नवी मुंबई स्थित खारघर के निवासी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक श्री महानंद धनाजी शेडगे का कल दि. १३ अगस्त मंगलवार को ८९ वर्ष की आयु में स्वर्गवास हो गया. मात्र १४ वर्ष की आयु में वे संघ से जुड़े और तब से लेकर अंतिम समय तक संघकार्य से वह समरस रहे.
मुंबई के परळ चिंचपोकली क्षेत्र कम्यूनिस्टो का गढ़ होने के कारण उनके कामगार बस्तियों में संघकार्य करना बड़ा ही साहसिक था. ऐसे विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने संघकार्य का विस्तार करने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा की. शाखा मुख्य शिक्षक से जिला कार्यवाह एवं अनेक संघ शिक्षा वर्ग में मुख्य शिक्षक के रूप में उन्होंने अपने दायित्यों का निर्वहन किया. कुछ वर्षों तक वे संघ के कोंकण प्रांत ग्राम विकास प्रकल्प का कार्य संभाल रहे थे.
शारारिक रूप से चपल व साहसी महानंद शेडगे ‘नंदाजी’ नाम से संघ में विख्यात थे. ‘घाटी लेझीम’ क्रीडा को संघ कार्यक्रमों में लोकप्रिय बनाने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है. संघ के द्वितीय प. पू. सरसंघचालक श्री गुरूजी ने भी नंदाजी के घर जाकर उन्हें आशीर्वचन दिया था.
साधारण से दिखनेवाले नंदाजी ने असाधारण कार्य कर दिखाया. उन्होंने आजीवन बड़े ही धैर्य व संयम के साथ अखंड संघकार्य एक व्रत की भांति पूर्ण किया और अपने संघमयी जीवन से स्वयंसेवकों के समक्ष एक उच्च आदर्श प्रस्तुत किया.
खारघर स्थित हिंदू स्मशान भूमि में हिंदू धर्म के अनुसार पूरे विधि विधान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में उनके परिवारजन, रिश्तेदार, मित्र मण्डली एवं स्थानीय लोग उपस्थित थे. इसके साथ ही वरिष्ठ स्वयंसेवक आबा देसाई, काका सुर्वे, शांताराम मेस्त्री, विभाग संघचालक गुरुदास चोपडेकर, दत्ता जी शिंदे सहित अन्य गणमान्य जन उपस्थित थे.