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समस्त महाजन के सेवा कार्यों की रीढ़ युवा-शक्ति

समस्त महाजन के सेवा कार्यों की रीढ़ युवा-शक्ति

by विजय मराठे
in अगस्त २०१८, सामाजिक
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युवा शक्ति समस्त महाजन के सामाजिक और सेवा कार्यों की रीढ़ है। आपदाग्रस्त इलाकों में कार्यों के अलावा संस्था ने मंदिरों की सफाई का प्रशंसनीय कार्य किया है। अब योजना यह है कि इन युवकों के माध्यम से हर गांव गोकुल बने। वे उस गांव के तालाब, गोचर, पशुपालन, कृषि जैसी सभी व्यवस्थाओं को मार्गदर्शित करें। राष्ट्र निर्माण का यह बहुत बड़ा काम होगा।

हमारे देश में जब भी कोई बड़ी दुर्घटना हुई या कोई प्राकृतिक आपदा आई समस्त महाजन संस्था ने सदैव आगे आकर लोगों की मदद की है। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में उनका अत्यंत कम समय में तथा सम्पूर्ण आवश्यक सामग्री के साथ पहुंचना सचमुच आश्चर्यजनक है। समस्त महाजन संस्था के अध्यक्ष गिरीशभाई शहा इसका सारा श्रेय समस्त महाजन की 25,000 युवाओं की सेना को देते हैं। गिरीशभाई कहते हैं “एक कहावत है ‘खाली दिमाग शैतान का घर’ हमारे आज के युवा चाहते हैं कि हम कुछ काम करें, परंतु हमारी व्यवस्था ऐसी है कि उसमें बैठे बुजुर्ग कुर्सी छोड़ना नहीं चाहते। इससे युवाओं को काम नहीं मिलता और वे गलत मार्ग पर चलने लगते हैं। हमारा नेटवर्क जैन नेटवर्क है। हमने सोचा कि इस संदर्भ में युवाओं को केवल भाषण देने के बजाए उन्हें प्रत्यक्ष ऐसा काम दिया जिसमेंउनका मन भी लगे और वे हमसे जुड़े भी रहें।”

युवाओं से जुडे अलग-अलग कामों के बारे बताते हुए गिरीशभाई  कहते हैं कि “जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छता अभियान शुरू किया तो उसमें गांव और शहरों की स्वच्छता की बात की। हमने देखा कि हमारे मंदिर भी काफी समय अस्वच्छ रहते हैं। अत: हमने मंदिरों में स्वच्छता अभियान शुरू किया। यह अत्यधिक मेहनत का काम होने के कारण ट्रस्टी इसे करवाने में हिचकिचाते थे। हमने युवाओं को इसमें जोड़ा। युवाओं को इसमें जोड़ने से इतना लाभ हुआ कि आज अहमदाबाद शहर के 515 मंदिरों में स्वच्छता अभियान चला। एक मंदिर में कम से कम 20-25 युवाओं को पूरा दिन काम करना होता है। सिर्फ अहदाबाद में 10 से 15 हजार युवक-युवतियां काम पर लग गए। काम करने के बाद उनमें परमात्मा, भगवान, समाज के प्रति श्रद्धा निर्माण हुई। बाद में उन युवाओं ने हमें स्वयं कहा कि कहा  कि यह काम बहुत अच्छा है। अगर और काम हो तो हमें अवश्य बताएं। इन 10-12 हजार युवक-युवतियों के सहयोग से हम लोगों ने मेवाड़ के 500 जीनालयों का शुद्धिकरण किया। राजस्थान  के जैसलमेर में6000 मंदिरों के शुद्धिकरण के लिए मैं पहली बार 400 युवाओं को लेकर गया।”

अन्य प्रदेशों के मंदिर शुद्धिकरण के संदर्भ में गिरीशभाई बताते हैं, “जैसलमेर के कार्य को देखकर पूज्यपाद आचार्य नवरत्न सुरेश्वरजी महाराज ने कहा कि यह काम तो मालवा में भी होना चाहिए। मालवा में लगभग छ: सौ जैन मंदिर है। हमने कहा कि कोई कार्यकर्ता बाहर से नहीं आएगा। हम यह काम स्थानीय युवाओं को साथ लेकर ही करेंगे। नवरत्न सुरीश्वर महाराज का नवरत्न परिवार था उससे काफी युवा जुड़े थे। उन युवाओं का एक बड़ा सम्मेलन ताल नामक गांव में आयोजित किया। वहां हमने उन युवाओं को आवाहन किया कि मालवा के मंदिरों का शुद्धिकरण का कार्य करना है। हमारे आवाहन पर वहां भी 10 हजार युवा जुड़े और 600 मंदिरों का शुद्धिकरण हुआ। पुस्तकालय अर्थात ज्ञानभंडार का शुद्धिकरण हुआ, जिससे लोग ज्ञानभंडार में आने लगे। फिर हमने गोशाला की स्वच्छता की। इस तरह एक के बाद एक स्वच्छता के कार्य शुरू हो गए।”

स्वच्छता के अलावा किए जाने वाले कार्यों के संदर्भ में गिरीशभाई कहते हैं कि “हमारे गुरू महाराज महाबोधी सुरेश्वरजी ने हमें एक विचार दिया कि हमारे जैन साधु-साध्वी कभी वाहन का प्रयोग नहीं करते। उन्हें प्रोटेक्शन चाहिए। 15 किमी के विहार में अगर उनके साथ कोई रहेगा तो उन्हें आसानी होगी। अत: उन्होंने विहार सेवा ग्रुप बनाया और देखते ही देखते उसमें 10 हजार युवा जुड़ गए। इससे उन युवकों में उत्साह का संचार हुआ। इस प्रकार जैन समुदाय के युवकों के साथ अन्य कई प्रकार के काम हैं।”

हर अच्छे काम की शुरुआत एक छोटे से बिंदु से होती है। समस्त महाजन के युवाओं की टीम में भी पहले 100 युवा जुड़े थे जिन्होंने उत्तराखंड की बाढ़ के समय राहत कार्य किया था। इस संदर्भ में गिरीशभाई बताते हैं कि “उत्तराखंड में जब बाढ़ आई तब सरकार के साथ सबसे पहले बाढग्रस्त इलाके में पहुंचनेवाली संस्था समस्त महाजन ही थी। जब युवाओं से मैंने अपील की आप में से जिन्हें आना है आ जाइए। तो 100 युवाओं की टीम तयार हुई। ये 100 युवा वहां रूके, घर घर गए। लोगों की सेवा की, मदद की। उसके बाद कश्मीर की बाढ़ हो, नेपाल का भूकंप हो, या  महाराष्ट्र का अकाल हो- सभी जगह हमने युवाओं को साथ लेकार काम किया। महाराष्ट्र के अकाल में हम लोगों ने एकसाथ 124 गांव में काम किया। हर गांव में हमारा कार्यकर्ता था। युवाओं ने 45 डिग्री तापमान में काम किया। आज महाराष्ट्र में 2013 से 2018 इन पांच साल में 300 से अधिक गांव में जलसंधारण का काम किया और उसका बहुत अच्छा परिणाम आया है।”

गिरीशभाई ने आगे बताया, “इस बार गुजरात में भी सुजलाम् सुफलाम् जल अभियान 2018 के अंतर्गत बनासकाठा तहसील के अंतर्गत 15 गांव और शंखेश्वर तहसील पाटन के अंतर्गत 5 गांवों में काम किया। हम हर गांव में ऐसे ही युवाओं को आमंत्रित करते थे। वे एक महीने का व्यवसाय का नुकसान सहन करके भी आते थे। इससे उनमें सेवा की भावना जगी। उन्हें यह समझ में आ गया कि धर्म तब टिकेगा जब राष्ट्र टिकेगा और राष्ट्र तब टिकेगा जब राष्ट्र की सारी व्यवस्थाएं सुदृढ़ हो जाएंगी। आज गौशाला पांजरपोल का विकास हो, गौचर का विकास हो, वृक्षारोपण हो, तालाब या पानी का काम हो, जलसंधारण के काम हो, हर जगह पर हम युवाओं को जोड़ते हैं। कभी कोई युवा कहता है कि वह पूरा समय इस काम को देना चाहता है तो उसके परिवार का नियोजन भी करते हैं। इस तरह हम युवाओं को जोड़ने का काम कर रहे हैं।”

युवाओं में निहित असीम शक्ति के सम्बंध में गिरीशभाई कहते हैं, “युवाओं में बुलेट ट्रेन जैसी ताकत है। आप इंजन दे दो तो मुंबई से दिल्ली फ्लाइट से भी पहले पहुंच जाएंगे। हमने उनकी ताकत का पूरा उपयोग किया है। आगे हमारी एक योजना है। पूरे भारत में 5 करोड से अधिक जैन जनसंख्या है। लेकिन थोड़ी बिखरी हुई है। अब सभी जैनों की जनसंख्या गिनती हम करने जा रहे हैं। सभी राज्यों के युवा इसमें सहभागी हो सकते हैं। हम कार्य करने वाले युवाओं को एक आइपैड देंगे जिसमें वे लोगों के घर-घर जाकर मिलने वाली जानकारी फॉर्म में भरेंगे। इस डेटा से हमें जैन समाज का आंकडा पता चल जाएगा।” जैन समाज के लोगों की सहायता के दृष्टिकोण से चलने वाले कार्यों के बारे में गिरीशभाई कहते हैं, “हम लोग जैन हेल्प लाइन बनाएंगे। जिसमें अगर किसी को कहीं बाहर जाना है तो उसे रहने की व्यवस्था, जैन भोजन की व्यवस्था आदि हम एक एप के माध्यम से करेंगे। इसमें भी 25 हजार से ज्यादा युवा मंडल शामिल हैं।”

इन युवाओं के बारे में भविष्य की योजनाओं पर गिरीशभाई ने कहा, “हम चाहते हैं कि इन्हीं युवाओं के माध्यम से हर गांव गोकुल गांव बने। वे उस गांव के तालाब, गोचर, पशुपालन, कृषि जैसी सभी व्यवस्थाओं को मार्गदर्शित करें। मै मानता हूं कि छ: लाख दानवीर हमें ऐसे ढूंढने चाहिए जो साल का एक करोड़ खर्च कर सके। सबको एक एक गांव दत्तक दे दिया जाए। उस गांव के लोगों का भी आर्थिक सहयोग मिलेगा। उस गांव का विकास सरकार, समाज और सहयोगी इन तीनों के माध्यम से होगा।”

युवाओं के प्रशिक्षण के संदर्भ में गिरीशभाई का कथन है, “हम लोग हर महीने में तीन दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम रखते हैं। उसमें 400 से 500 लोग आते हैं। उनसे हम 2000 रु. फीस लेते है ताकि वे सीखने के हिसाब से आए। क्योंकि फ्री में आने के बाद कोई जल्दी सीखता नहींं है। भविष्य में पूरे भारत के, विश्व के जैन समाज के लोगों का डाटाबेस बने और उनके माध्यम से अच्छी समाजसेवा हो, यही हमारी भावना है।”

 

 

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Tags: samsth mahajan

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