ब्रिटिशकालीन मुंबई के गांव

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वैश्वीकरण के आधुनिक युग में रहने वाले मुंबईवासियों को शनिवार-रविवार की लगातार दो दिन की छुट्टियों में बरसात के मौसम में हरी चादर ओढ़े पर्वतों और उनमें कलकल बहते जलप्रवाहों और प्रपातों में विचरण करने की इच्छा होती है। शहरी वातावरण से परेशान जीवन ग्रामीण म

ग्राम विकास की अनूठी पहल

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यह बात स्वीकार करनी ही पड़ेगी कि सरकारों के भरोसे गांवों का विकास नहीं हो सकता है। विकास के कुछ बड़े काम तो सरकार ही कर सकती है, लेकिन कुछ गतिविधियों के लिए समाज को ही उठ कर खड़ा होना होगा। यदि गांव में जन्मे और शहरों में नौकरी अथवा व्यवसाय करने वाले लोग इ

विकसित देशों के विकसित गांव…!

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अपने देश के बाहर का पहला गांव देखने का सौभाग्य मुझे मिला था, आज से लगभग तीस वर्ष पूर्व। मैं जापान में ‘स्वीचिंगसिस्टम’ के प्रशिक्षण के लिए गया था। कुछ महीने जापान में रहने का अवसर मिला था। मेरा अधिकतम समय बीता था, टोकियो में। लेकिन लगभग दो स

ऊर्जा के प्रति जागरूकता

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अहमदाबाद के श्रमिक क्षेत्रों की चाल के छप्परनुमा घरों में ’उजाला’ ने दस्तक दे दी है। दरअसल छप्परनुमा खपरैल के एक हिस्से को खोल कर उसमें फाइबर-प्लास्टिक का सोलर स्ट्रक्चर बैठाया गया है। उसकी खिड़कियां खोलीं और बंद की जा सकती हैं। इसकी डिजाइन ऐ

गांव की बेटी, सबकी बेटी

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दादी अपने जीवन में छुआछूत का विषेश व्यवहार करती थीं। दरवाजे और आंगन, खेत-खलिहान में काम करने वाली महिला-पुरुषों को कभी अपना शरीर नहीं छूने देतीं। पर उनसे मुहब्बत भी बहुत करती थीं। गांव में किसी जाति की बेटी का ब्याह हो, वे हम बहनों को लेकर पहुंच जातीं।

समर्थ ग्राम, समर्थ भारत

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२१ वीं सदी में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिल रहा है। स्मार्ट सिटी, स्मार्ट शहर की कल्पना जोर पकड़ रही है। शहरों का व्यवस्थापन, शासन व्यवस्था, राष्ट्रीय प्रगति, उन्नति का मार्ग बन रही है। यह तर्क संगत नहीं लगता है। भारत की सम्वन्नता, उद्योजकता यद्यप

तोहफा

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समय को कौन रोक सकता है? वह अपनी रफ्तार में आगे बढ़ता जाता है। हम लाख उसे पकड़ कर रखना चाहें पर वह रेत की मानिंद हाथ से फिसल ही जाता है। और पीछे छूट जाती है यादें। ऐसी ही एक याद जब-तब मुझे सताती थी। गांव का वह घर, चूल्हे में चढ़ी बटलोई की दाल, भुने आलू का भ

ग्रामीण पर्यटन

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 सुशिक्षित और बेरोजगार युवक मिल कर सहकारिता पर बल देकर अपने गांव में ग्रामीण पर्यटन शुरू करें| उसके लिए लगातार कोशिश जारी रखें| प्रधान मंत्री मोदी जी ने ‘स्टार्ट अप’ परियोजना शुरु की है| विकास की इस पालकी को राष्ट्रप्रेमी, आधुनिक नागरिक जिम्मेदारी के साथ उठाएं और आगे बढ़े|

 त्योहार तथा उत्सव की परम्परा

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 देश में प्रचलित पर्व-उत्सव-मेले-त्योहार केवल आनंद भोग के लिए ही नहीं हैं, अपितु इनके पीछे का मुख्य मंतव्य जीवन को दिशा देना एवं सामाजिकता के भाव को सुगठित करना है| पर्वोत्सव, मेले, यात्राएं समाज-जीवन को पुष्ट एवं तुष्ट करते आए हैं, करते रहेंगे|

 रोशनी  की  तलाश

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 दोनों की रोशनी की तलाश खत्म हुई और जगमगाते उजाले लेकर दीवाली की वह रात आई जिसका न जाने कब से उनको इंतजार था|

 कृषि-आधारित ग्रामीण उद्योग

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 किसान अपने नियमित कृषि कार्य के साथ ऐसे अनेक सहायक व्यवसाय कर सकते हैं| आवश्यकता है तो किसी एक व्यवसाय को प्रारम्भ करने की| इसे करते समय एक बात का हमेशा स्मरण रहें- ये सारे सहायक व्यवसाय हैं| अपना मूल व्यवसाय है खेती, क्योंकि हम हैं तो किसान ही ना|

 ग्रामीण फिल्मों में संस्कृति दर्शन

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अधिकांश फिल्मों ने देश के ग्रामीण इलाके की विविधता को परदे पर दिखाया है| इन फिल्मों में लोक संगीत नृत्य, महाराष्ट्र की ‘लावणी’ से लेकर पंजाब के ‘भांगड़ा’ तक को अनुभव किया जा सकता है| सच तो यह है कि, ग्रामीण फ़िल्में बहु-सांस्कृतिक होती हैं|

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