हिमाचल का गौरवशाली इतिहास

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महर्षि पाणिनि ने पश्चिम हिमालय क्षेत्र के जनपदों का ‘उदीच्य’ नाम से उल्लेख किया है। प्रथम समूह में त्रिगर्त, गब्दिका, युगन्धर, कालकूट, भरद्वाज, कुलूत और कुनिन्द तथा दूसरे समूह में अन्य गणराज्यों के साथ औदुम्बर गणराज्य का उल्लेख है। मुख्यत: ये आयुद्धजीवी गणराज्य रहे हैं। इन सभी गणराज्यों के संदर्भ में वेद, रामायण, महाभारत, मार्कण्डेय पुराण, विष्णु पुराण, पाणिनि की अष्टाध्यायी और बृहत्संहिता में मिले हैं।

राष्ट्रीय पटल पर हिमाचल का उदय

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सन 1965 में पंजाब के पुनर्गठन के प्रश्न पर पुनर्विचार हुआ। इसके कारण पंजाब और हिमाचल के पहाड़ी लोगों को अपनी उस चिर-पोषित मांग पर फिर से बल देने का मौका मिल गया जिसे उन्होंने राज्य पुनर्गठन आयोग के समक्ष रखा था। अन्तत: उनका संघषर्र् रंग लाया और 1 नवम्बर 1966 को हिमाचल प्रदेश को विस्तृत आकार दिया गया।

हिमाचल में संघ कार्य

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हिमाचल में संघ कार्य की यात्रा को समझने के लिए वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से व्यक्तिगत संवाद एवं पूर्व में यदा-कदा प्रकाशित लेख ही मुख्य स्त्रोत है। इस लेख को लिखते समय इस कार्य को और गहराई से करने का दायित्व बोध भी हुआ। ईश्वर निश्चित रूप से भविष्य की पीढ़ियों को संघ कार्य की इस क्रमिक विकास यात्रा से परिचित करवाने का सामर्थ्य प्रदान करेंगे।

निवेश और उद्योग की संभावनाएं

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हिमाचल प्रदेश में निवेश एवं उद्योग की अपार संभावनाएं मौजूद है और भाजपा शासित प्रदेश में उद्योग व्यवसाय के लिए अनुकूल माहौल भी है इसलिए यदि आप भी निवेश व उद्योग-व्यवसाय स्थापित करने की योजना बना रहे है तो हिमाचल प्रदेश एक अच्छा विकल्प है।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

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1857 के स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात पहाड़ी रियासतों में जन आक्रोश बढ़ता जा रहा था। हिमाचल में भी राजनीतिक चेतना का विकास दिखाई देने लगा था। छोटी-बड़ी रियासतों में बंटे हिमाचलवासी अंग्रेजों के पिट्ठू राजाओं से अपने अधिकारों की मांग करने लगे थे, साथ ही उनके अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाने लगे थे।

श्री गुरुजी का विजयी मंत्र

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अपने अंतिम भाषण में श्री गुरुजी ने संदेश दिया था, ’सर्वत्र विजय ही विजय है।’ विजया एकादशी को जन्मे इस महापुरुष ने चिर विजयी राष्ट्र के लिए अपने जीवन को ही होम कर दिया। घोर तपस्या की। इस तपस्या का पुण्य प्रभाव याने आज का राष्ट्र जागृत भारत है।

हृदय परिवर्तन

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स्वयं को वेटिकन और ईसायत के जाल से मुक्त कर, वैदिक धर्म अपनाकर अपना नाम सैमुअल इवान से सत्यानंद स्टोक्स कर लिया और सच्चे ईश्वर की खोज में निकल पड़े। अंग्रेजी में भगवत गीता का अध्ययन किया और फिर इसे समझने के प्रयास में  संस्कृत सीखी और वेद, उपनिषद का अध्ययन किया।

सीमावर्ती हिमाचल प्रदेश विशिष्टता एवं चुनौतियां

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हिमाचल प्रदेश के इस अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगते हुए क्षेत्र में भारत तथा चीन को जोड़ने वाले दो प्रमुख दर्रे हैं जिनके नाम खिमोकुल दर्रा तथा सिमथोंग दर्रा है जो तिरुनगला घाटी के बाद पड़ते है। यह क्षेत्र अत्यंत दुर्गम है तथा इन क्षेत्रों को हर समय निगरानी में रखना अत्याधिक कठिन है और यह बात चीन भी भली-भांति समझता है। इसलिए यह क्षेत्र राजनीतिक तथा सैनिक हलचल से तुलनात्मक रूप से कम प्रभावित होते हैं।

ओमिक्रॉन से लड़ने को तैयार भारत

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कोवोवैक्स वैक्सीन नोवोवैक्स की रीकांबिनैंट नैनोपार्टिकल प्रोटीन आधारित वैक्सीन है। स्वदेशी कोर्बेवैक्स वैक्सीन भी प्रोटीन आधारित है। आशा है, इस वर्ष फरवरी माह तक कोर्बेवैक्स की प्रतिमाह 100 मिलियन खुराकें बनने लग जाएंगी। यदि बूस्टर खुराक के रूप में इन दोनों वैक्सीनों के प्रयोग का निर्णय लिया जाता है तो भारत में सभी वयस्कों को बड़ी तेजी से कोविड-19 के विरुद्ध प्रतिरक्षित किया जा सकता  है।

ऐसा देश है मेरा…

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हमारी पहचान के बहुत स्तर होते हैं। जब आपको अपने बाकी सारे स्तर छोड़कर एक आम किस्म का आदमी बनाने का प्रयास होता है, तब वह एकांगी किस्म का प्रयास होता है। यह बात हमारा मन कभी भी स्वीकार नहीं करता। सारा खेल हमारी मूल पहचान का है।

पंजाब का पंचकोणीय मुकाबला

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अब तक का पंजाब चुनाव आप,कांग्रेस और अकाली केंद्रीत था। जिसे भाजपा कैप्टन और बागी अकाली गुट के साथ चतुष्कोणीय बना रही थी। वही अब किसान आंदोलन से निकले जाट सिख नेताओं का आगाज पंजाब के सियासी खेल को पंचकोणीय बनाता दिख रहा है।

वैश्विक-संकट और भारत की बढ़ती भूमिका

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दुनिया के सामने एक तरफ महामारी का खतरा है, वहीं आर्थिक-प्रगति और शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी भी है। कोरोना के अलावा दुनिया में शीतयुद्ध का संक्रमण भी हुआ है। खासतौर से अमेरिका की चीन और रूस के साथ रिश्तों में तल्खी बढ़ती जा रही है। यूरोप में यूक्रेन की सीमा पर युद्ध के हालात बने हुए हैं। हालांकि भारत ने सावधानी के साथ खुद को इस होड़ से अलग रखा है, पर हमें चीन और पाकिस्तान की साठगांठ का सामना करना पड़ेगा।

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