जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35- ए अब पूरी तरह समाप्त

भारत की संप्रभुता और जम्मू कश्मीर राज्य के लिए 11 दिसंबर 2023 का दिन नया लिख कर गया। माननीय उच्चतम न्यायालय की पांच जजों की संविधान पीठ ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 37 और 35 ए को हटाने के निर्णय को सर्वसम्मति से वैध करार दिया। पीठ के अनुसार  यह एक अस्थाई धारा थी जिसे आज नहीं तो कल हटना ही था।

मुख्य न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्णय में कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था थी। भारत का संविधान जम्मू कश्मीर के संविधान से ऊंचा है और अनुच्छेद- 370 को बेअसर कर जम्मू कश्मीर को  भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई है। न्यायाधीश चंद्रचूड़ जी ने कहा कि धारा 370 को हटाना संवैधानिक रूप से वैध है और केंद सरकार का फैसला बिल्कुल सही है।

उच्चतम न्यायालय ने अपने इस फैसले में कई महत्वपूर्ण व ऐतिहासक टिप्पणियां की हैं । पीठ ने कहा है कि विलय पत्र पर हस्ताक्षर होने के बाद जम्मू कश्मीर के पास संप्रुभता का कोई तत्व नहीं है। जम्मू कश्मीर के लिए कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है।राष्ट्रपति की शक्ति के प्रयोग का राष्ट्रपति शासन के उद्देश्य  के साथ उचित संबंध होना चाहिए। कोर्ट ने यह भी  कहा है कि राज्य के लिए कानून बनाने की संसद की शक्ति को राज्य की शक्ति बाहर नहीं कर सकती। अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि जब संविधान सभा भंग कर दी गई तो सभा की अस्थायी शक्ति समाप्त हो गई और राष्ट्रपति के आदेश पर कोई प्रतिबंध नहीं रहा। राष्ट्रपति द्वारा सत्ता का उपयोग दुर्भावनापूर्ण नहीं था और राज्य के साथ किसी सहमति की आवश्यकता नहीं थी। राष्ट्रपति द्वारा सत्ता का निरंतर प्रयोग दर्शाता  है कि एकीकरण की प्रक्रिया जारी थी और इस प्रकार से सीओ 273 अवैध है। जम्मू कश्मीर का संविधान क्रियाशील है और इसे निरर्थक घोषित कर दिया गया है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड ने कहा कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जायेगा और हम लद्दाख को अलग करने के फैसले को बरकरार रखते हैं। सुपीम कोर्ट ने अंत में कहा कि हम चुनाव आयोग का निर्देश करते हैं कि पुनर्गठन अधिनियम और राज्य के दर्ज 14 की धारा के अंतर्गत  30 सितंबर 2024 तक चुनाव कराये जायें।

न्यायालय ने एक यह व्यवस्था भी दी है कि राज्य में 1980 के बाद हुई सभी प्रकार की घटनाओं की जांच के  लिए एक कमेटी बनायी जाये ।  इस व्यवस्था के आने के बाद 1980 के बाद घाटी में कश्मीरी पंडितों के साथ जो अन्यायपूर्ण घटनाएँ हुई हैं उनकी जांच के लिए मार्ग अब खुल गया है। सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ कर रहे थे बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे।

5 अगस्त 2019 को गृहमंत्री अमित शाह द्वारा प्रस्तुत अनुच्छेद 370 व 35 ए को हटाने के विधेयक के संसद के दोनों सदनों से पारित हो जाने के बाद जम्मू कश्मीर के परिवारवादी नेता फारूख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे लोग व कई अन्य संगठन इसके विरुद्ध उच्चतम न्यायालय पहुंच गये थे । इन सभी की याचिकाओं पर 2 अगस्त से प्रारंभ होकर 16 दिन चली सुनवाई के बाद 11 दिसंबर 2023 को यह ऐतिहासिक निर्णय आया है जिस पर सभी देशवासियों, राजनैतिक दलों सहित अलगाववादी नेताओं और पाकिस्तान की भी दृष्टि थी।

मुख्य न्यायाधीश वाई. वी. चंद्रचूड़ वाली खंडपीठ के इस निर्णय के बाद पाक परस्त अलगाववादी नेताओं व कांग्रेस सहित सम्पूर्ण विपक्ष के पैरों तले जमीन खिसक गयी है। सुप्रीम केर्ट द्वारा अनुच्छेद -370 व 35- ए को हटाने का निर्णय वैध बताये जाने के बाद जहाँ  एक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय  को संवैधानिक मान्यता मिल गयी है वहीं दूसरी और कांग्रेस सहित संपूर्ण विपक्ष की राजनीति को बहुत गहरा आघात लगा है क्योंकि यह लोग अनुच्छेद 370 के माध्यम से तुष्टिकरण का दांव खेलने की आस लगाये बैठे थे। अनुच्छेद 370 पर विपक्ष जो अनर्गल वार्तालाप कर रहा था उस पर विराम लगाते हुए माननीय न्यायलय ने  यह बता दिया है कि अब 370 कभी वापस नहीं आने वाली है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद अब जम्मू कश्मीर देश के अन्य राज्यों की तरह समान व्यवस्था वाला राज्य बन गया है। जम्मू कश्मीर के गुपकार गठबंधन के नेताओं व अलगावादियों के होश उड़ गये हैं वहीं उनके आका  पाकिस्तान में भी  खलबली मची है।

उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स पर लिखा कि अनुच्छेद -370 को निरस्त करने का निर्णय ऐतिहासिक है। यह जम्मू कश्मीर और लद्दाख में हमारी बहनों और भाईयों  के लिए आशा, प्रगति और एकता की एक शानदार घोषणा है। न्यायालय ने अपने गहन ज्ञान से  एकता के मूल सार को मजबूत किया है जिसे हम भारतीय होने के नाते बाकी सबसे प्रिय मानते हैं और संजोते हैं।केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित कई भाजपा नेताओं ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि यह निर्णय राष्ट्रीय एकता को मजबूत करेगा। अनुच्छेद -370 के कारण जम्मू कश्मीर में वर्षों से अन्याय सह रहे लोगों को इस निर्णय से मुक्ति मिली है।

 

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