यही समय है, सही समय है कि सम्पूर्ण हिंदू समाज सनातन धर्म के प्रति अपने कर्तव्यों के लिए समर्पित हों। हिंदू समाज का हनुमानत्व और हिंदू बेटियों का दुर्गा रूप जागृत करने के लिए अनेक प्रकार के कार्य करने की आवश्यकता है। इस यज्ञ में हर किसी को अपने सामर्थ्य के अनुसार आहुति डालनी होगी। धर्म जागरण का कार्य अनवरत रूप से किया ही जाना चाहिए। हिंदू समाज को स्वामी विवेकानंद के विचारों को सदा स्मरण करते रहना होगा।
हिंदू परम्परा के अंतर्गत अश्विन शुक्ल की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला विजयादशमी अक्षय स्फूर्ति का पर्व है। अनेकानेक घटनाओं द्वारा संजीवित किया गया दिव्योज्वल अवसर है विजयादशमी का दिन और इसीलिए किसी भी शुभ, सात्विक तथा राष्ट्र गौरवकारी कार्य आरम्भ करने के लिए विजयादशमी का मुहूर्त सर्वोत्तम माना गया है।
वर्तमान समय में हिंदू समाज विभिन्न प्रकार की भू-सांस्कृतिक तथा राजनैतिक चुनौतियों से जूझ रहा है। देश के कई भागों में जनसंख्या असंतुलन के कारण हिंदुओं को सांस्कृतिक और भौतिक आक्रमण झेलने पड़ रहे हैं और उनको अन्यत्र पलायन करना पड़ रहा है। परिवार नियोजन न अपनाने के कारण मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि, धर्मांतरण और घुसपैठ इसके तीन प्रमुख कारण हैं। प्रसार माध्यमों की बहुलता, तकनीकी सरलता, सस्ते इंटरनेट डाटा से प्राप्त होने वाले मनोरंजन सात्विक सांस्कृतिक प्रवाह को अश्लीलता की दिशा में मोड़ चुका है। वामपंथी उदारवादी सामाजिक कार्य के नाम पर लोक संस्कृति को विकृत कर रहे हैं। हिंदुओं ने अपने कौशल छोड़ दिए हैं जिन पर विधर्मियों ने कब्जा कर लिया है और सत्ता लोलुप राजनीतिज्ञ सत्ता प्राप्ति के लिए हिंदुओं को जाति के नाम पर तोड़ रहे हैं। हिंदू समाज के लिए कठिन समय है। हिंदुओं की ही मातृभूमि को काटकर बनाए गए देशों में हिंदू अब अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई भी नहीं लड़ पा रहे हैं।
यद्यपि हिंदुओं की चेतना जाग्रति व स्फूर्ति के कारण ही अयोध्या में दिव्य, भव्य व नव्य राम मंदिर का निर्माण सम्भव हो सका है तथा आज सम्पूर्ण विश्व में विविध क्षेत्रों में सनातन हिंदू समाज अपनी उपस्थिति दिखा रहा है तथापि चुनौतियों को कम करके नहीं देखा जा सकता।
भारत में 18वीं लोकसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद से जिस प्रकार सनातन हिंदू पर्वों व आस्था के केंद्रों पर चिंताजनक रूप से सुनियोजित हमले हो रहे हैं, जाति जनगणना के नाम पर समाज में विष बोया जा रहा है उससे स्वाभाविक रूप से यह अनुभव किया जा रहा है कि हिंदू समाज को संगठित व एकत्रित करने के लिए एक बार फिर सघन प्रयास अपेक्षित है। अभी तो भगवान राम के मंदिर का निर्माण मध्य में ही है और हिंदू समाज ने मान लिया कि हमारा राम मंदिर का संकल्प तो पूरा हो ही गया है बस यहीं पर उन्होंने भारी गलती कर दी और वह आलस्य में पड़कर शिथिल हो गए जिसके गम्भीर परिणाम हमारे सामने हैं।
विगत दिनों बांग्लादेश में सत्ता पलट के बाद वहां निरंतर हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं, उनके घर और व्यापारिक प्रतिष्ठान लूट कर उनमें आग लगाई जा रही हैं, बेटियों के साथ अत्याचार हो रहे हैं, जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा है किंतु वैश्विक स्तर पर सक्रिय एक भी मानवाधिकार संस्था ने बांग्लादेश में प्रताड़ित हिंदुओें के पक्ष में आवाज नहीं उठाई। जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के दिन लाल किले से बांग्लादेश हिंसा की निंदा करते हुए वहां के हिंदुओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की बात कही तब जाकर वहां पर हिंदुओं ने अपनी बात कहना आरम्भ किया। अगर हिंदू समाज सशक्त होता व सोया हुआ नहीं होता तो दुनिया की कोई भी शक्ति हिंदू पर्वों पर आक्रमण करने का दुस्साहस नहीं कर सकता है।
देवभूमि हिमाचल में अनेक जगहों पर अवैध मस्जिदों व अवैध मुस्लिम घुसपैठियों के विरुद्ध वहां का आम हिंदू सड़क पर उतरा है यह अभिनंदनीय व स्वागत योग्य है। किंतु महत्वपूर्ण प्रश्न ये है कि इतने मुस्लिम घुसपैठिए देवभूमि में बसे कैसे? कैसे अवैध मस्जिदें बनती चली गईं और हिंदू सोते रहे? यदि हिंदू समाज सचेत और जाग्रत रहता तो आज उसे धर्मांतरण सहित लव जिहाद व लैंड जिहाद जैसी विकृत समस्याओं से नहीं जूझना पड़ता।
विजयादशमी विजय के संकल्प का उत्सव है, राम यानि मर्यादा की विजय और रावण यानी आसुरी शक्तियों के पराभव का उत्सव है। भगवान राम ने अपने आचरण, व्यवहार एवं कर्तव्य से सम्पूर्ण हिंदू समाज को एकरस किया। राम निषाद के भी हैं और शबरी के भी, राम अहिल्या के भी हैं और कैकेयी के भी, राम वानर राज सुग्रीव के भी हैं और रीक्षराज जामवंत के भी, राम विश्वामित्र के भी हैं और वशिष्ठ के भी, राम तुलसी के भी हैं और वाल्मीकि के भी, राम को नल- नील से जितना स्नेह है उतना ही गिलहरी से भी। पूरा हिंदू समाज भगवान राम से एकरस है तो अगर हिंदू समाज अपने आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम राम से ही प्रेरणा लेकर कार्य करने लगे और सारे मतभेद भुलाकर एकजुट हो जाए तो कोई भी हिंदू विरोधी शक्ति उनकी धार्मिक आस्था के केंद्रों व विचारों पर आक्रमण नहीं कर सकती।
यही समय है, सही समय है कि सम्पूर्ण हिंदू समाज सनातन धर्म के प्रति अपने कर्तव्यों के लिए समर्पित हों। हिंदू समाज का हनुमानत्व और हिंदू बेटियों का दुर्गा रूप जागृत करने के लिए अनेक प्रकार के कार्य करने की आवश्यकता है। इस यज्ञ में हर किसी को अपने सामर्थ्य के अनुसार आहुति डालनी होगी। धर्म जागरण का कार्य अनवरत रूप से किया ही जाना चाहिए। हिंदू समाज को स्वामी विवेकानंद के विचारों को सदा स्मरण करते रहना होगा। यह बात ध्यान रखनी होगी कि भारत केवल हिंदू राष्ट्र था, हिंदू राष्ट्र है और हिंदू राष्ट्र रहेगा। हिंदू राष्ट्र बनाना नहीं अपितु उसका संर्वागीण विकास करना है। जब हिंदू एकजुट होगा, एकरस होगा तो ऐसी प्रदीप्त तेजस्विता दिखाएगा कि सारा विश्व प्रकाशित हो उठेगा।
अनेकानेक धर्माचार्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा इसके आनुषांगिक संगठन व अन्य कुछ संगठन समाज जागरण व व्यक्तित्व निर्माण के कार्य में लगे हैं और उनकी जलाई अलख को हमें प्रत्येक हिंदू परिवार तक ले जाना है। अनिष्टकारी प्रवृत्तियों को रोकने के लिए विशुद्ध राष्ट्रीयत्व व पराभव की मानसिकता से सम्पूर्ण मुक्ति के लिए स्व के संस्कार जन-जन के मन में जागृत करने के अतिरिक्त अन्य दूसरा मार्ग नहीं है। इस कार्य को पूरी शक्ति से करना ही होगा।