सजना है मुझे…

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सोलह श्रृंगार हमारी परम्परा और शरीर विज्ञान दोनों से जुड़े हैं। लेकिन आधुनिक समय में रोज-रोज इसे करना असंभव है। अब विशेष आयोजनों पर ही सोलह श्रृंगार किए जाते हैं, और तब नारी सुन्दर ही नहीं गरिमामयी देवी की भांति प्रतीत होती है।

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