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संसद में कांग्रेस का हिंदू व संविधान विरोधी चेहरा उजागर

संसद में कांग्रेस का हिंदू व संविधान विरोधी चेहरा उजागर

by मृत्युंजय दीक्षित
in ट्रेंडींग, राजनीति, विशेष
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राहुल गांधी को समझना चाहिए कि हिंदू समाज हिंसक होता तो वो सदन में खड़े होकर ऐसे अपशब्द नहीं बोल पाते। हिंदू समाज सदा से सहिष्णु रहा है और यही कारण रहा है कि आज भी भारत में लोकतांत्रिक परम्पराएं और मूल्य जीवित हैं। यह हिंदू समाज का धैर्य है कि राहुल गांधी सदन में खड़े होकर समस्त हिंदू समाज को हिंसक कहने का साहस जुटा पा रहे हैं और हिंदुओं के आराध्य भगवान शिव का अनादर कर रहे हैं। राहुल गांधी की हरकतों से आज सम्पूर्णं हिंदू समाज उसी प्रकार आहत है जैसे कांग्रेस के भगवान राम काल्पनिक कहने के समय था। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहना बिल्कुल सत्य है कि हिंदू जनमानस को यह देखना होगा कि यह एक संयोग है या फिर कोई खतरनाक प्रयोग किया गया है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग गठबंधन सरकार के तीसरे कार्यकाल के, प्रथम संक्षिप्त संसद सत्र का समापन हो चुका है। नियमानुसार इस सत्र में माननीय राष्ट्रपति ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों को संयुक्त रूप से सम्बोधित किया। ये सत्र विपक्ष और मुख्यतः कांग्रेस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। दस वर्षों के बाद कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष बनने का अवसर मिला है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद एक बहुत ही जिम्मेदारी वाला पद होता है और कांग्रेस ने ये जिम्मेदारी अपने नेता राहुल गांधी को दी। राजनैतिक विश्लेषकों का अनुमान था कि अब राहुल गांधी एक सदन के अंदर और बाहर एक परिपक्व राजनेता की तरह व्यहार करेंगे , विभिन्न मुद्दों पर गम्भीरता के साथ बहस करेंगे, समस्याओं के उचित समाधान की बात करेंगे। दस वर्षों के बाद भी 99 सीट लेकर नेता प्रतिपक्ष बने। राहुल गांधी ने अपने पहले ही भाषण और पहले ही सत्र के आचरण से न केवल देश को निराश किया अपितु कांग्रेस के वास्तविक शुभचिंतकों में भी निराशा दिखी।

सर्वप्रथम राहुल गांधी और उनके नए मित्र सपा नेता सांसद अखिलेश यादव ने शपथ ग्रहण के दौरान क्रमशः लाल व नीले रंग के कवर वाली संविधान की प्रति हाथ में लेकर बता दिया कि आगामी दिनों में वह झूठे नैरेटिव वाली राजनीति करने जा रहे हैं, बाद में उनके सांसदों ने भी उनकी नीति का अनुसरण किया। वरिष्ठ और पढ़े लिखे माने जाने वाले कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी जय संविधान का नारा लगाया। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चुनावी मोड में ही रहे और बिना तथ्यों का वही भाषण दिया जो वो अपनी चुनावी रैलियों में दिया करते थे। अंतर इतना ही हुआ कि सदन के अंदर भाषण देते हुए वो इतने उत्तेजित हो गए कि भाजपा व संघ पर हमला करने के प्रयास में सम्पूर्ण हिंदू समाज को ही हिंसक कह बैठे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बहुत ही उन्मादी तरीके से कहा कि जो लोग खुद को हिंदू कहते हैं वह लोग चौबीस घंटे केवल हिंसा करते हैं, नफरत फैलाते हैं और झूठी बातेें करते हैं। यही नहीं राहुल गांधी अपने भाषण के दौरान भगवान शिव की एक फोटो को बार -बार सदन के अंदर दिखाते थे और फिर उसे उल्टा रख देते थे ऐसा उन्होंने संसद में कई बार किया। इतना ही नहीं उन्होंने भगवान शिव और उनकी अभय मुद्रा की अद्भुत व्याख्या तक कर डाली, ऐसा करके राहुल गांधी ने न सिर्फ भगवान शिव का अपमान किया अपितु भारत की मूल आत्मा व संविधान के सभी नियमों का भी घोर उल्लंघन किया। अपने 18 प्रतिशत मस्लिम वोट बैंक को प्रसन्न करने के लिए 100 करोड़ से अधिक हिंदू जनमानस व उनकी आस्था का घोर अपमान कर डाला।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अविलम्ब संज्ञान लेकर इसका विरोध किया और कहा कि यह एक बहुत ही गम्भीर मामला है। संसद में ही किसी धर्म को हिंसक कहना एक बहुत बड़ा अपराध है और संविधान विरोधी कृत्य है। राहुल गांधी का यह हिंदू विरोधी बयान सामने आते ही सम्पूर्ण भारत के हिंदू समाज में आक्रोश की आग भड़क गई। सम्पूर्ण भारत में राहुल गांधी व कांग्रेस के विरोध में प्रदर्शन हुए। राहुल गांधी के पोस्टरों पर कालिख पोती गई। राहुल गांधी भगवान शिव का चित्र लहराते समय यह भूल गए कि भगवान शिव के प्रति हिंदू जनमानस में गहरी आस्था है। भगवान शिव का दर्शन किया जाता है उनका प्रदर्शन नहीं किया जाता है। ऐसा प्रतीत होता है राहुल गांधी का भाषण कांग्रेस के भीतर गहरे तक जड़ जमाए हिंन्दू घृणा का प्रस्फुटन था। राहुल गांधी का यह भाषण हिंदुओं के विरुद्ध बड़े षडयंत्र का संकेत दे रहा है, जिसका उल्लेख प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सम्बोधन में कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह देश इन बातों को लम्बे समय तक भूलने वाला नहीं है।

वस्तुतः राहुल गांधी का भाषण कहीं न कहीं चर्च से प्रेरित लगता है क्योंकि चर्च व उसकी प्रार्थना सभाओं में भी हिंदुओं को सनातन से दूर ले जाने के लिए इसी प्रकार की हरकतें की जाती हैं। कांग्रेस व इंडी गठबंधन के नेताओं ने लोकसभा चुनावों के दौरान व उसके पूर्व से ही हिंदुओं के विरुद्ध घृणा का अभियान चलाया था। कांग्रेस सहयोगी दल द्रमुक ने हिंदुओं की तुलना डेंगू, मलेरिया से की थी और हिंदुओं के पूरी तरह उन्मूलन करने की बात कही थी और कांग्रेस व गांधी परिवार द्रमुक नेताओं के पीछे खड़े होकर उन्हें शक्ति दे रहा था। द्रमुक नेता लोकसभा चुनावों के पहले जो बयान दे रहे थे उसके लिए उन्हें कांग्रेस के गांधी परिवार का ही संरक्षण प्राप्त था। राहुल गांधी के हिंदू विरोधी बयानों का बिहार के तेजस्वी यादव और महाराष्ट्र के उद्वव ठाकरे जैसे नेता समर्थन कर रहे हैं, इसमें तेजस्वी यादव के साथ राहुल गांधी सावन के महीने में मछली -मटन की दावत का प्रदर्शन करके हिंदू समाज को चिढ़ाने का कार्य करते हैं।

राहुल गांधी को समझना चाहिए कि हिंदू समाज हिंसक होता तो वो सदन में खड़े होकर ऐसे अपशब्द नहीं बोल पाते। हिंदू समाज सदा से सहिष्णु रहा है और यही कारण रहा है कि आज भी भारत में लोकतांत्रिक परम्पराएं और मूल्य जीवित हैं। यह हिंदू समाज का धैर्य है कि राहुल गांधी सदन में खड़े होकर समस्त हिंदू समाज को हिंसक कहने का साहस जुटा पा रहे हैं और हिंदुओं के आराध्य भगवान शिव का अनादर कर रहे हैं। राहुल गांधी की हरकतों से आज सम्पूर्णं हिंदू समाज उसी प्रकार आहत है जैसे कांग्रेस के भगवान राम काल्पनिक कहने के समय था। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहना बिल्कुल सत्य है कि हिंदू जनमानस को यह देखना होगा कि यह एक संयोग है या फिर कोई खतरनाक प्रयोग किया गया है।
हिंदुओं से घृणा ही कांग्रेस का इतिहास है। वो सदा ही हिंदुओं को द्वितीय श्रेणी का नागरिक मानती रही है। वर्ष 2010 में तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने हिंदुओं को आतंकवादी कहा था, वहीं 2013 में उस समय के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इसी बात को दोहराया था।

राहुल गांधी ने 2021 में कहा था कि हिंदुत्ववादियों को देश से बाहर निकाल देना चाहिए। मुंबई हमलों में तो कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम ही कर डाला था। कांग्रेस के एक और पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने एक बार गीता पर बयान देते हुए कहा था कि यह पुस्तक हिंसा और नफरत सिखाती है। राहुल गांधी ने तो समस्त धार्मिक हिंदुओं पर लांछन लगाते हुए कहा था कि लोग मंदिरों में लड़कियां छेड़ने के लिए जाते हैं। राहुल गांधी को संभवतः यह पता नहीं है कि हिंदुत्व भारत की आत्मा है। हिंदुत्व विश्व बंधुत्व का पोषक है। हिंदुओं को हिंसक कहना कांग्रेस की हिंदुओं के प्रति घृणा का साक्ष्य है। हिंदू समाज पूरे विश्व में अपनी सहनशीलता और सज्जनता के लिए जाना जाता है। हिंदुओं ने हमेशा शांति का पाठ पढ़ा और पढ़ाया है। हिंदू धर्म ने अपने प्रचार प्रसार के लिए कभी भी कहीं भी किसी ने हिंसा, घृणा और असत्य का सहारा नहीं लिया है। हिंदू धर्म तो प्रत्येक जीव में समान ईश्वरीय चेतना देखता है, यहां तक कि पेड़ -पौधों, नदी ,पर्वत की भी पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में सदा धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो का उद्घोष किया जाता है। ऐसा धर्म हिंसक कैसे हो सकता है?

राहुल गांधी एक बड़े षडयंत्र के तहत हिंदुओ को हिंसक साबित करने का आधार तैयार कर रहा है। राहुल गांधी ने संसद के अंदर और वह भी राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिंदू समाज को हिंसक कहा है जो पूर्णतया अक्षम्य है। राहुल गांधी परोक्ष रूप से गजवा -ए- हिंद के लिए जमीन तैयार कर रहा है। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि केरल में पीएफआई कांग्रेस का समर्थन कर रही है और वायनाड में पीएफआई ने राहुल गांधी का समर्थन किया था। द्रमुक और कांग्रेस साथी हैं। पश्चिम बंगाल में जगह जगह शरिया कोर्ट लगवाने वाली ममता कांग्रेस के साथ हैं । राहुल गांधी का यह बयान हिंदुओं के विरुद्ध हिंसा के इरादे की घोषणा है। चुनाव परिणाम आने से पूर्व ही राहुल गांधी ने देश में आग लगाने की बात कही थी और एक बार फिर अपने सदन के सम्बोधन के माध्यम से एक प्रकार फिर हिंदू विरोधी ताकतों को एकत्र करने का प्रयास किया है। हिंदुत्व के पुरोधा नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार पराजित किया है यह बात गांधी परिवार स्वीकार नहीं कर पा रहा है।

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