जब मैंने अफ़ग़ानिस्तान में बचे हुवे अल्पसंख्यकों पर पोस्ट लिखी तो मोमिन भाईयों ने तमाम तरह की दलीलें दीं और मेरे आंकड़ों को इधर उधर से झुठलाया.. लगभग सौ प्रतिशत मोमिन भाईयों ने कोई न कोई इधर उधर का बहाना लेकर अफ़ग़ानिस्तान के हालात को राजनैतिक हालात बताते हुवे मेरे पोस्ट में उठाए गए मुद्दे को खारिज़ कर दिया.. कहने लगे कि वहां युद्ध हो रहा है इसलिए सिख, बौद्ध और हिंदू वहां से ख़त्म हो गए.. ठीक है.. आइए कुछ और आंकड़े देखते हैं
क्या आप जानते हैं कि बांग्लादेश के एक अल्पसंख्यक संगठन “जातीय हिंदू महाजोत” ने अभी दो दिन पहले “बांग्लादेशी हिंदुओं पर हुवे अत्याचार” के इस साल के आंकड़े जारी किए हैं.. ये आंकड़े जनवरी 2022 से लेकर जून 2022 तक के हैं.. यानि सिर्फ़ 6 महीने के आंकड़े हैं
इन आंकड़ों के अनुसार बीते 6 महीनों के भीतर ही 79 हिंदुओं की वहां के इस्लामिक कट्टरपंथी हत्या कर चुके हैं.. बीते 6 महीनों में ही बांग्लादेश में हिंदुओं पर 501 संगठित हमले हुवे, 59 मंदिरों पर हमले हुवे और उन्हें तोड़ा गया, 219 मूर्तिपूजकों का अपहरण हुवा, विभिन्न मंदिरों से 50 मूर्तियां चुराई गई.. 13 लोगों के साथ बलात्कार हुवा, 10 का गैंग रेप हुवा, और तीन को बलात्कार के बाद मार डाला गया और 19 के साथ बलात्कार का प्रयास किया गया.. 95 हिंदुओं का जबरदस्ती धर्मांतरण किया गया और 21 और को धर्मांतरित करने की कोशिश की गई.. 63 घटनाओं में हिंदुओं के साथ धार्मिक “बेअदबी” की गई
बीते 6 महीनों में ही 468 हिंदू घरों को तोड़ा और लूटा गया, 343 घरों को आग लगाई गई, 93 हिंदू व्यापारियों पर हमले हुवे.. 2159.36 एकड़ हिंदुओं की भूमि पर कब्जा कर लिया गया और 419.63 एकड़ पर कब्ज़ा होने वाला है.. 17 हिंदू घर और 29 व्यापार पर कब्ज़ा हो चुका है.. 29 मंदिरों की जमीनों पर कब्ज़ा हो चुका है और 132 हिंदुओं के घर कब्जाए जा चुके है.. और 717 हिंदू परिवारों को उनके घरों से भगाने की कोशिश की गई है और 8943 परिवारों को घर छोड़कर भागने के लिए धमकाया जा चुका है.. 154 हिंदू परिवार देश छोड़कर भाग गए और 3897 परिवार अभी भी भागने के प्रयास में हैं
ये बस बीते 6 महीने की रिपोर्ट है और ये रिपोर्ट बहुत लंबी है और बहुत डिटेल में है.. और ये आंकड़े मेरे नहीं हैं, बांग्लादेश के ही संगठन के हैं.. और किसी अल्पसंख्यक संगठन की वहां इतनी हिम्मत नहीं है कि वो झूठा आंकड़ा पेश कर दे
जो बग्लादेश में हो रहा है वही हर जगह हुवा.. अफगानिस्तान में भी सब ऐसे ही हुवा था.. ऐसे ही धीरे धीरे.. तमाम ज़ुल्म और इस तरह की ज्यादती सह कर कौन सी कौम टिक पाएगी वहां जहां आपके लोग बहुसंख्यक हैं?
आप मेरी इस पोस्ट को भी झुठलाएंगे मुझे पता है.. और धीरे धीरे बांग्लादेश ऐसे ही कुछ सालों में अल्पसंख्यक विहीन देश बन जाएगा फिर आप कहेंगे कि बांग्लादेश में सारे अल्पसंख्यकों ने अपनी मर्जी से आपका मज़हब अपना किया क्योंकि सब बहुत प्रभावित हुवे आपके भाईचारे और अमन के पैग़ाम से
~सिद्धार्थ ताबिश