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विश्व बंधुत्व 2024 का आयोजन

विश्व बंधुत्व 2024 का आयोजन

by हिंदी विवेक
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विश्व बंधुत्व दिवस 2024(यूनिवर्सल ब्रदरहुड डे -2024) का आयोजन विगत 18 अक्टूबर को मुंबई विश्वविद्यालय, कालिना कैम्पस में आयोजित किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य वसुधैव कुटुम्बकम् (पूरा विश्व एक परिवार है) के शाश्वत सिद्धांतों पर चर्चा करना और यह समझाना था कि सभी का यह सामूहिक दायित्व है कि वे दुनिया में शांति और समझ को बढ़ावा दें। इस वर्ष का विषय था पड़ोसी पहले(नेबर‌ फर्स्ट), जो इस बात पर केंद्रित था कि कैसे एकजुट विश्व बड़े वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकता है, साथ ही समय-सिद्ध भारतीय परम्पराओं के योगदान से।

यह आयोजन विश्व अध्ययन केंद्र , अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन केंद्र (मुंबई) द्वारा मुंबई विश्वविद्यालय और इंडियन चैंबर ऑफ़ इंटरनेशनल बजनेस(आईसीआईबी)के सहयोग से आयोजित किया गया था। इस अवसर पर प्रशासन, अकादमिक जगत और उद्योग के कई गणमान्य उपस्थित थे। इस आयोजन में विशिष्ट पैनलिस्ट और वक्ताओं में डॉ. ज्ञानेश्वर मुलाय मुख्य वक्ता (पूर्व राजदूत और विदेश सचिव -, पूर्व सदस्य राष्ट्रीय मानव अधिकार समिति व सलाहकार-राष्ट्रीय कौशल विकास निगम), प्रो. (डॉ.) रविंद्र कुलकर्णी (उपकुलपति, मुम्बई विश्वविद्यालय), चियोंग मिंग फूंग (कौंसल जनरल, रिपब्लिक ऑफ सिंगापुर), अहमद जुवाईरी युसोफ (कौंसल जनरल, मलेशिया), मनींदर सिंह नागी- अध्यक्ष,इंडियन चैंबर ऑफ़ इंटरनेशनल बजनेस (आईसीआईबी), मुख्य वक्ता डॉ. ज्ञानेश्वर मुलाय ने विश्व बंधुत्व के वास्तविक सार को उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया और इस सिद्धांत को शब्दश: और भावना दोनों स्तरों पर पालन करने का महत्व बताया।

मुंबई विश्वविद्यालय के माननीय उपकुलपति प्रो. (डॉ.) रविंद्र कुलकर्णी ने भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा की और यह बताया कि कैसे दुनिया भर के विश्वविद्यालयों को विश्व बंधुत्व के संदर्भ में आपस में सहयोग करना चाहिए, जबकि विभिन्न देशों के छात्रों के बीच सम्बंधों को प्रोत्साहित करना चाहिए।

सिंगापुर के कौंसल जनरल श्री चियोंग मिंग फूंग ने पड़ोसी पहले विषय पर अपने दृष्टिकोण को साझा किया, जिसमें उन्होंने सिंगापुर की विदेश नीति की भूमिका पर जोर दिया, जो पड़ोसी देशों के साथ पारस्परिक लाभकारी सम्बंधों को बढ़ावा देती है और भारत के साथ सिंगापुर के व्यापक संबंधों को उजागर किया।
मलेशिया के कौंसल जनरल श्री अहमद जुवाईरी युसोफ ने विश्व बंधुत्व के ऐतिहासिक संदर्भ को साझा किया और यह बताया कि कैसे स्वामी विवेकानंद ने 100 साल पहले इसे शुरू किया था, साथ ही मलेशिया और भारत के बीच मजबूत संबंधों और पूरे विश्व को एक बड़े परिवार के रूप में देखने के महत्व पर बल दिया।

आईसीआईबी के अध्यक्ष श्री मनींदर सिंह नागी ने बताया कि आईसीआईबी कैसे छोटे और मझोले उद्यमों को सशक्त बनाकर भारत को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करने के लिए काम कर रहा है।

दिन के कुछ प्रमुख उद्धरण:

डॉ. ज्ञानेश्वर मुलाय
अगर मुझे भारत को एक वाक्य में परिभाषित करना हो, तो मेरे लिए उत्तर होगा – भारत 1.3 अरब कहानियां है।

श्री अहमद जुवाईरी युसोफ
एक प्रसिद्ध हिंदू विचारक ने कहा था कि हिंदू और मुस्लिम हिंदुस्तान की सुंदर दुल्हन की दो आंखें हैं और इनमें से किसी की कमजोरी से दुल्हन की सुंदरता बिगड़ जाएगी।

इस कार्यक्रम ने सांस्कृतिक समझ और एकता के महत्व को उजागर किया, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक शांतिपूर्ण दुनिया के लिए प्रेरक शक्ति बन सकती है।

कार्यक्रम में वक्ताओं से मिले कुछ गहरे दृष्टिकोणों ने वसुधैव कुटुम्बकम के वास्तविक अर्थ को 360 डिग्री के दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया, जिसे एक दृष्टि के रूप में बताया गया, जिसमें भारत की पूरी विदेश नीति को 5000 साल पुरानी लोकतंत्र और शांति में अडिग विश्वास के साथ पूरे विश्व को एक परिवार मानने का सिद्धांत शामिल है।

दो कौंसल जनरल के भाषणों से हमें सिंगापुर और मलेशिया की सरकारों द्वारा भारत के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए किए जा रहे महत्वपूर्ण प्रयासों का आभास हुआ।

शैक्षणिक दृष्टिकोण से, हमें मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न देशों के कौंसल जनरल के साथ वार्षिक बैठकें आयोजित करने और सांस्कृतिक विनिमय गतिविधियों को बढ़ावा देने के प्रयासों को सराहना चाहिए, साथ ही वैश्विक विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग को भी मान्यता देनी चाहिए, ताकि छात्रों को विश्व भर में विश्वविद्यालयों के बीच सहज रूप से एकीकृत होने में मदद मिल सके।

उद्योग के दृष्टिकोण से, भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सभा द्वारा भारत के चडचएी को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में निभाई जा रही भूमिका सराहनीय है और राज्य एवं केंद्र सरकारों द्वारा इसे हर संभव तरीके से समर्थन मिलना चाहिए।

युद्ध, पर्यावरणीय समस्याओं और निरंतरता के खतरों से घिरे इस युग में, यह अत्यंत आवश्यक है कि भारत अपनी लोकतांत्रिक परंपराओं को बनाए रखे और देश की नेतृत्व क्षमता शांति की दिशा में हर संभव प्रयास जारी रखे, ताकि विविध धर्म और संस्कृतियाँ एक साथ समरसता से रह सकें।

साथ ही, भारत को 21वीं सदी के लिए एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें एक वैकल्पिक आर्थिक मॉडल हो, जहाँ देश में गरीबी का अंत हो।

पड़ोसी पहले(नेबर फर्स्ट) का विषय आजकल के समय की आवश्यकता है, लेकिन यह उन पड़ोसी देशों के लिए भारत की यह पहलाकमजोरी का संकेत नहीं होना चाहिए, जो दुर्भाग्यवश भारत द्वारा किए गए शांतिपूर्ण प्रयासों के प्रति उदासीन हैं।

यदि हम भारत के इतिहास पर दृष्टि डालें, तो यह स्पष्ट है कि हमारे देश से ज्ञान का एक विशाल खजाना उत्पन्न हुआ है, जो दुनिया के कई हिस्सों में फैला है, लेकिन शायद हमारे खुद के नागरिकों तक यह जानकारी नहीं पहुंच पाई है। इस संदर्भ में, यह महत्वपूर्ण है कि हम भारत और इसके समृद्ध ज्ञानकोष को अकादमिक दृष्टिकोण से स्थापित करें, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपने राज्यों से नहीं, बल्कि एक सच्चे भारतीय और वसुधैव कुटुम्बकम के अनुयायी के रूप में पहचान सकें।

वीएके मुंबई ने मुंबई विश्वविद्यालय के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन और रणनीतिक संबंधों के क्षेत्र में विचारों का गहन आदान-प्रदान करने के लिए विशिष्ट क्रियावली की पहचान की है, ताकि वसुधैव कुटुम्बकम को बढ़ावा देने के लिए अधिकतम प्रयास किए जा सकें।

कार्यक्रम के अंत में एक प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया, जिसमें श्रोताओं द्वारा उठाए गए कुछ प्रमुख प्रश्नों का उत्तर पैनलिस्टों द्वारा दिया गया। इसके अतिरिक्त, श्रोताओं से प्राप्त कुल प्रतिक्रिया अत्यंत सकारात्मक और प्रोत्साहक रही। स्पष्ट रूप से, वहां उपस्थित विविध श्रोतागण, जो प्रमुख शिक्षाविदों, उद्यमियों, उद्योगपतियों, पेशेवरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों आदि से थे, भविष्य में इसी तरह के कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेने और उन्हें जितना हो सके समर्थन देने के लिए उत्साहित थे।

-छाया मिश्रा

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