भारत के प्रख्यात शिल्पकार, ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष और संस्कार भारती से जुड़े उत्तम पाचारणे का विगत दिवस निधन हो गया। जीवंत अमर शिल्पों के माध्यम से इनकी कलाकृतियां अलग से रेखांकित करने लायक है जिनमें मुंबई बोरिवली पश्चिम एसवी रोड पर विवेकानंद की मूर्ति , बोरीवली स्थित वीर सावरकर उद्यान में वीर सावरकर की ताम्र मूर्ति, कांदिवली स्थित शताब्दी अंबेडकर अस्पताल में डा. अंबेडकर की मूर्ति हो या लखनऊ में सैनिकों को समर्पित स्मारक आदि शामिल हैं। बोरीवली गोराई की झोपड़ी से उठकर शिल्पकला में इन्होंने एक अपनी पहचान बनाई। ऐसे कलाकर मर नहीं सकते । अपनी कृतियों में सदैव अमर रहते हैं।
हिंदी विवेक मासिक पत्रिका से जुड़े हुए थे। उनके सृजनात्मक कार्य का विस्तृत परिचय देने वाला साक्षात्कार हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के दीपावली विशेषांक में प्रकाशित हुआ था। साथ में लखनऊ में उनके द्वारा निर्मित शहीद स्मारक के संदर्भ में विस्तृत जानकारी हिंदी विवेक के माध्यम से प्रकाशित हुई थी। उनकी सृजनशीलता और सरल हृदयता सदा स्मरण रहेगा।
हिंदी विवेक मासिक पत्रिका परिवार की ओर से उत्तम पाचारणे को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।