राजनीति में मजबूत दावेदारी

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वर्तमान मोदी सरकार ने महिलाओं को विकास के पंख दिए तो महिलाओं ने भी सपनों की ऊंची उड़ान भरनी शुरु की। राजनीति की पुरपेंच गलियों से होते हुए वो राष्ट्रपति और राज्यपाल के पद पर स्थापित हैं। वह क्षेत्र जहां अब तक केवल पुुरुषों का वर्चस्व था, उन क्षेत्रों में भी महिलाओं ने स्वयं को स्थापित किया है।

राष्ट्रीय पत्रकारिता का मापदंड प्रस्थापित करती पुस्तक ‘मुद्दा’

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लेखन के विविध प्रकारों में से पत्रकारिता को सर्वथा उपयुक्त माना जाता है. पत्रकारिता से राष्ट्रीय विचारधारा को बल मिलना चाहिए. समाज को जागरूक कर उसे सही दिशा देना ही वैचारिक पत्रकारिता है. यही कार्य विगत एक दशक से अमोल पेडणेकर अपनी लेखनी से सतत करते आ रहे है. दिग्भ्रमित, फेक न्यूज और गुमराह करनेवाली पत्रकारिता के दौर में अमोल पेडणेकर द्वारा लिखित पुस्तक ‘मुद्दा’ सही अर्थों में राष्ट्रीय पत्रकारिता का मापदंड कही जा सकती है.

भाजपा विजय का फार्मूला राष्ट्रवाद और विकास का एजेंडा

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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में और अधिक बढ़ोत्तरी हुई है। देश में इस बार केवल मोदी लहर ही नहीं बल्कि बाढ़ आने वाली है जिसमें कांगे्रस सहित विपक्षी दलों के इंडी गठबंधन का सुपड़ा साफ होने की सम्भावना दिखाई दे रही है। इस बार 400 पार के लक्ष्य पर भाजपा जी-जान से जुटी हुई है।

संकल्प यात्रा बनाम भारत जोड़ो न्याय यात्रा

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भारत जोड़ो न्याय यात्रा और संकल्प यात्रा में नकारात्मक-सकारात्मक राजनीति के गुणदोष परिलक्षित होने लगे हैं। राहुल गांधी की ‘मणिपुर टू मुंबई’ यात्रा का उद्देश्य मणिपुर के हिंसा की आग को हवा देना है। वहीं भाजपा की संकल्प यात्रा का उद्देश्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से आमजनों को लाभान्वित करना हैं।

गठबंधन में गतिरोध

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आगामी लोकसभा चुनावी सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी गठबंधन में आपसी रस्साकशी तेज हो गई है। एक-दूसरे के प्रति आलोचना और टिप्पणी से इंडी गठबंधन की यथास्थिति को समझा जा सकता है। जो आपस में समन्वय तक नही बना सकते, वे राष्ट्रहित के विषयों पर एकमत कैसे होंगे?

2024 लोकसभा चुनाव की सम्भावित तस्वीर

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आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्षी आईएनडीआईए गठबंधन पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की ‘एक अकेला सब पर भारी’ कहावत सटीक होते हुए दिखाई दे रही है। देश में राममय वातावरण, आम लोगों में राष्ट्रीय चेतना एवं जागरूकता का ऊंचा उठता स्तर और मोदी लहर अभूतपूर्व चुनावी सफलता का संकेत दे रही है।

लालकृष्ण आडवाणी भारतरत्न पुरस्कार से होंगे सम्मानित

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जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी के मजबूत आधार स्तम्भ रहे लालकृष्ण आडवाणी को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारतरत्न से सम्मानित करने की घोषणा मोदी सरकार ने की है. भारत रत्न की घोषण पर देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री आडवाणी ने कहा कि ‘अत्यंत विनम्रता और कृतज्ञता के साथ मैं भारत रत्न स्वीकार करता हूं जो आज मुझे प्रदान किया गया। यह न केवल एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए सम्मान की बात है बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों के लिए भी सम्मान की बात है जिनकी मैंने अपनी पूरी क्षमता से जीवन भर सेवा की है।’

मोदी की गारंटी भारत और विश्व को विश्वास

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की बातों पर जनता सहित देश-दुनिया को यूं ही भरोसा नहीं हुआ है, पिछले 2 कार्यकाल में उन्होंने परिश्रम की पराकाष्ठा करके यह सिद्ध किया है कि एक अकेला सब पर भारी है। जनता का उन्होंने जो विश्वास जीता है, वो तो अभूतपूर्व है।

रामभक्तों से हार गए वामपंथी

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इतनी बाधाओं के बाद भी कोई भी विरोधी शक्ति रामभक्तों का न तो उत्साह कम कर पाई न भयभीत कर उन्हें उनके राम-काज करने से रोक पाई। श्रीराम भक्तों को कृपा मिलती है तो दानवों को उनके कोप का भाजन भी बनना पड़ता है। 9 नवम्बर 1989 को विश्व में दो बड़ी घटनाएं हुई जिसने वामपंथी षड़यंत्र और अहंकार को चकनाचूर कर दिया। 9 नवम्बर 1989, देवोत्थान एकादशी तिथि को अयोध्याजी में हजारों रामभक्तों और पूज्य साधु-संतों की उपस्थिति में कामेश्वर चौपाल जी ने श्रीराम मंदिर का शिलान्यास किया और इसी दिन पश्चिम में बर्लिन की दिवार भी वहां की जनता ने तोड़ दी। ये दिन वामपंथी षड्यंत्रों के विरुद्ध सत्य और सज्जन शक्ति के विजय का दिन था। उस देवोत्थान एकादशी के शिलान्यास से लेकर अबतक इस संघर्ष का इतिहास साक्षी है कि रामपंथियों के पुरुषार्थ ने षड्यंत्रकारी वामपंथियों को प्रत्येक मोर्चे पर पराजित किया है।

भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अमृत काल

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राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण गर्व का क्षण है, लेकिन इन क्षणों में इस पर भी विचार किया जाना चाहिए कि हिंदू समाज को किन कारणों से विदेशी हमलावरों के अत्याचार और उनकी गुलामी का सामना करना पड़ा. निस्संदेह हिंदू समाज के एकजुट न होने के कारण विदेशी हमलावरों ने फायदा उठाया. यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि भेदभाव और छुआछूत हिंदू समाज को कमजोर करने का एक बड़ा कारण बना। अब जब समाज के हर तबके को अपनाने वाले भगवान राम के नाम का मंदिर बनने जा रहा है तब सभी का यह दायित्व बनता है कि वे पूरे हिंदू समाज को जोड़ने और उनके बीच की बची-खुची कुरीतियों को खत्म करने पर विशेष ध्यान दें। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अयोध्या एक ऐसा केंद्र बने जो भारतीय समाज को आदर्श रूप में स्थापित करने में सहायक बने।

रामलला के पटवारी चम्पतराय

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बाबरी ध्वंस से पूर्व से ही चंपत राय  ने राम मंदिर पर "डॉक्यूमेंटल एविडेंस" जुटाने प्रारम्भ किये। लाखों पेज के डॉक्यूमेंट पढ़े और सहेजे, एक एक ग्रंथ पढ़ा और संभाला, उनका घर इन कागजातों से भर गया, साथ ही हर जानकारी उंन्हे कंठस्थ भी हो गई। के. परासरण जी और अन्य साथी वकील जब जन्मभूमि की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरे तो उन्हें अकाट्य सबूत देने वाले यही व्यक्ति थे।

अक्षत वितरण महा अभियान 1 जनवरी से 15 जनवरी 2024

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सब की इच्छा है 22 को अयोध्या जाए परन्तु सम्भव नही है। अयोध्या छोटी है, भौगोलिक क्षेत्र कम है इसलिए कहा गया  'मेरा गांव मेरी अयोध्या', 'मेरे गाव का मंदिर यही जन्म भूमि का मंदिर' यह भाव जगाना इस उद्देश्य से जन्म भूमि पर पूजित अक्षत घर-घर देना। अपने यहां अक्षत का अति महत्व है विवाह प्रसंग हो अथवा कोई मांगलिक प्रसंग हो अक्षत देकर ही आमंत्रण देने की परम्परा है।

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