जुनैद नासिर हत्याकांड को लेकर निर्मित हो रही पूरी तस्वीर पहली दृष्टि में हमें हैरत में डालती है। सामान्य तौर पर ऐसा नहीं हो सकता कि मोटरवाहन में जलाकर किसी को मार दिया जाए और उसके आरोपी के पक्ष में धीरे-धीरे विशाल जनसमूह खड़ा हो। आप देख लीजिए राजस्थान पुलिस द्वारा इस हत्याकांड में नामजद आरोपियों मोनू मानेसर से लेकर श्रीकांत आदि के पक्ष में जगह-जगह सभाएं हो रही हैं, पंचायतें बैठ रही हैं, लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, अधिकारियों को ज्ञापन दिया जा रहा है…। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक केवल एक आरोपी फिरोजपुर झिरका के रिंकू की गिरफ्तारी हुई है। शेष अन्य आरोपियों मोनू मानेसर, श्रीकांत मरोड़ा , अनिल मुलथान, पलवल आदि पुलिस की पकड़ से बाहर है। जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है उसमें ऐसा लग रहा है कि इन्हें हरियाणा की किसी स्थान से गिरफ्तार किया गया तो विरोध में लोग कानून हाथ में लेने की कोशिश कर सकते हैं। लोगों की एक ही मांग है कि मामले की जांच राजस्थान पुलिस की जगह सीबीआई करे।
कहा जा रहा है कि आरोपी राजस्थान पुलिस के सामने समर्पण नहीं करेंगे। सीबीआई के सामने अवश्य जा सकते हैं। सामान्य तौर पर प्रश्न किया जाएगा कि कोई व्यक्ति जिंदा जलाकर मार दिया जाए और जिन पर हत्या का आरोप लगे उसके पक्ष में इतने लोग कैसे खड़े हो सकते हैं? मामला मुसलमानों की हत्या का है और आरोपी हिंदू हैं,इसलिए इसमें सांप्रदायिक भावना भी तलाशी जानी स्वभाविक है। चूंकी हरियाणा में भाजपा की सरकार है, इसलिए यह भी कहा जा सकता है कि जानबूझकर सत्तारूढ़ पार्टी सारी हरकतें करवा रही है। वैसे भी विश्व हिंदू परिषद पहले दिन से हत्याकांड को लेकर आक्रामक है और नामजद गोरक्षकों के साथ खड़ी है। विहिप के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने घटना की खबर आते ही पत्रकार वार्ता आयोजित कर सीबीआई जांच कराने की मांग कर दी।
पूरा मामला विहिप से लेकर भाजपा के इर्द-गिर्द खड़ा किया जाना आसान है। पर क्या यही सच भी हो सकता है? आइए घटना को देखें । घटना अत्यंत भयावह है । 16 फरवरी को हरियाणा के भिवानी जिले के लोहारू के गांव बारबास में एक बोलेरो जली हुई हालत में मिली, जिसमें कंकाल पड़े थे। देखने वालों का कहना था कि इसमें किसी को जिंदा जला दिया गया है। बाद में बताया गया कि राजस्थान में भरतपुर जिले के गांव घाटमीका के जुनै और नासिर को उस बोलेरो में जलाकर मारा गया है। बोलेरो की पहचान होने के बाद राजस्थान के भोपालगढ़ थाने में जुनैद और नासिर के रिश्तेदार इस्माइल ने शिकायत दर्ज कराई जिसमें पांच लोगों के विरुद्ध पहले अपहरण का मामला दर्ज किया गया और बाद में हत्या की धाराएं भी जोड़ दी गई। अब यह संख्या 8 हो गई है। राजस्थान पुलिस स्वाभाविक ही सक्रिय हुई। राजस्थान पुलिस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि भरतपुर से जुनैद और नासिर बोलेरो से भिवानी तक कैसे पहुंचे? अगर उनका अपहरण किया गया जैसा परिवार के लोग बता रहे हैं और उनकी बेरहम पिटाई की गई थी जिससे वे बुरी हालत में थे तब भी इतनी दूरी तक चले गए यह गले नहीं उतरता। इतना कुछ हो गया और पुलिस की नजर में आया ही नहीं! हरियाणा पुलिस भी प्रश्नों के घेरे में है। वैसे अभी तक ना गाड़ी और कंकाल की फॉरेंसिक जांच हुई है और ना डीएनए टेस्ट ही। इससे अभी यह कहना कठिन है कि गाड़ी कैसे चली? कंकाल जुनैद और नासिर के ही थे यह भी कानूनी रूप से सत्यापित होना शेष है।
यह बात साफ हो गई है कि जुनेद और नासिर अवैध गोवंश के व्यापार में संलिप्त थे। वे गोवंश खरीद कर इधर से उधर ले जाने बेचने जैसे हिंदुओं के लिए असहनीय अपराध करते थे। जुनेद के विरुद्ध आने दर्ज मामले सामने आए हैं जिनमें अलवर जिले के लक्ष्मणगढ़ भरतपुर जिले के पहाड़ी सीकरी व नगर पुलिस थाने तथा घाटमीका पुलिस चौकी के मामले शामिल है। नासिर के बारे में दर्ज मामले सामने नहीं आए हैं किंतु गो वंश के गैर कानूनी और नृशंस व्यापार पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि वह भी अपराधी था।जुनेद और नासिर ही नहीं गोवंश अवैध व्यापार के अपराध में मैं शामिल अन्य लोगों की भी दोनों प्रदेशों के गौ रक्षक दलों के साथ अनेक बार मोर्चाबंदी हो चुकी है। इस कारण तनातनी भी रहती थी। मोनू मानेसर सहित कई गौ रक्षकों के बारे में इनके साथियों और परिजनों की पूरी जानकारी थी। लेकिन प्रश्न उठता है कि जुनैद और नासिर की मोनू मानेसर और अन्य नामजद आरोपियों ने ही बोलेरो में जलाकर मार डाला इसकी जानकारी परिवार को कैसे मिल गई ? खबर आते ही ये लोग कैसे नाम लेकर कहने लगे कि वही आप आराम कर ले गए थे और उन्होंने ही मारा है? अगर अपहरण हुआ तो पहले पुलिस में शिकायत दर्ज क्यों नहीं कराई गई? ऐसे अनेक प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते।
कोई शिकायत करने आएगा तो पुलिस के पास प्राथमिक लिखने के अलावा कोई चारा नहीं होगा। किंतु इनकी बात को शत प्रतिशत सच कैसे माना जा सकता है? राजस्थान पुलिस की जांच कहां तक पहुंची किसी को नहीं पता। आरोपियों की तलाश करना, छापा मारना, उनके परिजनों से जानकारी लेना आदि समझ में आता है। पुलिस को अपने स्तर से भी इसकी जांच करनी चाहिए कि आरोप लगा रहे हैं उनमें सच्चाई है भी या नहीं? राजस्थान पुलिस पर आरोपी श्रीकांत की पत्नी कमलेश और उसकी मां की पिटाई का आरोप लगा है। कमलेश की पत्नी गर्भवती थी। उसका बच्चा गर्भ में मर गया। आरोप है कि पुलिस की मार से ही बच्चा मरा है। हालांकि परिजनों ने बच्चे को दफना दिया था लेकिन पोस्टमार्टम के लिए उसे फिर बाहर निकाला गया और पोस्टमार्टम के बाद फिर दफनाया गया। कमलेश बहुत बुरी दशा में अस्पताल में भर्ती है। राजस्थान पुलिस कह रही है की वह हरियाणा पुलिस के साथ गई थी और पूछताछ के बाद चली गई। तो कमलेश की बुरी हालत का कारण क्या है? इसकी भी जांच होनी चाहिए। मेवात के सिविल सर्जन का बयान है कि 18 फरवरी की सुबह करीब 4:15 बजे कमलेश को डिलीवरी के लिए जिला नागरिक अस्पताल मांडीखेरा लाया गया था। जांच के बाद उसे लगभग 7:30 बजे ऑपरेशन के लिए शहीद राजा हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज नल्हार रेफर कर दिया था। जांच के बाद पता चलेगा कि सच क्या है।
कुल मिलाकर बोलेरो के अंदर कंकाल मिलना दिल दहलाने वाली घटना है।पूरा सच सामने आना ही चाहिए। अगर वाकई बोलेरो में जलाकर मारा गया तो इसके अपराधियों को निसंदेह सजा मिले। बावजूद इस घटना को जैसा बताया जा रहा है वैसा तब तक स्वीकार करना कठिन है जब तक विश्वसनीय जांच से इनकी पुष्टि ना हो जाए। जुनेद और नासिर को गोरक्षकों ने कहा पकड़ा होगा? गाड़ी में किसी को जलाकर मारना आसान नहीं होता। दो, चार, पांच लोग ऐसा काम नहीं कर सकेंगे। जुनैद और नासिर अगर जानते थे कि गौरक्षक दुश्मन हैं तो वे उनके कहने से आसानी से गाड़ी नहीं रोक सकते थे। उन्होंने गाड़ी भगाने की अवश्य कोशिश की होगी। परिवार का आरोप है कि फिरोजपुर झिरका की पुलिस सीआईए यानी अपराध अन्वेषण एजेंसी ने गाड़ी को ठोकर मार कर रोका और उन्हें गौरक्षकों के हवाले कर दिया। गौ रक्षकों की पिटाई से बुरी तरह घायल दोनों को थाने में लेने से इनकार कर दिया। तो उन लोगों ने उसे गाड़ी में ही चला दिया। फिर वही प्रश्न उठता है कि आखिर इतनी जानकारी घर वालों को कहां से मिल गई?
ऐसा साफ दिख रहा है कि घटना गंदी राजनीति में फंस गई है। निश्चित रूप से ऐसे बयान दिलवाने के पीछे कुछ लोगों की भूमिका है। बिना सबूत के नाम लेकर प्राथमिकी दर्ज कराना यूं ही नहीं हो सकता । तो कौन हो सकते हैं? पुलिस से लेकर स्थानीय नेताओं पाक संदेह के घेरे में आ रहे हैं। हिंदुओं के लगातार विरोध तथा गौ रक्षकों की सतर्कता के बावजूद गोवंश कारोबार जैसे अपराध का जारी रहना बगैर तंत्र के मिलीभगत के संभव नहीं है प्ले स्टोर मोनू मानेसर जैसे लॉगिन के रास्ते के बाधा हैं इसलिए संभव है कि जानबूझकर उनका नाम दिलवाया गया । संभव है घटना को अंजाम किसी और ने षडयंत्र पूर्वक दिया हो। यह बात समझ से परे है कि गौ रक्षक गौ तस्करों को अपने क्षेत्र में जलाकर स्वयं के विरुद्ध पुलिस को प्रमाण देंगे? लोग बता रहे हैं कि इनमें किसी के व्यवहार में कभी अपराधी होने या दादागिरी करने की झलक नहीं मिली है। ये गौ माता की रक्षा करते हैं। इसी कारण दूसरे समुदाय के वे लोग जो इस व्यापार में संलिप्त है इनके दुश्मन बने हुए हैं। इतनी संख्या में लोग इन्हें निर्दोष बता रहे हैं और ाजस्थान पुलिस पर अविश्वास भी प्रकट कर रहे हैं। इसमें पुलिस को जांच में सहयोग मिलना भी कठिन है। इसलिए राजस्थान सरकार को इसकी सीबीआई जांच की सिफारिश करने में संकोच नहीं होना चाहिए।
नर कंकाल सहित जली हुई बोलेरो हरियाणा में पाई गई है इसलिए हरियाणा सरकार भी अपनी ओर से सीबीआई जांच के लिए केंद्र को सिफारिश कर सकती है। गोवंश जैसे घृणित व्यापार के मामले में पुलिस की विश्वसनीयता इस मामले में संदिग्ध है। हरियाणा और राजस्थान दोनों के मेवात क्षेत्र में गोवंश को लेकर तनातनी छिपी नहीं है । गौ रक्षकों की ऐसी छवि बना दी जाती है मानो वे अपराधी हों। अगर गोवंश का अवैध व्यापार नहीं हो तो गौरक्षक दलों के खड़ा होने की आवश्यकता ही नहीं होती। हिंदू सिख बौद्ध जैन गाय के प्रति अपने धार्मिक भावनाओं के कारण संवेदनशील हैं। हमारे यहां गोवंश की रक्षा के लिए लोगों के बलिदान हो जाने की अनेक गाथाएं हैं। हिंदुओं का आरोप है कि न केवल यहां प्रशासन की मिलीभगत से गौ हत्या होती है बल्कि उनके मांस और बिरयानी तक बेचे जाते हैं। इसके विरुद्ध प्रदर्शन, आंदोलन सभायें होती रहती है। बाहर बैठकर आप कुछ भी बोल दीजिए लेकिन दोनों क्षेत्र के गैर मुस्लिमों के अंदर इसे लेकर काफी आक्रोश है और दलीय सीमाओं से परे गौ रक्षक समूहों को आम लोगों का पूरा समर्थन मिलता है। यही समर्थन मोनू मानेसर सहित अन्य आरोपियों के पक्ष में इस समय मुखर होता दिख रहा है। हमारा समाज इतना संवेदनहीन नहीं हुआ है कि दो लोगों की हत्या हो जाए और समाज यह जानते हुए कि आरोपी वास्तविक हत्यारे हैं उनके पक्ष में खड़ा हो जाएगा।
क्षेत्र के लोगों के बीच सच्चाई किसी न किसी तरह सामने आ जाती है। इतनी भारी संख्या में लोग मोनू मानेसर सहित सभी को निर्दोष बता रहे हैं तो उनके पक्ष का भी संज्ञान लिया ही जाना चाहिए । सच तो यही है कि अगर पुलिस प्रशासन अपनी जिम्मेवारी का पालन करते हुए गौ तस्करों के विरुद्ध समुचित कानूनी कार्रवाई करती , गौ तस्करी रुक जाती तो यह नौबत आती ही नहीं। राजस्थान और हरियाणा दोनों सरकारों के लिए भी आवश्यक था कि वे पूरे मेवात में गोवंश तस्करी और हत्या के आरोपों के मद्देनजर ऐसे अभियान चलाती ताकि इसकी गुंजाइश निःशेष हो जाए। सीबीआई जांच करेगी तो उसका दायरा निश्चित रूप से व्यापक होगा और उसमें गोवंश तस्करी और हत्याएं तथा व्यापार के पूरे तंत्र के बारे में जानकारी आएगी। इससे स्थानीय पुलिस प्रशासन और नेताओं की भूमिका भी पकड़ में आ सकती है। सीबीआई जांच से बचने की कोशिश के पीछे यह बड़ा कारण हो सकता है। किंतु जो स्थिति बन गई है उसमें सीबीआई जांच ही मामले में दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए उपयुक्त होगा।