हाल ही में रूस में वैगनर ग्रुप के विद्रोह उपरांत दुनिया भर में प्राइवेट आर्मी के खतरों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्राइवेट आर्मी के चलन को नियंत्रित नहीं किया गया तो किसी भी देश के विरूध्द इसका दुरूपयोग किया जा सकता है जिससे आगे जाकर देश-दुनिया में अराजकता एवं गृहयुध्द जैसी स्थिति उत्त्पन्न होगी।
रूस में प्राइवेट मिलिट्री कम्पनी वैगनर ग्रुप के प्रमुख येवगेनी प्रिगोजिन के नेतृत्व में लगभग 5000 लड़ाकू सैनिकों द्वारा यूक्रेन की सीमा के नजदीक स्थित रूस के शहर रोस्तोव के सैन्य मुख्यालय पर कब्जा करके राजधानी मास्को के लिए आकस्मिक आगे बढ़े और विद्रोह का एक जोरदार बिगुल बजा दिया, किन्तु संयोगवश रूस को गृह-युद्ध से बचाया जा सका। इस आकस्मिक और असफल विद्रोह के पश्चात प्राइवेट आर्मी वैगनर के चीफ बेलारूस पहुंच चुके हैं। बेलारूस के नेता अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने इसकी स्पष्ट रूप से पुष्टि भी की। रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने सेना को सम्बोधित करते हुए कहा कि वैगनर विद्रोह के विफल होने के बाद उन्होंने ‘गृह-युद्ध रोक दिया है।’ प्रिगोजिन का कहना है कि वह खून-खराबा नहीं चाहते, इसी कारण ही अपने सैनिकों को मूल ठिकानों पर पहुंचने का निर्देश दिया है।
उल्लेखनीय है कि वैगनर ग्रुप प्रमुख येवगेनी प्रिगोजिन ने स्वयं को राष्ट्रीय सोच वाला देशभक्त बताते हुए कहा था कि शीघ्र ही रूस को नया राष्ट्रपति मिलेगा। इस बात पर रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि वह यूक्रेन युद्ध के दौरान प्राइवेट मिलिट्री कम्पनी वैगनर ग्रुप द्वारा उनकी पीठ में छुरा मारने वाला एक घातक कृत्य है। ये एक बड़ा देशद्रोह है, इसे कदापि भी सहन नहीं किया जाएगा।
रूस में घटित इस घटनाक्रम पर दुनिया भर के देशों की पैनी निगाहें निरन्तर लगी रहीं। विगत लगभग 24 वर्षों से रूस के शासन की बागडोर संभाल रहे राष्ट्रपति पुतिन को पहली बार इस प्रकार के विद्रोह का सामना करना पड़ा। भले ही एक समझौते के तहत प्रिगोजिन पर देशद्रोह का अपराधिक मामला अब नहीं चलाया जाएगा, किन्तु इस आकस्मिक घटना ने यूक्रेन के युद्ध में जुटे राष्ट्रपति पुतिन को इस एक बड़े संकट के चक्रव्यूह में घेर लिया, इसके परिणाम स्वरूप अब प्राइवेट मिलिट्री कम्पनी की सेनाओं की भूमिकाओं पर प्रश्न चिन्ह अवश्य लग गये हैं। अब आवश्यकता इस बात की है कि किराये के सैनिकों या प्राइवेट फौजियों के सन्दर्भ में विश्व के बड़े देशों को सामयिक विश्लेषण करने पर विशेष बल देना होगा।
वास्तव में प्राइवेट मिलिट्री कम्पनी (पीएमसी) का आरम्भ 1990 के दशक में हुआ, किन्तु सरकारें इन पर अभी तक अपनी लगाम नहीं लगा सकी। आज स्थिति यह है कि प्राइवेट आर्मी दुनिया के अनेक देशों में सक्रिय है और इनकी सैन्य संख्या निरन्तर घटती व बढ़ती जा रही है।
इस समय रूस का वैगनर ग्रुप और अमेरिका का अकादमी (पुराना नाम ब्लैक वाटर) दो ऐसी चर्चित प्राइवेट सैन्य कम्पनियां हैं जो हाल के वर्षों में विशेष विवादों में रही है। इस सन्दर्भ में वाशिंगटन डी.सी. में नेशनल डिफेन्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शॉन मैकफ्रेट ने अपने निजी अनुभवों के आधार पर लिखा है- “अगर निजी सुरक्षा व्यवस्था का सिलसिला इसी तरह से आगे बढ़ता रहा तो अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों पर इसका प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा। आने वाले समय में ट्वीटर व टेस्ला के मालिक एलोन मस्क अपनी निजी सेनाएं बना सकते हैं। कोई भी प्राइवेट आर्मी रख सकता है। ये रुझान या गतिविधियां जारी रहीं तो एक दिन दुनिया ही बदल जाएगी और चारों ओर अराजकतापूर्ण वातावरण विकसित हो जाएगा।”
प्रोफेसर शॉन मैकफेट ने आगे लिखा है कि ‘चूंकि इन सैनिकों की कोई जवाबदेही नहीं रहती है, इसी के फलस्वरूप ही अब दुनिया की बड़ी सरकारें इनका विशेष रूप से इस्तेमाल करती हैं। यह भाड़े के सैनिकों को काम पर रखने का खास मकसद सेलिंग प्वाइंट है। अगर कोई सरकारी सैनिक किसी की हत्या करता है, तो उसका कोर्ट मार्शल होगा, किन्तु प्राइवेट आर्मी ग्रुप का कोई भी सैनिक वही काम करेगा तो वह अपने घर वापस लौट जाएगा। इन पर निगरानी रखना एक सामयिक, संवेदनशील व सामरिक आवश्यकता बन गई है।
प्रसिद्ध राजनीतिक चिंतक डॉ. सुवरो कमल दत्ता का कहना है, “जिस प्रकार से 21वीं शताब्दी में रूस, अमेरिका और यूरोपीय देशों ने प्राइवेट आर्मी के माध्यम से दूसरे देशों पर अधिकार करने, देशों की सरकारों को अस्थिर करने और अपनी नीतियों को बलपूर्वक लागू करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय नियमों एवं कानूनों की कूटनीतिक अवहेलना की है। वास्तव में यह एक तरह से वियना कन्वेंशन का बड़ा उल्लंघन किया गया है। अब समय रहते इन पर नकेल लगानी बेहद जरूरी हो गई है।
विश्व की टॉप 10 प्राइवेट मिलिट्री कम्पनियां प्रमुख रूप से निम्नलिखित मानी जाती हैं-
1- वैगनर ग्रुप (रूस)
2- एकाडेमी (संयुक्त राज्य अमेरिका)
3- डिजाइन इण्टरनेशनल (यूरोप)
4- एगिस डिफेन्स सर्विस (लन्दन, यूनाइटेड किंगडम)
5- ट्रिपल कनोपी (संयुक्त राज्य अमेरिका)
6- डाइन कोर्प (संयुक्त राज्य अमेरिका)
7- एरीनीज़ इण्टरनेशनल (दुबई)
8- यूनिटी रिसोर्सेस ग्रुप (संयुक्त राज्य अमेरिका)
9- जी फोर एस सिक्योरिटी (लन्दन, यूनाइटेड किंगडम)
10- आर एस बी ग्रुप (रुस)
उपरोक्त प्रमुख प्राइवेट मिलिट्री कम्पनी की आर्मी के अलावा फ्रेंच, जर्मन, जिब्राल्टर, पोलिस, रशियन, साउथ अफ्रीका, टर्किश, अमेरिका और इंग्लैंड सहित 50 से अधिक देश प्राइवेट मिलिट्री एण्ड सिक्योरिटी कम्पनियों की फोर्स का जमकर प्रयोग कर रहे है।
जैसा कि विदित है कि वैगनर ग्रुप भाड़े के लड़ाकों की एक निजी या प्राइवेट कम्पनी है जो रूस-यूक्रेन युद्ध के समय रूस की सेना के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर समानान्तर साथ निभाती रहीं, किन्तु आकस्मिक विद्रोह, बगावत व विरोध ने रूस की सुरक्षा व्यवस्था को संकट में डाल दिया।
इस वैगनर ग्रुप की पहचान पहली बार वर्ष 2014 में की गई थी, जब पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थक अलगाववादियों को अपना सक्रिय सहयोग प्रदान कर रहा था। उस दौरान यह एक प्रकार के गोपनीय संगठन का स्वरूप था और यह अधिकांश अफ्रीका और मध्य पूर्व के देशों में भी सक्रिय था। इसके अन्तर्गत भर्ती सैनिक अधिकांश रूस के इलीट रेजीमेंट और स्पेशल फोर्स के सेवानिवृत्त सैनिकों द्वारा की गई थी।
जनवरी 2023 में ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि यूक्रेन में रूस का वैगनर ग्रुप अपने लगभग 50 हजार लड़ाकों को नियंत्रित व निर्देशित कर रहा है और रूस के लिए एक अहम किरदार की भूमिका भी निभा रहा है। अमेरिकन नेशनल सिक्योरिटी काउन्सिल ने कहा कि वैगनर ग्रुप के लड़ाकुओं ने लगभग 80 प्रतिशत को जेल से लाकर भर्ती किया गया है।
वैगनर ग्रुप ने 2022 में एक कम्पनी के रूप में स्वयं को पंजीकृत कराया और सेण्ट पीटर्सबर्ग में अपना नया मुख्यालय (हेड क्वार्टर) स्थापित किया। रॉयल यूनाइटेड सर्विस इन्स्टीट्यूट (आर. यू. एस. आई.) के थिंक टैंक के सक्रिय सदस्य डॉ. सैमुअल रमानी का कहना है- “वैगनर ग्रुप जिस समय रूस के शहरों में सरेआम खुली भर्ती कर रहा था और उस समय रूसी मीडिया द्वारा इसे देशभक्त संगठन बताया जाता रहा है।
अन्ततः यह समझना, जानना एवं विश्लेषण करना आवश्यक है कि जिस प्रकार से रूस में यह बगावतपूर्ण, विरोधपूर्ण एवं विद्रोह की बड़ी घटना प्राइवेट मिलिट्री एण्ड सिक्योरिटी वैगनर ग्रुप द्वारा घटित की गई, इस से दुनिया के देशों के लिए एक बड़ी चेतावनी भी है और एक बड़ी बनती चुनौती के रूप में देखने की जरूरत है।
वास्तव में निजी स्वार्थों व अपने राजनीतिक हितों की सुरक्षा के नाम पर एक फलता-फूलता एक बड़ा घातक उद्योग बनता रहा रहा है। यदि समय रहते इसको नियंत्रित नहीं किया गया तो इसके दूरगामी एवं विनाशक परिणाम अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, शान्ति एवं सुरक्षा के सिद्धान्तों के साथ ही मानवता के भविष्य के प्रति भी प्रश्न चिन्ह लगा देंगे।
इसका सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि दुनिया की सबसे शक्तिशाली देशों द्वारा प्राइवेट आर्मी का प्रयोग जमकर किया जाने लगा है। निःसन्देह रूस का गृह युद्ध संयोगवश भले ही टल गया हो, किन्तु बुद्धिजीवियों के लिए एक बड़ी चिन्ता और चिन्तन का विषय बन गया है। अतः समय रहते इस प्रकार की गतिविधियों व संगठनों को खड़ा करने तथा अपनाने के पूर्व सामूहिक रूप से मानवीय मूल्यों की सुरक्षा के लिए रोकना बेहद जरूरी हो गया है।
डॉ . सुरेन्द्र कुमार मिश्र