विविधता एवं विशेषताओं से भरा इंदौर

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर अपने आप में सम्पूर्ण सनातन संस्कृति सम्भाले हुए है। इंदौर और उसके आसपास का क्षेत्र अपने अंदर हरियाली की अप्रतिम आभा को समेटे हुए है। महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंगों के लगभग मध्य में बसा इंदौर विविधताओं व विशेषताओं से भरा हुआ हैं।

मध्यप्रदेश अनेकों ऐतिहासिक, प्राकृतिक महत्व के स्थलों से भरा पड़ा है। मध्यप्रदेश में आदर-आतिथ्य की परम्परा बहुत पुरानी है। आदिवासी संस्कृति, ग्राम्य सभ्यता में आज भी वह अपनापन, वह प्रेम हम महसूस कर सकते हैं।

सतपुड़ा के घने जंगल,

नींद में डूबे हुए से

ऊंघते अनमने जंगल

झाड़ ऊंचे और नीचे,

चुप खड़े हैं आंख मींचे,

घास चुप है, कास चुप है

मूक शाल, पलाश चुप है।

बन सके तो धंसो इनमें,

धंस न पाती हवा जिनमें,

सतपुड़ा के घने जंगल

ऊंघते अनमने जंगल।

मध्य प्रदेश की सतपुड़ा पहाड़ियों पर बसे घने जंगलों के बारे में भवानीप्रसाद मिश्र की लिखी ये पंक्तियां कितनी सार्थक हैं, इस बात का अंदाजा लगाने के लिए उन वनों को करीब से देखना ही एक मात्र मार्ग है। प्राकृतिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक समृद्धि से परिपूर्ण, भारत देश के हृदय-स्थल मध्य प्रदेश को देखना अपने आप में एक उत्सव है। वन, पर्वत, गुफाएं, राजमहल, किले, मंदिर, वास्तुकला, मूर्ति कला, चित्रकला, संगीत, नृत्य, नाट्य, प्रथाएं, पर्व, उत्सव, जीवन पद्धति, आदर-आतिथ्य… जितना सहेजें, कम होगा। भुलाए न भूले।

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर भी आधुनिकता के साथ-साथ अपनी सनातन परम्पराओं को अपने आप में समेटे हुए है।  इंदौर, मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी तो है ही, साथ ही यहां विविध संस्कृति, कला और संगीत के क्षेत्र में भी बहुत कुछ देखने और अनुभव करने को मिलता है। यहां पर होलकर परिवार द्वारा बनाया गया सात मंजिला प्रसिद्ध राजबाड़ा है। साथ ही होलकरों द्वारा ही निर्मित यूरोपीय वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है, यहां का लालबाग पैलेस।

इंदौर शहर को देश की खाद्य राजधानी भी कहा जाता है। यहां पर खाने-पीने की चीजों में इतनी विविधता और नयापन होता है, जो और कहीं नहीं मिलता। इंदौर का नमकीन, मिठाइयां तो प्रसिद्ध हैं ही, इंदौर में एक प्रसिद्ध गली है जिसका नाम है सराफा। इस गली में, दिन में गहनों की दुकानें लगती हैं, लेकिन रात होते ही यहां, अनगिनत प्रकार की चाट और मिठाई की दुकानें लग जाती हैं। यहां राजभोग-मालपुए से लेकर रबड़ी-जलेबी तक हर प्रकार की मिठाइयां मिलती हैं और चाट के ढेर सारे प्रकार।

इंदौर के पास दो महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग हैं। एक है महाकालेश्वर, जो उज्जैन शहर में है। यह इंदौर से 60 किमी की दूरी पर है। साथ ही खंडवा की ओर, 80 किमी की दूरी पर ओंकारेश्वर मंदिर स्थित है। ये दोनों ही मंदिर शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों में से हैं। उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर क्षिप्रा नदी के किनारे पर स्थित है तो ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के किनारे पर है।

इंदौर शहर पर कई शतकों तक होलकर घराने का राज रहा। इनमें से सब से महत्वपूर्ण थी अहिल्याबाई होलकर, जिन्होंने इंदौर राज्य का राजकाज इतने बेहतर ढंग से सम्भाला कि उसे एक आदर्श राज्य माना जाता है। लोग उन्हें देवी की तरह पूजते थे। अहिल्याबाई होलकर शिवजी की अनन्य भक्त थीं। उन्होंने महेश्वर नामक स्थान पर एक भव्य शिव मंदिर बनवाया। साथ ही एक महल भी। इंदौर से लगभग 95 किमी दूर बसे महेश्वर में आते ही आप एक अलग दुनिया में चले जाते हैं। यहां के शिव मंदिर की शांति, आपको मुग्ध कर देती है। नर्मदा के किनारे पर बना सुंदर घाट, बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। अहिल्याबाई ने यहां हथकरघा उद्योग स्थापित करवाया। सुप्रसिद्ध महेश्वरी साड़ी की सुंदरता, इसी महेश्वर से जन्मी है। आज भी यहां कई हथकरघा उद्योग हैं जो, सुंदर महेश्वरी साड़ियों का निर्माण कर रहे हैं।

इसके आसपास कुछ नए पर्यटन स्थल हाल ही में विकसित हुए हैं। इसी कड़ी में एक अद्भुत, नयनाभिराम, जल पर्यटन स्थल है – हनुमंतिया टापू। इंदौर से लगभग 138 किमी पर इंदिरा सागर बांध परियोजना है। नर्मदा नदी पर बनाए गए इस बांध के कारण कई जल निकाय (बैकवाटर्स) बन गए हैं। हनुमंतिया नर्मदा नदी पर बना हुआ सब से बड़ा तालाब है। यहां सैकड़ों छोटे-बड़े टापू बने हुए हैं। यहां बोटिंग से लेकर वॉटर स्पोर्ट्स तक हर प्रकार की रोमांचक जलक्रीड़ाओं का आनंद लिया जा सकता है। मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा यहां ठहरने के लिए सुंदर कॉटेज बनाए गए हैं। यहां रह कर, समुद्र की तरह फैले अंतहीन विशाल तालाब को निहारना और वॉटर स्पोर्ट्स का आनंद लेना, बहुत ही रोमांचकारी अनुभव होता है।

Leave a Reply