बारिश के लगभग 10 दिन पहले दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने दावा किया था कि बरसात के दौरान जलभराव की समस्या से निपटने के लिए व्यापक तैयारियां कर ली गई हैं। मॉनसून एक्शन प्लान भी पहले ही तैयार कर लिया गया है। चार फीट से ज्यादा गहरे 713 नालों की सफाई का काम आखिरी चरण में है। उससे कम गहरे करीब 21 हजार नालों की सफाई का 85 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। एमसीडी का यह भी दावा था कि जलभराव रोकने के लिए निगम के 70-80 स्थायी पम्पिंग स्टेशनों पर 24 घंटे स्टाफ उपलब्ध रहेगा। इसके अलावा करीब 500 अस्थाई भी पूरी तरह से तैयार हैं।
दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल प्राय: दावा करते थे कि वह यमुना को लंदन की टेम्स नदी और दिल्ली को झीलों का शहर बनाएंगे। आज जब चारों तरफ दिल्ली हल्की सी बारिश के बाद जल भराव की समस्या से जूझ रही है, केजरीवाल के इन वादों पर लोग व्यंग्य और कटाक्ष कर रहे हैं। केजरीवाल की बेशर्मी की स्थिति यह है कि वह शराब घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में तिहाड़ जेल की हवा खा रहे हैं और उनका रवैया इस आरोप को पुष्ट कर रहा है कि उन्हें संवैधानिक गरिमा की रंच मात्र परवाह नहीं है।
देश की राजधानी दिल्ली में बारिश का मौसम आने पर हर साल जल जमाव की भयंकर समस्या देखने को मिलती है। बरसात के पहले सत्तारूढ़ दल के मंत्री, नेता और सरकारी अधिकारी जलजमाव की समस्या से निपटने की तैयारी करते हैं। करोड़ों रुपए नालों और नालियों की सफाई पर खर्च किए जाते हैं। इसके बावजूद थोड़ी सी बारिश होती है और विभिन्न क्षेत्रों में जलजमाव होता है। इसके बाद पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का लम्बा दौर शुरू होता है जो बारिश के मौसम भर चलता है।
बारिश के लगभग 10 दिन पहले दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने दावा किया था कि बरसात के दौरान जलभराव की समस्या से निपटने के लिए व्यापक तैयारियां कर ली गई हैं। मॉनसून एक्शन प्लान भी पहले ही तैयार कर लिया गया है। चार फीट से ज्यादा गहरे 713 नालों की सफाई का काम आखिरी चरण में है। उससे कम गहरे करीब 21 हजार नालों की सफाई का 85 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। एमसीडी का यह भी दावा था कि जलभराव रोकने के लिए निगम के 70-80 स्थायी पम्पिंग स्टेशनों पर 24 घंटे स्टाफ उपलब्ध रहेगा। इसके अलावा करीब 500 अस्थाई भी पूरी तरह से तैयार हैं।
इसी तरह जलभराव न हो, इसे लेकर एनडीएमसी ने मई में कई तरह के दावे किए थे। एनडीएमसी एरिया में 14 ड्रेन हैं, जिनकी कुल लम्बाई करीब 271 किमी है, जबकि कुशक नाले की लम्बाई 3 किमी है। अधिकारियों का दावा था कि इन सभी नालों की सफाई हो चुकी है। साथ ही 11 हजार से अधिक मेनहोल्स की भी सफाई हो गई है, लेकिन इन दावों के बावजूद बारिश के बाद लुटियंस जोन की सड़कें डूब गईं और बंगलों-कार्यालय में पानी भर गया। जिन जगहों पर कभी पहले जलभराव की समस्या नहीं हुई थी, वहां भी यह समस्या देखने को मिली।
वहीं दिल्ली की प्रमुख सड़कों, फ्लाईओवरों और अंडरपासों में जलभराव न हो, इसके लिए पीडब्ल्यूडी ने पिछले महीने दावा किया था कि उसकी 1375 ड्रेन्स में से 61 प्रतिशत की सफाई हो चुकी है। इन सभी ड्रेन्स की कुल लम्बाई करीब 2156 किमी है, जिनमें से 1293 किमी लम्बाई तक ड्रेन्स साफ हो चुकी है। अंडरपासों में पानी जमा न हो, इसके लिए पर्याप्त संख्या में मोटर पम्प लगाए गए हैं और जहां जरूरत है, वहां सम्पवेल भी बनाए गए हैं। इन दावों के बावजूद पीडब्ल्यूडी की सड़कों, फ्लाईओवरों और अंडरपासों में भी पानी भर गया। दिल्ली में पीडब्ल्यूडी के जितने भी अंडरपास हैं, उनमें से एक भी ऐसा नहीं रहा, जहां पानी न भरा हो।
दिल्ली में बारिश की समस्या से निपटने के लिए कई एजेंसियां जैसे एमसीडी, एनडीएमसी, डीडीए, सीपीडब्लूडी आदि काम करती हैं। इन एजेंसियों के बीच तालमेल बना रहे और नालों की गाद निकालने का काम सही तरीके से तय समय सीमा के भीतर पूरा कर लिया जाए, यह सुनिश्चित करना दिल्ली की आम आदमी पार्टी का काम है। वास्तविकता यह है कि नालों से गाद निकालने का काम कागजों पर अधिक होता है। अधिकतर नाले वर्षों से साफ नहीं किए गए हैं। गाद निकालने का काम जहां किया भी जाता है, वह आधा अधूरा ही रहता है। हर साल कितने ट्रक गाद निकाली जाती है और इसे कहां फेंका जाता है, इस बारे में दिल्ली सरकार के पास कोई संतोषजनक उत्तर नहीं है। जाहिर है गाद निकालने के काम में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हो रहा है। इस पर लगाम लग जाए तो दिल्ली में जल जमाव की समस्या से मुक्ति सम्भव है।
फिलहाल दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में बैठकर सरकार चला रहे हैं। पार्टी के कई नेता शराब नीति और धनशोधन के मामले में या तो जमानत पर हैं या फिर जेल में हैं। जल मंत्री आतिशी की नजर मुख्य मंत्री की कुर्सी पर केंद्रित है। पार्टी के नेताओं के बीच आपसी प्रतिद्वंद्विता चरम पर है। इसकी कीमत दिल्ली के लोग चुका रहे हैं। आप नेता पहले भाजपा की शासन वाले निगम पर झूठे आरोप लगाते थे। अब निगम की सत्ता उनके पास है, इसलिए वह बहाना नहीं बना सकते हैं और अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
दिल्ली में नालों की गाद निकालने के लिए हर साल लगभग 8 सौ करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं। अगर आप सरकार ईमानदारी से काम करे तो इस धनराशि से न सिर्फ नालों की सही तरीके से सफाई हो सकती है, बल्कि नालों का कायाकल्प भी किया जा सकता है।
बारिश से जलजमाव की समस्या पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने सभी सिविक एजेंसियों को बारिश के पानी के ड्रेनेज सिस्टम और जलभराव से निपटने के लिए एक समग्र योजना बनाने का आदेश दिया है। इस आदेश पर अमल दिल्ली सरकार को करना है, जिसमें उसकी अक्षमता उजागर हो चुकी है। ऐसे में आज दिल्ली की जनता के सामने सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि जल जमाव से मुक्ति कैसे मिले?
– संजय राय