हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
भारतीय बन रहे हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के शिल्पकार

भारतीय बन रहे हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के शिल्पकार

by हिंदी विवेक
in देश-विदेश, विशेष, सामाजिक
0

भारतीय मूल के नागरिकों का अमेरिका में आगमन विभिन स्तरों पर हुआ है। वर्ष 1890 तक भारतीय मूल के कुछ नागरिकों का कृषि श्रमिकों के रूप में अमेरिका में आगमन हुआ था। लगभग इसी खंडकाल में विशेष रूप से पंजाब से कुछ सिक्ख लोगों के जत्थे भी कनाडा एवं अमेरिका की ओर रवाना हुए थे। उस समय पर भारतीय मूल के नागरिकों ने अमेरिका में बहुत कठिनाईयों का सामना किया था क्योंकि अमेरिकी मूल के नागरिक भारतीय एवं अन्य एशियाई देशों जैसे चीन, जापान, फिलिपीन आदि के नागरिकों के लिए विभिन्न प्रकार की समस्याएं खड़ी कर रहे थे। एशियन मूल के नागरिक बहुत ही कम वेतन पर अधिक से अधिक मेहनत करते हुए कृषि क्षेत्र में भी काम करने को तैयार रहते थे, इससे अमेरिकी मूल के नागरिकों को आभास हुआ कि ये एशियन मूल के नागरिक उनके रोजगारों पर कब्जा कर लेंगे।

इन कारणों के चलते उस समय पर इन अमेरिकी मूल के नागरिकों ने एशियाई देशों के नागरिकों पर जानलेवा आक्रमण भी किए जिससे वर्ष 1910 तक भारतीय मूल के नागरिकों की जो संख्या 5,424 हो गई थी वह 2040 का दशक आते आते 2,405 रह गई क्योंकि शेष भारतीयों को अमेरिका छोड़ने को मजबूर किया गया था। फिर एशियाई देशों के नागरिकों के अमेरिका आगमन पर ही प्रतिबंध लगा दिए गए थे। परंतु वर्ष 1952 में उक्त समस्त प्रतिबंध हटाकर एशियाई देशों के नागरिकों को प्रतिवर्ष 2000 वीजा जारी करने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद वर्ष 1965 में तो इस सम्बंध में एक विशेष कानून ही बना दिया गया था जिससे भारत सहित अन्य एशियाई देशों से भी नागरिकों का अमेरिका में पुनः आगमन प्रारम्भ हुआ था। वर्ष 1980 की जनगणना के अनुसार अमेरिका में भारतीय मूल के नागरिकों की संख्या 361,544 थी जो 1990 में बढ़कर 10 लाख के आसपास पहुंच गई एवं तीन दशकों के उपरांत अब अमेरिका में भारतीय मूल के नागरिकों की संख्या 40 लाख के पार पहुंच गई है।

हाल ही में वर्ष 2020 के लिए अमेरिकी जनगणना से सम्बंधित जानकारी अमेरिका में जारी की गई है। जिसके अनुसार अमेरिका एक ऐसा देश है जिसमें विश्व की सबसे अधिक मानव प्रजातियां निवास करती हैं। अतः अमेरिका एक बहुप्रजातीय देश है। उक्त जनगणना सम्बंधी आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में एशियाई मूल के नागरिकों की संख्या पिछले 3 दशकों के दौरान तिगुनी से अधिक हो गई है और एशियाई मूल के नागरिकों के बीच भारतीय मूल के नागरिकों की जनसंख्या सबसे अधिक तेज गति से बढ़ रही है। आज 40 लाख भारतीय मूल के नागरिक अमेरिका में निवास कर रहे हैं जो अमेरिका की कुल आबादी का 1.2 प्रतिशत है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भारतीय मूल के नागरिकों का योगदान अतुलनीय है क्योंकि भारतीय मूल के नागरिकों की संख्या विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा (डॉक्टर) एवं साइंटिस्ट जैसे क्षेत्रों में बहुत तेजी से बढ़ रही है।

एशियाई मूल के नागरिकों के बीच में भारतीय मूल के नागरिकों का वेतन सबसे अधिक 123,000 अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष है। जो अमेरिका में निवास कर रहे समस्त नागरिकों के औसत वेतन 65,000 अमेरिकी डॉलर की तुलना में लगभग दुगना है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2030 तक एशियाई मूल के नागरिकों के बीच, भारतीय मूल के नागरिकों की संख्या चीन के नागरिकों की संख्या को पीछे छोड़कर पहिले नम्बर पर आ जाएगी। हालांकि, अभी भी जिन भारतीयों को एच-1बी वीजा प्रदान किए गए हैं एवं जिन्हें अभी अमेरिका की नागरिकता मिलना शेष है, ऐसे भारतीयों की संख्या अमेरिका में आज सबसे अधिक है। प्रतिवर्ष लगभग 55,000 से 60,000 की संख्या के बीच भारतीयों को एच-1बी वीजा प्रदान किया जाता है अर्थात उन्हें अमेरिका में अस्थायी तौर पर रहने की स्वीकृति प्रदान की जाती है।

हालांकि अमेरिका में भारतीय मूल के नागरिकों की संख्या अमेरिका की कुल आबादी का 1.2 प्रतिशत ही है, परंतु अमेरिका में भारतीय मूल के डॉक्टरों की संख्या अमेरिका में कुल डॉक्टरों की संख्या का 9 प्रतिशत है। अमेरिका में हर 7वें मरीज का इलाज भारतीय मूल के डॉक्टर द्वारा किया जाता है। अमेरिकी की सिलिकान वैली में भी भारतीय मूल के नागरिकों का दबदबा कायम हो गया है। सिलिकान वैली में कार्यरत प्रत्येक 10 तकनीकी कर्मचारियों में एक भारतीय मूल का है एवं अमेरिका में प्रारम्भ होने वाले प्रत्येक 3 स्टार्ट-अप में से एक स्टार्ट-अप को प्रारम्भ करने में भारतीय मूल के संस्थापक भी शामिल रहते है। अमेरिका में कुल स्थापित की गई टेक कम्पनियों में से 8 प्रतिशत कम्पनियों को भारतीय मूल के संस्थापक सदस्यों के सहयोग से स्थापित किया गया है।

अमेरिका में व्यावसायिक स्कूल एवं संस्थानों में भी भारतीय मूल के नागरिकों का दबदबा कायम हो गया है क्योंकि इन व्यावसायिक स्कूलों एवं संस्थानों में भारतीय मूल के नागरिक ही शिक्षा प्रदान करते हैं एवं इनमें कई संस्थानों के डीन अथवा प्रिन्सिपल के पदों पर भारतीय मूल के नागरिक ही आसीन हैं। इसी प्रकार बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थानों में भी भारतीय मूल के नागरिक ही उच्च पदों पर आसीन हो गए हैं। आज अमेरिका की कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी भी भारतीय मूल के नागरिक ही हैं। पिछले कुछ समय से भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों ने अमेरिका के राजनैतिक क्षेत्र में भी अपनी पैठ बनाना शुरू कर दिया है। वर्ष 2020 में भारतीय मूल के  लगभग 60 अमेरिकी नागरिकों ने स्टेट लेजिस्लेशन एवं अमेरिकी कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ा। इसके अतिरिक्त अन्य कई भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों ने स्थानीय स्तर पर भी चुनाव लड़े एवं इन चुनावों में विजय भी हासिल की।

अमेरिका में विशेष रूप से भारतीय मूल के नागरिकों ने बहुत अच्छी तरक्की की है। अमेरिका में भारतीय मूल के नागरिक इसलिए भी सफल हो रहे हैं क्योंकि वे 1990 के दशक में एक तो भारत से उच्च शिक्षा प्राप्त कर वर्क वीजा प्राप्त करने के उपरांत अमेरिका में आए थे अथवा वे  अमेरिका में उन क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से आए थे, जिन क्षेत्रों में उच्च कौशल की आवश्यकता है। इसलिए भारतीयों ने अमेरिका में शीघ्र ही अपना उच्च स्थान बना लिया क्योंकि अमेरिका को भी उच्च तकनीकी एवं उच्च कौशल प्राप्त नागरिकों की अत्यंत आवश्यकता थी, उस समय पर अमेरिका में सूचना प्रौद्योगिकी का क्षेत्र अपने पैर पसार ही रहा था। विशेष रूप से न्यूयॉर्क, सैनफ़्रांसिस्को, बॉस्टन एवं डैलस आदि शहरों में स्थापित टेक कम्पनियों में भारतीय मूल के नागरिकों ने अपने रोजगार प्रारम्भ किए, इन स्थानों में अच्छे स्कूल एवं अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं पूर्व में ही उपलब्ध थीं। अतः  भारतीय मूल के नागरिकों ने अपने परिवारों को अपने कार्य करने के स्थान के आसपास ही निवास में रक्खा इससे वे अपने बच्चों को अमेरिका में उच्च शिक्षा प्रदान करने में भी सफल रहे हैं।

हाल ही के समय में अमेरिका में रह रहे भारतीयों को अमेरिकी एच1बी वीजा, जिसके अंतर्गत   अस्थाई अवधि के लिए अमेरिका में कार्य किया जा सकता है, तो अधिक मात्रा में जारी किया जा रहा है। परंतु, भारतीयों को अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है जिसके चलते भारतीयों का रुझान अब अमेरिका की ओर कम होकर, कनाडा, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, जापान आदि अन्य विकसित देशों की ओर बढ़ता जा रहा है, इन देशों को भी भारतीय इंजिनीयरों एवं डॉक्टरों की बहुत अधिक आवश्यकता है। अमेरिकी प्रशासन को भारतीयों को इस सम्बंध में आ रही विभिन्न परेशानियों को दूर करने हेतु तुरंत कुछ उपाय करने चाहिए अन्यथा आगे आने वाले 4-5 वर्षों के दौरान अमेरिका में आने वाले उच्च शिक्षा एवं उच्च कौशल प्राप्त भारतीयों की संख्या कम हो सकती है।

उच्च कौशल प्राप्त भारतीयों मूल के नागरिकों की संख्या का  विकसित देशों में तेजी से बढ़ना यह भी संकेत देता है कि इन देशों के नागरिकों का भारतीय संस्कृति की ओर रुझान बढ़ रहा है क्योंकि इसी कारण के चलते वे भारतीय मूल के नागरिकों को लगातार उच्च पदों पर आसीन करते जा रहे हैं एवं भारतीय मूल के नागरिकों पर इन देशों के नागरिकों का अपार विश्वास निर्मित हो गया है। साथ ही, इन देशों के नागरिकों को अब यह आभास भी होने लगा है कि इन विकसित देशों में विशेष रूप से आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में निर्मित हुई कई समस्याओं का हल अब केवल भारतीय मूल के नागरिक ही निकाल सकते हैं, क्योंकि भारतीय सनातन संस्कृति के इतिहास में इस प्रकार की समस्याओं का कहीं पर भी जिक्र ही नहीं पाया जाता है।

– प्रहलाद सबनानी

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: american economyindian american citizensindians in usainternational tradenon residential indiansworld economy

हिंदी विवेक

Next Post
भारत की भूमिका के विस्तार का समय

भारत की भूमिका के विस्तार का समय

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0