मदनदासजी ने अपने सम्पर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को विचारों एवं आंतरिक स्नेह से प्रेरित कर किसी न किसी प्रकार के सामाजिक कार्य में सक्रिय करने का महान कार्य किया। उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं पर अमल करना और कार्य को बढ़ाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। आइए, मदनदासजी द्वारा दिए गए कार्य मंत्र के अनुरूप काम को आगे बढ़ाएं। यह कहकर डॉ. मोहनजी भागवत ने मदनदासजी देवी को अपनी ओर से भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने अपने वक्तव्य में आगे कहा कि मदनदासजी व्यक्ति के हृदय को छूते थे। जीवन को सही दिशा देनेवाले वे पालक थे। संगठन और मानवीय सम्पर्क का कार्य करते समय बहुत कुछ सहना पड़ता है, यह आसान नहीं है। उस समय उन्होंने स्वयं अंतर्दाह से पीड़ित रहते हुए भी स्थितप्रज्ञ जैसा जीवन जिया। इसलिए जाते समय भी वह आनंदमयी और प्रसन्न थे।
मदनदास देवी के जाने से मन में मिश्रित भावना है। जन्म और मृत्यु सृष्टि का नियम है लेकिन हजारों-लाखों लोगों को स्नेह एवं अपनत्व की डोर से बांधने वाले ऐसे व्यक्ति के जाने का दुख सर्वव्यापी होता है, इसलिए सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में एक बड़े जनसमुदाय को इसका दुख हुआ है। उन्होंने न केवल संगठन का कार्य किया बल्कि लोगों को जोड़ने का भी महत्वपूर्ण कार्य किया। वह व्यक्ति के मन को छूने की कला जानते थे। वह कार्यकर्ताओं को अपना मानते थे और उनका ख्याल रखते थे।
जब मैं उनके सम्पर्क में आया तो मुझे भी इसका अनुभव हुआ। वह बचपन के संघ शाखा के मित्रों-साथियों से लेकर विभिन्न संगठनों के प्रमुखों तक के कार्यकर्ताओं के निकट सम्पर्क में थे। वह सबका ख्याल रखते थे। उन्हें सबके बारे में पूरी जानकारी थी। मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे उनका स्पर्श मिला। मदनदासजी संगठन और विचारों के पक्के थे। कार्यकर्ताओं की गलतियों को वह प्यार से सुधारते थे। किसी भी व्यक्ति का मूल्यांकन करते हुए व्यक्ति का अवमूल्यन नहीं होगा, इसकी वह भलीभांति ध्यान रखते थे। उन्होंने यशवंतराव केलकर का उदाहरण लेते हुए अपने कार्य का विस्तार किया।
मनुष्य को मोह विचलित कर देता है लेकिन उन्होंने इन सबसे आगे बढ़कर लक्ष्य के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं का निर्माण किया। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता किंतु उन्होंने सिखाया है कि मेरे जाने के बाद यह काम बढ़ता रहेगा। वह बीमारी के कारण पिछले कुछ वर्षों से सक्रिय कार्य में नहीं थे लेकिन उनमें अकेलेपन की भावना नहीं थी क्योंकि वह स्थितिप्रज्ञ थे। आखिरी वक्त में भी वह मुस्कुरा रहे थे। यह प्रसन्नता लक्ष्य के प्रति सक्रिय समर्पण से उनमें आई थी।
संगठन का तत्वज्ञान समझाया- मराठे
मदनदासजी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की वैचारिक बैठक आयोजित करने और कार्यकर्ताओं में संगठन के दर्शन को विकसित करने का बहुत महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने संगठन को वैचारिक आधार दिया। कार्यकर्ताओं से उनका रिश्ता पारिवारिक था। इस मौके पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व अध्यक्ष मिलिंद मराठे ने कहा कि वे संगठन में कार्यकर्ता के काम की ही नहीं, बल्कि उसके पूरे जीवन की परवाह करते थे।
उनकी तीक्ष्ण बुद्धि, प्रेमपूर्ण स्वभाव और आत्मीयता के गुणों ने उन्हें देश में हजारों कार्यकर्ता तैयार करने के लिए प्रेरित किया।
सबके सहयोगी – नड्डा
देश के हजारों कार्यकर्ताओं को कर्म की दृष्टि दी, जीवन की दिशा दी, उनमें संस्कार डाला और जीवन का उद्देश्य दिया। इन शब्दों में जे.पी. नड्डा ने मदनदासजी के कार्यों का वर्णन किया। उन्होंने आगे कहा कि सभी युवाओं को हमेशा यह महसूस होता था कि वे उनके वरिष्ठ सहकर्मी हैं। वह हमेशा ऐसे किसी भी व्यक्ति के लिए तत्पर रहते थे जो उनका मार्गदर्शन चाहता था। हमने उनसे सीखा है कि संगठन के सामने कई कठिनाइयां आने पर भी संगठन के विचार को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने संगठन विज्ञान का गहन अध्ययन किया था। वह कार्यकर्ताओं को यात्रा कैसे करनी है, बैठकें कैसे करनी हैं, बातचीत कैसे करनी है, जैसी कई सीख देते थे। उनके बताए रास्ते पर चलते रहना और उस रास्ते को मजबूत करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
श्रद्धांजलि सभा में पू. संघचालक डॉ. मोहनजी भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेयजी होसबाले, प्रांत संघचालक नानासाहेब जाधव, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, संरक्षक मंत्री चंद्रकांत दादा पाटिल, भाजपा के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले, जिलाधिकारी डॉ. राजेश देशमुख, मनपा आयुक्त विक्रम कुमार, पुलिस आयुक्त रितेश कुमार, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेश गोसावी आदि मौजूद रहे।
मोतीबाग में अंतिम संस्कार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सह-सरकार्यवाह मदनदासजी देवी के अंतिम दर्शन में आम कार्यकर्ताओं से लेकर उच्च पदस्थ मंत्रियों तक, सभी क्षेत्रों के सैकड़ों नागरिक शामिल हुए। अंतिम संस्कार के लिए वैकुंठ श्मशान ले जाने से पहले उनके पार्थिव शरीर को शहर के मोती बाग संघ कार्यालय में दर्शन के लिए रखा गया था। अनेक दशकों से उनके करीबी एवं सहयोगी रहे कार्यकर्ताओं से लेकर जिनका उन्होंने लम्बे समय तक मार्गदर्शन किया है, ऐसे कार्यकर्ता और रा. स्व. संघ एवं सम्बंधित संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारी भी उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। उन्होंने मदनदासजी के शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी। इस अवसर पर मदनदासजी देवी के भाई खुशालदास देवी, बहनें एवं परिवार के अन्य सदस्य उपस्थित थे।
स्व. मदनदासजी को श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में पू. सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, रा. स्व. संघ के केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेशसोनी एवं अनिरुद्ध देशपांडे, डॉ. प्रवीण दबघव, पूर्व प्रांत प्रभारी विनायकराव थोरात, एबीवीपी के अखिल भारतीय संगठन मंत्री आशीष चौहान, सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय पाचपोर, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे, वरिष्ठ कार्यकर्ता गीताई गुंडे, गिरीश प्रभुणे और अन्य शामिल थे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उपस्थित नेताओं में से थे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और अजीत पवार, उच्च शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी।