिंसा, शांति, आपसी सहयोग की भावना का वैश्विक स्तर पर विकास करने हेतु कार्यरत है|

महात्मा गांधी ने गांवों के समग्र व संतुलित विकास के लिए ग्राम स्वराज की अवधारणा प्रस्तुत की| उसे साकार करने के लिए फाउण्डेशन ने तीस गांवों में कार्य करने का निश्चय किया| ये गांव वरिष्ठ एवं अनुभवी विशेषज्ञों द्वारा अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं| जलगांव जिला में गिरणा नदी पर स्थित कान्ताई बंधारा के जलग्रहण क्षेत्र पर प्राथमिक रूप से फाउण्डेशन द्वारा ‘ग्राम स्वराज्य’ का कार्य किया जा रहा है| स्वदेशी के आधार पर गांव को स्वावलंबन प्रदान करना, लोक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को प्रभावित करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाना, दूसरे शब्दों में कहे तो ‘संपोषित विकास’ प्राप्त करना यही फाउण्डेशन की कार्य-प्रणाली रही  है|

फाउण्डेशन की महत्वपूर्ण गतिविधियों में ग्राम विकास नियमित रूप से रहा है| शुरूआत से ही फाउण्डेशन की ओर से बुनियादी संरचना निर्माण करने पर बल दिया जा रहा है| इसमें रास्ते, क्लास रूम, स्कूल परिसर की मरम्मत आदि; कृषि आधारित सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देना, पर्यावरण का संरक्षण, माइक्रो-फाइनेंस जैसी आर्थिक बातों का समावेश, शिक्षा और मूल्य आधारित जीवन यापन के संसाधन गांव में मुहैया कराना आदि कार्य शामिल हैं|

 कार्यकर्ता निर्माण की ओर…

ग्राम स्वराज की स्थिति को साकार करने के लिए आवश्यक है कटिबद्ध कार्यकर्ता, और वे कार्यकर्ता जो गांव में रहकर समुदाय आधारित जीवन जीने की तैयारी रखे| वर्तमान समय में जहां गांव बिखर रहे हैं, लोग शहरीकरण की अंधी दौड़ में व्यस्त हैं ऐसी स्थिति में युवाओं को गांव की ओर जाने के लिए एवं ग्रामीण जीवन व्यतीत करने के लिए तैयार करना एक चुनौती के समान है|

गांधीजी द्वारा स्थापित लक्ष्य को सिद्ध करने के लिए सबसे पहले हमने कार्यकर्ता निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया, ताकि एक वर्षीय ‘‘गांधीवादी समाज कार्य स्नातकोत्तर डिप्लोमा’’ के माध्यम से प्रशिक्षित प्रतिभाशाली युवाओं को पूर्ण समय ग्रामीण विकास कार्यकर्ता के रूप में शामिल कर सके| वर्ष २०१६ में इस पाठ्यक्रम के तीन साल हुए हैं| सामान्य शिक्षा के नजरिये में परिवर्तन कर पाठ्यक्रम को अलग रूप से गठित किया है; ताकि पारंपरिक शिक्षा के स्वरूप से अलग व्यवस्था निर्माण कर सके| एक साल के इस पाठ्यक्रम के दौरान अध्ययनकर्ता दूसरे छह महीने गांव में स्थायी रूप से रहेंगे, उस दौरान गांव से परिचित होना, पी.आर.ए. करते हुए स्थानीय संसाधनों का अध्ययन करते हैं, भविष्य के लिए लघु अवधि व दीर्घ अवधि के कार्य आयोजन करते हुए एक्शन प्रोग्राम तैयार करते हैं|

 छोटे-छोटे समूह से लोक संस्था की ओर…

अध्ययन के दौरान ग्रामीण समुदाय के ५ से ७ लोगों का संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) बनाना, ऐसे गांव में बने जेएलजी को एकत्रित करके ग्राम मंडल बनाना और सभी गांवों के मंडलों को शामिल करके व्यवस्थित रूप से सक्षम लोक संस्था (फेडरेशन) तैयार करना शामिल है| लोक संस्था के आधार पर उन्हें अपनी चुनौतियों को पहचान कर उनका जमीनी स्तर पर निदान कर लंबे समय तक शाश्वत विकास को हासिल करने के लिए आवश्यक कौशल विकास (कार्यक्रम का आयोजन; संसाधन जुटाने और संयुक्त आर्थिक गतिविधियों- उत्पादन, प्रसंस्करण और सेवा कर को बढ़ावा देने हेतु संरचित विपणन (मार्केटिग) की व्यवस्था प्रस्थापित करना होता है|

इस साल फाउण्डेशन के कार्यक्रम का उद्देश्य-  सक्षम लोक संस्था (४०० जेएलजी, ३००० सदस्यों के साथ) की स्थापना, तीन गांवों में सामूहिक दुग्ध उत्पादक संघ की स्थापना, दो गांवों में अंबर चरखे पर कताई इकाइयों की शुरुआत और पांच गांवों में सामुदायिक शौचालयों की सुविधा विकसित करना है|

 कांताई ग्राम समृद्धि योजना से सशक्तिकरण की ओर…

ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण कार्य के लिए फाउण्डेशन द्वारा कांताई ग्राम समृद्धि योजना वर्ष २०१४-१५ में कार्यान्वित की गई थी| फाउण्डेशन के कार्यत्रेक्ष में स्थित महिलाओं के स्वावलंबन के लिए स्वयं सहाय समूह स्थापित किए गए हैं| लघु उद्योग, किराना दुकान, सिलाई मशीन, पशुपालन आदि व्यवसायों में होने वाले प्रारंभिक निवेश के लिए फाउण्डेशन द्वारा माइक्रो-फाइनेन्स के द्वारा आर्थिक मदद दी जा रही है| अब तक कांताई ग्राम समृद्धि योजना के अंतर्गत इस योजना के माध्यम से ७१ महिला स्वयं सहायता समूहों की ७११ महिलाओं को करीब पचहत्तर लाख रुपए का लाभ मिला है|

 पदयात्रा द्वारा विधायक कार्य की ओर…

गांधी निर्वाण दिन ३० जनवरी से १२ फरवरी तक हर साल पदयात्रा आयोजित करते हैं, विविध विषयों पर आयोजित ऐसी पदयात्रा की शुरुआत सन् २०१० से हुई है| पदयात्रा का स्वरूप ग्रामीण जीवन को प्रभावित करना रहा है|

गांवों में स्कूल तथा स्वास्थ्य सेवा का ऐसा संजाल होना चाहिए जिससे लोगों को अपने बच्चों की शिक्षा तथा सबके स्वास्थ्य को लेकर एक प्रकार की निश्चिंतता हो| ग्रामवासी हर छोटे काम के लिए शहरों का रूख करने के लिए मजबूर न हों, कृषि आधारित तंत्रज्ञान सरलता से गांव तक पहुंचना चाहिए, स्वच्छता की आदत के साथ साथ सामाजिक शिक्षा होनी चाहिए, जल-साक्षरता के द्वारा पानी को संरक्षित करने के तरीकों के बारे में जानकारी प्रदान करनी चाहिए, पिछले पांच सालों से पदयात्रा के माध्यम से लोक जागृति के साथ-साथ रचनात्मक कार्यक्रम कर उपरोक्त विषय में आमुल परिवर्तन प्राप्त कर सके|

 ‘जल तपस्वी भंवरलालजी जैन जल संधारण योजना’ के द्वारा समृद्धि की ओर…

गांवों में सिंचाई की सुविधा का होना सबसे जरूरी है, ताकि किसान वर्षा की अनिश्चितता से मुक्त हो सकें| परम श्रद्धेय भंवरलालजी जैन (बड़े भाऊ) ने जीवन पर्यंत कृषि को शाश्वतता प्रदान करने का कार्य किया है| कृषि में पानी मुख्य घटक के रूप में है और अगर हम पानी का नियोजन कर सके तो फसल अधिक प्राप्त कर सकते हैं| पानी का सुनिश्चित आयोजन एवं फसल आधारित पानी की आवश्यकता को ध्यान में रख कर बड़े भाऊ ने पानी के बेहतरीन प्रबंध की अच्छी आदतें अपने अनुभव आधारित परीक्षण के जरिए लोगों तक पहुंचाई| २५ फरवरी २०१६ के दिन परम श्रद्धेय बड़े भाऊ का निधन हो गया| उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उनके कार्य को आगे बढ़ाने के लिए जल संधारण क्षेत्र में उनके नाम से एक योजना कार्यान्वित की गई- ‘जल तपस्वी भंवरलालजी जैन जल संधारण योजना’| इस योजना के अंतर्गत जलगांव में तीन उपनदियों को करीब २ किमी तक की लंबाई तक औसत २५ मीटर चौड़ाई एवं ३.५ मीटर गहरा बनाया है| इस कार्य से बारिश में बह जाने वाले ५ करोड़ ली. पानी को संरक्षित करने की क्षमता का निर्माण किया गया|

 ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम से स्वस्थ समाज की ओर…

आज हमारे गांव जिन तीन गंभीर समस्या के चंगुल में फंस गए हैं उनमें से एक है स्वच्छता का अभाव| फाउण्डेशन के ग्राम स्वराज्य कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण स्वच्छता प्रकल्प पर पांच गांव (धानोरा, दापोरे खुर्द, दापोरे बुदरुक, कुर्हाड़दा एवं लामंझन) में कार्य का आरंभ हो चुका है| अब तक दापोरा एवं धानोरा गांव में क्रमशः दो एवं एक सामुदायिक महिला शौचालय का नवीनीकरण किया गया| इस कार्य को पूरा करने के लिए विभिन्न चरणों में ग्रामीण महिलाओं को संगठित किया गया है| निर्माण करना सरल है पर व्यवस्था बनाए रखना मुश्किल है| इसीलिए हमने स्थानीय महिलाओं के उपयोगकर्ता गुट बनाए, उनको ही सामाजिक शिक्षा प्रदान करते हुए शौचालय का व्यवस्थापन सिखाया| आज यह स्थिति है कि इन दो गांवों में तैयार किए गए सामुदायिक शौचालय के मरम्मत कार्य को महिलाएं ही संभाल रही हैं, स्वाभिमान आधारित जिम्मेदारी का दर्शन आज इन महिलाओं में हो रहा है|

 युवा संस्कार शिविर से समाज निर्माण की ओर…

गांधीजी कहते थे- ‘मेरी आशा देश के युवकों पर है|… उन्हें यह समझना चाहिए कि कठोर अनुशासन द्वारा नियमित जीवन ही उन्हें और राष्ट्र को सम्पूर्ण विनाश से बचा सकता है|’

वर्तमान समय में युवा वर्ग प्रकृति से दूर जा रहे है, पक्षी, वनस्पति, जीव-सृष्टि, कला-कौशल, खेल जैसे अन्य विषयों से युवा दूर जा रहे हैं| मल्टिमीडिया के इस समय में टेलीविजन, इन्टरनेट में रचे-बसे रहते हुए आज के युवा संस्कार से वंचित हो रहे हैं|

युवाओं में संस्कार सिंचन करने के विभिन्न माध्यमों को अपना कर प्रति साल बच्चे एवं युवाओं को सम्मिलित करते हुए ग्रामीण बालक एवं युवा शिविर का आयोजन किया जाता है| स्वावलंबन, अनुशासन, कला-कौशल, व्यक्तित्व विकास, पक्षी निरीक्षण, आकाश-दर्शन, परिश्रम आदि प्रवृत्ति के माध्यम से सामाजिक मूल्य निर्माण का कार्य किया जा रहा है| इस शिविर में फाउण्डेशन द्वारा गोद लिए गांवों के छात्रों को सम्मिलित किया जाता है|

ग्राम स्वराज यह बड़ी संकल्पना है; पर जब कार्य की शुरूआत करते हैं तब परिवर्तन की संभावना बढ़ जाती है| आज़ादी के सत्तर साल बाद आज हमारे पास केवल गिने-चुने आदर्श गांव हैं| यह श्रृंखला बढ़नी चाहिए, पिछले कुछ सालों से फिर भी प्रयास को गति मिली है| सरकार का रवैया भी गांव के प्रति सकारात्मक बना है| इसलिए सांसद आदर्श गांव को भी अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है| एक बात हमेशा ख्याल में रखनी चाहिए केवल सुविधा बढ़ाने से गांव स्वावलंबन नहीं होगा| उनके लिए आवश्यक है सामाजिक संवाद का जरिया, सामाजिक शिक्षा की पद्धति, तभी गांव के संसाधनों का योग्य इस्तेमाल कर गांव की समस्याओं का गांव ही समाधान खोज पाए इस स्थिति पर ले जा सकते हैं| हमारे सभी गांवों में जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति होगी तभी गांव से हो रहे स्थलांतर को रोका जा सकता है|

 

अश्विन झाला

Next Post
बाबासाहब के ‘शहर की ओर चलो’ का अर्थ

बाबासाहब के ‘शहर की ओर चलो’ का अर्थ

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0