सोमनाथ मंदिर में हिंदी विवेक मासिक पत्रिका प्रकाशित “राम मंदिर:अस्मिता से धरोहर तक” विशेषांक का शानदार प्रकाशन समारोह संपन्न हुआ।

हिंदी विवेक मासिक पत्रिका प्रकाशित “राम मंदिर: अस्मिता से धरोहर तक ” विशेषांक का प्रकाशन गुजरात राज्य के सौराष्ट्र के सोमनाथ मंदिर में श्रीराम ऑडिटोरियम में दिनांक २२ जनवरी के शुभ दिन शाम को अत्यंत उत्साही वातावरण में संबंध हुआ । सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी प्रोफेसर जे डी परमार जी के कर कमलों द्वारा राम मंदिर विशेषांक का प्रकाशन हुआ। श्री सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के महाप्रबंधक श्री विजय सिंह चावडा जी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जूनागढ़ विभाग संघ चालक श्री भरत भाई शुक्ल, हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर, कार्यकारी संपादक पल्लवी अनवेकर आदि मान्यवर मंच पर उपस्थित थे।‌

समारोह के अध्यक्ष के रूप में अपनी संबोधन में प्रोफेसर श्री पी डी परमार जी ने कहा कि आज अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भगवान श्री रामचंद्र जी की पुनर्स्थापना हो रही है। आज पूरे विश्व में इस घटना को लेकर जो उत्साह का वातावरण है। यह इसी बात का आगाज है कि हम विश्व गुरु बनने जा रहे हैं। ऐसे समय में हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के माध्यम से प्रभु रामचंद्र की प्रभुता जिन बातों मे है वह बातें अपने पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास अत्यंत गौरवशाली है।

भगवान श्री राम का जीवन 47 आदर्श गुणों से परिपूर्ण है। जो एक दिव्य, भव्य मानव जीवन की छवि को बनाता है, जो मानव जीवन को अत्यंतिक सकारात्मक पहलुओं में बदल देता है। वर्तमान में भारत अत्यंत गतिशीलता से विकास की और मार्गदर्शन कर रहा है आने वाले भविष्य में हम विश्व गुरु होने की दिशा में मार्ग पर हैं। विश्व गुरु की भूमिका निभाते समय हमें अत्यंत सक्षम , सामर्थ्यवान होना आवश्यक है। वह समर्थ एवं आर्थिक भौतिक सुख सुविधाओं से जुड़ा हुआ होगा। साथ में व्यक्तिगत जीवन में राम के आदर्शों का पालन होना अत्यंत आवश्यक है। हर किसी को अपने दैनिक जीवन में अपनी भूमिका निभाने में सक्षम होना चाहिए। व्यक्ति को अपना कर्तव्य सटीकता और ईमानदारी से निभाने में सक्षम होना चाहिए और यही रामायण हमें सिखाती है। “मनुष्य को जीवन जीते समय सदैव भगवान श्री रामचन्द्र के चरित्र की आवश्यकता होती है। उसे भगवान श्री रामचन्द्र के समान एक आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श भाई, आदर्श राजा, आदर्श नागरिक, आदर्श शिष्य तथा आदर्श शत्रु कैसा होना चाहिऐ यह राम का चरित्र हमें सिखाता है। मानव जीवन में हर युग में, हर परिस्थिति में ऐसा आचरण करना चाहिए, जिससे जीवन श्रेष्ठ होगा। सद्गुणों से परिपूर्ण होगा। विश्व के समस्त मानव जाति पर यह संस्कार करने वाला युगो युगो से चला आ रहा ‘रामायण- एक चिंतन’ हैं।

इस समारोह में अपने प्रस्तावित भाषण में हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर जी ने अपनी भावनाएं स्पष्ट करते हुए कहा कि, आज मन अद्भुत भाव की अनुभूति ले रहा है। सोमनाथ जैसे परम पवन भूमि पर हिंदी विवेक मासिक पत्रिका राम मंदिर विशेषांक का प्रकाशन समारोह संपन्न करने जा रहा है। आज हम दुग्ध शर्करा योग महसूस कर रहे है। आजसे सात दशक पहले सोमनाथ जी का पवित्र मंदिर पुनर्स्थापित करने की घटना से सकल विश्व के हिंदूओं को दृढ विश्वास दिया गया की अगर हिंदू चाहे तो अपने संकल्प से अपना वैभव पुनर्स्थापित कर सकता हैं । इसी परम पवित्र स्थान से सोमनाथ से अयोध्या राम जन्म भूमि मुक्ति आंदोलन की यात्रा श्री लालकृष्ण आडवाणी जी के नेतृत्व में प्रारंभ हुई थी। परिणाम स्वरूप आज राम मंदिर का निर्माण होकर प्रभू रामचंद्र की प्राणप्रतिष्ठा संपन्न हुई है। राम मंदिर वही बनाकर उद्देश्य सफलतापूर्ति का दिवस संपूर्ण विश्व के हिंदू बड़े गौरव के साथ आज मना रहे है। ऐसे शुभ अवसर पर आध्यात्मिक दृष्टि से परम पवित्र सोमनाथ की पावन भूमि पर हिंदी विवेक मासिक पत्रिका प्रकाशित राम मंदिर विशेषांक का प्रकाशन समारोह संपन्न होने जा रहा है। यह हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के लिए अत्यंत समाधान की बात है।

गत 15 सालों के सफल प्रवास में हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के माध्यम से प्रकाशित नियमित अंक , विभिन्न विशेषांक और मौलिक ग्रंथों की जानकारी अमोल पेडणेकर जी ने उपस्थित महानुभावों को दी। वर्तमान में दो तरह की पत्रकारिता कार्यरत है एक रोजमर्रा की होने वाली बातों एवं घटनाओं पर सवार होने वाली , दूसरी राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर समाज में परिवर्तन लाने का प्रयास करने वाली पत्रकारिता।  हिंदी विवेक मासिक पत्रिका यह राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर समाज में परिवर्तन लाने का प्रयास करने वाली और अपने पाठकों में राष्ट्र एवं समाज हित का दीर्घकालीन सकारात्मक दृष्टिकोण कर उसका प्रवाह निश्चित करने वाली मासिक पत्रिका है। आने वाली भविष्य में श्री सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट और हिंदी विवेक के माध्यम से कोई बड़ा उपक्रम करने का अवसर हमें प्राप्त हो। ऐसी शुभकामना अमोल पेडणेकर जी ने अपने संबोधन में व्यक्त कि है।

हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के कार्यकारी संपादक पल्लवी अनवेकर जी ने इस समारोह का सुत्र संचालन किया। उन्होंने हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के पंधरा वर्ष के प्रवास की राष्ट्रीय उपलब्धि उपस्थित मान्यवर और श्रोताओं के सम्मुख प्रस्तुतकी । भगवान श्री रामचन्द्र की जन्मस्थली अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठापन समारोह संपन्न हो गया है। इस शुभ अवसर पर भगवान श्री राम की समग्र आदर्श जीवनी का दर्शन एवं जीवनशैली को जानने के उद्देश्य से हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के राम मंदिर विशेषांक का आयोजन किया गया है। अत्यंत अल्प समय में श्री सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के महाप्रबंधक विजय सिंह चावडा जी ने अत्यंत अल्प समय में इतने बड़े समारोह का संयोजन किया, उनका आभार व्यक्त किया।

समारोह के अध्यक्ष और श्री सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी प्रोफेसर जे डी परमार जी ,श्री सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के महाप्रबंधक श्री विजय सिंह चावडा जी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जूनागढ़ विभाग संघ चालक श्री भरत भाई शुक्ल मान्यवरों का सत्कार शाल श्रीफल और हिंदी विवेक मासिक पत्रिका प्रकाशित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: एक विशाल संघटन पुस्तक और सनातन भारत ग्रंथ भेंट देकर किया गया।‌

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