हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
हिमाचल में संघ कार्य

हिमाचल में संघ कार्य

by हिंदी विवेक
in फरवरी २०२२ हिमाचल प्रदेश विशेषांक, विशेष
0

हिमाचल में संघ कार्य की यात्रा को समझने के लिए वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से व्यक्तिगत संवाद एवं पूर्व में यदा-कदा प्रकाशित लेख ही मुख्य स्त्रोत है। इस लेख को लिखते समय इस कार्य को और गहराई से करने का दायित्व बोध भी हुआ। ईश्वर निश्चित रूप से भविष्य की पीढ़ियों को संघ कार्य की इस क्रमिक विकास यात्रा से परिचित करवाने का सामर्थ्य प्रदान करेंगे।

हिमाचल प्रांत और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य का संबंध 1925 में संघ स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में ही हो गया था। संघ संस्थापक डॉ हेडगेवार को  1940 के संघ शिक्षा वर्ग में लघु भारत के दर्शन हुए। अपने संघ कार्य की अखिल भारतीय व्याप्ति का उन्हें संज्ञान हुआ, अर्थात उस समय की भौगोलिक रचना के अनुसार देश के सभी प्रांतों से संघ का शिक्षण प्राप्त करने  हेतु कार्यकर्ता संघ शिक्षा वर्ग में उपस्थित हुए थे। इसी प्रकार मण्डी के लाला कन्हैया लाल सराफ़ द्वारा लाहौर के संघ शिक्षा वर्ग में भाग लेने के कारण हिमाचल से भी संघ कार्य का संबंध 1938 में ही जुड़ गया।

1940 में सेऊ बाग (कुल्लू) में हुए प्राथमिक शिक्षा वर्ग के स्वर्गस्थ कुंज लाल ठाकुर मुख्य शिक्षक थे। जिसमें टशी दवा (अर्जुन गोपाल, ठोलङ निवासी) ने शिक्षण प्राप्त किया और लाहौल स्पीति के दुर्गम क्षेत्र में संघ कार्य के बीज रोपित कर दिए। इनका 1942 में बड़ौदा से ठाकुर कुंज लाल जी के साथ प्रथम वर्ष हुआ। ठाकुर कुंज लाल जी 1945 में शैक्षणिक दृष्टि से मैट्रिक एवं संघ दृष्टि से तृतीय वर्ष का शिक्षण पूरा कर प्रचारक जीवन का संकल्प लेकर जम्मू कार्यक्षेत्र में चले गए।

कांगड़ा, मण्डी में प्रत्यक्ष शाखा कार्य 1942 में प्रारंभ हुआ। हमीरपुर के ठाकुर रामसिंह 1941 में लाहौर में पढ़ाई करते हुए स्वयंसेवक बने और 1942 में संघ शिक्षा वर्ग के पश्चात लाहौर से पहले बैच के 58 प्रचारकों की टोली में सम्मिलित हुए। उसके बाद उनकी कांगड़ा में प्रचारक के नाते नियुक्ति हुई। उसी समय गुप्त गंगा का कांगड़ा संघ कार्यालय जो कि तब मैदान ही था, में शाखा प्रारंभ हुई। बाद में यह स्थान विष्णु गिरी ने फरवरी 1947 में उसपर बनी कोठी सहित संघ को दान कर दिया। उसी समय कांगड़ा के साथ सत्यप्रकाश द्वारा भवारना की शाखा भी शुरू की गर्ई। साथ ही ठाकुरजी के प्रयत्नों से धर्मशाला और मण्डी में भी शाखाएं शुरू हुईं। 1943 में कांगड़ा जिले में 15-16 शाखाएं शुरू हो गईं। 1944 में ठाकुर राम सिंह अमृतसर विभाग प्रचारक बने। तब लगभग वर्तमान आधा हिमाचल कांगड़ा, बिलासपुर, मण्डी, कुल्लू अमृतसर विभाग में ही आता था। शेष हिमाचल रामपुर, शिमला, सोलन का क्षेत्र अम्बाला विभाग में पड़ता था। माधव राव मुले उस समय पंजाब के प्रान्त प्रचारक थे।

श्रीगुरुजी के 1940 में ‘सरसंघचालक’ का दायित्व ग्रहण के पश्चात वर्तमान हिमाचल के अनेक स्थानों पर सम्पन्न हुए सार्वजनिक उद्बोधन के कार्यक्रम्, स्वयंसेवकों एवं कार्यकर्ताओं में वैचारिक स्पष्टता हेतु हुए प्रवास, संघ कार्य के विस्तार एवं दृढ़ीकरण का आधार बनते गए। 1947 में धर्मशाला, 1953 में मण्डी, कांगड़ा, 1953 में ही सुभाष ग्राउन्ड शिमला की सभा, 1962 में कांगड़ा, 1963-64 में नगरोटा, 1967 में बिलासपुर के कमेटी के हाल में, मार्च 1968 में कांगड़ा प्रवास में मां ज्वालामुखी के दर्शन एवं नादौन का प्रवास,  1967 में मण्डी, सोलन, अप्रैल 1968 में कुल्लू, 1971 एवं 1972 में शिमला में श्रीगुरुजी के प्रवास के समय प्राप्त हुए सान्निध्य की अनुभूति आज भी वरिष्ठ स्वयंसेवकों की आंखों में सहज रूप से प्रकट हो जाती है और अपने गतिमान संघ कार्य को दृढ़ीकरण के संकेत करती हुई प्रतीत होती है।

भारत विभाजन के पूर्व से ही हिमाचल उस समय अम्बाला एवं अमृतसर विभाग की रचना में रहने के बाद भौगोलिक संभाग रचना में आया। उस समय ब्रह्मदेव अम्बाला के विभाग प्रचारक और ठाकुर रामसिंह अमृतसर विभाग प्रचारक थे। इसी प्रकार बिलासपुर में प्रथम शाखा 1944 में भदरोग नामक स्थान पर जगदीश मित्र (लुधियाना) द्वारा शुरू की गई, जो बिलासपुर राजा द्वारा संचालित विद्यालय में अध्यापक के रूप में नियुक्त हुए थे। कसोल के भूपेन्द्र सिंह चौहान, ओमप्रकाश, अनन्त राम, नन्द लाल, कुलदीप, डॉ तरसेम, महाजन, श्रवण इत्यादि सभी इसी शाखा के स्वयंसेवक थे। जगदीश मित्र को 1948 में संघ पर लगाए प्रतिबंध के कारण राजा ने विद्यालय से हटा दिया था। 1942 में ही पंडित जगन्नाथ (पूर्व प्रांत संघचालक) भुंतर शाखा में स्वयंसेवक बने।

1942 में रामपुर व कुल्लू के प्रथम प्रचारक वैद्य कविराज सीता राम निवासी निरमण्ड द्वारा शाखा प्रारंभ हुई। 1942 में रामपुर के तीन स्थानों रामपुर, निरमण्ड, कोटगढ़ में शाखाएं शुरू हुईं।

1969 से 1973 तक प्रेम चन्द हिमाचल के संभाग प्रचारक रहे। उस समय हिमाचल संभाग के शिमला, मण्डी और कांगड़ा तीन विभाग थे, जिनमें क्रमश: अविनाश जायसवाल, दीपेन्द्र जोशी तथा वेदव्रत विभाग प्रचारक रहे। सितंबर 1964 से अविनाश जायसवाल की हिमाचल में प्रचारक के नाते नियुक्ति हो गई थी।

1974 से 1977 तक आपातकाल के पश्चात तक अविनाश जायसवाल संभाग प्रचारक रहे। 1978 से 84 तक जम्मू से डॉ सुभाष संभाग प्रचारक रहे। 1985 में हिमगिरि प्रांत जम्मू-कश्मीर संभाग एवं हिमाचल संभाग दोनों को मिलाकर बना तथा मेरठ वाले ज्योतिजी हिमगिरि प्रांत के, रामफल (वर्तमान में विश्व हिन्दू परिषद) हिमाचल संभाग के तथा इंद्रेश कुमार जम्मूकश्मीर संभाग प्रचारक बने। 1990 में इंद्रेश कुमार हिमगिरि प्रांत के सह-प्रान्त प्रचारक नियुक्त हुए। 1991 से 2000 तक इंद्रेश कुमार हिमगिरि प्रांत के प्रान्त प्रचारक रहे। इस बीच 1969-70 से महावीर भी हिमाचल में प्रचारक के नाते विभिन्न दायित्वों के निर्वहन करते हुए 1997 तक हिमगिरि प्रांत के सह- प्रान्त प्रचारक रहे। पश्चात  2000 तक कश्मीरी लाल सह-प्रान्त प्रचारक के नाते दायित्व निर्वहन करते रहे

सन् 2000 में वर्तमान हिमाचल की प्रान्त की घोषणा हुई और पंडित जगन्नाथ कुल्लू, हिमाचल प्रांत के प्रथम प्रान्त संघचालक चेतराम प्रान्त कार्यवाह तथा प्रेमकुमार प्रान्त प्रचारक हुए। हिमाचल की भौगोलिक परिस्थिति जितनी विकट है उतनी ही दृढ़ नींव यहां के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने अपने जीवन में संघकार्य को प्रधान कार्य स्वीकार कर सहज कार्य के रूप में स्थापित कर दिया। समाज के हर वर्ग में संघ कार्य की व्याप्ति इन्हीं कार्यकर्ताओं के सतत प्रयत्नों का परिणाम है।

1942 में 15-16 शाखाओं से वर्तमान रचना तक संघ कार्य निरंतर अपने विस्तार एवं दृढ़ीकरण के पथ पर अग्रसर है। आज हिमाचल प्रांत की भौगोलिक रचना में 7 विभाग, 26 जिले, 155 खण्ड, 45 नगर, 1071 मण्डल, 308 बस्तियां हैं। जिनमें सभी खण्ड, नगरों में अपना कार्य है। इनमें 682 मण्डल और 206 बस्तियां भी कार्यरत हैं।

विविध संगठनों की दृष्टि से भी प्रांत में अपना आधारभूत वैचारिक एवं संगठनात्मक तंत्र स्थापित हुआ है। कुछ तो अपने-अपने कार्यक्षेत्र में प्रभावी भूमिका में हैं। सभी संगठन अपने अपने कार्य विस्तार को लेकर शताब्दी वर्ष को निमित्त बनाकर योजनाओं के क्रियान्वयन के पथ पर अग्रसर हैं।

हिमाचल में संघ कार्य की यात्रा को समझने के लिए वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से व्यक्तिगत संवाद एवं पूर्व में यदा-कदा प्रकाशित लेख ही मुख्य स्त्रोत हैं और इस लेख को लिखते समय इस कार्य को और गहराई से करने का दायित्व बोध भी हुआ, ईश्वर निश्चित रूप से भविष्य की पीढ़ियों को संघ कार्य की इस क्रमिक विकास यात्रा से परिचित करवाने का सामर्थ्य प्रदान करेंगे, यही प्रार्थना है।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp

हिंदी विवेक

Next Post
छत्रपति शिवाजी महाराज : हिंदुत्व के प्रहरी

छत्रपति शिवाजी महाराज : हिंदुत्व के प्रहरी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0