पाकिस्तान को मिला बकरीद का गिफ्ट…

सैलाब में डूबे 1034 पाकिस्तानी मुस्लिम, 10 लाख घर बाढ़ की वजह से टूटे, 57 लाख पाकिस्तान मुसलमान बेघर हुए
बाढ़ बकरीद का गिफ्ट कैसे हो सकती है ? ये बात सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी लेकिन बकरीद में करोड़ों जानवरों की कुर्बानी की वजह से जो हीट पाकिस्तान से पैदा हुई उसकी वजह से ग्लेशियर पिघले और ग्लोबल वॉर्मिंग से हुए क्लाइमेट चेंज ने पाकिस्तान के 4 प्रांत पानी में डुबो दिए और पाकिस्तान के 3 करोड़ 30 लाख लोगों की जिंदगी पर असर डाला ।
ग्लोबल वॉर्मिंग और बकरीद का कनेक्शन आपको आगे समझाएंगे लेकिन पहले आंकड़ों पर गौर कीजिए… 28 अगस्त को खबर लिखे जाने तक पाकिस्तान में सैलाब से अब तक 1 हजार 33 लोग मर चुके हैं । पाकिस्तान में 1 हजार 527 लोग घायल हो चुके हैं…. सिर्फ 27 अगस्त से 28 अगस्त के बीच ही 83 हजार मवेशी यानी पशु धन जान गंवा चुका है । पाकिस्तान में 3 हजार 451 किलोमीटर सड़कें बर्बाद हो चुकी हैं और 149 पुल तबाह हो चुके हैं जिसमें मशहूर जिन्ना पुल भी शामिल है ।
पूरे बलूचिस्तान से पाकिस्तान का संपर्क कट चुका है । ना मोबाइल काम कर रहा है ना लाइट आ रही है ना कोई सैटेलाइट का लिंक बचा है यही वजह है कि डर के मारे फ्लड से पीड़ित हो रहे बलूचिस्तान पर पाकिस्तान की सरकार ने धारा 144 पर भी लगा दी है ताकी कहीं कोई आंदोलन और विरोध प्रदर्शन ना हो सके आजादी की तहरीक ना चलाई जा सके ।
दूसरी तरफ पाकिस्तान के नेशनल स्पीकर अपनी पूरी टीम के साथ कनाडा में मस्ती कर रहे हैं उनकी पाकिस्तान में आलोचना हो रही है । पाकिस्तान के राष्ट्रपति अपनी 50वीं शादी की सालगिरह मना रहे हैं । इमरान खान राजनीति कर रहे हैं और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ कटोरा लेकर दुनिया के सामने भीख मांगने खड़े हो गए हैं । पाकिस्तान बिना वजह के भी भीख मांगता रहता है लेकिन अल्लाह की दुआ से इस बार पाकिस्तान को भीख मांगने की वजह भी मिल गई है । पाकिस्तान फ्लड की वजह से अंतर्राष्ट्रीय मदद की मांग कर रहा है ।
पूरी दुनिया में बहुत लंबे समय से ही ये मांग की जा रही है कि ग्लोबल वॉर्मिंग और धरती के बढ़ते तापमान की बड़ी वजह बकरीद भी है क्योंकि मांस को पकाने के लिए जो हीट  पैदा होती है और जानवरों के कटने से जो गरम सांसे वातावरण में जाती हैं उससे धरती का तापमान बढ़ता है और क्लाइमेट चेंज का खतरा भी पैदा होता है ।
पेरिस जलवायु सम्मेलन में अपील की गई थी कि सभी देश स्वयं ये पहल करें और मांस खाना बंद करें । यहां तक कि मांस रहित सोमवार का भी प्रस्ताव दिया गया था । ये भी कहा गया कि *अगर मांसाहार 90 प्रतिशत तक कम हो तो क्लाइमेच चेंज को टाला जा सकता है* । चीन ने भी अपने नागरिकों से अपील की है कि मांस की खपत आधा करने का प्रयास किया जाए ।
लेकिन मुसलमान अपने मजहब से बंधे होने की वजह से लाखों करोड़ों की संख्या में मवेशियों का कत्ले आम करते हैं जिससे पूरी दुनिया का तापमान भीषण तौर पर बढ़ रहा है । जिहाद एक पर्यावरण विरोधी मजहब मालूम पड़ता है तो सुबह से लेकर रात तक 5 बार ध्वनि प्रदूषण भी करता है । और मांस खाने की वजह से धरती के तापमान को भी बढ़ाता है ।
कुदरत से दुश्मनी निभा रहे लोगों पर अब कुदरत आफत बनकर टूट रही है, देखें इन्हें कब सही बात समझ में आती है !
-दिलीप पाण्डेय

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