नागपंचमी – भारतीय संस्कृति के व्रत-पर्व   

  भारतीय संस्कृति में व्रत-पर्व का एक लंबी श्रृंखला है l प्रत्येक व्रत का अपना अलग-अलग महत्व होता है l उत्सवप्रियता भारतीय जीवन की प्रमुख विशेषता है l देश में समय-समय पर अनेक पर्व एवं त्योहारों का भव्य आयोजन इसका प्रत्यक्ष प्रमाण भी है l श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का त्यौहार नागों को समर्पित है l इस व्रत पर श्रद्धापूर्वक नागों का अर्चन पूजन होता है l वेदों पुराणों में नागों का उदगम महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी से माना गया है l नागों का मूल स्थान पाताललोक प्रसिद्ध है l पुराणों में भी नागलोक की राजधानी के रूप में भगवतीपुरी विख्यात है l

संस्कृत एवं कथासाहित्य में विशेष रूप से सभी नागलोक और वहां के निवासियों की कथाओं से ओतप्रोत हैं l गरुण पुराण, भविष्य पुराण, चरक संहिता, भाव प्रकाश आदि ग्रंथों में नाग संबंधी विविध विषयों का उल्लेख मिलता है l पुराणों में यक्ष, किन्नर और गंधर्व के वर्णन के साथ नागों का भी वर्णन मिलता है l भगवान विष्णु की सैया की शोभा नागराज शेष बढ़ाते हैं l भगवान शिव और गणेश जी की अलंकरण में ही नागों की महत्वपूर्ण भूमिका है l योग सिद्धि के लिए जो कुंडलिनी शक्ति जागृत की जाती है उसको सर्पंडी  कहा जाता है l पुराणों में भगवान सूर्य के रथ में द्वादश नागों का उल्लेख मिलता है, जो क्रमशः प्रत्येक मास में उनके रक्त के वाहक बनते हैं l

इस प्रकार अन्य देवताओं ने भी नागों को धारण किया है l नाग देवता भारतीय संस्कृति में देव रूप में स्वीकार किए गए हैं l कश्मीर के जाने-माने संस्कृत कवि कल्हण ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘राजतरंगिणी’ में कश्मीर की संपूर्ण भूमि को नागों का अवदान माना है l वहां के प्रसिद्ध नगर अनंतनाग का नामकरण इसका ऐतिहासिक प्रमाण है l देश के पर्वतीय प्रदेशों में नागपूजा बहुतायत से होती है l यहां नाग देवता अत्यंत पूज्य माने जाते हैं l हमारे देश के प्रत्येक ग्राम नगर में ग्राम देवता और लोक देवता के रूप में नाग देवताओं की पूजा स्थल हैं l

नागों की अनेक प्रजातियां हैं l नागों के लक्षण, नाम, स्वरूप एवं जातियों का विस्तार से वर्णन मिलता है l मणिधारी तथा इच्छाधारी नागों का भी उल्लेख मिलता है l भारत देश  ऐसी ही जीवन मात्र मनुष्य, पशु, पक्षी , पतंग सभी में ईश्वर के दर्शन कराती है l जीवो के प्रति आत्मीयता और दयाभाव को विकसित करती है l   नाग देवता हमारे लिए पूज्य एवं हमें संरक्षण प्रदान करने वाले हैं l आज के दिन नाग देवता की विधिवत पूजन करनी चाहिए अर्थात उनकी तस्वीर पर पुष्प, धान का लावा और दूध चढ़ाकर उनकी सेवा करनी चाहिए l

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