हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
मी लार्ड!क्या आज से देश में ईश निंदा को लागू माना जाए….

मी लार्ड!क्या आज से देश में ईश निंदा को लागू माना जाए….

by डॉ. अजय खेमरिया
in देश-विदेश, विशेष, सामाजिक
0

नूपुर शर्मा के बयान से देश में अप्रिय हालात निर्मित हुए सुप्रीम कोर्ट का यह अभिमत स्वीकार्यता के साथ मेरिट पर भी उचित कैसे कहा जा सकता है।क्या देश और दुनिया भर में इस्लामिक आतंकवाद के पीछे सिर्फ नूपुर शर्मा जैसे बयान जिम्मेदार है? क्या सुप्रीम कोर्ट का यह रुख तालिबानी कार्य संस्कृति को तार्किक बनाने का काम नहीं करेगा?नूपुर शर्मा को इस तरह के बयान के लिए उकसाया गया यह सुप्रीम कोर्ट भी मानता है लेकिन इसके बावजूद देश की शीर्ष अदालत का यह कहना कि देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए नूपुर जिम्मेदार है किसी भी ऐसे आदमी के गले नहीं उतर सकता है जो खुद नूपुर का घुर विरोधी हो।यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्यायालय ने इस बात पर एक शब्द नहीं बोला जो गला काट देने और सर तन से जुदा कर देने का नारा एलानिया तौर पर लगा रहे है ,न केवल लगा रहे हैं बल्कि पूरी व्यवस्था को चुनौती देते हुए ऐसा करके भी दिखा रहे हैं।नूपुर के बयान से सहमति-असहमति का अधिकार सभी को है लेकिन तालिबानी तौर तरीकों से देश के प्रधानमंत्री तक को खत्म कर देने की सुनियोजित और बेखौफ घोषणाओं से न्यायालय कैसे अनजान रह सकता है।इस देश की न्यायपालिका की वैश्विक विश्वसनीयता है और इसे समय समय पर साबित भी किया गया है लेकिन नूपुर के मामले में लगता है इस संस्था ने अपने संविधान के संरक्षक के दायित्व में न्यूनता का परिचय ही दिया है।नूपुर देश से माफी मांगे यह ठीक है लेकिन बेहतर होता मी लार्ड उस टीव्ही डिबेट में आदि देव शंकर का अपमान करने वालों को भी आपकी सेक्युलर दृष्टि ऐसा ही आदेश दे देती। हिन्दू देवी देवताओं का अपमान किसी कौम की भावनाओं को तुष्टीकरण की कीमत पर आखिर कब तक जारी रखा जाएगा।जिस संविधान की संरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व है उसमें तो कहीं अल्पसंख्यक औऱ बहुसंख्यक का विभेद नही है।क्या नूपुर के इस बयान से पहले देश में इस तरह के हालात कभी निर्मित नही हुए है।कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक इस्लामिक आतंकवाद की जड़ कहाँ से पनपी है? क्या जाकिर नाइक और मकबूल फिदा की करतूतों से हिंदुओ की भावनायें आहत नहीं हुई होंगी।सुप्रीम कोर्ट को शायद ऐसे मामले देश के लिए खतरा नहीं महसूस होते है क्योंकि इस देश का बहुसंख्यक हिन्दू तालिबानी मानसिकता का नहीं है ।वह अतिशय उदारमना है, और अपनी धर्म-संस्कृति के इन मर्माहत करने वाले कृत्यों पर सर तन से अलग करने के लिए ऐलान नहीं करता है।

मी लार्ड आप कहते है कि नूपुर पर सत्ता का नशा है उन्हें पुलिस ने नही पकड़ा,उन्हें छूने की कोई हिम्मत नही कर सकता है तो आपको राजस्थान के उस मुख्यमंत्री के बारे में भी तो कुछ कहना ही चाहिए था जिसकी पुलिस एक गरीब दर्जी की अर्जी पर निकम्मी बनी बैठी रही।छह दिन तक वह गरीब हिन्दू डर के मारे दुकान बंद करने पर मजबूर रहा और अंत में गजवा ए हिन्द को बलि चढ़ गया।मी लार्ड क्या इस राष्ट्र में ईश निंदा का कानून लागू माना जाए आज की तारीख से ?आपके इस सेक्युलर प्रवचन से तो यही साबित होता है। क्या भारत के संविधान में किसी ईश्वर,अवतार या पैगम्बर पर टिप्पणी करना असंवैधानिक और गैर कानूनी है?हिन्दू देवी देवताओं पर क्या किसी मुस्लिम या अन्य धर्मालंबियों ने कभी कोई टिपण्णी नही की है? हाल ही में एक अलगाववादी सिख ने मां दुर्गा पर की टिप्पणी के वायरल वीडियो आप तक भी आये ही होंगे।ब्रह्मा जी ने सरस्वती के साथ दुराचार किया यह तो आपकी अदालत के पास स्थित जेएनयू में प्रोफेसर तक बताते है। एकेडेमिक्स के महिषासुर के प्रसंग भी आपकी जानकारी में होंगे ही।मकबूल की कूची से कितनी कलात्मकता निखरती रही यह भी आपको पता ही है।लेकिन हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं कभी आहत महसूस आपको इसलिए महसूस नहीं हो सकती क्योंकि यह समाज आहत भावनाओं को गोली,बंदूक और बका,तलवार से अभिव्यक्ति देना नहीं जानता है।आपने नूपुर को’ सिंगल हैंडेड-ली’ जिम्मेदार बताकर क्या यह कहने की कोशिश की है कि उदयपुर के जल्लाद दोषी नहीं है?दोषी तो दिल्ली दंगों के वे आरोपी भी नही है जिन्होंने एक पुलिस ऑफिसर के तन को 200 से ज्यादा बार चाकुओं से छलनी कर दिया था।नूपुर के लहजे पर आपको आपत्ति है लेकिन लहजे पर कत्ल कर दिया जाए इस पर आपको कुछ नही कहना होता है।भारतीय लोकतंत्र के लिए न्यायपालिका एक बड़ा संबल है,लोगों की आशाओं का केंद्र है लेकिन नूपुर औऱ उदयपुर के मामले में सर्वोच्च अदालत का यह रवैया निसंदेह निराश करने वाला है। यह देश की एकता,अखंडता और संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध भी है।आशा है सुप्रीम अदालत इस पर पुनर्विचार करेगी।

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: #ishnindalaw #pakistan #supremecourt #nupursharma #ईशनिंदा

डॉ. अजय खेमरिया

Next Post
क्या भारत इस्लामिक देश है ?

क्या भारत इस्लामिक देश है ?

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0