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नटवरलाल से भी खतरनाक नेटवर्क के लाल

नटवरलाल से भी खतरनाक नेटवर्क के लाल

by हिंदी विवेक
in तकनीक, फरवरी २०२३, विशेष
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हमारे आसपास के न जाने कितने लोग ऑनलाइन ठगी के शिकार होते रहते हैं। फिर भी ठगों को नित नए बकरे मिलते जाते हैं। कारण साफ है, वे हमारे अंदर छिपे लालच से खेलते हैं। इसलिए आवश्यक हो जाता है कि किसी भी जालसाजी की इन घटनाओं से बचने के लिए अपनाए जाने वाले सभी सावधानियों पर ध्यान दें तथा ब्लूटूथ जैसे ऐप हमेशा बंद रखें।

आज जहां हम लोग डिजिटल दुनिया में सभी सुविधाओं का लाभ घर बैठे आसानी से ले पाने में सक्षम हो चुके हैं, वहीं इस बात को नहीं नकारा जा सकता कि हमें साइबर दुनिया के नकारात्मक प्रभावों का भी सामना करना पड़ा है। आज हम हर सुविधा का लाभ अपने मोबाइल फोन पर एक क्लिक करते ही प्राप्त कर लेते हैं और ऐसे में ऑनलाइन सेवाओं का आनंद लेते-लेते कब हमें साइबर ठगी का सामना करना पड़ जाए कौन जानें? ऑनलाइन घोटालों का बहुत बड़ा उद्योग है। इसे पकड़ना भी मुश्किल है। धोखाधड़ी के शिकार इतना शर्मसार हो जाते हैं कि ज्यादातर मामलों में अपराध दर्ज ही नहीं कराया जाता है। सच तो यह है कि ज्यादातर बार रिपोर्ट दर्ज कराने का भी फायदा नहीं होता है। कारण है कि ठग नकली पहचान का उपयोग करते हैं। टेक्नोलॉजी ने ग्रुप ईमेलिंग तकनीक के जरिए लोगों तक पहुंचना आसान बना दिया है। जालसाज इस तकनीक के बूते न केवल पहचान छुपाकर नकली ईमेल और वेबसाइट बना लेते हैं, बल्कि पूरी दुनिया में बहुत कम खर्च में बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच जाते हैं।

ज्यादातर इस फ्रॉड को महसूस करने के बाद भी हम नुकसान की आशंका को नजरअंदाज करते हैं। हम अपनी गलती को मान नहीं पाते हैं। इसलिए घोटालेबाज से इस उम्मीद में बात करते रहते हैं कि शायद कुछ हाथ लग जाए। ठगों को बखूबी पता होता है कि वे क्या कर रहे हैं। वे खूब जानते हैं कि हम बगैर सोचे-समझे कैसे फैसले कर लेते हैं। इसी का फायदा वे उठाते हैं। उदाहरण के लिए जालसाजों को पता होता है कि डर पैदा करने के लिए ‘अथॉरिटी’ से मेल भेजना चाहिए। इसके लिए वे पुलिस, सरकार, टैक्स अधिकारी का मुखौटा लगा लेते हैं। दहशत पैदा करने के लिए चेतावनी दी जाती है कि आपका बैंक खाता बंद किया जा रहा है। या फिर डेबिट कार्ड ब्लॉक किया जा रहा है। इससे तुरंत आपका ध्यान चला जाता है। अथॉरिटी का नाम, पद और हस्ताक्षर इस्तेमाल करके आपको ईमेल खोलने के लिए फंसाया जाता है। यहीं से आपके फंसने की शुरुआत हो जाती है।

कभी-कभी फर्जी कॉल करके आपको कम खर्च पर मोटा मुनाफा बनाने का लालच दिया जाता है। जब आपको फोन कॉल पर बताया जाता है कि आपने पुरस्कार जीता है या आपको इसके लिए चुना गया है तो जाने लें कि आपके लिए जाल बिछाया जा रहा है। आप भी खुश होकर कॉलर से जुड़े रहते हैं। इससे ठगों को आपको बार-बार कॉल करने का मौका मिलता है। फिर आपको उससे न कहने में हिचक महसूस होने लगती है। आप दो-टूक नहीं कह पाते हैं कि आप आगे बात नहीं करना चाहते हैं। इस तरह से जाल मजबूत होता जाता है। इसके अलावा ब्रह्मास्त्र की तरह कभी न चूकने वाली एक चाल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इसमें जालसाज अर्जेंसी पैदा करते हैं, यानी आपको तुरंत कोई काम करने के लिए राजी किया जाता है। उदाहरण के लिए आपको एक कॉल आती है। इसमें वेकेशन मनाने के लिए आकर्षक डील की पेशकश की जाती है। शर्त रखी जाती है कि यह डील कुछ समय में ही खत्म हो जाएगी। सो, तेजी से फायदा उठा लें। नहीं तो मौका गंवा देंगे। इनके अलावा डेटिंग साइट पर ठगी के किस्से भी कम नहीं हैं। अभी कुछ समय पहले एक व्यक्ति को फोन करके बिना ओटीपी मांगे ब्लूटूथ हैक कर उसके अकाउंट से 90 लाख निकाल लिए गए थे। यानी हर समय ब्लूटूथ ऑन रखना भी खतरे से खाली नहीं यह गया है।

एक बेहतर साइबर ठग अपनी साइबर क्राइम की जड़ें बहुत ही आसानी से दुनिया के किसी एक कोने में बैठे-बैठे बहुत दूर-दूर तक फैला सकता है। जैसे कि अमेरिका, लंदन, पाकिस्तान या बांग्लादेश में बैठा हुआ एक व्यक्ति आपकी जेब से यानी कि आपके बैंक के खाते से सारी की सारी रकम को निकाल सकता है। शुरुआती दौर में जब इस तरह की घटनाएं सामने आई तो किसी को इसका कोई भी पता नहीं था इसलिए लोग आसानी से इनके शिकार बन जाते थे। धीरे-धीरे सीरियल और फिल्मों में इसे दिखाया गया जिससे कुछ लोगों को इसका काफी ज्ञान हो गया। लेकिन उस ज्ञान के बावजूद भी लोगों में अभी तक पूरी तरह से सतर्कता नहीं आई है। कारण साफ है। ज्यादातर मामलों में व्यक्ति लालच का शिकार बनता है।

ऐसा भी नहीं है कि वे आपसे ज्यादा पढ़े लिखे होते हैं। बस वे आपकी लालच, भावनाओं या डर से खेलने की कोशिश करते हैं। इसलिए सबसे पहला सवाल यही उठता है कि हम क्या बचाव कर सकते हैं? सबसे पहली बात है कि हम अपने व्यवहार को बदलें। जिस तरह से हम प्रतिक्रिया करते हैं, उसमें बदलाव करें। अनुभवों के आधार पर हम कई चीजें सीखते हैं। मसलन, हम सड़क पर चलते हुए होर्डिंग्स को देखने से परहेज करते हैं, अजनबी के लिए दरवाजा नहीं खोलते हैं। सह-यात्रियों से अपने रहने के स्थान को साझा नहीं करते हैं। ये बातें जेहन में इतना घुस चुकी हैं कि अपने-आप हमसे यह हो जाता है। ठगी से बचने के लिए भी हमें इसी तरह की ट्रेनिंग की जरूरत है।

अपने मन में गांठ बांध लीजिए कि आपका बैंक, कार्ड प्रोवाइडर या टैक्स अथॉरिटी आपको फोन पर ब्योरा देने या मेल पर लिंक क्लिक करने के लिए कभी नहीं कहेंगे। इस तरह के ईमेल न खोलने की आदत बनाएं, फिर भले ये कितने भी प्रामाणिक दिखते हों। कोई भी कदम उठाने से पहले इसके बारे में किसी जानकार से राय-मशविरा जरूर करें। कोई डील कितनी भी सही क्यों न दिख रही हो, पेमेंट करने से पहले वेबसाइट की विश्वसनीयता जांच लें। फिजूल ईमेल को ट्रैश में डालते रहें। अजनबियों के फोन डिस्कनेक्ट कर दें। तमाम सावधानियां बरतने के बावजूद आप यदि किसी भी प्रकार की ऑनलाइन ठगी का शिकार हो जाएं तो उसकी शिकायत साइबर क्राइम पोर्टल की ऑफिसियल वेबसाइट cybercrime.gov.in पर अवश्य करें। इसके अतिरिक्त आप चाहें तो गृह मंत्रालय द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर अपने साथ हुई ऑनलाइन ठगी की शिकायत कर सकते हैं।  आप इसके अतिरिक्त 1930 नंबर पर कॉल कर भी आनलाइन फ्रॉड की शिकायत कर सकते हैं।

– आनंद मिश्रा

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Tags: cyber crimeemailfake callsonline fraudwebsite

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