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अंतिम व्यक्ति तक बिजली पहुंचाने का संकल्प -पीयूष गोयल

अंतिम व्यक्ति तक बिजली पहुंचाने का संकल्प -पीयूष गोयल

by अमोल पेडणेकर
in फरवरी २०१६, सामाजिक
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‘‘ भारतवर्ष को स्वतंत्र हुए ६८ साल हो गए परंतु देश के १८.५ हजार गांव अब भी बिजली विहीन हैं। करीब २१ करोड़ लोगों के घरों में अभी भी बिजली नहीं पहुंची है। केंद्र सरकार का लक्ष्य इस स्थिति को बदलना है। श्री पीयुष गोयल के नेतृत्व में केंद्रीय ऊर्जा व बिजली मंत्रालय ने आगामी ३ वर्षों में अधिक वेग से विद्युतिकरण कर देश के दुर्गम भागों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।’’

पूर्ण देश में २०१९ तक २४ घंटे बिजली की उपलब्धता निश्चित करने एवं वह भी सभी लोगों को ़़सस्ती दरों पर बिजली पहुंचाने का मोदी सरकार का संकल्प है। इस संकल्प को पूरा करने में श्री पीयुष गोयल के नेतृत्व में ऊर्जा मंत्रालय ने कमर कस ली है और महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

भविष्य में देश की जनता को विपुल एवं ़़सस्ते दर पर बिजली उपलब्ध कराने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य मा. नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने सामने रखा है। उस दिशा में ऊर्जा व बिजली मंत्रालय को ले जाने की जिम्मेदारी मंत्री पीयुष गोयल को सौंपी गई है तथा वे अत्यंत कुशलता से यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

व्यवसाय से सी.ए. होने के कारण इन दोनों विषयों का गहन अध्ययन कर समस्या सुलझाने का काम पीयुष गोयल कर रहे हैं। आज देश में ७०% बिजली का उत्पादन केवल कोयले से हो रहा है। बिजली बनाने में उपयोग होनेवाले कोयले को खदान से बिजलीघर तक लाने में लंबी कवायद करनी पड़ती है। बिजलीघर तक कोयला रेल द्वारा लाया जाता है। इस दौरान कोयले की चोरी बहुतायत से होती है। वैसे ही जो खदान जिस बिजली कंपनी को आवंटित होती है उसका उपयोग बिजली उत्पादन करने वाली दूसरी कंपनी नहीं कर सकती। कोयला एवं बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियां बहुतायत में होने के बावजूद केवल ‘‘सरकारी’’ नियोजन के कारण बिजली की कमी है एवं बिजली के भाव भी अधिक हैं। ये दोनों महत्व की बातें श्री गोयल ने नोट की एवं उनमें बदल कर जनता के हित में विविध योजनाएं प्रारंभ कीं।

उन्होंने सर्वप्रथम संपूर्ण भारत को एक इकाई मानकर सबके पहुंच में हो ऐसी दर पर बिजली देने की योजना बनाई है। कोयले की कीमत को प्राथमिकता न देते हुए केंद्रीय स्तर पर बिजली मिले यह प्राथमिकता तय की। दो हजार मिलोमीटर दूर से कोयला लाने की बजाय कोयला खानों के पास बिजलीघर निर्माण के विचार को प्राथमिकता दी। इस दिशा में कदम उठाते समय श्री गोयल का विचार है कि भारतवर्ष को स्वतंत्र हुए ६८ साल हो गए परंतु देश के १८.५ हजार गांव अब भी बिजली विहीन हैं। करीब २१ करोड़ लोगों के घरों में अभी भी बिजली नहीं पहुँची। उनका लक्ष्य इस स्थिति को बदलना है। आगामी ३ वर्षों में अधिक वेग से विद्युतिकरण कर देश के दुर्गम भागों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य उन्होंने रखा है।

प्रत्येक राज्य की विद्युत वितरण कंपनियां कर्ज से लदी हैं। इन कर्जों का निराकरण करने हेतु ‘‘उदय’’ नामक योजना आस्तित्व में लाई गई है। उदय अर्थात ‘‘उज्वल डिस्कॉम एशोरेंस योजना’’। इसके कारण ब्याज पर खर्च होने वाला पैसा बचेगा। इसलिए अब आगे से केवल एक प्रकल्प के लिए ही कोयला न दिया जाकर कोयला खानों के पास स्थित बिजलीघरों को कोयला दिया जाएगा। बिजली के लाइनों की संख्या बढ़ाई जाएगी। समग्र देश का विचार कर बिजली निर्माण कम खर्च में हो व बिजली की दरें सभी की पहुंच में हो इस हेतु अनेक निर्णय श्री पीयुष गोयल के नेतृत्व में लिए जा रहे हैं।

देश में विद्युतिकरण का उद्देश्य निर्धारित समय में पूरा हो इसके लिए सरकार ने अपने बिजलीघरों में कार्पोरेट कल्चर अंगीकार करने का निश्चय किया है। इसके कारण आस्थापना के वरिष्ठ से लेकर कनिष्ठ कर्मचारी तक अपना काम प्रामाणिकता से करते हैं, विशेष यह कि इससे निश्चित किया हुआ बिजली उत्पादन का दैनिक लक्ष्य पूरा हो रहा है। सभी बिजलीघरों में दिनभर में बिजली उत्पादन कितना हुआ इसकी जानकारी प्रतिदिन प्रत्येक बिजलीघर से केंद्रीय मंत्री के रुप में श्री पीयुष गोयल ने लेना प्रारंभ किया है। इसके कारण अपने काम की देखरेख हो रही है एवं अपने काम की चिंता मंत्री महोदय को भी है ऐसा संदेश प्रशासन तक पहुंच रहा है। केवल प्रशासन पर अंकुश रहे इसलिए श्री गोयल यह रिपोर्टिंग नहीं ले रहे हैं वरन् काम में आने वाली अड़चनों को दूर करने में भी इसका उपयोग हो रहा है। इस प्रकार की मॉनीटरिंग से स्वतंत्रता के बाद प्रथम बार बीते साल भर में २२ हजार १० सर्किट कि.मी. ट्रान्समिशन लाइन बिछाने का लक्ष्य पूर्ण हुआ है। यह ऊर्जा एवं बिजली मंत्री श्री पीयुष गोयल के नेतृत्व का कौशल्य है।

प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘‘मेक इन इंडिया’’ नामक महत्त्वाकांक्षी प्रकल्प प्रारंभ किया है। विदेशी उत्पादनों का आयात रोककर उन उत्पादनों को देश में ही तैयार कर रोजगार निर्मिति करना, विदेशी मुद्रा बचाना एवं अर्थव्यवस्था मजबूत करना इन उद्देश्यों को सामने रखकर ‘‘मेक इन इंडिया’’ प्रारंभ की गई है। इस योजना में बिजली एवं ऊर्जा मंत्रालय के योगदान याने बिजली उत्पादन के लिए प्रयुक्त होने वाली विविध प्रकार की यंत्र सामग्री भारत में ही तैयार करने एवं भारतीय उद्योगों से ही खरीदने की नीति श्री गोयल ने निश्चित की है।

वर्तमान में देश में साढ़े बाईस हजार मेगावॉट बिजली उत्पादन होता है। इस साल के बजट में साढ़े पांच हजार मेगावॉट क्षमता के पांच प्रकल्प खड़े करने की योजना सरकार ने की है। केन्द्र सरकार ऊर्जा एवं बिजली मंत्रालय के माध्यम से नागरिकों के हितों को ध्यान में रखकर नई नई योजनाएं घोषित कर रही हैं। इस हेतु निधि भी विपुल मात्रा में उपलब्ध है। भारत में करों से प्राप्त राशि के कारण निधि की कमी नहीं है। उसके लिए भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का महत्वपूर्ण निर्णय प्रधान मंत्री मोदी ने लिया है जिसके कारण सीधे कर राशि सरकारी खजाने में जमा करने की व्यवस्था की गई है। इस कारण हाथ में लिए हुए जनहितकारी विविध प्रकल्प समय में पूर्ण हो सकेंगे यह विश्वास श्री पीयुष गोयल को है।

भारत में पर्यावरण को नुकसान से बचाने हेतु अपारंपारिक ऊर्जा को अधिक प्रोत्साहन देने का महत्वाकांक्षी निर्णय भारत के प्रधान मंत्री श्री मोदी ने लिया है। इस दिशा में प्रयत्न करने का संकल्प श्री पीयुष गोयल ने किया है।

एल.ई.डी. याने ‘‘लाईट इमिटिंग डायोड़’’। ये बल्ब वर्तमान में पूरे विश्व में लोकप्रिय हैं। इनके उपयोग से ऊर्जा में ७५% की बचत होती है। इनके कारण देखरेख के खर्च में ३५ से ५० प्रतिशत तक की बचत होती है। वर्तमान में ये बल्ब आयात करना पड़ता है। विश्व में एवं भारत में भी अब जलवायु परिवर्तन की ओर ध्यान केंद्रित हो रहा है। उसमें हमारा भी महत्वपूर्ण योगदान होना चाहिए इस दृष्टिकोण से एलईडी लाईट लगाने की नीति ऊर्जा व बिजली मंत्रालय ने स्वीकार की है। भारत की प्रमुख कंपनियां इन बल्बों का उत्पादन भारत में ही करने के लिए अग्रसर हो रही हैं। आगामी दो वर्षों वर्तमान सभी बल्बों को एलईडी में बदलने का लक्ष्य श्री पीयुष गोयल ने अपने सामने रखा है। सरकार के विशेष प्रयत्नों से, जो ७ वॉट का एलईडी बल्ब ३१० रुपयों में मिलता था उसकी जगह अब ९ वॉट का एलईडी बल्ब ७३ रुपयों में मिलने लगा है। इसके कारण देश में अक्टूबर २०१५ तक २ करोड़ एलईडी बल्ब बेचे गए हैं। इसमें आंध्र प्रदेश का गुंटुर जिला आगे है। यहां अब ९०% घरों में एलईडी बल्ब हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी यही नीति अपनाई जा रही है। श्री पीयुष गोयल के मंत्रालय द्वारा किए जा रहे विशेष प्रयत्नों के कारण प्रतिदिन १२ हजार ६३३ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। वैसे ही प्रतिदिन ७३.५ लाख किलोवॉट प्रति घंटा ऊर्जा की बचत हुई है।

कर्नाटक में इमारतों पर सौर उर्जा पैनल लगाने का काम तीव्र गति से चल रहा है। इसी तरह का काम देश के अन्य राज्यों में प्रारंभ करने का निश्चय श्री पीयुष गोयल का है। २०१९ तक सबसे संपर्क कर ७७ करोड़ पारंपारिक बल्ब व ४० करोड़ सीएफएल बल्ब एलईडी बल्ब में बदलने का लक्ष्य श्री पीयुष गोयल के मंत्रालय ने सामने रखा है। अगले चरण में झारखंड़, मध्यप्रदेश, केरल, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, आसम, चंडीगढ़ व कर्नाटक इन राज्यों में यह उपक्रम चलाया जाएगा। इसके कारण अगले पांच वर्षों में १० हजार करोड़ यूनिट बिजली एवं चालीस हजार करोड़ रुपये की बचत होगी। एलईडी बल्ब का प्रचार-प्रसार कर यह बड़ी भारी रकम, जो करों से खर्च होती है, बचाई जाएगी। बिजली की बचत याने बिजली का निर्माण ही है।

मोदी सरकार सत्ता में आने के पूर्व देश का बिजली व ऊर्जा क्षेत्र दम तोड़ने की स्थिति में था। इस संदर्भ में उस समय की सरकार हमेशा आम जनता को दोषी ठहराती थी। परंतु वह गलत एवं भ्रामक विचार था। सामान्य व्यक्ति द्वारा दी गई बिजली की कीमत हमेशा स्थानीय हितों की भेंट चढ़ जाती थी। सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी के अनुसार २८ प्रतिशत बिजली ट्रांसमिशन में एवं १८ प्रतिशत बिजली चोरी में नष्ट होती है। एक सत्य यह भी है कि बिजली दरों में युक्तिसंगत बदलाव न होने के कारण बिजली क्षेत्र में अंदाजन ८० हजार करोड़ का नुकसान होता था। घाटे को पूरा करने की कोई भी योजना तब नहीं थी। सच में देखा जाये तो बिजली संकट का कारण तकनीकी न होकर राजनैतिक था। किसी भी क्षेत्र में मांग एवं पूर्ति का समन्वय होना चाहिए। बिजली क्षेत्र में इसकी कमी थी। उस समय के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष २०११-१२ में १७ हजार मेगावॉट तक बढ़ोत्तरी होने के बाद भी बिजली क्षमता का पूरा पूरा उपयोग नहीं किया गया। पिछली सरकार के समय में हुए गलत नीति-निर्णयों के बारे में अपना मत श्री पीयुष गोयल ने इसी प्रकार प्रकट किया।

बिजली अथवा ऊर्जा मंत्रालय याने घाटे में चलने वाला मंत्रालय ऐसा पिछली सरकार के कार्यकाल में जाना जाता था। यह श्री पीयुष गोयल का कहना है कि हमने यह पहचान बदली है। हम पर्यावरण का रक्षण भी करते हैं एवं देश का विकास भी। केंद्रीय बिजली एवं ऊर्जा मंत्रालय ने सन २०१९ तक प्रत्येक घर में सस्ती दर पर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में समाज के अंतिम छोर पर खड़े आखिरी व्यक्ति तक पारदर्शी रुप से शासन का काम पहुंचाने में श्री पीयुष गोयल के नेतृत्व में केंद्रीय बिजली एवं ऊर्जा मंत्रालय की महत्वपूर्ण भागीदारी है।

जर्मनी से समझौता मील का पत्थर

जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के भारत दौरे के बाद अप्रैल माह में प्रधान मंत्री मोदी जर्मनी के दौरे पर गए थे। भारत एवं जर्मनी में १८ समझौते हुए। उसमें उर्जा के क्षेत्र में किया गया समझौता सबसे महत्वपूर्ण है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिलिकान वैली की तरह भारत में भी सोलर वैली स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई। आज संपूर्ण विश्व ऊर्जा संकट से पीड़ित है। पर्यावरण का संतुलन रखने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों का शोध एवं संशोधन अपरिहार्य हो गया है। प्रधान मंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत इस दिशा में शीघ्रता से प्रयत्नशील है। अपारंपारिक ऊर्जा स्रोंतों पर विश्वास रखने वाले यूरोप के सबसे अमीर देश जर्मनी से हुआ यह समझौता ऊर्जा क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

मो. : ९८६९२०६१०६

अमोल पेडणेकर

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