संकल्प शक्ति का चमत्कार 

“संकल्प” क्रिया शक्ति में तन्मयता की प्रतिष्ठा का नाम है । यह मेरा “संकल्प” है इसका अर्थ है कि अब मैं कार्य में प्राण, मन और समग्र शक्ति के साथ संलग्न हो रहा हूँ । इस प्रकार की विचारणा, दृढ़ता ही “सफलता की जननी है ।” “संकल्प” तप का, क्रिया शक्ति का विधायक है, इसी से उसमें अनेक “सिद्धियां” और “वरदान’ समाहित हैं ।

जिन विचारों से मनोभूमि में स्थायी प्रभाव पड़ता है और जिनसे अंतःकरण में अमिट छाप पड़ती है, वे पुनरावृत्ति के कारण स्वभाव के एक अंग बन जाते हैं । ऐसे विचारों का अपना एक विशेष महत्व होता है । इन विचारों को क्रमबद्ध रीति से सजाने की क्रिया जिन्हें ज्ञात होती है वे अपना “भाग्य”, “दृष्टिकोण” और “वातावरण” परिवर्तित कर सकते हैं और इस परिवर्तन के फलस्वरूप जीवन में कोई विशेष दृश्य या स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं ।

Leave a Reply