समर्पित सामाजिक जीवन का विश्वविद्यालय : गणेश नाईक

नवी मुंबई की विकासगाथा गणेश नाईक का नाम लिए बिना पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने नवी मुंबई शहर के विकास एवं समाज के उत्थान के लिए अपना समूचा जीवन खपा दिया। उन्हें लोगों के उत्थान की प्रेरणा अपनी मां से मिली थी। उनकी बताई राह पर अगली पीढ़ी भी चल रही है।

सामान्य तौर पर शहर नियोजन में वैश्विक शहर, इको सिटी, स्मार्ट सिटी और लिवेबल यानी रहने योग्य शहर शामिल होते हैं। वैश्विक शहरों में न्यूयॉर्क, लंदन और टोक्यो शामिल हैं। स्मार्ट शहरों में सेऊल, कोपेनहेगन और वियेना शहर शामिल हैं। इको सिटी में यूएई और लिवेबल सिटी में सिंगापुर, बार्सिलोना और मेलबर्न शामिल हैं। गत पांच दशकों में नई मुंबई शहर का प्रवास एक गांव से ग्लोबल सिटी तक हुआ है, यह कैसे सम्भव हुआ? जब हम इस अजूबे को जानने का प्रयास करते हैं तो उस विकास की सूई सिडको प्राधिकरण के साथ वहां के जननायक गणेश नाईक पर आकर रूकती है।

नवी मुंबई के सर्वेसर्वा, जननेता, ऊर्जावान व्यक्तित्व, सामाजिक कार्यकर्ता एवं नीतियों से प्रभावित राजनेता, जिनके नाम के साथ कई विशेषण जुड़े हैं। राज्य के पूर्व उत्पाद शुल्क एवं ऊर्जा मंत्री तथा ठाणे जिले के संरक्षक गणेश नाईक। गणेश नाईक के नाम के साथ चाहे जितने भी विशेषण जोड़ दिए जाएं, वे ‘दादा’ के नाम से ही वहां अधिक लोकप्रिय हैं। लेकिन सिर्फ नाम से नहीं; नाईक ने अपने काम से इस उपाधि को सार्थक साबित किया है।

शुरुआत में नवी मुंबई, उसके बाद राज्य की राजनीति में पांच दशकों से जनता की सेवा करने वाले गणेश नाईक का ग्राफ हमेशा ऊपर उठता रहा है। आज नवी मुंबई दुनिया में ग्लोबल शहर के रूप में उभर रहा है, जो विगत चार दशकों से गणेश नाईक के कुशल नेतृत्व में सम्पन्न हो रहा है। फिर भी, वे कहते हैं कि उन्हें नवी मुंबई के विकास के भविष्य की तस्वीर को अधिक विस्तार से चित्रित करना बाकी है। नवी मुंबई के रचनाकार एवं संरक्षक गणेश नाईक हिंदी विवेक मासिक पत्रिका से बात करते हुए नवी मुंबई को एक वैश्विक शहर के रूप में बनाने की प्रक्रिया का खुलासा कर रहे थे। उस मन ही मन में महसूस हो रहा था कि गणेश नाईक सेे मिलकर वार्तालाप करना एक अद्भुत अनुभव है, क्योंकि उन्होंने एक वैश्विक स्तर के शहर का बाल्यकाल से लेकर तरुणाई तक का विकास देखा है, तथा उस विकास में अपना अमूल्य योगदान भी दिया है।

‘वन टाइम प्लानिंग’ के तहत, नवी मुंबई को भारत का वैश्विक प्रवेश द्वार बनाना उनका 40 साल पहले देखा हुआ सपना था। इस सपने को आपने किस प्रकार से पूर्णत्व तक लाया? इस प्रश्न का उत्तर देते समय वह कहते हैं, इसमें आर्थिक, पारिस्थितिकी, समाज और पहचान की सभी चार अवधारणाओं का विचार किया गया है। यदि भव्य योजना बनाना चाहते हैं तो आपको बहुत दूर तक देखना होगा। स्ट्रीटस्केप, डिजिटल शहर की जानकारी, प्रतिष्ठित प्रवेश द्वार, सार्वजनिक स्थान, शहर की हरियाली के साथ-साथ मनोरंजन, पर्यटन, संस्कृति और खेल के विकास इस शहर की पहचान के बेंचमार्क हैं। अर्थव्यवस्था के विकास हेतु नवी मुंबई को एक शहर, लॉजिस्टिक्स हब, व्यापारिक केंद्र और थोक बाजारों का प्रमुख केंद्र बनाने की परियोजनाओं को मूर्त रूप दिया गया। पारिस्थितिकी में हरित इमारतों, कुशल परिवहन प्रणालियों, प्रकृति और जैव विविधता, कंक्रीट शहरी संरचनाओं और एकीकृत जल और अपशिष्ट जल प्रबंधन की बेंच मार्किंग शामिल की गई है। सोसायटी के तहत व्यापक सार्वजनिक सुविधाएं, झुग्गी-झोपड़ी पुनर्विकास, गांव पुनर्विकास और सिडको द्वारा निर्मित खतरनाक इमारतों का समाज हित को ध्यान में लेकर पुनर्विकास किया गया।

‘वन टाइम प्लानिंग’ के तहत वित्त पोषण के लिए विस्तृत योजना बनाई गई। नवी मुंबई नगर निगम, जेएनएनयूआरएम, एमएमआरडीए और सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से विकास परियोजनाएं बनाई। इसमें नवी मुंबई में सीबीडी, नेरुल, सानपाड़ा, वाशी, कोपरखैराने, घनसोली, ऐरोली के साथ औद्योगिक क्षेत्र और शहर स्तर की परियोजनाएं शामिल थी। शहरीकरण और औद्योगीकरण करने के लिए जो खर्च अपेक्षित था, वह नगर निगम की आय से पूरा किया गया। उन्होंने बुनियादी स्तर पर जनता से लगातार संवाद कर लोगों की बाधाओं को दूर करने और शहर के विकास की उनकी अवधारणाओं को समझकर शहर के विकास का कार्य प्रारम्भ किया। गणेश नाईक के इस विचार ‘जीवनधारा’ के नाम से नवी मुंबई पूर्ण परिचित है। लोगों के सहयोग से प्रवाहित होने वाली विचारों की यह प्रगतिशील सोच नवी मुंबई के प्रगति का आधार बनी है। निरंतर नवप्रवर्तन एवं उसके सफल कार्यान्वयन के लिए गणेश नाईक में हमेशा एक जुनून महसूस होता है। लगातार लोगों के बीच रहना, उनकी समस्याओं को जानना और उनके समाधान के लिए अथक प्रयास करना उनका स्वभाव है। लोगों की भलाई, जीवन को समृद्ध बनाने, नवी मुंबई शहर का सर्वांगीण विकास करने के लिए उन्होंने अपने जीवन को पूर्ण समर्पित किया है।

गणेश नाईक ने अपनी दृष्टि से कल के वैश्विक परिदृश्य में प्रगतिशील शहर को देखने की दृष्टि हासिल की है। इसीलिए उनकी संकल्पना में यह विकासधारा नवी मुंबई में तेजी से प्रवाहित हुई है। कुल मिलाकर, गणेश नाईक की अब तक की जीवनशैली लोगों के साथ निरंतर सम्पर्क में रहने वाली रही है। वास्तव में, यही उनकी अब तक की जीवन यात्रा का मूल रहा है। जनता से उनका रिश्ता सिर्फ विधायक, मंत्री, नेता के रूप में औपचारिक मात्र नहीं है, बल्कि लोगों को लगता है कि वह उनके पारिवारिक स्नेह के सहारा बड़े भाई ‘दादा’ की तरह हैं। अब तक के पूरे सफर में वे लगातार समाज में, लोगों के सम्पर्क में नजर आते रहे हैं। उनके अपने शब्दों में कहें तो, यही उनकी ऊर्जा है।

ग्राम पंचायत से सीधे नवी मुंबई महानगर पालिका बनी, ऐसा महाराष्ट्र में पहला उदाहरण है। नवी मुंबई के लोकप्रिय जननेता गणेश नाईक के नेतृत्व में मनपा के प्रथम चुनाव में ही उनके पार्टी के 34 नगरसेवक चुनकर सत्ता में आए और संजीव नाईक को प्रथम महापौर होने का गौरव प्राप्त हुआ।

स्वयं की मिल्कियत के बांध (डैम) वाली एकमेव नवी मुंबई मनपा है इसलिए यहां 24 घंटे पानी सुलभ रहता है। वर्ष 2000 में गणेश नाईक ने घोषणा की थी कि अगले 20 वर्षों तक पानी का टैक्स और प्रोपर्टी टैक्स बढ़ाया नहीं जाएगा, उसी के अनुरूप आज भी टैक्स नहीं बढ़ाया गया है। उन्होंने और अगले 20 वर्ष तक पानी एवं प्रोपर्टी की दर नहीं बढ़ाने का जनता से वादा किया है।

नवी मुंबई में ज्यादातर सड़कों पर फेरीवाले नहीं हैं। यह भी एक बड़ी विशेषता है। हालांकि कुछ जगहों पर फेरीवाले हैं, इसलिए गणेश नाईक ने मनपा को निर्देश दिया है कि उनके लिए एक फेरीवाला जोन बनाया जाना चाहिए और यदि उसके बाद भी अवैध रूप से फेरीवाले सड़कों पर नजर आएं तो उन्हें सख्ती से हटाया जाना चाहिए। केंद्र सरकार की फेरीवाला नीति को अमल में लाए जाने की आवश्यकता है।

गणेश नाईक ने जनता के साथ अपना नाता कभी टूटने नहीं दिया। उनका दृढ़ विश्वास है कि प्राप्त किये गये सभी पद केवल शोभा बढ़ाने के लिए नहीं हैं, बल्कि वह पद आम जनता के काम आना चाहिए। इसलिए वे कई वर्षों से जनता दरबार के माध्यम से जनता की समस्याओं का समाधान करते आ रहे हैं। वे अधिकारियों से अपेक्षा करते हैं कि वे जनता की समस्याओं का समाधान करें। जनता दरबार में कल का काम आज होता है और आज का काम अभी होता है, इसलिए नागरिकों का मानना है कि उन्हें सही न्याय जनता दरबार में ही मिलता है। उन्हें हमेशा इस बात का एहसास रहता है कि गरीब लोग छोटे-बड़े काम लेकर जनता के दरबार में बड़ी उम्मीद से आते हैं। जनता दरबार में नागरिक कई समस्याएं लेकर आते हैं, जैसे सरकारी दफ्तरों में काम नहीं होना, आवागमन में बाधा, जमीन में गलत बदलाव, पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज नहीं करना, नागरिक समस्याओं से परेशान होना, कॉलेज में दाखिला नहीं मिलना आदि। नागरिकों की शिकायतों का त्वरित निस्तारण किया जाता है। जनता दरबार में गणेश नाईक की कार्यशैली और जनता से संवाद करने की उनकी क्षमता कई गणमान्य लोगों के लिए जिज्ञासा और अनुकरण का विषय बना है।

इसी कारण गणेश नाईक कहते हैं कि, “हमने राजनीतिक पद खरीदे नहीं हैं। वह जनता ने हमें यह दिया है। नवी मुंबईकरों ने हमें नेतृत्व और विकास की जिम्मेदारी सौंपी है। अब सवाल नई मुंबई के विकास और भविष्य का है। मैं नवी मुंबईकरों के भविष्य को लेकर चिंतित था। यदि आप भव्य योजना बनाना चाहते हैं तो आपको बहुत दूर तक देखना होगा। वन टाइम डेवलपमेंट योजना ही भविष्य का आश्वासन है, यह बात हमने मन में ठान ली। ‘वन टाइम प्लानिंग’ का अर्थ है एक बार की योजना और उसका चरणबद्ध वित्तीय प्रावधान। नवी मुंबई की बढ़ती आबादी के अनुसार, हमने कार्यों को 24 वर्षों में करने की बजाय अगले छः वर्षों में पूरा करने के इरादे रखे थे। उसे हम पूरी सोच-समझ के साथ पूर्णत्व तक लाए हैं।”

 कुल मिलाकर गणेश नाईक ने शहर के सभी घटकों के विकास के लिए यह आदर्श योजना तैयार की है। अब नई मुंबई विश्वस्तरीय आधुनिक शहर बन रहा है। गणेश नाईक की करीब 40 साल पहले की दूरदर्शिता के कारण यह शहर आधुनिक वैश्विक शहर बनने की ओर कदम बढ़ा रहा है। उनके कॉन्सेप्ट से बने ‘वन टाइम प्लानिंग’ के जरिए शहर में विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया। नवी मुंबई के लिए बनाई गई ‘वन टाइम प्लानिंग’ की अवधारणा अभिनव साबित हुई है। उसके लिए गणेश नाईक, पूर्व सांसद संजीव नाईक, विधायक संदीप नाईक और महापौर सागर नाईक बधाई के पात्र हैं।

महाराष्ट्र राज्य के गैर-पारम्परिक ऊर्जा मंत्री के रूप में गणेश नाईक ने महाराष्ट्र को देश में गैर-पारम्परिक ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी स्थान पर रखा था। उन्होंने गांवों और बस्तियों में अपरम्परागत ऊर्जा की रोशनी पहुंचाई। राज्य के 64 गांव और सुदूर इलाकों के 171 पाड़े गैर पारम्परिक ऊर्जा की रोशनी से जगमगा रहे हैं। दिलचस्प यह है कि उन्होंने नक्सल प्रभावित इलाकों के 105 गांवों में बिजली पहुंचाकर वंचित क्षेत्रों को विकास की मुख्यधारा में लाने का काम किया है। गणेश नाईक की छवि विकास नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने वाले मंत्री के रूप में रही है। आज तक का अनुभव है कि उनके पास जो भी मंत्री पद रहा, उन्होंने सम्बंधित विभाग के कामकाज में चार चांद लगा दिये। वन मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान राज्य में बड़े पैमाने पर वनीकरण हुआ। एक बहुत बड़ा क्षेत्र वनरोपण के अंतर्गत आ गया। इसके अलावा सामाजिक वनीकरण को भी गति मिली थी। श्रम मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान श्रमिकों के कल्याण हेतु कई कानून अस्तित्व में लाए गए। गणेश नाईक पिछले पांच दशकों की सामाजिक प्रगति में हमेशा भीड़ से घिरे रहने वाले नेता हैं। मंत्री पद, धन, श्रेय, प्रतिष्ठा उनकी दृष्टि में बेकार हैं। क्योंकि उनका मन अपने काम पर है, समाज के हर सवाल के जवाब पर है। इसलिए उन्हें जन नेता के रूप में देखा जाता है।

आज अपने कर्तव्य का श्रेय अपनी मां को देते हुए वह कहते हैं, हमारी मां द्वारा दिए गए अलौकिक गुणों, सिखाए गए दिशा दर्शन और सच्चाई को गले लगाने के कारण आज हमें लोगों का प्यार प्राप्त हुआ है। उसी के बलबूते उन्होंने एक स्थानीय श्रमिक नेता से महाराष्ट्र राज्य के कैबिनेट मंत्री बनने तक का सफर तय किया। उन्होंने बचपन में घर की गरीबी का अनुभव लिया है। एसटी ड्राइवर बनने का सपना लेकर युवावस्था में जीवन को प्रारम्भ किया लेकिन माताजी के आशीर्वाद और दिशा निर्देशन के कारण मन में सामाजिक, राजनीतिक आंदोलन एवं घटनाओं के संदर्भ में एक प्रकार का जुनून था। इसी कारण नवी मुंबई जैसे उभरते औद्योगिक शहर में श्रमिकों की समस्याओं को हल करने के लिए कई बार संघर्ष किया। इस संघर्ष में वह सदैव सफल होते गए। उनके मन में श्रमिकों की समस्याओं के समाधान की चाहत के साथ-साथ उद्योग धंधों की आवश्यकता की वैचारिक दृढ़ता थी। इसलिए एक श्रमिक नेता के रूप में, उन्होंने कभी भी अपनी संगठन की दुकान शुरू नहीं की। यही कारण है कि गहरी जड़ें जमा चुके श्रमिक नेता के रूप में उनकी यात्रा सफलता के शिखर पर चढ़ती गई।

गणेश नाईक से मिलना हमेशा एक नया अनुभव देता है। ‘अस्सी प्रतिशत सामाजिक सरोकार और बीस प्रतिशत राजनीति’, यही फॉर्मूला आज भी वह अपनाते हैं। उसी विरासत को विधायक संदीप नाईक, पूर्व सांसद संजीव नाईक या उनके भतीजे और नवी मुंबई के मेयर सागर नाईक ने जारी रखा है। पूरा परिवार लगातार सार्वजनिक जीवन के मुद्दे पर ध्यान दे रहा है। समाज के प्रति जागरूकता से जुड़ने के कारण उनका सार्वजनिक जीवन मजबूती से खड़ा है। गणेश नाईक सही कहते हैं, समाज के प्रश्न आंतरिक उत्कंठा से हल होते हैं। इसलिए हर सवाल में छिपा जवाब ढूंढ़ लोगे तो सवाल सुलझ जाएंगे। नवी मुंबई जैसे विभिन्न भाषाओं, कई जातियों और कई विदेशी देशों के लोगों के बीच गणेश नाईक नाम में बहुत अपनत्व है। आम लोगों के बीच मैत्रीपूर्ण व्यवहार के कारण गणेश नाईक एक समर्पित सार्वजनिक जीवन के विश्वविद्यालय हैं।

 

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