तीस्ता सीतलवाड़ का ‘खान’ दान

आइये अब आपको थोड़ा सा तीस्ता सीतलवाड़ के खानदान के बारे में भी बता दें। तीस्ता सीतलवाड़ के परदादा का नाम “सर चिमन सीतलवाड़” था, नाम के साथ “सर” लगा है इसी से आप समझ सकते हैं कि- ये अंग्रेजों के बहुत ख़ास थे। जब जालियांबाला बाग़ के कारण देश की जनता बहुत उग्र थी तब अंग्रेजों ने उस  काण्ड की जांच करने के लिए “हंटर कमेटी” बनाई थी।

“सर चिमन सीतलवाड़” भी “हंटर कमेटी” के एक सदस्य थे। हंटर कमेटी ने जांच के बाद फैसला सुनाया था कि- पंजाब के गवर्नर माइकल ओडवायर इस मामले में बिलकुल निर्दोष हैं. जनरल डायर ने अवश्य, जरूरत से ज्यादा बल का प्रयोग किया लेकिन यह किसी निजी कारण से नहीं बल्कि कर्तव्य को ग़लत समझते हुए नेकनीयत और सरकार के प्रति निष्ठा के साथ किया.

“सर चिमन सीतलवाड़”  मोतीलाल नेहरू के ख़ास मित्र थे। उनके पुत्र एम. सी. सीतलवाड़  भी जवाहर लाल नेहरू के ख़ास मित्र थे। आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एम.सी. सीतलवाड़ को भारत का पहला अटार्नी जनरल (1950 से 1963) बनाया था. एम. सी. सीतलवाड़ के पुत्र अतुल सीतलवाड़ भी मुंबई हाईकोर्ट के प्रशिद्ध वकील थे।

तीस्ता सीतलवाड का पितामह , M. C. Setalvad था । जो की स्वयम् एक सनातन द्रोही था और भारत का प्रथम एटॉर्नी जनरल था। जो की आज तक का सबसे लम्बे समय तक का चलने वाला अटॉर्नी जनरल  है। सनातन धर्म विरोधी गतिविधियों का केंद्र तत्कालीन पीएम और अटॉर्नी जनरल मिल कर रहे थे।

C. Setalvad का बाप भी वकील और अंग्रेजों का दुमछल्ला था और उसका बाप ईस्ट इंडिया कंपनी का नौकर और उसका बाप मुग़लों का एंजेंट जो टैक्स वसूलता था मुग़लों के लिए गुजरात में । और हमें लगता है की स्वतंत्रता 1947 में मिल गयी और देख सोच नहीं पाते की गौभक्ष बंद कैसे नहीं हुआ क्योंकि गौ भक्षियों के हांथ में ही शासन 1947 में चला गया।

तीस्ता सीतलवाड़ उन अतुल सीतलवाड़ की ही बेटी है। तीस्ता के पति का नाम जावेद है. तीस्ता, नरेंद्र मोदी के खिलाफ क्यों थी, यह अब आपको समझ आ ही गया होगा।

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