रहस्य से पर्दा हटना अभी बाकी है

वैसे तो वैज्ञानिक समुदाय ने सौरमंडल के नौवें ग्रह प्लूटो को हमारे सौर परिवार से कई वर्ष पहले बेदखल कर दिया है क्योंकि प्लूटो जैसे असंख्य पिंड उस स्थान पर मौजूद हैं। लेकिन खगोल वैज्ञानिक अपने अन्तरिक्षीय संधान में यह खुलासा करते आ रहे हैं कि नेपच्यून और प्लूटो से परे, एक नौवां ग्रह है जिसका द्रव्यमान पृथ्वी से पांच गुना बड़ा है। वैज्ञानिकों ने इसे प्लैनेट 9 नाम दिया है और इसे ‘प्लैनेट एक्स’ के नाम से भी जाना जाता है। यह अंतरिक्ष पिंड अनेक रहस्य और आश्चर्य से भरा हुआ है। आइये, जानते हैं इसके बारे में।

एक अनदेखा और अनजाना ग्रह

प्लैनेट 9 हमारे अंतरिक्ष के उस स्थान पर विचरण कर रहा है जहां पर बर्फ ही बर्फ है और यह हमारे सौरमंडल के विशालकाय बाहरी क्षेत्र में भ्रमण करता है। यह ग्रह और इसकी खोज तब शुरू हुई जब वैज्ञानिकों ने देखा कि प्लूटो से परे के आकाश में मौजूद धूल और पिंड में असामान्य कम्पन महसूस किया गया था।

हम सभी विज्ञान की किताबों में पढ़ते आये हैं कि हमारे सौरमंडल में नेपच्यून ग्रह के बाहरी इलाकों में एक ऐसा क्षेत्र पाया जाता है जिसमें अनेक छुद्रग्रह (एस्टेरायड) विचरते रहते हैं। इनमें असंख्य बौने ग्रह भी पाए जाते हैं जिनमें से एक प्लूटो भी है। प्लैनेट 9 जिसकी हम यहां बात कर रहे हैं, वो कुइपर बेल्ट के छोर पर अपना घर बनाता है। कुछ खगोलविदों ने पाया कि इस पिंड और कई दूसरी अंतरिक्ष पिंडों की कक्षाओं में समानताएं थीं। जिन पिंडों को वैज्ञानिकों ने देखा, वे हमारे सौरमंडल के विशाल ग्रहों के प्रभाव से बहुत दूर थे। तो फिर इन पिंडों की अजीब कक्षाओं का विश्लेषण करके, वैज्ञानिकों ने सौरमंडल में एक नए ग्रह की उपस्थिति का प्रस्ताव रखा जिसका आकार पृथ्वी से लगभग पांच गुना बड़ा था। उन्होंने इस अदृश्य और विशाल पिंड की संभावित कक्षा का पता लगाया, जिसे उन्होंने “प्लैनेट 9” कहा।

अंतरिक्ष में ‘प्लैनेट 9’ की उपस्थिति

जब हम अपने बाहरी सौरमंडल का क्षेत्र देखते हैं तो हमें पता चलता है कि अधिकांश बहुत दूर स्थित आकाशीय पिंड नेप्च्यून और प्लूटो से बेहद परे हैं। इन पिंडों में से अधिकांश वे सभी सूर्य के चारों ओर घूमती हैं और वे सभी अलग-अलग दिशाओं अपनी कक्षा में भ्रमण कर रही हैं। लेकिन सबसे दूर के पिंड एक विशेष दिशा में बहुत विचित्र तरीके से बाहर निकलते हैं जो कि असवाभाविक है। वैज्ञानिकों ने यह भी अनुमान लगाया कि उन्हें एक ही दिशा में लाने का प्रयास किया जा सकता है।

कैसे खोजा गया प्लैनेट 9 को?

वर्ष 1846 में, जब नेपच्यून की खोज की गई थी, तो उस खोज के बाद वैज्ञानिकों के मन में यह ख्याल आया कि क्या इस ग्रह के आस-पास कोई और ग्रह है, जिसका विकास हमारे सूर्य से हुआ हो। खगोलविद पर्सिवल लोवेल ने तब इस ग्रह की संभावित कक्षा और स्थान का पूर्वानुमान लगाने के लिए खगोलीय गणनाओं का उपयोग किया। 1930 में, खगोल वैज्ञानिकों ने सोचा कि उन्होंने इसे आखिरकार ढूंढ लिया लेकिन जिस पिंड को उन्होंने ढूंढा, वो दरअसल प्लूटो ग्रह था। जिसे आख़िरकार हमारे सौरमंडल से ख़ारिज करना पड़ा क्योंकि उसके जैसे सहस्त्रों ग्रह नेपच्यून से आगे के आकाश में मौजूद थे। प्लैनेट 9 हमारे सौरमंडल के बाहरी इलाके में मौजूद एक ऐसा जिसे वैज्ञानिकों ने ढूंढा है और यह प्लूटो से अलग है। वैज्ञानिकों को आशा है कि इसे हमारे सौरमंडल के नौवें ग्रह का दर्जा दिया जा सकता है।

वास्तव में प्लैनेट 9 बहुत दूर स्थित है। इस ग्रह का विश्लेषण करते हुए वैज्ञानिक इस बारे में भी बात कर सकते हैं कि सौरमंडल कहां समाप्त होता है और ब्रह्मांड के उस स्थान विशेष पर क्या है? यह अध्ययन एक जटिल स्थिति और संभावनाओं को प्रकट करेगा! जितना कुछ वैज्ञानिक अध्ययन कर पाए हैं, प्लैनेट 9 ग्रह की कक्षा, ज्ञात ग्रहों की कक्षाओं के विपरीत, तक़रीबन गोलाकार और समतल नहीं है। इसके स्थान पर यह असामान्य रूप से चौड़ा है। इस ग्रह की कक्षा नेपच्यून की कक्षा से बीस गुना बड़ी है।

इस प्लैनेट 9 की हमसे दूरी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस ग्रह को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में करीब बीस हजार वर्ष लगते हैं! वहीं पृथ्वी द्वारा सूर्य की का परिक्रमा में ​​एक वर्ष का समय लगता है और बृहस्पति को लगभग 10 वर्ष। है न आश्चर्यजनक बात।

वैज्ञानिकों ने अपने विश्लेषण में यह अनुमान लगाया है कि हमारे सौरमंडल में बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून जैसे गैस से निर्मित ग्रहों के निर्माण काल में ही प्लैनेट 9 का निर्माण हुआ होगा। जब यह ग्रह (प्लैनेट 9) अपने निर्माण के बाद वृद्धि करने लगा होगा तो यह सूर्य से आकर्षित होकर बृहस्पति ग्रह के गुरुत्वाकर्षण के करीब पहुंच गया होगा और सौरमंडल से बाहर निकल गया होगा। इस करण प्लैनेट 9 उस गैस को अवशोषित नहीं कर सका जिसकी उसे वृद्धि जारी रखने के लिए आवश्यकता थी और उसका आकार पृथ्वी के द्रव्यमान से 5-15 गुना अधिक हो गया। दूसरा सिद्धांत यह है कि जब सूर्य अपनी तारकीय नर्सरी के अंदर वृद्धि कर रहा था, उस समय हो सकता है कि उस नर्सरी के भीतर रहने वाले किसी अन्य तारा प्रणाली के किसी पिंड वस्तु से आकर्षित हो गया हो। तो एक तरह से देखा जाए तो प्लैनेट 9 को किसी दूसरी तारा प्रणाली के द्वारा अपहरण कर लिया गया। लेकिन अभी कोई ठोस प्रमाण नहीं है और इस बारे में बहुत सारे सिद्धांत हैं कि यह अनोखा ग्रह वहां कैसे पहुंचा भले ही यह वहां से बाहर हो।

प्लैनेट 9 के अन्वेषण ने वैज्ञानिकों को कई नई दिशाओं में सोचने को विवश कर दिया है। अब तो खगोल वैज्ञानिक इस ओर भी सोचने लगे हैं कि हमारे सौरमंडल में दूसरे कई ग्रह छुपे हो सकते हैं जिनका सीधा संबंध हमारे सूर्य और सौरमंडल से हो।

हमारे सौरमंडल में अनेक ग्रह छुपे हुए हैं

ब्रह्मांड में हमारे सौरमंडल का इतिहास हमें बताता है कि अब हम अपने सौरमंडल के अंत की ओर पहुंच रहे हैं और जो वैज्ञानिकों द्वारा अब तक जो भी खोजा गया है, उससे अलग और उससे परे कुछ भी नहीं है। लेकिन प्लैनेट 9 की उपस्थिति ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है और उन्हें यह अनुसंधान करने को विवश कर दिया है कि हमारे सौरमंडल में दूसरे कई ग्रहों का पाया जाना बाकी है। उसके बाद वहां की परिस्थिति और उसकी बनावट को लेकर खोज का सिलसिला आरम्भ होगा।

प्लैनेट 9 को लेकर दुनिया में कई अध्ययन पहले से ही चल रहे हैं और अगले कुछ वर्षों में और भी शुरू हो जाएंगे। खगोल वैज्ञानिक बेहतर टेलीस्कोप और स्मार्ट पावरफुल कंप्यूटर की मदद से आकाशीय डेटा को विश्लेषण करने में लग जाएंगे। आधुनिक बुद्धिमान मनुष्य हर समय नए ब्रह्मांडीय पिंडों की खोज में जुटा रहता है इसलिए हमें पूरी तरह आश्वस्त रहना चाहिए कि आखिरकार हमें प्लैनेट 9 मिल जाएगा। यह पहली बार नहीं है जब खगोल विज्ञानियों ने किसी ऐसे आकाशीय पिंड की तलाश की है जिसके होने के बारे में कुछ लोगों ने पहले शंका जताई थी। यह भी संभावना है कि हमारे अपने ग्रह पर कुछ अनदेखे रहस्य भी हो सकते हैं। साथ ही प्लैनेट 9 पर क्या पता जीवन भी मौजूद हो, कौन जाने?

 

वर्तिका गोरे

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