हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
भारत में आय की असमानता हो रही है कम

भारत में आय की असमानता हो रही है कम

by हिंदी विवेक
in आर्थिक, विशेष
0

कोरोना महामारी के खंडकाल में चूंकि आर्थिक गतिविधियां पूरे विश्व में ही विपरीत रूप से प्रभावित हुई थीं और इससे न केवल कई गरीब परिवारों ने अपना रोजगार खोया था बल्कि मध्यमवर्गीय परिवारों की आय में भी खासी कमी हुई थी। अतः ऐसा आभास होता रहा था कि भारत में इस खंडकाल में आय की असमानता एवं गरीबी में बहुत तेजी से वृद्धि हुई होगी और पिछले दो दशकों के दौरान वैश्विक स्तर पर आय की असमानता एवं गरीबी में आई कमी सम्बंधी फायदों को खो दिया गया होगा। परंतु, हाल ही में इस सम्बंध में सम्पन्न किए गए एक अध्ययन में आश्चर्यजनक रूप से यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि विशेष रूप से भारत में कोरोना महामारी के खंडकाल में भी आय की असमानता एवं गरीबी में कुछ कमी दर्ज की गई है। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी एक प्रतिवेदन में कुछ अध्ययनों का हवाला देकर उक्त तथ्यों को उजागर किया गया है एवं बताया गया है कि चूंकि केंद्र सरकार द्वारा कोरोना महामारी के खंडकाल में विशेष अन्न योजना चलाकर गरीब वर्ग को गेहूं, चावल, दालें एवं अन्य खाद्य सामग्री मुफ्त एवं सस्ती दरों पर उपलब्ध कराई गई थी अतः आय की असमानता एवं गरीबी में उतनी तेज गति से वृद्धि नहीं हुई, जितना कि सोचा जा रहा था। दूसरे, अमीरों एवं मध्यमवर्गीय परिवारों की आय में तो तेजी से कमी हुई परंतु गरीबों को केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई मदद के चलते गरीबों की आय में ज्यादा कमी महसूस नहीं की गई अतः आय की असमानता पर भी कम असर दिखाई दिया है। तीसरे, भारत में अभी भी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का आकार काफी बड़ा है और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में हो रहे परिवर्तनों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में हो रहे परिवर्तनों में शामिल नहीं किया जा सकता है। अतः यदि अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में रोजगार के अवसर अथवा आय में कुछ कमी हुई भी है तो यह जानकारी औपचारिक आंकड़ों में शामिल नहीं की जा सकी है। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में कार्यरत लोगों को भी भरपूर मात्रा में उपलब्ध हुआ है। इस प्रकार, देश की कुल आय की असमानता एवं गरीबी पर असर भी कम ही दिखाई दिया है।

हाल ही के वर्षों में भारत में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों की संख्या में अच्छी खासी कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2011-12 में भारत में गरीबी का अनुपात 21.9 प्रतिशत था जो वर्ष 2020-21 में घटकर 17.9 प्रतिशत हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में गरीबी का अनुपात बेहतर स्थिति में बताया गया है। गरीबी के अनुपात में लगातार आ रही कमी मुख्य रूप से भारत की प्रति व्यक्ति औसत आय में लगातार हो रही तेज वृद्धि के कारण सम्भव हो सकी है। भारत में प्रति व्यक्ति औसत आय वर्ष 2001-02 में केवल 18,118 रुपए थी जो एक दशक पश्चात अर्थात वर्ष 2011-12 में बढ़कर 68,845 रुपए हो गई। इसके बाद के 10 वर्षों में तो और अधिक तेज गति से वृद्धि दर्ज करते हुए वर्ष 2021-22 में यह 174,024 रुपए हो गई है। भारत की प्रति व्यक्ति औसत आय में वृद्धि, गरीब वर्ग की औसत आय में हो रही तेज वृद्धि के कारण भी सम्भव हो पा रही है। हाल ही के वर्षों में विभिन्न राज्यों के बीच प्रति व्यक्ति औसत आय की असमानता में भी कमी आई है। एक अन्य शोधपत्र में भी यह बताया गया है कि बहुत छोटी जोत वाले किसानों की वास्तविक आय में 2013 और 2019 के बीच वार्षिक 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है वहीं अधिक बड़ी जोत वाले किसानों की वास्तविक आय में केवल 2 प्रतिशत की वृद्धि प्रतिवर्ष दर्ज हुई है और वर्ष 2019 के बाद भी यही प्रवाह सम्भवतः जारी रहा है। इसके कारण भी आय की असमानता में कमी दृष्टिगोचर है।

किसी भी देश में आय की असमानता को आंकने के पैमाने के रूप में सकल घरेलू उत्पाद एवं सकल घरेलू आय का आपस में मिलान किया जाता है। इन दोनों आंकड़ों में अंतर एक निश्चित मात्रा में ही रहना चाहिए, उदाहरण के तौर पर यदि यह अंतर एक प्रतिशत के आसपास बना रहता है तो स्थिति को नियंत्रण में माना जाता है एवं इसका आश्य यह लगाया जाता है कि आय की असमानता में कोई विशेष अंतर नहीं आ रहा है। वर्ष 2022 की प्रथम तिमाही में अमेरिका में यह अंतर बढ़कर 3.5 प्रतिशत हो गया था, अर्थात सकल घरेलू आय, सकल घरेलू उत्पादन की तुलना में 3.5 प्रतिशत अधिक थी। जबकि भारत में वर्ष 2012 से वर्ष 2020 बीच यह औसत अंतर 1.1 प्रतिशत तक बना रहा था, परंतु वर्ष 2021 में यह अंतर मामूली रूप से बढ़कर 1.3 प्रतिशत हो गया। इसका आश्य यह है कि भारत में कोरोना महामारी के दौरान यदि प्रति व्यक्ति आय में कुछ कमी आई भी थी तो वह प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में आई कमी से मिलती जुलती रही थी, परंतु इसमें शीघ्र ही वापिस उसी मात्रा में तेजी भी दर्ज की गई है। अतः भारत में आय की असमानता में तेजी दर्ज नहीं की गई है।

भारत में आय की असमानता एवं गरीबी की दर में आ रही कमी दरअसल केंद्र सरकार द्वारा समय समय पर लिए जा रहे आर्थिक निर्णयों के चलते ही सम्भव हो पाई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने तो अपनी रिपोर्ट में भारत द्वारा कोरोना महामारी के दौरान लिए गए निर्णयों की सराहना करते हुए कहा है कि विशेष रूप से गरीबों को मुफ्त अनाज देने की योजना (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना) को लागू किए जाने के चलते ही भारत में अत्यधिक गरीबी का स्तर इतना नीचे आ सका है और अब भारत में असमानता का स्तर पिछले 40 वर्षों के दौरान के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। ज्ञातव्य हो कि भारत में मार्च 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) प्रारम्भ की गई थी। इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा लगभग 80 करोड़ लोगों को प्रति माह प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता रहा है एवं इस योजना की अवधि को सितम्बर 2022 तक आगे बढ़ा दिया गया है। उक्त मुफ्त अनाज, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के अंतर्गत काफी सस्ती दरों पर (दो/तीन रुपए प्रति किलो) उपलब्ध कराए जा रहे अनाज के अतिरिक्त है।

दूसरे, देश में वित्तीय समावेशन को सफलतापूर्वक लागू किए जाने के कारण भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या में भारी कमी देखने में आई है। केंद्र में वर्तमान मोदी सरकार के कार्यभार ग्रहण करने के बाद से तो वित्तीय समावेशन के कार्यान्वयन में बहुत अधिक सुधार देखने में आया है। उसके पीछे मुख्य कारण देश में विभिन्न वित्तीय योजनाओं को डिजिटल प्लैट्फार्म पर ले जाना है। केंद्र सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई प्रधानमंत्री जनधन योजना ने इस संदर्भ में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। आज सहायता राशि के हितग्राहियों के खातों में सीधे ही जमा हो जाने के कारण बिचोलियों की भूमिका एकदम समाप्त हो गई है एवं हितग्राहियों को पूरा का पूरा 100 प्रतिशत पैसा उनके खातों में सीधे ही जमा हो रहा है। यह वित्तीय समावेशन की दृष्टि से एक क्रांतिकारी कदम सिद्ध हुआ है। वित्तीय समावेशन के कुछ अन्य लाभ भी देश में देखने में आए हैं जैसे हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी एक प्रतिवेदन के अनुसार, जिन राज्यों में प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत अधिक खाते खोले गए हैं तथा वित्तीय समावेशन की स्थिति में सुधार हुआ है, उन राज्यों में अपराध की दर में कमी आई है तथा इन राज्यों में अल्कोहल एवं तंबाखु के सेवन में भी कमी आई है।

तीसरे, भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान किसानों से खाद्य पदार्थों की खरीद बहुत बड़े स्तर पर की है ताकि देश की 80 करोड़ जनसंख्या को प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना के अंतर्गत मुफ़्त में अनाज उपलब्ध कराया जा सके। साथ ही, आज भारत से बहुत बड़े स्तर पर अनाज का निर्यात भी किया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा किसानों से बड़े स्तर पर की जा रही खरीद एवं कृषि पदार्थों के निर्यात के कारण किसानों के हाथों में सीधे ही पैसा पहुंच रहा है इससे किसानों की आय तेजी से बढ़ रही है एवं उनकी खर्च करने की क्षमता में भी वृद्धि दृष्टिगोचर है। साथ ही, गरीब वर्ग को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराकर भी गरीब वर्ग के हाथों में एक तरह से अप्रत्यक्ष रूप से पैसा ही पहुंचाया जा रहा है। इसके साथ ही गोदामों में रखा अनाज भी ठीक तरीके से उपयोग हो रहा है अन्यथा कई बार गोदामों में रखे रखे ही अनाज सड़ जाता है। इस तरह से सरकार द्वारा लिए जा रहे उक्त कदमों के चलते आज देश में आय की असमानता एवं गरीबों की संख्या में कमी देखने में आ रही है।

                                                                                                                                                                                        प्रहलाद सबनानी

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp

हिंदी विवेक

Next Post
दुश्मन को पहचाने बिना लड़ेंगे किससे ?

दुश्मन को पहचाने बिना लड़ेंगे किससे ?

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0