हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
“लोकतंत्र और संविधान की जीत

“लोकतंत्र और संविधान की जीत

by रमेश पतंगे
in विशेष, सामाजिक
0

5 राज्यों के चुनाव परिणाम 10मार्च को घोषित हुए। 4 राज्यों में भाजपा एवं पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्तासीन हुई। सबसे पुराने पार्टी यांनी काँग्रेस का दारुण पराभव हुआ । उत्तर प्रदेश मे मायावती को भी बडी पराजय का सामना करना पडा। गोवा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मणिपूर इन राज्यों में भाजपा कहीं दूसरी बार तो कही तीसरी बार  सत्तासीन हुई। इस पूरे घटनाक्रम का सभी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, और प्रिंट मीडिया में सभी प्रकार से विश्लेषण हो चुका है। इसके कारण इसमें कुछ नया लिखना पडे ऐसा कुछ नही है। केवल कुछ निषकर्षों के बाबत हमें सतर्क रहना है।

उत्तरप्रदेश  में मायावती की पार्टी समाप्त हो गई, काँग्रेस मुक्त भारत होगा, अरविंद केजरीवाल के रुप में मोदी का विकल्प मिलेगा ऐसा नेतृत्व खडा हो रहा है, जातिवाद पराजित हो गया है, यह सभी निष्कर्ष अत्यंत जल्दबाजी में निकाले गये हैं। कोई भी राजनितिक पार्टी चुनाव में पराजय के कारण   समाप्त नही हो जाती। 1985 में लोक सभा में भाजपा के दो सांसद थे। 2019 में उनकी संख्या 300 से उपर हो गई।सन 85 में इन्हीं राजकीय विश्लेषकों ने भाजपा समाप्त हो गई ऐसे मृत्यु लेख लिखे थे।  मायावती और कांग्रेस पर मृत्युलेख  लिखने वाले बहुत उथले हैं। उनके लेख पढें और भूल जायें इस लायक हैं। काँग्रेस एक समय देश का राष्ट्रीय आंदोलन था। आज उसका रूपांतर परिवारवादी पार्टी के रूप मे हो गया है।इस परिवारवाद से जब काँग्रेस मुक्त हो जाएगी तब उसका नया रूप देखने को मिलेगा। मायावती का चेहरा समाज के दलित वर्ग का चेहरा है। यह दलित वर्ग जब तक रहेगा तब तक इस चेहरे का अस्तित्व समाप्त नही होगा।चुनावों में हवा अनुकूल ना होने के कारण उनकी पराजय हुई। कल भी यह हवा ऐसी ही   रहेगी यह निश्चित रूप से कोई नही कह सकता।

4 राज्यों में भाजपा की विजय यह किसकी विजय है इस बारे मे माध्यमों में मत व्यक्त किये गये हैं। यह जीत योगी आदित्यनाथ और मोदी की है। मोदीजी को कोई प्रतिस्पर्धी नही है, यह राष्ट्रवाद की जीत है, यह जीत हिंदुत्व और विकास की है,यह जीत जातिवाद और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के पराभव की है।ये सभी मत कम-अधिक प्रमाण मे सही हैं। चुनाव यह  संग्राम होने के कारण और उसे लडने के लिये नेता की आवश्यकता होती है, इसके लिए जीत का श्रेय नेता को देने में कुछ भी गलत नही है। भाजपा समर्थकों का भी यही कहना है और उन्होंने यह मत परिणामों पर प्रतिक्रिया देते हुए व्यक्त किया है। चुनावी परिणाम के संबंध में विरोधी मत भी हैं। कुछ के विचार में  यह सांप्रदायिकता की जीत है, हिंदू धार्मिकता की जीत है, अधिनायक वादी दल की जीत है, इसके कारण उदारमतवादी मूल्यों को आगे चल कर खतरा निर्माण होगा। कुछ के अनुसार यह धर्मनिरपेक्षता की  पराजय है। देश की विविधता लिए भाजपा की जीत खतरनाक है। ऐसे सब मत गले में मफलर, कंधे पर शबनम बॅग, थोडी बढ़ी हुई  दाढ़ी और अस्त-व्यस्त बालों वाले तथाकथित विचारक “गला फाड़-फाड कर चिल्ला रहे हैं”।

यह उनका चिल्लाना कोई नया नहीं है। 2014 से वह शुरू हुआ और 2022 तक वैसा ही चालू है। देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होने के कारण किसी को भी रोने या हंसने की स्वतंत्रता है। मफलर और शबनम बैगवालों की इस स्वतंत्रता का हमें आदर करना चाहिए।

इस चुनाव में विजय किसकी हुई? यह प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाता है। इस चुनाव में जीत जनता की हुई,लोकतंत्र की हुई, और संविधान की भी हुई।यह जनता कौन है? शबनम वाली जनता नहीं तो वह सामान्य जनता है। उदार मतवाद, धर्मनिरपेक्षता,अधिकारशाही, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, ऐसे शब्द इस जनता के शब्दकोश में नहीं हैं। बहुसंख्यकों को उनका उच्चारण भी नहीं आता,फिर उसका अर्थ समझने का तो प्रश्न तो दूर ही रहा। ये सब संकल्पनाएं  समाज के अत्यल्प,अल्प मत वालों की हैं। ये लोग अपने हाथी दांत के बने महलों को में बैठकर तारे तोड़ते रहते हैं।
     सामान्य जनता की दृष्टि से सर्वाधिक महत्व के तीन विषय हैं—
1)सुरक्षा
2)सुशासन
3)सम्मान

सुरक्षा के अंतर्गत जीने की सुरक्षा,अन्न सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, शिक्षा की सुरक्षा, ऐसे सारे विषय आते हैं। सामान्य व्यक्ति को आपके उदारमतवाद से कोई लेना-देना नहीं।रोजमर्रा के जीवन में मेरी सुरक्षा का क्या? मुझे सामान्य दरों पर अनाज मिलेगा कि नहीं, शिक्षा मिलेगी कि नहीं, स्वास्थ्य का क्या? ये प्रश्न अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हम धर्मनिरपेक्षता वादी हैं और आप सांप्रदायिकतावादी हैं, इस बकबक से सामान्य जनता को कोई लेना देना नहीं है।

सत्ताधारी दल और उसके नेताओं ने सुशासन के माध्यम से सुरक्षा देनी चाहिए,यह सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा है। सत्ता का उपयोग अपने परिवार का महत्व बढ़ाने के लिए, अपना पेट भरने के लिए, अपने सहयोगियों को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं होना चाहिए। सर्व सामान्य जनता का विचार होना चाहिए।सुशासन में कानून का राज, अपराधियों पर नियंत्रण, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को सजा तथा सामान्य नागरिकों को सुरक्षा ये विषय आते हैं। जो यह करेगा नागरिक  उसको समर्थन देंगे।उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने यह करके दिखाया तभी लोगों ने उनका समर्थन किया। सामाजिक सम्मान यहरोटी सदृश्य महत्त्वपूर्ण विषय हैं। भीख में मिली रोटी में स्वाद नहीं होता।सम्मान की रोटी स्वादिष्ट लगती है। यह सभी का अनुभव  है। सामान्य व्यक्ति को जो भी मिले, सम्मान पूर्वक मिलना चाहिए,उसकी योग्यता के अनुसार और क्षमता के अनुसार समाज जीवन में उसे स्थान मिलना चाहिए। चौराहे पर बैठा हुआ चर्मकार और सुबह दूध देने आने वाला दूध वाला,बाजार में सब्जी बेचने वाली महिला,अपना अपना व्यवसाय करते रहते हैं। कोई भी कर्म छोटा या बड़ा नहीं होता, उसका सम्मान करना आवश्यक है। भाजपा ने यह विचार इस देश में शासन के माध्यम से गहराई तक उतारने का प्रयास किया है। दिल्ली में एक चौराहे पर एक चमर्कार के बाजू में एक आधुनिक वेशभूषा वाली युवती बैठी और अपनी चप्पल चर्मकार को सीने के लिए दी।वह  संपन्न परिवार की लड़की थी, परंतु उसे चर्मकार के बाजू से जमीन पर बैठने में शर्म नहीं आई। चर्मकार भी उसके इस कृत्य से भावविव्हल हो गया और उसने चप्पल सिलाई के पैसे लेने से विनम्रता पूर्वक मना कर दिया। सामाजिक सम्मान के विषय ऐसे ही सहज एवं सरल होते हैं। यह भावना श्री नरेंद्र मोदी के व्यवहार से धीरे-धीरे संपूर्ण समाज तक पहुंच रही है। यह संघ शक्ति की विजय है। संघ कभी राजनीति में भाग नहीं लेता। चुनाव प्रचार में संघ के अधिकारी शामिल नहीं होते। सरसंघचालक जी कभी भी किसी दल विशेष को वोट देने नहीं कहते।फिर भी यह संघ शक्ति की विजय कैसे? अभिजीत मजूमदार यह एक पत्रकार हैं, फर्स्ट पोस्ट पर उनका एक लेख मैंने पढ़ा
उसके अंग्रेजी वाक्य इस प्रकार हैं, ” the BJP staying power comes from a well defined ideology, clear chain of command, unity of purpose, and relentless, quite work even in places that never seemed would embraced it.”

इसका अर्थ है सत्ता में बने रहने का भाजपा का मार्ग सुनिश्चित तत्वज्ञान, मजबूत संगठन, लक्ष्य के संबंध में एकरूपता, अथक और शांति से प्रतिकूल वातावरण में काम करने की क्षमता के कारण निर्धारित होता है।

अभिजीत मजूमदार को संघ की कितनी जानकारी है यह मुझे पता नहीं परंतु उन्होंने जो कहा वह संघ मार्ग है।सुरक्षा, सुशासन और सम्मान ये तीनों ही बातें एक निश्चित तत्वज्ञान से उभरती हैं। भाजपा का तत्वज्ञान यह राष्ट्रवाद का तत्वज्ञान है। एक देश, एक संस्कृति एक जन यह भाजपा का राष्ट्रवाद है। यह लोगों में भेदभाव नहीं करता। समाज को जातियों में विभाजित नहीं करता वैसे ही धार्मिक गुटों में नहीं बांटता। “सबका साथ सबका विकास” यह उनकी अभिव्यक्ति है। सिद्धांत दिशा देते हैं, सिद्धांत संगठन भाव निर्माण करते हैं और सिद्धांत ही लक्ष्य निर्धारित करते हैं। जब विचारों के लिए समर्पित होकर कार्यकर्ता काम करते हैं तब विजय निश्चित ही होती है।केवल विजय प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और कुछ समय लगता है। 1925 से संघ स्वयंसेवकों ने इसी मार्ग पर चलकर देश में आमुलाग्र परिवर्तन का एक महामार्ग तैयार किया है।यह काम अथक रूप से चल रहा था है,चल रहा है और कल भी चलने वाला है। विजय भी इसी मार्ग से होगी।

यह विजय भारतीय लोकतंत्र और भारतीय संविधान की है। भारतीय संविधान ने संसदीय पद्धति दी है।इसका महत्वपूर्ण नियम यह है कि सब को साथ लिए बिना नहीं चला जा सकता। इसलिए सर्वसमावेशक होना सभी के लिए आवश्यक है।जो जाति की राजनीति करते रहेंगे वे हमेशा विजयी नहीं होंगे।यह लोकतंत्र की जीत इसलिए भी है कि लोकतंत्र का मूलतत्व संपूर्ण सत्ता का उदय जनता में से ही होता है। इस जनता ने उसकी शक्ति का परिचय सर्वसामान्य से करा दिया है। लोकतंत्र का दूसरा मूलभूत सिद्धांत चुनाव की  स्वतंत्रता का है। इस स्वतंत्रता का जनता ने बुद्धिमानी से उपयोग किया इसलिए हम कहें  –  “हमारा लोकतंत्र और संविधान चिरायु हों।”

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp

रमेश पतंगे

Next Post
भाजपा के खिलाफ सभी सेकुलर साजिशें बेनकाब

भाजपा के खिलाफ सभी सेकुलर साजिशें बेनकाब

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

1