भाजपा शासित राज्यों के चुनाव परिणाम-एक दृष्टि  

भारतीय जनता पार्टी आज दुनिया की सबसे बड़ी राजनितिक पार्टी है। साथ ही भारतीय जनता पार्टी भारत की एकमात्र ऐसी राष्ट्रीय पार्टी बन चुकी है जिसके संगठन का विस्तार देश के कौने-कौने में व्याप्त है।इसके अतिरिक्त भारतीय जनता पार्टी के पास प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जैसा अजेय नेता भी है जो न केवल भारत में बल्कि विश्व समुदाय में सबसे ज्यादा प्रभाव रखते हैं। इतना ही नहीं तो मई 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद से श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व कौशल्य एवं क्षमता के प्रति देश की जनता का भरोसा लगातार सर्वोच्च स्तर पर बना हुआ है। 
अपने कृतित्व, नवाचार, विजन और परिश्रम की पराकाष्ठा करने की वृत्ति के कारण आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की छवि विकास पुरुष, सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना करने वाले एवं भारत को विश्वगुरु के मार्ग पर आगे बढ़ाने वाले ऐसे नेता की बन गई है जिसके इर्द-गिर्द भी विपक्ष का कोई नेता खड़ा नहीं दीखता। इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम के बारे में उत्सुकता केवल इतनी भर है कि भारतीय जनता पार्टी को 2019 के मुकाबले कितने प्रतिशत ज्यादा वोट मिलते हैं और उसकी लोकसभा सीट में कितनी बढ़ोत्तरी होती है।
लेकिन राज्यों की विधानसभा चुनाव परिणाम के बारे में ऐसी आशावादिता नहीं की जा सकती। हाल ही में हुए हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव तथा म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन दिल्ली(MCD) के चुनाव परिणाम इसी ओर इंगित करते हैं। यहां चुनावी हार की समीक्षा करने का मेरा कोई इरादा नहीं है। लेकिन सामान्य जानकारी के अनुसार दोनों राज्यों में चुनावी हार के तीन प्रमुख कारण गिनाए जा सकते हैं। पहला, जनप्रतिनिधि/सरकार/MCD के कार्यों का जनता की अपेक्षाओं पर खरा  न उतरना दूसरा, जनप्रतिनिधियों का स्वयं को पार्टी से ऊपर समझना तथा तीसरा, पार्टी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं की संगठन के प्रति निष्ठा का स्तर गिरते जाना।
अब ये तीनों कारण कोई अजूबा भी नहीं कहे जा सकते। क्योंकि सत्ता का चरित्र ही कुछ ऐसा होता है। इसलिए सत्ता में रहते उन्हें पूरी तरह समाप्त भी नहीं किया जा सकता। लेकिन प्रभावी चैक और बैलेंस नीति अपना कर अपेक्षित लक्ष्य को साधना कोई मुश्किल भी नहीं है। सामान्य तौर पर देखा जाये तो अब तक देश के दो तिहाई राज्यों में कभी ना कभी भाजपा सरकार बन चुकी हैं। इनमे से कई  राज्य ऐसे हैं जहां जनता ने एक या एक से अधिक बार भाजपा सरकार रिपीट की हैं। लेकिन चुनिंदा राज्यों को अगर छोड़ दिया जाये ज्यादातर भाजपा सरकार जनता को बदलाव का अहसास करा पाने में असफल रहीं हैं। ऐसा क्यों होता है इस संबंध में प्रदेश एवं राष्ट्रिय स्तर पर भाजपा में व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत है।लेकिन एक बात स्पष्ट है कि सरकार आने पर  ज्यादातर विधायक और मंत्रीगण जनता से दूर होते चले जाते हैं। जिससे भाजपा की राज्य सरकार एवं विधायक दोनों के प्रति जनता में असंतोष पनपता है। समय रहते असंतोष का समाधान ढूंढने की कोई प्रक्रिया बनाने की आवश्यकता है।
दूसरे, कहा जाता है कि मजबूत संगठन के बलबूते पार्टी सत्ता में आती है न कि सत्ता के बलबूते मजबूत संगठन बनता है। इसलिए यह ध्यान रखना परमावश्यक हो जाता है कि सत्ता की चाह में पार्टी संगठन विधायकों के सामने बौना नजर न आये। जनप्रतिनिधि के नाते विधायक का सम्मान अपनी जगह है लेकिन विधायक को भी यह नहीं भूलने देना चाहिए की जनप्रतिनिधि चुने जाने में संगठन की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। कोई विधायक पहले पार्टी कार्यकर्ता है बाद में जनप्रतिनिधि, यह अवधारणा जितनी गहरी मन-मस्तिष्क में उतर जाएगी उतनी मात्रा में विधायक पार्टी अनुशासन की मर्यादा में बंधा रहेगा। फलस्वरूप टिकट वितरण के समय उपजी नाराजगी विद्रोह की सीमा तक नहीं पहुंच सकेगी। राजनीति में कार्यकर्ता का महत्वाकांक्षी होना शुभ लक्षण है। क्योंकि कार्यकर्ता को सतत सक्रिय बनाए रखने में महत्वाकांक्षा की अहम भूमिका होती है।बस, इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि महत्वाकांक्षा निज स्वार्थ की अदृश्य रेखा पार न कर पाए। इसके लिए जरूरी है कि भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता को भरोसा हो कि पार्टी में उसका भविष्य उज्जवल है। ऐसा भरोसा पैदा करना नामुमकिन भी नहीं है बशर्ते पार्टी संगठन हर कार्यकर्ता के लिए काम और हर काम के लिए कार्यकर्ता की समुचित व्यवस्था कर सके।
वैसे तो राजनीति की राह सर्पीली के साथ-साथ पर्याप्त रपटीली भी होती है।अतः कुछ भी 100 प्रतिशत दावे के साथ नहीं कहा जा सकता। फिर भी अनुभव के आधार पर कार्य योजना बनाकर अभीष्ट प्राप्त किया जा सकता है, किया जाता रहा है। राज्यों में फजीहत से बचने के लिए 2014 के बाद शूरु की गयी भारत सरकार की अप्रतिम कल्याणकारी योजनाओं एवं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ओजस्वी नेतृत्व का भरपूर लाभ चुनाव परिणाम में बदलने हेतु भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकारों को संकल्पबद्ध होकर जुटना होगा।
– अभिमन्यु कुमार, देहरादून, उत्तराखंड

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