स्वतंत्रता आन्दोलन में बनारस की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं का योगदान

स्वआन्दोलन के दौरान समाज जागरण में समाचार पत्रों की प्रमुख भूमिका रही। अगर बात उत्तर प्रदेश के पूवार्ंचल की हो बनारस (काशी) पत्रकारिता का गढ़ रहा है। यहॉं के लोगों ने निर्भीक रूप से ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कलम चलाई और समाज को पत्रकारिता के जरिये नवजागृत भी किया। इस दौरान सिर्फ गंभीर पत्रकारिता ही नहीं बल्कि उसके सभी आयामों पर कलम चले। जैसे- व्यंग्य, महिलाओं से जुड़ी पत्रिकाएं, बच्चों पर आधारित पत्रिकायें भी लोगों की पहुंच में थी। समाचार पत्रों में दैनिक सूचानाओं के साथ गंभीर लेख, साहित्य से जुड़े लेख, अग्रलेख, संपादकीय छपते थे।

१८४५ में राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द ने काशी से पहला समाचार पत्र ‘बनारस अखबार’ निकला  था। यह समाचार पत्र पत्रकारिता के मूल्यों से कुछ अलग हटकर ब्रिटिश हुकूमत के बारे में लिखता था। साथ ही हिन्दी अखबार होते हुए भी इसके लेखों में अरबी तथा फारसी शब्दों का प्रयोग होता था। १८५० में समाचार पत्र ‘ सुधाकर’ का प्रकाशन तारामोहन मित्र के संपादन में शुरू हुआ। इसके बाद के वर्षों में कई पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हुआ लेकिन वे ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पायीं। बनारस की पत्रकारिता में अहम योगदान देने वाले साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र न १८६७ में ‘ कवि वचन सुधा’ मासिक पत्रिका निकालना शुरू किया। कुछ ही समय में यह पत्रिका काफी लोकप्रिय हो गयी। इसके बढ़ते प्रसार को देखते हुए इसे साप्ताहिक कर दिया गया। वहीं, पत्रकारिता के हर पहलुओं को छूने के लिए भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने महिलाओं से जुड़ी पत्रिका ‘बालाबोधिनी’ १८७४ में निकाली। इसी बीच संस्कृत भाषा की पत्रिका ‘पण्डित’ का भी प्रकाशन भी हुआ, जो काफी लोकप्रिय हुई। १८७३ में भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने एक और पत्रिका ‘हरिश्चन्द्र मैगजीन’ का प्रकाशन शुरू किया। जिसका नाम १८७४ में बदलकर ‘हरिश्चंद्र चन्द्रिका’ कर दिया गया। इसके अतिरिक्त भारतेन्दु जी ने ‘भगवत भक्ति तोषिणी’ और ‘वैष्णव तोषिणी’ मासिक पत्रों को निकालकर पत्रकारिता के नये आदर्श गढ़े। १८८२ में ‘ बनारस समाचार’ और ‘नवजीवन’ का प्रकाशन हुआ। यह दोनों पत्र साप्ताहिक थे और यूरोपीय व्यवस्था के विरोध में आवाज बुलंद कर रहे थे। १८८४ में एक और सरकार समर्थित पत्र‘भारत जीवन’ का प्रकाशन शुरू हुआ। यह पत्र साप्ताहिक था। धर्म आधारित समाचार पत्र १८८८ में सनातन धर्म से प्रेरित मासिक पत्र ‘धर्म प्रचारक’ को राधाकृष्ण दास और ‘धर्मसुधावर्षण’ को कुल यशस्वी शास्त्री ने संपादित किया। १८९० में ‘सरस्वतीविलास’ और १८९१ में ‘नौकाजगहित’ पत्र भी निकाले गये। १८९२-९३ में ‘ब्राह्मण हितकारी’, ‘व्यापार हितैषी’ और ‘सरस्वती प्रकाश’ जैसे पत्रों का प्रकाशन हुआ। इसी दौरान ‘गो सेवा’ नामक समाचार पत्र भी पाठकों के बीच आया। १८९४ में ‘भारत भूषण’ साप्ताहिक समाचार पत्र रामप्यारी जी के

संपादन में निकला। १८९५ में पत्रकारिता को समृद्ध करने की कड़ी में ‘प्रश्नोत्तर’ को भिखारीशरण ने और ‘कुसुमांजलि’ को बाबू बटुक प्रसाद ने निकाला। १८९६ में नागरी प्रचारिणी सभा की ओर से ‘नागरी प्रचारिणी पत्रिका’ बाबू श्यामसुन्दर दास के संपादन में प्रकाशित हुई। यह पत्रिका वर्तमान में भी प्रकाशित होती है। पण्डित समाज की ओर से १८९८ में ‘पण्डित’ पत्रिका शुरू हुई। १९०१ में मासिक पत्र ‘मित्र’ का प्रकाशन बाल मुकुन्द वर्मा और ‘वाणिज्यसुखदाय’ को जगन्नाथ प्रसाद ने संपादित किया। १९०५ में ‘भारतेन्दु इतिहासमाला’ और ‘सनातन धर्म’ पत्रों का प्रकाशन हुआ। ये तीनों पत्र मासिक थे। १९०६ में ‘बालप्रभाकर’ और ‘उपन्यास’ मासिक पत्र को किशोरी लाल गोस्वामी ने निकाला। गंभीर पत्रकारिता से इतर इसी वर्ष हास्य पत्रिका ‘विनोद वाटिका’ भी निकली। १९०९ में ‘क्षत्रियमित्र’ समाचार पत्र लाल सिंह गाहड़वाल के संपादन में निकला। ‘इन्दु’ नामक पत्रिका का प्रकाशन भी इसी वर्ष से हुआ। इसके संपादक अम्बिका प्रसाद थे। १९१० में जातीय पत्र ‘त्रिशूल’ और‘नवजीवन’ का प्रकाशन शुरू हुआ। इस दौरान बहुत से ऐसे पत्र भी रहे जो ज्यादा दिनों तक प्रकाशित नहीं हो पाये। १९१३ में नारायण गर्देके संपादन में ‘नवनीत’ का प्रकाशन शुरू हुआ। पत्र-पत्रिकाओं के इस क्रम में १९१४ में ‘तिमिरनाशक’ को कृष्ण राय बिहारी सिंह तथा दामोदर सप्रे ने ‘मित्र’ साप्ताहिक पत्रों को प्रकाशित किया। इन पत्रों में आम लोगों से जुड़ी हुई कई खबरें प्रकाशित होती थीं। काशी से १९१५ से १९२० के मध्य कई समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं का प्रकाशन हुआ। उसमें प्रमुख रूप से ‘ओदुम्बर’ और ‘कालिन्दी’ रही। दैनिक समाचार पत्र ‘आज’का प्रकाशन १९२० में जन्माष्टमी के दिन शुरू हुआ। इसे शिव प्रसाद गुप्त ने निकला। इस सम्मानित अखबार के पहले संपादक ओम प्रकाश रहे। कुछ समय बाद यशस्वी पत्रकार बाबू विष्णूराव पराड़कर इस समाचार पत्र के संपादक हुए। इस समाचार पत्र की काशी सहित अन्य स्थानों पर बड़ी ख्याति रही। कुछ वर्षों बाद ही अपने प्रकाशन का शताब्दी वर्ष मनाने जा रहे इस समाचार पत्र की वर्तमान में स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। १९४२ में स्वतन्त्रता आंदोलन की लड़ाई को बल देने के लिए पराड़कर जी एवं कमलापति त्रिपाठी ने मिलकर ‘खबर’मासिक पत्र निकाला। १९४३ में पराड़कर जी ने ही ‘संसार’ दैनिक पत्र का संपादन किया। स्वतन्त्रता के पहले निकले लगभग हर समाचार पत्र आजादी की लड़ाई को गति देने, जनता को जगाने एवं सामाजिक बुराइयों को इंगित करने पर जोर देते थे। काशी से १९२१ में ‘मर्यादा’ पत्र प्रकाशित हुआ। इसके संपादक सम्पूर्णानंद थे। कुछ समाचार पत्र जो ब्रिटिश हुकूमत की खुलकर खिलाफत करते थे वे भूमिगत निकले। इन पत्रों में ‘रणभेरी’,‘तूफान’एवं ‘शंखनाद’ समाचार पत्र १९३० में प्रकाशित हुए। इसी दौरान मासिक पत्रिका ‘कमला’ का प्रकाशन भी शुरू हुआ। यह पत्रिका महिलाओं में काफी लोकप्रिय हुई। १९३९ में ‘सरिता’, ‘सुखी बालक’ पत्रिकाएं भी निकाली गईं। ‘नारी’ पत्रिका का प्रकाशन इसी वर्ष हुआ। यह पत्रिका भी महिलाओं पर आधारित थी। इसके बाद कई और समाचार पत्र जैसे- ‘ग्राम संसार’, ‘एशिया’, ‘किसान’, ‘नया जमाना’, ‘गीताधर्म’, ‘चिंगारी’, ‘चित्ररेखा’, ‘धर्मदूत’,‘धर्मसंदेश’, ‘सात्विक जीवन’, ‘युगधारा’ पत्र-पत्रिकाएं निकाली। १९४७ में ‘सन्मार्ग’ साप्ताहिक समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू हुआ। मूर्धन्य साहित्यकार प्रेमचंद्र ने साहित्यिक पत्रिका ‘हंस’ का प्रकाशन शुरू किया। साहित्य से ओत-प्रोत यह पत्रिका काफी लोकप्रिय हुई। स्वतन्त्रता के बाद काशी में कई समाचार पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हुआ। स्वतन्त्रता के पूर्व जहां पत्रकारिता मिशन थी वहीं, उसके बाद मिशन के साथ प्रोफेसन भी हो गई है।

वर्तमान में काशी से सैकड़ों पत्र-पत्रिकाएं निकल रही हैं। लेकिन प्रमुख रूप से दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, आज, राष्ट्रीय सहारा, जनवार्ता, काशीवार्ता, काशी सन्देश, नवभारत टाइम्स, जनसंदेश टाइम्स दैनिक समाचार पत्र है। वहीं सान्ध्यकालीन पत्रों में गान्डीव एवं सन्मार्ग समाचार पत्र प्रमुख हैं।

वर्तमान में काशी से कई अंग्रेजी अखबार भी निकलते हैं उनमें प्रमुख रूप से टाइम्स ऑफ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स एवं पायनियर है।

Leave a Reply