किसी भी शहर की यातायात व्यवस्था वहां के सामाजिक जीवन की रीढ़ होती है। यदि यह व्यवस्था सुचारु रूप से चलने में असमर्थ होती है तो उस शहर मात्र का आर्थिक ढांचा चरमरा जाता है। दुनिया के हर शहर की भांति इंदौर भी इस समस्या से दो-चार हो रहा है। इसलिए शहर के फैलते विस्तार की बसाहट सुनियोजित तरीके से होनी चाहिए।
सड़क के चौड़ीकरण की अपनी सीमाएं हैं, वहीं चौराहों और गलियों का आसपास होना, इंदौर शहर की भौगोलिक विशेषताओं में शामिल है। इंदौर शहर गोलाई में बसा है, मार्गों पर एक साथ सभी प्रकार के वाहन मौजूद रहते हैं, इनकी गति और आवश्यकताएं बहुत ही अलग- अलग हैं।
आज जो स्थिति यातायात में शहर की है, इसमें लगता है कि हमें आगे योजनाबद्ध तरीके से कार्य करना होगा। किसी भी शहर का यातायात उसकी धमनियां होती हैं, शहर की आबादी में वृद्धि के साथ-साथ यह चोक होती हैं। शहर अकल्पनीय अव्यवस्था की ओर बढ़ जाता है। इसमें सबसे ज्यादा योगदान, व्यक्तिगत वाहनों के उपयोग की हमारी आदत और मजबूरी का है। वहीं एक सुव्यवस्थित पब्लिक ट्रांसपोर्ट के उपयोग की आदत आम शहरी में न होना या उपेक्षा का भाव बड़ी समस्या है।
आज न चाहते हुए भी और महंगा खर्च होने के बावजूद सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी अपना खुद का वाहन रखने के लिए मजबूर है। देश में वाहन की संख्या आबादी के हिसाब से सबसे ज्यादा इंदौर में लगभग 925 वाहन प्रति 1000 है। व्यक्तिगत वाहनों के अधिक उपयोग से असंतोष, स्वभाव में चिड़चिड़ापन और अन्य मानसिक व शारीरिक बीमारियों के साथ-साथ कार्य करने की क्षमता भी घटती है। इन सबको सम्मिलित कर अगर एक शांत, समृद्ध, सांस्कृतिक और स्मार्ट इंदौर शहर का विचार किया जाता है, तो निम्न उपाय हमें करने होंगे, जो तीन श्रेणियों में समय के मान से हो सकते हैं-
शहरों में यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए प्रमुख सुझाव
सबसे पहले जितने मार्ग हैं, जितने चौराहे हैं इन सब पर इंजीनियरिंग के हिसाब से मार्किंग की जाना चाहिए। जिससे सामान्यजन को कहां पर, कैसे वहां चलना है यह समझ में आ सके और उन्हें समझाया जा सके। जिससे उन्हें भी तकलीफ न हो और अन्य वाहन चालकों को भी तकलीफ न हो।
चौराहों पर यातायात संकेतों में दिन के विभिन्न समय में यातायात के दबाव को देखते हुए सिग्नल बंद-चालू हों। संकेतों के साथ समय भी दिखता रहे जिससे वाहन चालक उसके अनुरूप इंतजार कर सकते हैं, वाहन को बंद भी कर सकते हैं। इससे प्रदूषण में कमी आएगी।
सड़क, फुटपाथ और दुकानदार इनके आपस के सम्बंध और उपयोग को परिभाषित किया जाए और इसके नियम बनाकर सारे शहर में एक जैसे लागू किए जाएं। जिसके अंतर्गत दुकान का कोई भी हिस्सा, जिसमें सीढ़ियां, काउंटर, साइन बोर्ड या कचरे के डब्बे, शटर से बाहर न हों।
सामान लेने वाला व्यक्ति भी दुकान के अंदर खड़े होकर सामान ले, न कि फुटपाथ पर खड़ा होकर। ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
सड़क के दोनों ओर फुटपाथ से लगकर 2 मीटर की एक पार्किंग लाइन सुनिश्चित की जाए, वाहन पार्किंग के लिए।
राहगीरों को फुटपाथ पर चलने के लिए अनिवार्य रूप से प्रेरित किया जाए।
इन सब बातों से कम समय में और कम खर्च में शहरों की वर्तमान यातायात समस्या का कुछ निदान हो सकेगा।
यातायात के लिए दीर्घगामी योजना
यातायात के पूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन के बाद आवश्यकता पड़ने पर, विभिन्न मार्गों को वन वे ट्रैफिक में बदलना।
जहां सम्भव हो वहां पर पुल, ग्रेड सेपरेटर, अंडरपास, डबल- ट्रिपल लेयर पुल, एलिवेटेड रोड आदि का निर्माण ।
आमजन के लिए सुव्यवस्थित सुलभ सस्ता पब्लिक ट्रांसपोर्ट का और विस्तार किया जाना चाहिए। इंदौर शहर में आज की स्थिति में मोटे तौर पर 1500 बसें और 1 हजार के लगभग बस स्टॉप बनाकर, 4 बस डिपो जो राज्य परिवहन निगम के उपलब्ध हैं, के आधुनिकीकरण द्वारा 24 घंटे नवीन यातायात व्यवस्था शहर को दी जा सकती है।
शहर की बसाहट ऐसी हो जिसका प्रावधान मास्टर प्लान में हम कर सकते हैं, जिसमें आमजन को अपने विभिन्न कार्यों के लिए कम से कम दूरी तय करनी पड़े। जिससे कि घर, कार्यस्थल, स्कूल, कॉलेज और मार्केट का सुंदर मिश्रण हो। निर्माण और अधोसंरचना व यातायात के लिए एक अनुसंधान केंद्र का निर्माण। तेज गति के यातायात के लिए अन्य साधन और व्यवस्था की योजना तथा उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित हो। स्कूली शिक्षा में बाल्यकाल से ही यातायात के बारे में जानकारी और उससे मानव जीवन पर पड़ने वाले विभिन्न प्रभावों के बारे में जागरूकता आमजन में लाई जाए। तब ही शहर का आमजन, सरलता से, सुलभता से और सस्ते में कहीं भी आ-जा सकेगा। जिससे उसकी कार्य क्षमता में वृद्धि होगी। आर्थिक वृद्धि भी होगी और सामाजिक बंधन भी बढ़ेंगे। जो मां अहिल्या की इंदौर नगरी की विशेषता है और हम सबका सपना भी । आओ हम सब मिलकर शहर के यातायात के लिए आज से ही, साथ आकर, लम्बे समय तक कार्य करने में लग जाएं। अपने सपनों के शहर को धरातल पर उतारने के लिए सब मिल कर प्रयास करें।
– अतुल शेठ