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सुंदरतम पर्यटन स्थल बने  उत्तराखंड  – त्रिवेंद्र सिंह रावत

सुंदरतम पर्यटन स्थल बने उत्तराखंड – त्रिवेंद्र सिंह रावत

by अमोल पेडणेकर
in साक्षात्कार, सितंबर २०१९
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नया भारत का स्वप्न साकार करने के लिए राज्य स्तर पर कई प्रयास होने आवश्यक हैं। अपने-अपने राज्यों की विशेषताओं को आधार बनाकर कुछ राज्य इस दिशा में प्रयत्न कर रहे हैं। प्रस्तुत हैं नया भारत पर चर्चा के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विचार-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की न्यू इंडिया संकल्पना पर आपकी क्या राय है?

मा.मोदी जी ने न्यू इंडिया की जो अवधारणा प्रस्तुत की है, उसमें गरीबी से उन्मूलन, सबको स्वास्थ्य, सबको आवास, सबको शिक्षा, सबको शुद्ध ईंधन, खेतों को पानी, हर घर को नल, और देश की अर्थव्यवस्था जो अभी लगभग 2.7 लाख करोड़ डॉलर की है उसे  5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचाना है। उसके लिए देश के औद्योगिक विकास एवं एक्सर्पोट को बढ़ाना जरूरी है। भारत के एग्रीकल्चर का योगदान महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। एग्रीकल्चर से मेरा आशय यह है कि पशुपालन, मछली पालन इससे जुड़े तमाम तरह के जो एग्रोवेस्ट उद्योग है उसे बढ़ावा देना होगा। देश की आत्मनिर्भरता व स्वस्थ देश के लिए अन्न के साथ शुद्ध जल व फलों का भोजन के रूप में 30 फीसदी का उपभोग बढ़ाना आवश्यक है। इससे किसानों की दोगुनी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। हरियाली के साथ खुशहाली भी मिलेगी। ऐसी अवधारणा है कि पानी से पौधे बढ़ते है लेकिन सच्चाई यह है कि पौधों से पानी बढ़ता है। इसके माध्यम से हमारा पुरा इकोसिस्टम भी संतुलित होगा। मेरा ऐसा मानना है कि मा.मोदी जी की नया भारत काँसेप्ट की पहल जरूर रंग लाएगी और दुनिया में एक आदर्श देश के रूप में भारत को प्रतिस्थापित करेंगी।

5 ट्रिलियन इकॉनामी का लक्ष्य प्राप्त करने में उत्तराखंड राज्य का कितना और कैसे योगदान होगा?

मैं समझता हूं कि उसके लिए हमारा निर्यात बहुत बढ़ाना होगा। आयुर्वेदिक औषधियों की जड़ीबुटिया हम चीन से आयात करते है। जबकि हमारे देश में प्रचुर मात्रा में जड़ीबुटिया और फल-फूल उपलब्ध है। हमें इसका निर्यात करने पर जोर देना होगा। हम जो आयात करते है उसके स्थान पर हमें विदेशों में निर्यात बढ़ाना होगा। इसमें सफलता पाने के लिए भारत के हर राज्य को अपना योगदान करना पड़ेगा। आज दुनिया में होममेड वस्तुओं की खुब डिमांड है और लोग उसका अच्छा मुल्य भी चुका रहें है। भारत के कुटिर उद्योग को बढ़ावा देकर हम सफलता पा सकते है। शिल्प आधारित उत्पाद की दुनिया में बहुत डिमांड है। उत्तराखंड में इंडस्ट्रियल हेम्प का काफी स्कोप है। इसमें बहुत क्षमता है और इसके लिए उत्तराखंड राज्य अनुकू ल भी है। परंपरागत रूप से यहां घरों में हेम्प की खेती होती है। अनेकों मसालों और विभिन्न प्रकार की रस्सियां बनाने में यहां के लोग माहिर है। मेरा स्पष्ट रूप से मत है कि यदि भारत के सभी राज्य अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे तो 5 ट्रिलियन इकॉनामी का लक्ष्य हासिल कर दुनिया को हम अपनी आर्थिक शक्ति का लोहा मनवा सकते है।

उत्तराखंड राज्य ने पहली बार अपने इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया था। इसमें आपको कितनी सफलता मिली?

अक्टूबर 2018 में हमने यह आयोजन किया था। इसमें मा.श्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी आए हुए थे। हमारा अनुमान था कि 30 हजार करोड़ के लगभग AMU साईन हो जाएंगे। लेकिन 1 लाख 24 हजार करोड़ के AMU तभी साइन हुए। उसके बाद भी 3-4 हजार करो़ड़ के अचण साईन हुए। अच्छी बात यह रही कि लगभग 16 हजार करोड़ रूपया ग्राउंड पर इस समय गतिमान है। सबसे बड़ी बात है कि बीते 16-17 वर्षो में  40 हजार करोड़ रूपये का निवेश आया। वो तब आया जब बहुत सारी विशेष छूट राज्य को मिली हुई थी। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने उत्तराखंड राज्य को पैकेज दिया था। जिसमें सब्सिडी की सुविधा और टैक्स की छूट दी गई थी। लेकिन इस बार कोई छूट नही थी। उसके बाद भी 5-6 माह में 16 हजार करोड़ रूपये का जो निवेश आया है उसे मैं उपलब्धि मानता हूं। दूसरी बात अभी तक जो भी हमें निवेश प्राप्त हुए थे वह खास कर मैदानी व तराई भागों के लिए मर्यादित थे। अब की बार यह जो निवेश आया है वह पहाड़ो के लिए भी आया है। पर्यटन, पर्वत, मैन्युफैक्चरिंग, मेडिकल आदि क्षेत्रों में संतुलित निवेश डेस्टिनेशन ऑफ उत्तराखंड समिट के जरिए आया था। यह इन्वेस्टर्स समिट की विशेषता रही।

न्यु इंडिया की राह में चुनौतियां कौन-कौन सी है?

देखिए चुनौतियां तो हमेशा रहती है। सबसे बड़ी बात हैं इच्छाशक्ति का होना। भाजपा शासित राज्यों में तो विकास की लहर बह रही है लेकिन अन्य राज्यों में केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में दिक्कते आ रही है। आयुष्यमान योजना  को बंगाल की ममता बॅनर्जी ने अपने यहां लागू नही होने दिया।जिससे वहां के नागरिक स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह गए। उसमें नुकसान किसका हुआ? वहां के नागरिकों एवं गरिबों का हुआ। राजनीति का यह दोहरा चरित्र ठीक नही है। मेरा अन्य राजनीतिज्ञों से आग्रह है कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र निर्माण में वह भी अपना योगदान दें, जिससे देश तमाम चुनौतियों के बावजुद न्यु इंडिया की राह में तेजी से आगे बढ़े।

राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका पर आपकी क्या राय है?

युवा केवल नौकरी और सरकारी नौकरी के पीछे ही नही भागे। अधिकतर युवा सरकारी नौकरी चाहता है। देश की आबादी 130 अरब है और 3.00 करोड़ के लगभग सरकारी कर्मचारी है। सरकारी नौकरी का दायरा बहुत ही सीमित है। हमें वस्तुस्थिति समझनी पड़ेगी। युवाओं में जागरूकता आना और एटिट्यूड में चेंजेंस लाना बेहद जरूरी है। उन्हें आत्मनिर्भर बनने पर जोर देना होगा और किसी दूसरे के भरोसे रहने की आदत छोड़नी होगी। बस थोड़ा माईंड सेट बदलने की देर है। जो युवा नौकरी करने के बारे में सोचते है उन्हें कुछ लोगों को नौकरी देने वाला बनना चाहिए। तभी व्यापक बदलाव की शुरूआत होगी और देश में बड़ा परिवर्तन दिखाई देगा। मुझे देश की युवा शक्ति पर पूर्ण विश्वास है कि उनमें बहुत अधिक क्षमता है। देश में रोजगार के बहुत अवसर उपलब्ध है। कई क्षेत्र ऐसे है जो अनछुएं है। एैसे क्षेत्रों को पहचान कर हमें आगे बढ़ना चाहिए।

भारत की खनिज संपदा का दोहन हम राष्ट्रहित में कैसे कर सकते है?

भारत प्राकृतिक रूप से विविध खनिज संपदाओं से संपन्न देश है। उनमें से कोयला सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश भारत है जहां सबसे अधिक कोयला उपलब्ध है। दुर्भाग्य से हम कोयले को आयात करते है। आखिर क्या वजह है कि निर्यात करने की जगह हम कोयला आयात कर रहे है। हमारी खनिज नीति में बहुत सुधार की जरूरत है। खनिज क्षेत्रों में असीम रोजगार की संभावना है। हमारा कोयला अच्छी क्वॉलिटी का है। निर्यात के माध्यम से हमारी अच्छी खासी कमाई हो सकती है। प्राकृतिक खनिजों का अधिक शोषण न हो बल्कि राष्ट्रहित में दोहन हो। प्रकृति, पर्यावरण, जनजीवन सहित पुरा इकोसिस्टम सुरक्षित रखते हुए देशहित में प्राकृतिक संसाधनो का सदुपयोग किया जा सकता है। मुझे एैसा लगता है कि खनिज संपदा सहित अन्य प्राकृतिक संसाधनों द्वारा भी आर्थिक लक्ष्य को हासिल करने में सहायता मिल सकती है।

आयुष्यमान योजना को सफल बनाने के लिए आपने क्या किया?

योजना को सफल बनाने के लिए हमने 100 करोड़ रू.का बजट बनाया है। इसमें से अधिकतर पैसा सरकारी हॉस्पिटलों में ही जाता है। उत्तराखंड राज्य के दूर-दराज और दुर्गम क्षेत्रों में भी सरकारी अस्पतालों का नेटवर्क व्यापक रूप से फैला हुआ है। जिसके माध्यम से हर जरूरतमंद गरीब परिवार तक स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ पहुंचा रहा है। इस आयुष्यमान योजना से हर नागरिक को लाभ मिल रहा है और वह इस सरकारी योजना से संतुष्ट भी हो रहा है। मैं नही मानता कि इस बजट का कोई बोझ सरकार पर पड़ रहा है। बल्कि इस बजट से तो सभी लोगों का स्वास्थ्य सुधर रहा है और राज्य की सेहत पर अच्छा प्रभाव दिखाई दे रहा है। पहले मध्यम वर्गीय परिवार के एक व्यक्ति का इलाज कराना बहुत महंगा पड़ता था। इलाज कराते-कराते वह आर्थिक रूप से BPL से पिछड़कर अत्योंदय तक पहुंच जाता था। जिससे उसके परिवार का भरण-पोषण, शिक्षा, आदि पर बुरा प्रभाव पड़ता था। वह अगले 2 वर्षों के लिए कर्ज में डूब जाता था। ऐसी परिस्थितियों से निकालने में आम लोगों को आयुष्यमान योजना ने सहायता की।

 

5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए सभी राज्यों को प्रयत्न करना होगा।

प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता होते हुए भी हम उन्हें आयात कर रहे है। इस ओर ध्यान देना होगा।

हम उत्तराखंड में पंडित दीनदयाल जी की अंत्योदय योजना के अनुरूप ही कार्य कर रहे है।

उत्तराखंड में पर्यटन और आयुर्वेदिक औषधियों पर हमारा ध्यान केंद्रित है।

भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना हमारी सबसे बड़ी सफलता।

उत्तराखंड राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु आपकी कौन सी आगामी योजनाएं है?

प्रकृतिक रूप से संपन्न उत्तराखंड राज्य में विशेषकर पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु थीम बेस पर विश्वस्तरीय 13 पर्यटन स्थल राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में बनाए जाएंगे। जैसे पिथौरागढ़ में हम 50 हेक्टेयर में ट्युलिप गार्डन बनाने वाले है। भारत के कश्मीर में एकमात्र 1 हेक्टयर में ट्युलिप गार्डन बनाया गया है, जिसमें केवल 2 माह फुल मिलते है। जिसे देखने के लिए दुनिया के लोग कश्मीर आते है। लेकिन हमारे यहां 8 माह फुल देखने को मिलेंगे। इसके अलावा वेलनेस, वॉटर स्पोर्टस आदि विभिन्न प्रकार की थीम पर आधारित सर्वांग सुंदर, मनोरम पर्यटन स्थल राज्य में बनाए जाएंगे। इसके अलावा पुरातन, पौराणिक, धार्मिक मंदिरो का पुर्ननिर्माण व आधुनिकी करण भी किया जाएगा। पर्यटन की दृष्टी से ऐतिहासिक एवं मजबूत आर्कषक स्थलों का निर्माण किया जाएगा। भविष्य को ध्यान में रखकर सारे विकास एवं सौदर्यीकरण कार्य किए जाएंगे और कही भी पानी की कमी न हो, इसके लिए जगह-जगह तालाब एवं झीलों का निर्माण भी किया जाएगा।

न्यु इंडिया की तर्ज़ पर नया उत्तराखंड और ग्रामीण क्षेत्रों के आखिरी व्यक्ति तक विकास की गंगा बहाने के लिए आपका क्या दृष्टिकोण है?

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के पदचिन्हों पर चलते हुए आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति को ध्यान में रखते हुए ही हमने नया उत्तराखंड बनाने हेतु विकास यात्रा शुरू की है। उत्तराखंड राज्य का सर्वांगीण विकास और आम लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए जनपद स्तर पर हम आकड़े जुटा रहे है। हमने जो भी योजनाएं बनाई है वह पंडित उपाध्याय जी के सिद्धांत पर ही आधारित है। गरिबों का उत्थान कैसे हो यह हमारे प्राथमिक केंद्र बिंदु में शामिल है। भारत के प्रति व्यक्ति औसत से हमारे राज्य की 1 लाख 90 हजार प्लस औसत है। जो कि देश की औसत से बहुत आगे है। अब हमें प्रति व्यक्ति आय पर फोकस कर जिला स्तर पर काम करना जरूरी है। इसके लिए बड़े-बड़े इंडस्ट्रीज लगाएंगे, इस पर हमने विचार ही नही किया। हमें पता है कि पहाड़ों में सब कुछ हो नही सकता। एनजीटी, ट्रांसपोर्ट की कुछ समस्याएं है। जिससे खर्च काफी आता है। इसका हमने दूसरा विकल्प निकाला। हमने छोट-छोटेे स्तरों पर काम करना शुरू किया। जैसे केदारनाथ में हमने देवभोग प्रसाद योजना शुरू की है। जिसमें सारे कार्य महिलाएं करती है। अनाज पैदा करने, प्रोसेस, पैकिंग, मार्केटिंग आदि कार्यों में महिलाओं का ही समावेश है। उन्होंने केवल हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को 2 करोड़ रूपये का प्रसाद बेचा। हमारे राज्य में ऐसे 625 प्रसिद्ध मंदिर है जहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते है। हमने लोकल स्तर पर भी देवभोग प्रसाद योजना को विस्तार देने का कार्य आरंभ किया है। इससे महिलाएं भी स्वावलंबी बनेगी। हमारे यहां 25 फीसदी के करीब चीड़ के पेड़ है। इस पेड़ की विशेषता यह होती है कि इसकी पत्तियां बहुत ही ज्वलनशील होती है और यह पेट्रोल की तरह जलती है। राज्य को इसके सदुपयोग से भारी मात्रा में बिजली मिलेगी और इसमें लगभग डेढ़ लाख लोगों को रोजगार भी मिलेगा। चीड़ का जो लीसा है वह बेहद लाभकारी है। वह हमारे पास अधिकाधिक मात्रा में उपलब्ध है। इंडोनेशिया आज लीसा के उपयोग से 143 तरह के प्रोडक्ट बना रहा है। मेडिसिन, दवा, रंग, ब्युटी प्रोडेक्ट, पावडर आदि अनेकानेक उत्पादों में लीसा का प्रयोग किया जाता है। हमने भी इस ओर ध्यान दिया है। आनेवाले समय में हमें इसका भरपुर लाभ मिलेगा। ग्रोथ सेंटर के माध्यम से पूरे राज्य में व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। सोलर एनर्जी के माध्यम से लोकल लोगों को रोजगार दिया जाएगा। पर्यटन को हमने इंडस्ट्रीज का दर्जा दिया है। पर्याप्त सुविधाएं देकर हमने स्थानीय लोगों को मजबुती प्रदान की है।

पुरातन पारंपरिक भारत और नया भारत में क्या अंतर होगा?

देखिए नया भारत का जो निर्माण होगा वह पुरातन पारंपरिक भारत की नींव पर ही होगा। मेरा आशय यह है कि हमारी जो पहचान है, हमारी विशेषताओं को कायम रखते हुए नए भारत का निर्माण होगा। दुनिया के साथ कदमताल करने के लिए नए भारत की नींव डाली जा रही है। रक्षा, अनुसंधान, उद्योग, खेल, शिक्षा, शौर्य, विज्ञान आदि सभी क्षेत्रों में भारत आगे बढ़े, किसी क्षेत्र में हम पीछे न रह जाए। यही हमारी नए भारत की परिकल्पना है।

उत्तराखंड राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद आपके सामने कौन सी चुनौतियां थी?

मेरे सामने भ्रष्टाचार ही सबसे बड़ी चुनौति थी। तब चारो ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला था। यहां पर ट्रांसफर पोस्टिंग उद्योग का रूप ले चुका था। आर्थिक व्यवहार के बूते कोई अधिकारी कहीं भी मलाईदार पोस्ट ले लेता था और भ्रष्टाचार का खेल सरेआम जारी था। ऐसा कह सकते है कि सरकार के हारने का प्रमुख कारण भ्रष्टाचार ही थी। भ्रष्टाचार से उब कर ही जनता ने उन्हे नकारा और हमें सरकार में मौका दिया। जिसके बाद हमनें भ्रष्टाचार को लेकर जीरों टोलरेंस की नीति बनाई और भ्रष्टाचारियों को कानून के तहत जेल में डाला। वर्तमान समय में कोई ये नही कह सकता कि पैसे खिलाकर ट्रांसफर पोस्टिंग पाई है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने मे ही हमने सफलता पाई है। 65-70 लोगों को हमने भ्रष्टाचार के मामले में जेल की हवा खिलाई। उनमें से कुछ लोग साल डेढ़ साल बाद जमानत पर बाहर आए है और अधिकतर लोग अब भी जेलों की हवा खा रहे है। हमने उन्हें दंडित करने का कार्य भी किया। जिसके चलते राज्य में तेजी से सुधार हुआ। गुड गर्वंनेस और सरकार की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाकर हमने माफिया व दलालों से सरकारी विभागों को मुक्त किया। आज सरकारी विभागों में आपको दलाल नही मिलेंगे।

राज्य के विकास में केंद्र सरकार का योगदान और समन्वय कैसा रहा?

बहुत अच्छा रहा। प्रधानमंत्री मोदी जी एवं मंत्रियों का उत्तराखंड राज्य पर आर्शिवाद है। जब भी हम राज्य के विकास हेतु केंद्र सरकार के मंत्रियों से मिलते है तो हमें सकारात्मक परिणाम मिला है। इसके साथ ही खूब सम्मान भी मिला है। सभी लोग यह कह कर मान बढ़ाते है कि यह देवभूमि के मुख्यमंत्री है, आइए आपका स्वागत है। हम कभी निराश नही हुए, सभी ने हमें अपेक्षित सहयोग दिया है। प्रधानमंत्री मोदी जी स्वयं समय-समय पर हमारा मार्गदर्शन करते है और दिशा निर्देश देकर हमें अनुग्रहित करते है। मंत्रिपरिषद के बैठकों के दौरान मोदी जी ने कहा था कि सभी महत्वपूर्ण विभागों के अधिकारियों से हमारा जीवंत संपर्क होना चाहिए और केंद्र सरकार व राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच भी परिचय होना चाहिए। उन्होंने एक नई परंपरा शुरू की है। उन्होेंने बताया कि राज्य सरकार में वरिष्ठ अधिकारी भी सहयोग कर सकते है। मोदी जी गुजरात राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके है। उन्हें राज्य की प्रशासनिक कार्यप्रणाली का अच्छा अनुभव है। उन्होंने अपने अनुभवों को भी हमारे साथ शेयर कर काफी कुछ सिखाया है। कुल मिलाकर हमारा तालमेल बहुत अच्छा है और राज्य के विकास में केंद्र सरकार का उल्लेखनीय व महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

नया भारत बनाने के लिए आप देश को क्या संदेश देना चाहते है?

सबसे पहले हमको ये विश्वास होना चाहिए कि हम नया भारत बना सकते है। यह आत्मविश्वास बलवती होते ही नया भारत हम बनाएंगे। इस दृढ़ इच्छाशक्ति एवं संकल्प के साथ हमारे कर्मपथ  पर अग्रसर होना चाहिए। भारत सरकार और मंत्रिमंडल की ओर से हर संभव सहायता राज्य सरकारों को दी जा रही है। नीति आयोग, विशेषज्ञ आदि विषयों के जानकार पूरा दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के साथ मंत्रिपरिषद में बैठे रहते है और राज्यों की हर तरह की मदद करते है। मेरा मानना है कि यदि केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार बेहतर समन्वय व तालमेल स्थापित कर लें तो नया भारत का सपना साकार होने से कोई रोक नही पाएगा। मेरा सभी से आग्रह है कि अपने-अपने स्तर पर नया भारत बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिजिए।

 

 

 

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