हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
सजना है मुझे…

सजना है मुझे…

by मंजरी वर्मा
in फैशन दीपावली विशेषांक - नवम्बर २०१८
0

सोलह श्रृंगार हमारी परम्परा और शरीर विज्ञान दोनों से जुड़े हैं। लेकिन आधुनिक समय में रोज-रोज इसे करना असंभव है। अब विशेष आयोजनों पर ही सोलह श्रृंगार किए जाते हैं, और तब नारी सुन्दर ही नहीं गरिमामयी देवी की भांति प्रतीत होती है।

सोलह श्रृंगार के बारे में चर्चा करते ही सजी-संवरी नारी के सोंदर्य का बोध होता है। सोलह श्रृंगार का रिश्ता हमेशा से ही नारी की खूबसूरती के साथ जुड़ता आया है। दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। भारतीय साहित्य में षोडश श्रृंगार या सोलह श्रृंगार की प्राचीन परम्परा रही है। आदि काल से ही स्त्री पुरुष दोनों ही वर्ग प्रसाधन का इस्तेमाल करते आए हैं। इस काल के स्तंभों, दीवारों और द्वार स्तंभों पर सोलह श्रृंगार के चित्र अंकित मिलते हैं।

ये सोलह श्रृंगार इस प्रकार हैं – अंगशुची, मंजन, वसन, मांग, महावर, केश, तिलक भाल, तिल, चिबुक, आभूषण, मेहंदी, वेश, मिस्सी, काजल, अरगजा, वीरी और सुगंध। अर्थात अंगों में उबटन लगाना, स्नान करना, स्वच्छ वस्त्र धारण करना, मांग भरना, महावर लगाना, बाल संवारना, तिलक लगाना, ठोड़ी पर तिल बनाना, आभूषण धारण करना, मेहंदी रचना, दांतों में मिस्सी लगाना, आंखों में काजल लगाना, सुगन्धित द्रव्यों का प्रयोग करना, पान खाना, माला पहनना और नीला कमल धारण करना सोलह श्रृंगार के अंतर्गत आते थे।

जैसे-जैसे समय बदला, लोगों के विचार बदले- यहां तक कि हिंदी कवियों ने भी सोलह श्रृंगार के बारे में लिखा। हिंदी कवि जायसी के अनुसार सोलह श्रृंगार इस प्रकार बतलाए गए हैं मंजन, स्नान, वस्त्र, पत्रावली, सिन्दूर, तिलक, कुंडल, अंजन, अधरों का रंगना, ताम्बुल, कुसुमगंध, कपोलों पर तिल, हार, कंचुकी, छुद्र घंटिका और पायल आदि। इससे ये ज्ञात होता है कि प्रत्येक देश काल के अनुसार सोलह श्रृंगार में भी परिवर्तन होता रहा है।

नारी स्वभावतः ही श्रृंगार में रूचि रखती है, भले ही वह अविवाहित हो या विवाहिता। यूं भी कह सकते हैं कि नारी और श्रृंगार इस प्रकार हैं जैसे सोना और सुहागा। हिन्दू धर्म के अनुसार महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है। विवाह उपरांत स्त्री इन सभी श्रृंगारों को जाने-अनजाने धारण करती ही है। आज हर स्त्री चाहती है कि सज धज कर सुंदर लगे। सोलह श्रृंगार करके अपने पति को रिझाए, इसीलिए वह सोलह श्रृंगार के प्रति जागरूक रहती है। एक प्रकार से सोलह श्रृंगार विवाहित स्त्री के लिए सुहाग का प्रतीक माना गया है। विवाह उपरान्त बिंदी, काजल, गजरा, टीका, सिन्दूर, महावर, मंगलसूत्र, बाजूबंद, नथ, कुंडल, चूड़ियां, कंगन, कमर पेटी, अंगूठी, पायल, बिछुए और लाल रंग के कपड़े पहनना प्रत्येक विवाहित स्त्री के लिए अनिवार्य बताया गया है। अगर विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो इन सोलह श्रृंगारों का विशेष महत्व भी है जैसे-

1.बिंदी- जहां बिंदी लगाई जाती है वहां आज्ञा चक्र होता है जिसका सीधा सम्बंध मन से होता है, बिंदी लगाने से मन की एकाग्रता बनी रहती है।

2.सिंदूर- विवाहित स्त्रियों के लिए सिन्दूर सुहाग का प्रतीक माना गया है। ऐसी मान्यता है कि सिन्दूर लगाने से पति की आयु में वृद्धि होती है। मांग वाले स्थान पर मस्तिष्क की महत्वपूर्ण ब्रह्मरंध्र ग्रंथि पाई जाती है। सिन्दूर पारे नाम की धातु से बनता है जो इस ग्रंथि को चैतन्य अवस्था में रखता है। साथ ही तनाव रहित ठंडा और चुस्त रहता है।

3.काजल- काजल लगाने से नेत्र विकार दूर होते हैं, दृष्टि कमजोर नहीं होती, यही नहीं काजल बुरी दृष्टि से भी बचाता है इसीलिए काजल का डिठूला भी लगाते हैं।

4.नथ- नथ स्त्रियों के मुख पर चार चांद लगा देती है, नाक में छेद कराने से एक्यूपंक्चर के लाभ मिलते हैं, नथ विवाहित स्त्री के सुहाग का विशिष्ट चिह्न मानी जाती है।

5.कुंडल- जैसे नथ छेदन होता है वैसे ही कर्णछेदन होता है। दोनों में ही एक्यूपंक्चर के लाभ मिलते हैं। स्वर्ण के कुंडल और स्वर्ण नथ भी शरीर के संपर्क में होती है जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।

6.मंगलसूत्र- ऐसी मान्यता है कि मंगलसूत्र धारण करने से पति की आयु लम्बी रहती है, लेकिन इसका विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो कंधे और सिर का मध्य भाग नाड़ियों से घिरा रहता है, अतः मंगलसूत्र रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है।

7.टीका- मांग टीका पति द्वारा पहनाया गया सिंदूर रक्षक, शुभ सुहाग का प्रतीक माना गया है।

8.गजरा- गजरा मोगरे और बेला के फूलों से बना होता है। सफेद रंग के पुष्प मन मोह लेते हैं और इसकी सुगंध से मन शांत और प्रसन्न रहता है, साथ ही सुगंध के लिए किसी इत्र की भी जरूरत नहीं होती।

9.बाजूबंद- ये सुहाग का प्रतीक तो है ही साथ ही नाड़ियों को नियंत्रित करने का कार्य भी करता है।

10.चूड़ी,कंगन- सुहागन स्त्रियों के हांथों में लाल चूड़ियां, कंगन आदि सुहाग का प्रतीक मानी गई हैं और घर में इनके खनकते रहने से वधु के आगमन का आभास भी बना रहता है ।

11.कमरपेटी- इसके नाभि के ऊपर बंधी होने से नाड़ियां नियंत्रित रहती हैं, पेट कसा रहता है, बढ़ता नहीं है और काम में स्फूर्ति बनी रहती है।

12.अंगूठी- स्वर्ण धातु की अंगूठी पहनने से रक्त संचार उष्णता लिए बहता रहता है जिससे हाथों की त्वचा स्वस्थ बनी रहती है। अंगूठी प्यार और विश्वास का प्रतीक मानी गई है।

13.पायल- चांदी धातु से बनी पायल पैरों की थकान को दूर करके शीतलता प्रदान करती है, और उसमें लगे घुंघरू मन को भटकने से रोकते हैं। ऐसी मान्यता है कि विवाहिता स्त्री घुंघरूओं की तरह रिश्तों को जोड़ कर रखेगी।

14.बिछुए- ये चांदी के बने होते हैं और पैरों की नसों को नियंत्रित रखते हैं। इन्हें भी सुहाग का विशिष्ट चिह्न माना जाता है।

15.महावर- लाल रंग का महावर सुहाग का प्रतीक माना गया है, पूजा, त्योहार और उत्सवों पर महावर लगाना अनिवार्य होता है।

16.लाल रंग के वस्त्र- विवाह का लाल जोड़ा शुभ माना गया है क्योंकि स्त्री को लक्ष्मी स्वरूप कहा गया है, और देवी लक्ष्मी को लाल वस्त्र प्रिय है। दूसरा कारण यह भी है कि लाल रंग उर्जा का स्रोत है, शक्ति प्रदान करता है। एक विवाहित स्त्री हर क्षण गृह कार्य में ऊर्जा से भरी रहे, इसीलिए उसे लाल वस्त्र धारण कराया जाता है।

आधुनिक युग में नारी विशेष उत्सवों पर ही साजश्रृंगार करना पसंद करती है, आभूषणों के महंगे होने के कारण उनको खरीदना समस्या है तो वहीं चोरी, लूटपाट का भय रहता है। आज समय ऐसा आ गया है कि आभूषणों को पहनकर अकेले निकलना कभी भी संकट में डाल सकता है। आज स्त्री भी पुरुषों के बराबर कार्य कर रही है। रोज़ दफ्तर जाना, बस और ट्रेन का सफर करना, इसलिए स्त्रियां साधारण श्रृंगार ही करना पसंद करती है। आज की नारी आधुनिक श्रृंगार को महत्व दे रही है जिसमें हेयरस्पा, हेयरकलर, रिबोंडिंग, हेयरजैल, कंसीलर, आय शैडो, मस्कारा, आय लाइनर, बॉडी स्पा, नेलआर्ट, मैनीक्यौर, पैडीक्यौर, बॉडी मसाज, फेशियल कराना और जींस, शॉर्ट टॉप, कुर्ती, जेगिंग्स, लेगिंग्स, स्पोर्ट्सवियर, कैज़ुअल वियर पहनना ही पसंद करती हैं। चुस्त फिटिंग के कपड़े शरीर को स्लिम लुक तो देते ही हैं और साथ ही आरामदायक होते हैं। यही कारण है कि युवा और कम उम्र की लड़कियों को ऐसे पहनावे अधिक पसंद आते हैं।

आज के दौर में महिलाएं आर्टिफिशियल ज्वेलरी, मैचिंग और हलके आभूषण पहनती हैं, जो एक प्रकार से उचित भी है, इनके खोने और चोरी होने का भय नहीं रहता। सादगी में ही सुन्दर दिखना पसंद करती हैं। नौकरीपेशा होने के कारण घर और बाहर की जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से संभाल रही हैं। सोलह श्रृंगार करना किस नारी को पसंद नहीं होगा, लेकिन आज समय की मांग है कि प्राकृतिक सौन्दर्य को सहेज के रखें। यही कारण है कि आज की नारी साधारण श्रृंगार को ही महत्व देती है। विशेष आयोजनों पर ही सोलह श्रृंगार किए जाते हैं, और उस समय नारी सुन्दर ही नहीं गरिमामयी देवी की भांति प्रतीत होती है।

मंजरी वर्मा

Next Post
मोहे रंग दे…

मोहे रंग दे...

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0