भारत में ऐसे अनेक सुरम्य, मनमोहक, प्राकृतिक स्थान उपलब्ध हैं जो डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए उपयुक्त है। केवल दिखावे के लिए विदेश जाना कहां तक उचित है? वैसे भी विवाह समारोह का जो मजा, आनंद, हर्षोउल्लास अपने देश में है, वह विदेश में तो कतई नहीं मिल सकता।
कुछ साल पहले की ही तो बात है, जब हमारे घरों में विवाह की तैयारी होती थी तो खाने-पीने से लेकर ठहरने की व्यवस्था के लिए हम अपने ही शहर के लोगों को ठेका दिया करते थे, घर में जगह कम हो तो आसपास कोई बारातियों के लिए घर बुक कर लेते थे। शामियाना, बैंड और हलवाई सबका ठेका अपने आसपास के लोग ही सम्भालते थे। शहर की दुकानों से शादी के कपड़े, गहने, बर्तन, दुल्हन को दिया जाने वाला सामान, पूजन सामग्री और राशन पानी की व्यवस्था, दरी, चटाई, गद्दा, तकिया और चादरों की व्यवस्था सब अपने शहर के लोग ही करते थे। इस तरह जितना भी पैसा विवाह में खर्च होता था वह शहर के व्यापारियों के खाते में ही जाता था। यही नहीं बस्तियों के लोग ही आकर शादी ब्याह के कामों में हाथ बंटाते थे, जिसके कारण कैसे विवाह सम्पन्न हो जाता था पता ही नहीं चलता था। महिलाएं मिलकर ढोलक-मंजीरों से विवाह के गीत गा लिया करतीं, नाच गान करतीं, जिसकी रौनक देखते ही बनती थी। उस समय मेहमान भी कई दिन पहले से घर में आ जाते थे, उनका एक साथ उठना-बैठना, गप्पें मारना, हंसी ठहाके शादी के उत्सव को और भी खुशनुमा बना देते थे।
मगर आजकल आधुनिकता की दौड़ में विवाह के अर्थ बदल गए हैं और विवाह के स्थल भी। आज लोग घर से बाहर दूसरी जगह जाकर शादी करना पसंद करते हैं जिसे डेस्टिनेशन वेडिंग का नाम दिया गया है। हालांकि दूसरे स्थान पर जाकर शादी करना बड़ा चुनौती का काम है, लेकिन आज इतनी सुविधा बाजार में उपलब्ध है कि आप पैसा डालिए और आपके सारे काम सुगमता से होते चले जाएंगे। विवाह को एक भव्य आयोजन बनाने के लिए आज बहुत सारे आयोजक होने लगे हैं जो पूरे विवाह का ठेका ले लेते हैं, रस्मों से लेकर मेहमानों के ठहरने, खाने-पीने और मनोरंजन का सारा प्रबंध करते हैं।
प्री वेडिंग शूट, हल्दी, मेहंदी, संगीत, कॉकटेल पार्टी, जयमाला कैसे होगी, फोटोग्राफी कैसे होगी, डांस के लिए कोरियोग्राफर, किस तरह का संगीत बजेगा, फूलों और विद्युत झालरों की सजावट, आतिशबाजी, कैटरर की व्यवस्था और व्यंजनों के विभिन्न प्रकार ये सब इनके आयोजन में शामिल होते हैं। अब तो दिखावा इतना अधिक बढ़ गया है कि धनी वर्ग के लोग विदेश में शादी के लिए जाना पसंद करने लगे हैं, मलेशिया, सिंगापुर, मॉरीशस, ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड और दुबई उनकी सूची में प्रमुख होते हैं। जिसके कारण भारतीय मुद्रा बाहर चली जाती है। दिखावे के चक्कर में लाखों ही नहीं करोड़ों का खर्चा करते हैं और उसका लाभ सिर्फ विदेशों को होता है। उसका एक अलग आनंद तो होता है, लेकिन उसमें औपचारिकता और दिखावा अधिक होता है, अपनापन घट जाता है। मेहमानों की संख्या में कटौती हो जाती है, कुछ विशेष मेहमान ही आमंत्रित किए जाते हैं और उनके लिए भी अलग-अलग कमरे होते हैं। कार्यक्रम की सूची दे दी जाती है कि आप लोग किस समय वहां पर उपस्थित होंगे यानी सभी मेहमान अपने कमरे से तैयार होकर निश्चित समय पर विवाह स्थल पर पहुंचकर विवाह में शामिल होंगे। कई बार बच्चों की भी यही डिमांड होती है कि उनका विवाह एक यादगार विवाह हो। ऐसी डेस्टिनेशन वेडिंग में अच्छा खासा पैसा खर्च तो होता है, लेकिन जो आनंद अपने मेहमानों के स्वागत में, उनके साथ मिल बैठ कर गप्पबाजी, पुरानी यादें ताजा करने में, नाच-गान में आता है वो सब नहीं मिल पाता।
अगर यही डेस्टिनेशन वेडिंग भारत के शहरों में हो तो अनेक लाभ हैं, एक तो मुद्रा देश में ही रहेगा। मेहमानों में अनावश्यक कटौती नहीं करनी पड़ेगी। विवाह के सारे आनंद विदेशी डेस्टिनेशन से अधिक ही मिलेंगे। भारत में अनेक सुंदर स्थान हैं, जैसे जयपुर, उदयपुर, बीकानेर, जैसलमेर, गोवा, केरल, आगरा, पुणे आदि। इसी बहाने लोगों को नई जगह भी देखने को मिल जाती है। लोकल फॉर वोकल की व्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है। आजकल जगह-जगह गेस्ट हाउस, रिसोर्ट बन गए हैं। इससे आप अपने शहर में रहकर भी डेस्टिनेशन वेडिंग का आनंद ले सकते हैं।
हमें सबसे पहले बजट का ध्यान रखना चाहिए। यदि आप कम बजट की डेस्टिनेशन वेडिंग करना चाहते हैं तो एक दिन की शादी में करीब 25 लाख रुपए, जबकि दो दिन की शादी में करीब 50 लाख रुपये तक का खर्चा हो जाता है। यदि आप खर्च पर लगाम लगाना चाहते हैं तो पहले से आप गेस्ट की लिस्ट तैयार करिए, गेस्ट की संख्या बढ़ेगी तो खर्च भी बढ़ेगा।
डेस्टिनेशन वेडिंग का आनंद अपने देश में ही लीजिए। भारत में अनेक सुरम्य स्थान हैं उनमें से कोई भी स्थान चुन लीजिए। विवाह की तैयारी से पहले ही अपने बच्चों से विस्तार से चर्चा करें कि खर्चा भी करना है तो इस पर नियंत्रण कैसे किया जाए। अपने बजट की सीमित मात्रा उनको स्पष्ट बताएं। जिससे सुगमता और हर्षोल्लास से मांगलिक कार्य सम्पन्न हो सके और जो पैसा बचे उसे बच्चों के भविष्य निधि के रूप में जमा कर दें, विवाह को यादगार तो बनाएं, किंतु अपनी परम्पराओं के अनुसार ही विवाह सम्पन्न करें, विवाह सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट नहीं है, सात फेरों का सुंदर बंधन है, जिसे जीवन भर के लिए निभाना होता है।