पेगासस मामले में झूठी साबित हुई कांग्रेस

पेगेसस मामला,  प्रश्न सिर्फ कॉंग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत पूरे विपक्ष के  एक बार और झूठा साबित होने मात्र का नहीं है अपितु प्रश्न इससे कहीं बड़ा है।
बड़ा प्रश्न तो यह  है कि किस प्रकार एक झूठ का सहारा लेते हुए संसद के एक पूरे सत्र को बर्बाद कर दिया गया था। जिस सत्र  में देशहित में कई बिल पास होने थे, देश के विकास और जनता के स्वर्णिम भविष्य के नए अध्याय लिखे जाने थे उस सत्र की उत्पादकता ही खत्म कर दी गई थी।  कैसे एक टिकट ब्लैक करते हुए एक सामाजिक अपराधी सांसद बनने के बाद टेबल पर चढ़ कर किन्नर वाली तालियां पीट  रहा था?
जनता के करोड़ो रूपये विपक्ष के एक तमाशे की  भेंट चढ़ गया था।  जिन सांसदों द्वारा तमाशा कर संसद की कार्यवाही बाधित की गई विपक्ष के उन्हीं सांसदों द्वारा उस तमाशे  के लिए भी सैलरी व भत्ते वसूले गए। यानी जनता के टैक्स के पैसे पर मजे भी किया गया और जनता के कार्य को बाधित भी किया गया।
इस अपराध के लिए क्या पूरा विपक्ष सार्वजनिक माफी मांगेगा? विपक्ष के इस झूठ को स्तय साबित  करने के प्रयास में दिनरात चर्चा करने वाले बड़े बड़े पत्रकार व स्वयंसिद्ध साहित्यकार माफी मांगेंगे? विपक्ष के झूठ को प्रचारित कर मैग्सेसे व पुलित्जर अवार्ड पाने वाले पत्रकारों को सजा मिलनी चाहिए?
अब जनता को चाहिए कि सड़क पर उतर कर झूठ के दम पर उनके हितों को नष्ट करने वाले नेताओं को ऐसी सबक सिखाए कि फिर कोई मक्कार संसद की कार्यवाही बाधित करने का विचार भी अपने मन में न ला पाए। उन पत्रकारों के कारोबारी मालिकों व मीडिया हाउस के दफ्तर को तब तक घेरे रक्खे जब तक कि इन पत्रकारों को धक्के मार कर पत्रकारिता की दुनिया से बाहर न फेंक दिया जाए ताकि फिर कोई जनता और उसके भविष्य के बीच मे बाधा बनने की हिम्मत ही न कर पाए।
लोकतंत्र के इतिहास में एक दिन ऐसा आएगा जब इन गुंडो का हिसाब जनता सड़क पर करेगी।

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