गर्मी की छुट्टियों में कुछ जनसेवा भी हो जाए

गर्मी की छुट्टियां शुरू होने वाली हैं। जाहिर सी बात है, कि सब ने अपने-अपने हिसाब से वीसड़ी स्थानों पर जाने की योजना बनाई होगी। कुछ ने रिश्तेदारों के घर जाना तय किया होगा, तो कुछ ने किन्हीं क्लासेस में जाने की सोच रखी होगी। ये सब तो हो गई हर गर्मी की छुट्टी में की जाने वाली सामान्य तैयारियां। अमूमन सारे लोग ऐसा ही सोचते और करते हैं। क्या कुछ इससे हट कर रचनात्मक सा इस गर्मी की छुट्टी नहीं किया जा सकता, जो बिल्कुल हट कर भी हो और जिससे हमारा व्यक्तित्व भी विकसित हो सके, साथ ही हम इस समाज के लिए अपना कुछ योगदान भी कर सके शारीरिक, आर्थिक और भावनात्मक रूप से!

जैसा कि हम जानते हैं हमारे देश मे गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी, कुपोषण जैसी कई प्रकार की बीमारियां, हजारों समस्याएं हैं। सोचने वाली बात यही है कि क्या हम केवल गर्मी की छुट्टियां अपने मौज मस्ती के लिए ही बिताए,,या सिर्फ अपने लिए ही जिये? हम खुद के लिए और अपने परिवार के लिए तो करते ही हैं सबकुछ तो क्यों न इस गर्मी की छुट्टी कुछ नेक कार्य करके जरूरतमंदों के लिए मदद करके कुछ अलग और रचनात्मक ढंग से बिताए? आर्थिक मदद तो हम पूरे साल भर कर सकते हैं, लेकिन इसके अलावा भी उन्हें कुछ चीजों की जरूरत होती है जो हम सिर्फ अपनी छुट्टियों के दिनों में ही कर सकते हैं; क्योंकि हमारे व्यस्त जीवन में खुद के लिए ही समय निकालना मुश्किल होता है, जैसे उन्हें भावनात्मक रूप से सहायता करना इसके लिए हमें समय भी देना पड़ता है तो क्यों न हम इस गर्मी की छुट्टी का उपयोग कुछ इसी तरह के जरूरतमंदों की मदद करके कर सकते हैं और अपनी गर्मी की छुट्टी बिताने के तरीके में कुछ रचनात्मकता ला सकते हैं ताकि हमारे रिश्तेदारों को भी हम पर गर्व हो और हम समाज मे निस्वार्थ योगदान भी कर सके!

जैसा कि हमें पता है कि जगह-जगह वृद्धाश्रम खुल गए हैं। हम चाहे तो इस गर्मी की छुट्टी उस वृद्धाश्रम जाकर उनकी कुछ आर्थिक और भावनात्मक रूप से मदद कर सकते हैं। हो सकता है उन्हें आर्थिक मदद से कहीं ज्यादा प्यार की जरूरत हो तो क्यों न हम उनसे रोज मिलने जाए, उनके साथ समय बिताए, उनसे मैत्री का भाव रखते हुए उनके सारे दुख तकलीफ और उन्हें उनके घर से मिली उलाहना की पीड़ा को भूलने में मदद करें, क्योंकि कभी-कभी परायों से अपनों से कहीं ज्यादा प्यार मिल जाता है, और आधे दुख तकलीफ और बीमारी तो प्रेम के दो मीठे बोल से ही आधे हो जाते हैं। साथ ही उन वृद्ध की मेडिकल जांच कराए। आप सक्षम हो तो थोड़ा योगदान इसमें भी कर सकते हैं। इससे आपको भी खुशी मिलेगी और उनकी दुआएं भी!

रोज़मर्रा की जिंदगी में हम देखते हैं कि छोटे-छोटे बच्चे मजबूरीवश कहीं सड़क पर फूल बेच रहे होते, तो कोई किसी के घर काम करते हैं। स्कूल जाने की उम्र में आर्थिक तंगी से जूझते मजबूरीवश उनके माता-पिता उनसे ये काम करवाते हैं। आप हम सक्षम और पढ़े लिखे हैं तो क्या हम ऐसे बच्चों को इकट्ठा कर शिक्षा नहीं दे सकते, क्यों न इस गर्मी की छुट्टी हम उन बच्चों को इकट्ठा कर उन्हें ज्ञान अर्जित करने में मदद करें। छुट्टियों का सदुपयोग करके हम खुद उन्हें पढ़ाए और हम इतने सक्षम तो होंगे ही कि  एक या दो बच्चों की आर्थिक मदद और उनकी पढ़ाई का खर्च तो उठा ही सकते हैं। कुछ की भी हम सब मिलकर मदद कर दें तो एक दिन यह मदद बड़ा रूप लेकर उनकी जिंदगी सवार देगी!

इसी प्रकार हम अपने शिक्षित होने का सदुपयोग इस गर्मी की छुट्टी कुछ रचनात्मक ढंग से कर सकते हैं। बेरोजगार और अशिक्षित महिलाओं को शिक्षा देकर ताकि वे भी अपने पैरों पर खड़ी हो सके। आर्थिक रूप से मदद तो हम कैसे भी और कभी भी कर सकते है पर अपना वक्त देकर किसी के काम आना बहुत बड़ी बात है। इस प्रकार हमारी अंतरात्मा तो तृप्त होगी ही साथ ही हम समाज को हम कुछ दे पाएंगे। शायद इस छोटे से कदम से बहुत बड़ा बदलाव आ जाये जिसके माध्यम हम हो सके है!!

हम सभी जानते हैं कि महंगाई दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही हैं। हम छुट्टियों के अलावा बाकी दिनों में तो ऑफिस में व्यस्त होते है। अपने काम में समय नही होता कि हम कुछ अतिरिक्त कर पाए। आपाधापी बेहद होती है। ऐसे में कभी-कभी यह भी होता है कि हम अपने वेतन से संतुष्ट नहीं होते या वेतन अच्छा होते हुए भी हमारे लिए पर्याप्त नहीं होती क्योंकि हमने आगे बढ़ने की ललक और महत्वकांक्षाएं पाल ली होती हैं, तो क्यों न इस गर्मी की छुट्टी में हम अपने बजट और अतिरिक्त आय के बारे में सोचे। पर इस तरह सोचें कि इससे दूसरे बेरोजगार भी हमसे जुड़ कर लाभान्वित हो सके। हम कोई छोटा सा व्यवसाय शुरू कर सकते हैं जिसमें कुछ जरूरतमंद बेरोजगार को नौकरी पर रख कर उन्हें भी वेतन दें और कुछ अतिरिक्ति और बचत हम खुद भी कर सके। इस प्रकार हम दूसरों की मदद भी कर सकेंगे और खुद की भी अतिरिक्त बचत भी कर पाएंगे!

 

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