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ईरान-इजरायल संघर्ष और भारतीय स्थिति

ईरान-इजरायल संघर्ष और भारतीय स्थिति

by हिंदी विवेक
in देश-विदेश, विशेष, सितम्बर २०२४
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जहां इजरायल ने गाजा में अपने हमले तेज कर दिए, वहां दुनिया भर के अनेक देशों ने संयम से काम लेने का सुझाव दिया है। चूंकि ईरान व बेरुत में दो शीर्ष कमांडो की हत्या पर ईरान और हिजबुल्ला की जवाबी कार्रवाई की आशंका बढ़ गई है। ईरानी संसद के स्पीकर बाकर कालीबाफ ने कहा कि इस मामले में ईरान की प्रतिक्रिया अत्यंत भयानक व स्मार्ट होगी। इजरायल व उसके समर्थकों को ईरानी जमीन के भीतर अपनी कार्रवाई पर पछतावा होगा। हमारी बदला लेने की योजना नवीन, आश्चर्यजनक तथा अप्रत्याशित होगी।

ईरान-इजरायल के अनवरत तनातनी के कारण पश्चिम एशिया में किसी भी समय महायुद्ध का अभियान आरम्भ हो सकता है। इसके साथ ही यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि जो तनाव, तनातनी, तैयारी एवं तत्परता दोनों देश दिखा रहे हैं, इसे किसी भी समय विश्व युद्ध में बदलने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इजरायल की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने अपने नागरिकों को ईरान, लेबनानी शिया आंदोलन, हिज्बुल्लाह और फिलिस्तीनी आंदोलन हमास से विदेश में इजरायली ठिकानों पर सम्भावित हमले की चेतावनी दी है। चूंकि ईरान, हिज्बुल्लाह और हमास (अन्य आतंकवादी गुटों के साथ) मिलकर हमास के राजनीतिक नेता इस्माइल हानिया और हिज्बुल्लाह की रणनीतिक इकाई के प्रमुख फुआद शुक्र (सैय्यद मुहसन) की मौत का बदला लेने के इरादे की स्पष्ट घोषणा की है। यह भी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि ईरान विरोधी गुट विदेशों में दूतावासों, सभा स्थलों, यहूदी सामुदायिक केंद्रों आदि जैसे इजरायली यहूदी लक्ष्यों के विरुद्ध  अपनी जवाबी कार्रवाई करेंगे।

इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ईरान और उसके समर्थक उग्रवादी समूहों के साथ अनेक मोर्चों पर निरंतर संघर्ष कर रहा है। हाल ही में घटित घटनाओं के कारण चल रहे तनाव व तनातनी के पूर्ण संघर्ष में तब्दील होने की आशंका बढ़ गई है। दूसरी ओर अमेरिका और उसके सहयोगियों ने इजरायल को ईरान और उसके समर्थक चरमपंथी समूहों के सम्भावित हमले से बचाने तथा हिंसक संघर्ष के संकट को सीमित करने के लिए पश्चिम एशिया में सैन्य उपस्थिति बढ़ाने का निर्णय लिया है। वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक समुदाय इस युद्ध को रोकने के हर सम्भव प्रयास में लगा हुआ है। जॉर्डन के विदेश मंत्री आयमान सफादी पश्चिम एशिया में युद्ध के संकट को कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों के अंतर्गत ईरान की यात्रा में गए हैं। वह विगत 20 वर्षों से अधिक ईरान की अधिकारिक यात्रा करने वाले जॉर्डन के पहले वरिष्ठ अधिकारी हैं। उन्होंने कहा हम चाहते हैं कि तनाव समाप्त हो।

जहां इजरायल ने गाजा में अपने हमले तेज कर दिए, वहां दुनिया भर के अनेक देशों ने संयम से काम लेने का सुझाव दिया है। चूंकि ईरान व बेरुत में दो शीर्ष कमांडो की हत्या पर ईरान और हिजबुल्ला की जवाबी कार्रवाई की आशंका बढ़ गई है। ईरानी संसद के स्पीकर बाकर कालीबाफ ने कहा कि इस मामले में ईरान की प्रतिक्रिया अत्यंत भयानक व स्मार्ट होगी। इजरायल व उसके समर्थकों को ईरानी जमीन के भीतर अपनी कार्रवाई पर पछतावा होगा। हमारी बदला लेने की योजना नवीन, आश्चर्यजनक तथा अप्रत्याशित होगी। लेबनान से उत्तरी इजराइल में लगभग 30 रॉकेट लॉन्च किए, जिसमें अधिकांश रॉकेट को इजरायल की आयरन डॉम मिसाइल रक्षा प्रणाली द्वारा मार गिराया गया।

हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हानिया की ईरान में हुई हत्या के बाद याह्या सिनवार को उसका उत्तराधिकारी बनाया गया। जिसके कारण वह गाजा संगठन की शक्ति का केंद्र बन गया है। इजरायल ने इसकी नियुक्ति पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हम इस खतरनाक आतंकी को पकड़ कर रहेंगे,‘जिंदा या मुर्दा’ पकड़ना हमारा लक्ष्य है। चूंकि इसे विगत वर्ष 7 अक्टूबर को इजरायल में हुए हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है। दूसरी ओर ईरान ने हानिया की हत्या का बदला लेने की बात पर सऊदी अरब ने कहा कि तेहरान में हमास नेता की हत्या ईरान की सम्प्रभुता का घोर उल्लंघन है। इजरायली सेना ने विगत दिवस बताया कि उसके गाजा पट्टी में दो स्कूलों के परिसर में स्थित हमास कमांडर सेंटर को अपना निशाना बनाया है, जहां से उन्होंने इजरायल डिफेंस फोर्सेज के सैनिकों और इजरायल राज्य के विरुद्ध हमलों की योजना बनाई और उन्हें अंजाम दिया। व्यापक युद्ध की आशंका के बीच इजरायल ने गाजा पर हवाई हमलों में 25 फिलिस्तीनियों को मार गिराया।  बताया जाता है कि गाजा में मरने वालों की संख्या 40,000 के लगभग पहुंच गई है। ईरान में हमास नेता की हत्या के बाद व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष की चिंता चरम पर पहुंच गई है।

मध्य पूर्व व दुनिया के अधिकांश देश वास्तव में इस बात की तैयारी कर रहे हैं कि ईरान, हमास के राजनीतिक नेता की हत्या का बदला लेने के लिए इजरायल पर हमला कर सकता है। इजराइल के लोगों को सुरक्षित कमरों में भोजन व पानी का भंडारण करने की सलाह दी, जबकि प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सैनिकों से कहा कि इजराइल रक्षा के साथ-साथ आक्रमण के लिए भी तैयार है। यह सच है कि ईरान, इजरायल पर जवाबी हमला करना चाहता है, लेकिन व्यापक युद्ध वह भी बर्दाश्त नहीं कर सकता है। चूंकि अमेरिका व ब्रिटेन भी इसमें शामिल हो सकते हैं।

युद्ध को महायुद्ध में बदलने से रोकने के लिए भू-सामरिक तथा भू-कूटनीतिक प्रयास जारी है। जहां एक ओर युद्ध के बादल बुरी तरह से छाए हुए हैं, वहां इसको टालने के लिए जॉर्डन, मिश्र तथा ओमान में अलग-अलग बैठके की जा रही है। अमेरिका के मरीन कमांडो, विमानवाहक पोत व लड़ाकू विमान इजरायल की समुद्री सीमा में सहायता हेतु पहुंच गए हैं तथा ब्रिटेन के भी जंगी जलयान इसके सक्रिय सहयोग के लिए आगे बढ़ते जा रहे हैं। इस बीच रूस का बेहद घातक परमाणु हथियार तेहरान में उतरा, जो रूस का गुप्त परमाणु हथियार है। ईरान की सहायता हेतु रूस व चीन निरंतर तत्पत एवं तैनात है। इजराइल इस कारण से गाजा पट्टी पर निशाना लगा रहा है कि वह अपने इस अभियान में असफल नहीं होना चाहता है। अमेरिका ने पश्चिमी एशिया में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है। ईरान सैन्य शक्ति व जनसंख्या में इजराइल से आगे है, किंतु हथियारों के मामले में तेल अवीव आगे है। ऐसे में रूस के हथियार क्या ईरान के ब्रह्मास्त्र बनेंगे?

भारत के रणनीतिक एवं कूटनीतिक हित खाड़ी क्षेत्र से प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। इसी कारण भारत प्रत्यक्ष रूप की बजाय अप्रत्यक्ष तरीके से सम्पूर्ण घटनाक्रम पर अपने सम्पर्कों को साधने में लगा हुआ है। भारत के लिए सामरिक दृष्टि से ईरान व इजरायल दोनों ही विशेष महत्वपूर्ण हैं। खाड़ी क्षेत्र के निरंतर तनाव व हमलों के कारण इसका सीधा प्रभाव इन देशों के साथ होने वाले द्विपक्षीय कारोबार पर भी पड़ा है। खाड़ी देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022-23 में 185 अरब डॉलर का रहा था। भारत अनवरत वेट एंड वॉच की स्थिति के साथ ख़ाडी के घटनाक्रम पर पर अपनी तेज दृष्टि लगाए हुए है।

 – डॉ. सुरेंद्र कुमार मिश्र

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Tags: #israel #iran #hamas #usa #hindivivek #india #world #war

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