टीवी वालों, जिहादियों के दोस्त मत बनिए

नुपूर शर्मा को धमकी देने वाले अजमेर दरगाह के खादिम सलमान चिश्ती का बयान लूप में डालकर लगातर चैनलों पर चलाया जा रहा है। समझ नहीं आता कि इस तरह के बयान चैनल्स वाले क्यों चलाते हैं? चिश्ती रोने का ढोंग करते हुए अपने लोगों से नुपूर का सिर कलम करने की अपील कर रहा है। इस तरह का वीडियो जो उसके Whats App ग्रुप में तीन-चार सौ लोगों ने भी नहीं देखा होगा अब आपने उसे करोड़ों लोगों तक पहुंचा दिया।

राष्ट्रीय चैनल पर उसे चलाकर उसके नफरती संदेश का अंतर्राष्ट्रीय प्रसारण कर दिया। उसके साथ हमदर्दी रखने वालों की तादाद को लाखों में पहुंचा दिया। उसे रोता हुए टीवी पर दिखाकर उसके हमदर्दी रखने वालों की फौज खड़ी कर दी आपको समझना होगा कि जो लोग ऐसे सोच से इत्तेफाक नहीं रखते उन्हें तो ये बयान नहीं भी दिखाते तब भी वो इससे नफरत करते लेकिन जो इसी मानसिकता का है, जो अभी दाएं-बाएं है, वो ऐसे बयान सुनकर ज़रूर इसके पक्ष में चला जाएगा। और चिश्ती जैसों को और क्या चाहिए? वो तो तहे दिल से इस प्रसारण के लिए आपका शुक्रिया अदा कर रहा होगा।

उससे बड़ी बात ये कि जिस बयान को आप भड़काऊ मानते हैं उसी अपने चैनल पर चलाकर उस भड़काऊ बात का फैलाव क्यों कर रहे हैं। हो सकता है उसने अपनी अपील के लिए अभी तक दस समर्थक न खोजे हों लेकिन आपने चैनल पर उसका मुफ्त विज्ञापन करके लाखों अभ्यर्थियों तक हत्यारे की वेकेंसी को पहुंचा दिया है।

इसी तरह कल कुछ बड़े चैनल ये सुना रहे ते कि नुपूर का समर्थन करने वालों को कुछ लोग फोन पर कैसे जान की धमकियां दे रहे हैं। धमकी देने वाला किसी माफिया की तरह धमका रहा है। जिसे धमकी मिल रही है वो गिड़गिड़ा रहा है। आपके नहीं लगता इस तरह की रेकार्डिंग टीवी पर सुनाकर आप कट्टरपंथियों का ही काम आसान कर रहे हैं। उनकी गुंडई को राष्ट्रीय चैनल पर चलाकर उन्हें शोहरत बख्श रहे हैं। जो लोग पहले से डरे हैं उन्हें और डरा रहे हैं।

माना कि टीवी के तमाशे के लिए इस तरह के वीडियो और रेकार्डिंग एक भव्य नाटक है मगर उस नाटक का राष्ट्रीय प्रसारण करके कट्टरपंथियो को राष्ट्रीय मंच मत दीजिए। और ऐसा आप करेंगे, तो उन जिहादियों के ही सबसे बेहतरीन दोस्त बन आएंगे जिन्हें आप समाज का सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं।

 

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