पूरी संवेदना के साथ रुग्ण चिकित्सा

अत्याधुनिक साधनों और टेक्नोलॉजी से अस्पतालों मे बहुत परिवर्तन आए हैं। जेनेरिक दवाओं का नया क्षेत्र विकसित हो रहा है, जो लोगों को सस्ती और उतनी ही प्रभावी दवाएं उपलब्ध कराता है। हरिलाल जयचंद दोशी घाटकोपर हिंदू सभा रुग्णालय नामक चैरिटेबल अस्पताल में जेनेरिक मेडिकल स्टोर के उद्घाटन के अवसर पर ट्रस्ट के श्री मगनभाई दोशी जी से हुई बातचीत के महत्वपूर्ण प्रस्तुत हैं-

अस्पताल की स्थापना का उद्देश्य और रुग्ण सेवा के प्रति आपके क्या विचार हैं?

दुर्भाग्यवश देश में चिकित्सा बेहद महंगी रही जो कि नहीं होनी चाहिए थी। मेरे पिताजी ने इसी बात को ध्यान में रखकर हरिलाल जयचंद दोशी घाटकोपर हिंदू सभा रुग्णालय नामक चैरिटेबल अस्पताल की स्थापना की ताकि गरीब लोग चिकित्सा का खर्च वहन कर सकें। हम लोग उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। सेवा की यही पावन भावना हमें व्यावसायिक अस्पतालों से अलग करती है। प्राचीन काल में हमारे देश के वैद्य, ऋषिगण ऐसी समाज सेवा करते थे। पर अब व्यावसायिकता बढ़ी है, जिसके हम पक्षधर नहीं हैं।

1968 से 2018 तक के सफर में आपने क्या-क्या परिवर्तन किए?

शुरुआत से आज तक की यात्रा बेहद शानदार रही है। आवश्यकता के अनुसार हम मरीजों हेतु सुविधाएं बढ़ाते गए और आज हृदय, मस्तिष्क से लेकर चिकित्सा की हर विधा के नामचीन विशेषज्ञ हमारे अस्पताल से जुड़कर समाज सेवा में संलग्न हैं। अब स्थिति यह है कि जगह बहुत ही कम पड़ रही है इसीलिए हम अस्पताल का पुनर्निर्माण करने जा रहे हैं। इससे अस्पताल को ढाई गुना जगह और मिल सकेगी। इस दिशा में सभी प्रयास जारी हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जेनेरिक मेडिकल के द्वारा समाज के निचले तबके को स्वास्थ्य सुविधाएं देना चाहते हैं। आपके ट्रस्ट के माध्यम से इस दिशा में क्या प्रयत्न किया जा रहा है?

जेनेरिक मेडिसिन की महत्ता को समझते हुए अस्पताल द्वारा 15 अगस्त को जेनेरिक मेडिकल स्टोर की शुरुआत की जा रही है। प्रधानमंत्री जी की भावना को ध्यान में रखते हुए एक मेडिकल स्टोर होने के बावजूद हम जेनेरिक मेडिकल स्टोर खोल रहे हैं। जिसका उद्घाटन चैरिटी कमिश्नर के द्वारा होना सुनिश्चित हुआ है। माननीय मुख्यमंत्री जी का भी सद्भावना संदेश प्राप्त हुआ है। जेनेरिक मेडिसिन के संदर्भ में हमारी सामाजिक जबावदेही के अहसास हेतु अस्पताल के मेडिकोलीगल विशेषज्ञ और डॉक्टरों का एक चर्चा सत्र भी आयोजित किया गया है; ताकि वे रोगी को जेनेरिक दवा ही दें।

जेनेरिक मेडिसिन को लेकर एक संभ्रम की स्थिति है, ऐसा क्यों?

हर तरह की दवा के निर्माण में काफी खर्च होता है। तमाम अनुसंधान होते हैं। विदेशों में भी जेनेरिक दवाएं प्रयोग में लाई जाती हैं। दुर्भाग्यवश हमारे देश के डॉक्टर ब्रांड के प्रति आकर्षित हैं जिनकी कीमत जेनेरिक से प्राय: दस गुना से भी अधिक है। इसी बात को प्रधानमंत्री मोदी जी ने रेखांकित करते हुए जेनेरिक को बढ़ावा देने का निश्चय किया। हम उनके इस निर्णय के सहभागी हैं। इसीलिए हमारे डॉक्टरों को हम प्रोत्साहित करेंगे कि वे जेनेरिक दवाओं पर जोर दें जिससे मरीज पर औषधि के खर्च का बोझ बेहद मामूली रहे।

आपका अस्पताल जेनेरिक मेडिकल स्टोर शुरू करने वाला मुंबई का पहला चैरिटेबल अस्पताल होगा, आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी?

कहीं से तो शुरूआत होनी चाहिए बस यही सोचकर मरीजों के हित में यह निर्णय लिया। मेरा मानना है कि वह दिन दूर नहीं जब हर अस्पताल में जेनेरिक दवाओं का स्टोर खुलेगा और खुद मरीज इसका आग्रह करेंगे। जनरल मेडिकल स्टोर का व्यवसाय मरीजों से लाभ कमाने का जरिया बन गया है। गरीब मरीजों को दवाओं के लिए अपनी संपत्ति तक बेचनी पड़ जाती है। इसी पीड़ा को दूर करने की प्रधानमंत्री जी की मुहिम में साथ निभाते हुए हम जेनेरिक मेडिकल स्टोर खोल रहे हैं। इसके लिए अन्य अस्पतालों को भी आगे आना चाहिए।

क्या वर्तमान स्थिति में डॉक्टर की भगवान जैसी छवि में परिवर्तन आया है?

बिल्कुल नहीं, भगवान स्वरूप डॉक्टर आज भी हैं। दरअसल खेद का विषय है कि मेडिकल शिक्षा बेहद महंगी हो गई है। नींव ही कमजोर कर दी गई है। आप जानते हैं कि मेडिकल कालेज में एडमिशन लेने के लिए बहुत धन लगता है, ऐसे में शिक्षा पूरी होने के बाद उस रकम की भरपाई के लिए वह डॉक्टर प्रयत्न करता है। यह पूरी प्रक्रिया समस्या का मूल है। एक जाल है जिसमें वे फंसते चले जाते हैं। मेरे विचार से सरकार का कर्तव्य है कि मेडिकल शिक्षा ही सस्ती कर देनी चाहिए। क्योंकि तब डॉक्टर के मन में देश और समाज के लोगों के प्रति  सिर्फ सेवा का ही भाव होगा। आप किसी को गलत नहीं ठहरा सकते। सिस्टम में सुधार किया जाना अति आवश्यक हो गया है। खुशी की बात है कि यह सरकार इसके बारे में प्रयत्नशील है।

पचास साल की अस्पताल की यात्रा के सिंहावलोकन को आप किस रूप में देखते हैं?

सामान्य जनता की सेवा के मेरे पिताजी के स्वप्न को हम उसी तरह आगे बढ़ा रहे हैं। मेरे पिताजी के प्रति यही मेरी सच्ची श्रद्धांजलि है। मेरे लिए यह क्षण बेहद गौरवपूर्ण, संतुष्टि और खुशी का है।

वर्तमान दशक में अत्यानुधिक टेक्नोलॉजी के रूप में बहुत परिवर्तन आया है। आप इस परिवर्तन को किस रूप में लेते हैं?

डिजिटल टेक्नोलॉजी की विशेषता से मानवीय गलती होने की संभावना बहुत कम हो गई है। काम में तेजी आई है। आवश्यकता के अनुरूप हमने तमाम विभाग जैसे बिलिंग, अकाउंट में टेक्नोलॉजी को अपनाया है। मैं टेक्नोलॉजी का पक्षधर हूं परन्तु मेरा मानना है कि मशीनें इंसान के महत्व को ख़त्म नहीं कर सकती हैं।

आपकी आयु 90 वर्ष से अधिक है। आप अपनी सामाजिक सेवा की इस लंबी अवधि के दौरान अस्पताल में आए परिवर्तनों के बारे में क्या कहना चाहेंगे?

मैं निश्चित रूप से संतुष्ट हूं। पर अभी विकास के नए आयामों को छूना है क्योंकि हम इससे और बेहतर कर सकते हैं। क्योंकि पूर्ण योग्य होने के लिए निरंतर प्रयत्नरत रहना ही चाहिए। हमारे पिताजी के मानव सेवा करने के मंत्र को मैं और मेरी अगली पीढ़ी आगे बढ़ा रही है। क्योंकि हम जहां हैं वहां से इस परंपरा का निर्वहन किया जा सकता है। आगे अभी और परिवर्तन होते रहेंगे।

भविष्य की आपकी क्या योजना है?

मेरा विश्वास है कि उपचार से बचाव बेहतर है। आज के तनावपूर्ण माहौल में लोगों के पास स्वयं का ध्यान रखने के लिए समय नहीं है। लोगों को इस तरह रहना चाहिए कि वे बीमार ही ना पड़ें। प्रस्तावित अस्पताल के नए स्वरूप में एक बड़ा हिस्सा हम प्रिवेंटिव मेडिसिन विभाग के लिए आबंटित करेंगे जिसमें लोगों को हेल्थ चेकअप, डाइट प्लान की सलाह के द्वारा उन्हें स्वस्थ रहना सिखाया जाएगा। अस्पताल में एक ऐसा विभाग होना ही चाहिए कि जो बीमारी के इलाज के बजाय व्यक्ति बीमार ही ना पड़े ऐसा प्रयत्न करके लोगों को आकर्षित कर सके, इस ओर हमारा ज्यादा ध्यान है। जैसे कि सिर्फ एक बार के जेनेटिक टेस्ट से हम जन्मकुंडली की तरह यह जान सकते हैं कि व्यक्ति को क्या बीमारी है, या क्या हो सकती है, उसके लिए क्या सावधानी रखनी चाहिए। इससे लाभ यह है कि आप एकदम प्रारंभ से ही रोग के प्रति सतर्क होकर उसे बढ़ने से रोक सकते हैं।

इस साक्षात्कार के माध्यम से आप डॉक्टरों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

डॉक्टरों को महर्षि चरक जैसों का अनुसरण करना चाहिए। डॉक्टर को पूरी संवेदना के साथ रुग्ण सेवा के अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करने में तत्पर रहना चाहिए। हमारे अस्पताल के चिकित्सक ऐसा करते हैं और यही संदेश समाज में फैलाते भी हैं।

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