5जी से बदल रही है सब की जिंदगी

देश में 5जी तकनीक ने दस्तक दे दी है। सूचनाओं के आदान-प्रदान के मामले में देश के करोड़ों उपभोक्ताओं को इस सुविधा का लाभ मिलेगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में यह तकनीक क्रांति ला सकती है, बशर्ते इसका प्रसार देशभर में हो जाए तथा यह लोगों की जेब पर बहुत ज्यादा भार न डाले।

पहली अक्टूबर 2022 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में दूरसंचार की पांचवीं पीढ़ी के रूप में जिस 5जी तकनीक का उद्घाटन किया था, तीन महीने बीतते-बीतते उसके बारे में खबर यह है कि यह सेवा अब भारत के 75 शहरों में पहुंच चुकी है। हालांकि परीक्षण (ट्रायल) के रूप में इस सेवा की शुरुआत देश के सबसे बड़े राज्यों में से एक उत्तर प्रदेश के छह शहरों में अगस्त 2022 से ही हो गई थी, लेकिन इसके लिए जरूरी स्पेक्ट्रम को मंजूरी मिलने और बड़े भूभाग में नेटवर्क स्थापित करने का काम इतना बड़ा है कि देश के हर कोने को इससे जोड़ने में मौजूदा यह पूरा साल (2023) व्यतीत हो जाएगा। इसके बावजूद तेज इंटरनेट और त्वरित मोबाइल नेटवर्क की सहूलियत को देखते हुए इन सेवाओं के लिए इतना इंतजार किसी को नहीं खलेगा, यह उम्मीद की जा सकती है। पर इस उम्मीद की नींव में है भारत में घटित हुई वह दूरसंचार क्रांति जिसने देश की आर्थिक तरक्की में महती भूमिका निभाई है।

यह हमने हाल में खास तौर से कोरोना वायरस से पैदा महामारी कोविड-19 के दौरान लगे देशव्यापी लॉकडाउन में देखा कि अगर कम्प्यूटर, मोबाइल और इंटरनेट जैसी तकनीकें नहीं होतीं और हमारी इनमें पकड़ न होती, तो हालात को सम्भालना शायद नामुमिकन हो जाता है। पर एक जमाने में लैंडलाइन वाले फोन से आगे बढ़कर 2जी और फिर 4जी तक मोबाइल-इंटरनेट की सहूलियतों के बल पर साकार हुई दूरसंचार क्रांति ने आम आदमी की जिंदगी में भी काफी फर्क ला दिया। कोरोना काल में तो यह बात और भी पुख्ता ढंग से साबित हुई कि दूरसंचार क्रांति के बल पर ऐसे-ऐसे काम घर बैठे सम्पन्न होने लगे, जिनके बारे में शायद अनुमान तक नहीं लगाया गया था। हमारे देश में चौथी पीढ़ी तक पहुंची मोबाइल-इंटरनेट सेवाएं साबित कर चुकी हैं कि अब कोई तरक्की संचार के भरोसेमंद नेटवर्क के बिना सम्भव नहीं है। लेकिन अब दूरसंचार की पांचवीं पीढ़ी यानी 5जी का दौर है। दावा है कि देश में पूरी तरह 5जी नेटवर्क स्थापित हो जाने पर मोबाइल और इंटरनेट ग्राहकों को मौजूदा 4जी के मुकाबले दस गुना ज्यादा तेज दूरसंचार सेवाएं मिल सकेंगी।

उल्लेखनीय है कि आज ब्रॉडबैंड (विशेषतः मोबाइल ब्रॉडबैंड) आम नागरिकों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। हमारे देश में वर्ष 2015 के बाद से 4जी सेवाओं का तेजी से विस्तार हुआ, जिससे डिजिटल कनेक्टिविटी का तेजी से विस्तार हुआ। इसी का नतीजा है कि आज देश में 80 करोड़ ग्राहकों की ब्रॉडबैंड तक पहुंच है। जबकि वर्ष 2014 में यह आंकड़ा महज दस करोड़ था। ऐसे में उम्मीद तो यही है कि अब हमारे देश में दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई के बाहर भी ज्यादातर मोबाइल और इंटरनेट उपभोक्ता 5जी सेवाओं का लाभ उठाने की हैसियत और स्थिति में होंगे। उल्लेखनीय है कि औद्योगिकीकरण के 250 से ज्यादा वर्षों में दुनिया को शायद ही किसी वैज्ञानिक आविष्कार या तकनीक ने इतना बदला हो, जितना कि इंटरनेट ने पिछले 40 से 50 वर्षों में बदल डाला है। यह आविष्कार कितना क्रांतिकारी, सहयोगी और साथ में मानव जीवन में दखल डालने वाला है, इसके कई उदाहरण हमारे सामने आ चुके हैं। इंटरनेट आज विकास के अपने सर्वोत्तम रूप में हमारे सामने है। हालांकि, अभी भी इसके कई आधुनिक संस्करण सामने आने हैं। विज्ञान के दायरे में जो एक बात अरसे से कही जाती रही है, वह यह है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। यह बात हालांकि अकेले विज्ञान के मामले में लागू नहीं होती, लेकिन दुनिया की तकनीक पर बढ़ती निर्भरता ने साबित कर दिया है कि इस्तेमाल बढ़ने और समय के साथ-साथ तकनीक पुरानी पड़ने लगती है। इसके बाद उसे बदलने या उसमें नई चीजें जोड़ने की आवश्यकता पैदा होती है।

एक वक्त था, जब देश में मोबाइल फोन तो क्या लैंडलाइन वाले साधारण फोन भी मुश्किल से मिलते थे। लेकिन वक्त बदला और लोगों के हाथ में मोबाइल फोन जैसी जादुई चीज आ गई, जिससे जब चाहे, जहां चाहे, बात हो सकती थी। असली करिश्मा तो तब हुआ, जब मोबाइल स्मार्टफोन में बदल गए और वे इंटरनेट से लैस हो गए। अब फोन से सिर्फ बात नहीं हो सकती थी, बल्कि सामने वाले का लाइव चेहरा वीडियो कॉलिंग से देखा जा सकता था और इंटरनेट से जुड़े सारे काम फोन से ही किए जा सकते थे। जैसे कि राह चलते फोन पर ही कोई सजीव प्रसारण, यहां तक कि फिल्म तक देखी जा सकती है। हालांकि यहां एक पेच इंटरनेट की गति का है। आज 5जी तकनीक के आ जाने से जहां एक फिल्म को फोन में सिर्फ 20 सेकेंड में डाउनलोड करके देखा जा सकता है, उसी फिल्म को पिछले यानी चौथी पीढ़ी के इंटरनेट (4जी) से डाउनलोड करने में छह मिनट लगते रहे हैं। मोटे तौर पर 5जी की गति 4जी से दस गुना तक ज्यादा है। यह गति 4जी पर 45 मेगा बाइट प्रति सेकेंड (एमबीपीएस) होती है, जो 5जी पर 1000 एमबीपीएस तक हो सकती है। आम तौर पर 5जी नेटवर्क 30 से 300 गीगाहर्ट्ज (ाळश्रश्रळाशींशी-ुर्रींश) स्पेक्ट्रम में काम करने की क्षमता रखता है। आवृत्ति ज्यादा होने के कारण इस नेटवर्क से कोई डेटा अधिक मात्रा में बहुत तेज गति से इसलिए भेज सकते हैं क्योंकि यह अपने आसपास के सिग्नल से बहुत कम प्रभावित होता है। ध्यान रहे कि 4जी में इंटरनेट की अधिकतम स्पीड प्रायः 1गीगाबिट्स प्रति सेकेंड मानी जाती है, जबकि 5जी की हाई बैंड स्पेक्ट्रम इंटरनेट की न्यूनतम स्पीड 20 जीपीबीएस (गीगाबिट्स प्रति सेकेंड) होती है।

रफ्तार और अनगिनत फायदों की सौगात

डेटा ट्रांसफर की गति बढ़ाने वाली इस क्रांति से बेशुमार फायदे होने वाले हैं, उनकी एक संक्षिप्त रूपरेखा हम इस तरह समझ सकते हैं। 5जी का सबसे बड़ा फायदा इंटरनेट की तूफानी गति के रूप में मिलता है। इसमें इंटरनेट (बेसिक डेटा ट्रांसफर) की स्पीड करीब 20 गीगाबिट्स प्रति सेकेंड तक हो सकती है। हालांकि इसमें आम उपभोक्ताओं को मिलने वाली गति करीब 10एमबीपीएस (मेगा बिट्स प्रति सेकंड) हो सकती है। फिर भी यह मौजूदा 4जी एलटीई नेटवर्क से 20 से 40 गुना तक तेज है। 5जी में कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल डिवाइसों को आपस में एक दूसरे से जोड़ना (कनेक्ट करना) आसान होगा। इससे दूर बैठे ऐसे सारे उपकरणों को कंट्रोल किया जा सकता है। जैसे दफ्तर से घर रवाना होने पर हम घर में लगे एसी, गीजर, टीवी आदि ऑन-ऑफ कर सकते हैं। जिस ड्राइवरलेस कारों को भविष्य में बड़ी उम्मीद से देखा जा रहा है, उनका संचालन 5जी तकनीक के जरिए ही सम्भव है। वर्चुअल रियलिटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकों का बेहतर इस्तेमाल 5जी नेटवर्क के जरिए ही सम्भव है। इंटरनेट से कार्यक्रमों का सजीव प्रसारण यानी ट्रू एचडी लाइव स्ट्रीमिंग 5जी से ही मुमकिन है। संदेशों का तेज आदान-प्रदान सम्भव होगा। 5जी के आने पर ट्रैफिक जाम की तरह नेटवर्क कंजेशन जैसी समस्या भी नहीं रहेगी। वर्तमान में हमारे देश में 4जी के उपभोक्ताओं की संख्या करोड़ों में है, जिससे इसके नेटवर्क पर भारी दबाव है लेकिन दावा है कि 5जी में यह समस्या नहीं रहेगी। ऑनलाइन गेमिंग में भी 5जी तकनीक चमत्कारिक ढंग से अंतर डालेगी। अब कोई गेम खेलते समय एक्शन तुरंत होगा। जैसे पब्जी जैसे गेम में फायर बटन दबाते ही फायर होगा क्योंकि इसमें बटन दबाने और एक्शन होने में एक माइक्रो सेकेंड से भी कम का वक्त लगेगा।

तकनीक के काम करने का आधार

5जी तकनीक एक तरह की वायरलेस कनेक्टिविटी है, जिसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम यानी रेडियो वेव्स (रेडियो तरंगों) का इस्तेमाल होता है। जाहिर है, 5जी तकनीक को जानने के लिए हमें रेडियो स्पेक्ट्रम के बारे में समझना पड़ेगा। सामान्य वैज्ञानिक परिभाषा के मुताबिक एक निश्चित समय अंतराल में कोई रेडियो तरंग जितनी बार खुद को दोहराती है, वह वेव फ्रीक्वेंसी कहलाती है। यह फ्रीक्वेंस हर्ट्ज में नापी जाती है। कोई रेडियो तरंग खुद को एक बार दोहराने में जितना समय लेती है, उसे उसकी वेवलेंथ कहा है। इसका अर्थ यह है कि जब तरंगों की फ्रीक्वेंसी को बढ़ाया जाता है तो उनकी वेवलेंथ कम होने लगती है। ऐसे में फ्रीक्वेंसी अधिक होने (या वेवलेंथ कम होने) पर तरंगें तेजी से एक से दूसरी जगह पर तो पहुंचती हैं लेकिन ज्यादा दूरी तक नहीं जा पाती हैं। इसकी वजह यह है कि वेवलेंथ कम होने की वजह से रेडियो तरंगें विभिन्न सतहों को भेद नहीं पाती हैं। इसके विपरीत फ्रीक्वेंसी कम और वेवलेंथ ज्यादा होने पर रेडियो तरंगें कम गति होने पर भी ज्यादा दूरी तय कर सकती हैं। इस परिभाषा को मोबाइल नेटवर्क के संदर्भ में देखें, तो कह सकते हैं कि 1जी, 2जी, 3जी सेवाओं में 4जी की तुलना में लोअर फ्रीक्वेंसी बैंड पर इंटरनेट उपलब्ध होता है। इसलिए 1जी, 2जी, 3जी की स्पीड कम लेकिन कवरेज ज्यादा होता है। यही वजह है कि दूर-दराज के इलाकों में धीमी रफ्तार की 2जी या 3जी इंटरनेट कनेक्टिविटी आसानी से मिल पाती है। लेकिन 4जी सेवाओं में अपेक्षाकृत हायर फ्रीक्वेंसी बैंड पर इंटरनेट उपलब्ध होता है जिससे  तेज कनेक्टिविटी तो मिलती है लेकिन सुदूर इलाकों या बंद कमरों में कई बार 4जी कवरेज नहीं मिल पाता है। इस कारण कई बार ऐसा होता है जब बंद कमरों या बेसमेंट में मौजूद होने पर 4जी तकनीक वाले मोबाइल फोन पर बात नहीं हो पाती है। लेकिन 5जी तकनीक में इन सारी दिक्कतों का हल है।

कैसे बदलेगी हमारी जिंदगी

वैसे तो लगता यह है कि दूरसंचार की नई पीढ़ियों यानी 5जी या 6जी में इंटरनेट के पहुंचने से जो अधिकतम लाभ है, वह सूचना, खेल और मनोरंजन के क्षेत्र में होगा। कोई भी सूचना हमें पलक झपकते ही मिलने लगेगी और खेलों व फिल्मों आदि के सजीव प्रसारण देखने का आनंद कई गुना बढ़ जाएगा क्योंकि उसमें लगने वाला समय तकरीबन शून्य हो जाएगा। कह सकते हैं कि बफरिंग लगभग खत्म हो जाएगी, जिसका अभिप्राय है कि जिस वक्त कोई घटना हो रही होगी, लगभग उसी वक्त लोग स्मार्टफोन या स्मार्ट डिवाइसों पर देख सकेंगे- बशर्ते उसका सजीव प्रसारण किया जा रहा हो और दर्शक अपने फोन आदि से उस प्रसारण से सम्बद्ध हों। लेकिन दूरसंचार की पांचवीं पीढ़ी (5जी) का महत्व इतना भर नहीं है। बल्कि इसे फाइलों को डाउनलोड करने, अपलोड करने, उनके आदान-प्रदान यानी ट्रांजेक्शन आदि से भी आगे के फायदों के रूप में देखा जा रहा है। मोबाइल इंटरनेट की गति बढ़ाने वाली 5जी तकनीक असल में कई उपकरणों के स्वचालितीकरण यानी ऑटोमेशन को नए पंख देने में मददगार हो सकती है, जिससे रोबोटिक्स और ओआईटी यानी इंटरनेट ऑफ थिंग्स के क्षेत्र में अभूतपूर्व तेजी देखने को मिल सकती है। देश के कारोबार, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि जैसे तमाम क्षेत्रों में जिस ऑटोमेशन की बात की जा रही है और जिससे देश के विकास की तस्वीर बदलने की उम्मीद लगाई जा रही है- वह सब कुछ 5जी के करिश्मे के साथ क्रांतिकारी ढंग से लागू हो सकता है और तब तकनीक के वास्तविक लाभ शहरों से निकलकर गांव-देहात के लोगों के हाथों में पहुंच सकते हैं। इकोनॉमी और ई-गवर्नेंस की जो बातें अब तक की जाती रही हैं, उनमें तेज तरक्की भी 5जी तकनीक के लागू होने से सम्भव है।

इंटरनेट से संचालित होने वाली अगली पीढ़ी की जो तकनीकें तैयार हो चुकी हैं, उन्हें चलाने के लिए अब 5जी की जरूरत है, जहां अपेक्षित स्पीड मिल सकती है। इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। जैसे यदि आप ड्राइवरलेस यानी खुद चलने वाली कार से सफर कर रहे हों तो इंटरनेट की गति में एक सेकेंड का व्यवधान भी दुर्घटना करा सकता है। ऐसे में किसी भी देश में 4जी की मदद से ड्राइवरलेस कारों के संचालन के बारे में नहीं सोचा जा रहा है। यह काम 5जी नेटवर्क में ही सम्भव हो सकता है। मोटे तौर पर 5जी या फिफ्थ जेनरेशन टेक्नीक को हम ब्रॉडबैंड सेल्युलर नेटवर्क की वह तकनीक कह सकते हैं जो मौजूदा सबसे तेज सेल्युलर इंटरनेट कनेक्टिविटी यानी 4-जी (असलियत में 4जी-एलटीई यानी फोर्थ जेनरेशन लॉन्ग टर्म इवॉल्यूशन) की जगह लेगी। यानी 5जी तकनीक के साथ एक नए तरह की वायरलेस कनेक्टिविटी का समय शुरू होने जा रहा है जिसकी स्पीड इतनी होगी कि घटनाओं के घटने और उनकी सूचना पहुंचने के बीच लगने वाला समय न के बराबर होगा। इसका बड़ा लाभ यह होगा कि 5जी के जरिए न सिर्फ अभी की तरह लोग आपस में जुड़े होंगे बल्कि डिवाइसेज और मशीनें भी आपस में कनेक्ट होंगी और आपस में लगभग रियल टाइम में संवाद कर सकेंगी। इस तरह जल्द ही घर (स्मार्ट होम), कार (ड्राइवरलेस कारें), मोबाइल और घरेलू उपकरणों जैसी तमाम चीजों के आपस में कनेक्ट होने वाले जिस स्मार्ट युग की अभी हम बातें ही करते हैं, उन सभी को 5जी तकनीक साकार करने वाली है। शर्त यही है कि 5जी सेवाएं जल्द से जल्द पूरे देश को मिलें और इसकी दरें आम लोगों की पहुंच से बाहर न हों।

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