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पंजाब में ‘पगड़ी वाले ईसाई’?

पंजाब में ‘पगड़ी वाले ईसाई’?

by हिंदी विवेक
in सामाजिक
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जिस चर्च के 14 साल पहले थे 3 मेंबर- अब हैं उसके 300000 सदस्य:
पंज प्यारों की जमीन पर ‘पगड़ी वाले ईसाइयों’ की छाया कैसे…..

सबसे बड़ा सवाल यह है कि पंज प्यारों की जमीन पर देखते-देखते ही कैसे ‘पगड़ी वाले ईसाई’ छा गए। इस सवाल का जवाब देने में जितनी देरी होगी, धर्मांतरण माफिया की जड़ें उतनी ही मजबूत होती जाएगी। भारत धर्मांतरण (Religious Conversion) के घातक जाल में उलझा हुआ है। भोले-भाले जनजातीय समाज के लोगों को प्रलोभन दे ईसाई बनाने से मिशनरियों ने इस घातक जाल के धागे जोड़ने शुरू किए। अब यह एक ऐसे जाल के रूप में सामने आ चुका है, जिसमें दलित, पिछड़े, सर्वण… सब उलझे नजर आ रहे हैं। इस घातक जाल की जद में पंजाब (Religious Conversion In Punjab) भी है। इंडिया टुडे मैगजीन ने पंजाब में ईसाई धर्मांतरण पर कवर स्टोरी की है। इससे जो तथ्य सामने आए हैं, वे बताते हैं कि यदि इस पर लगाम न लगी तो परिणाम घातक हो सकते हैं।
साल 2022 की शुरुआत में जब पंजाब में विधानसभा चुनाव हुए, तब यहाँ की आबादी का एक ऐसा वर्ग चर्चा में था जो खुद को दलित भी बताता है और ईसाई भी। वास्तव में ये वो लोग हैं जिन्हें मिशनरियों ने कन्वर्ट कर ईसाई बना दिया है। हालाँकि, आँकड़े यह कहते हैं कि राज्य की 1.26% आबादी ही ईसाई है। लेकिन, यहाँ बढ़ रहे धर्मांतरण के कारण जमीनी हकीकत पूरी तरह बदल चुकी है।

पंजाब में ईसाई मिशनरियों द्वारा सिखों के धर्मांतरण की स्थिति का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को सामने आकर धर्मांतरण विरोधी कानून की माँग करनी पड़ी है। यही नहीं, उन्होंने स्पष्ट रूप से यह भी कहा है कि ईसाई मिशनरियाँ चमत्कारिक इलाज और कपट से सिखों का जबरन धर्म परिवर्तन करा रही हैं। पंजाब के सिखों और हिंदुओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया था कि वोट बैंक की राजनीति के कारण सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है और यहाँ के गरीब हिंदुओं और सिखों को धर्मांतरित करने के लिए ‘विदेशी ताकतें’ फंडिंग कर रही हैं।
यूँ तो पूरे पंजाब में ईसाई मिशनरी सक्रिय होकर सिखों को ईसाई बना रही है और ऐसा लगता है कि यह सब दबे पाँव हो रहा है। लेकिन, जालंधर जिले के खाँबड़ा गाँव में बने चर्च में प्रत्येक रविवार को प्रार्थना करने के लिए मोटर साइकिल से लेकर कारों और किराए की स्कूली बसों में पहुँचने वाले 10-15 हजार लोगों को देखने के बाद यह स्पष्ट होता है कि धर्मांतरण का ‘बाजार’ तेजी से फल-फूल रहा है।

Proselytisation in Punjab: How Mazhabi Sikhs and Valmiki Hindus are being  'lured' into Christianity - News18

इंडिया टुडे की कवर स्टोरी के अनुसार, इस गाँव में हजारों लोगों के जमा होने के पीछे जो व्यक्ति है उसका नाम है- पादरी अंकुर नरूला। अंकुर का जन्म हिंदू खत्री परिवार में हुआ था। लेकिन, साल 2008 में ईसाई मिशनरियों के संपर्क में आने के बाद उसने धर्मांतरण कर लिया। इसके बाद उसने अंकुर नरूला मिनिस्ट्री की स्थापना की और फिर ‘चर्च ऑफ साइंस एंड वंडर्स’ भी शुरू कर दिया। दावा किया जा रहा है कि यहाँ निर्माणाधीन चर्च का निर्माण पूरा होने के बाद यह एशिया के सबसे बड़ा चर्च होगा। शुरुआत में इस चर्च से जुड़े लोगों की संख्या महज 3 थी। लेकिन, बीते 14 सालों में यह संख्या 3 लाख के आँकड़े को पार कर चुकी है।

अंकुर नरूला ने खाँबड़ा गाँव 65 एकड़ से अधिक क्षेत्र में धर्मांतरण का साम्राज्य स्थापित किया हुआ है। इसके अलावा पंजाब के नौ जिलों व बिहार और बंगाल के साथ ही अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और ग्रेटर लंदन के हैरो में भी उसके ठिकाने हैं। अंकुर नरूला को उसकी मिनिस्ट्री से जुड़े हुए लोग या यह कहें कि धर्मांतरण का शिकार हुए लोग ‘पापा’ बुलाते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि पंजाब में हो रहे धर्मांतरण के पीछे सबसे बड़ा हाथ नरूला का ही है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, पंजाब में ईसाइयों की कुल जनसंख्या 348000 (3 लाख 48 हजार) थी। लेकिन, अब नरूला मिनिस्ट्री से जुड़े लोगों की संख्या ही 3 लाख से पार हो चुकी है। यानी राज्य में, ईसाई मिशनरियों के जाल में फँसकर ‘पगड़ी वाले ईसाईयों’ की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।

To Check Christian Missionaries, SGPC Launches Drive in Punjab

जालंधर ही नहीं, अमृतसर में भी मिशनरियों ने सिखों को ‘पगड़ी वाला ईसाई’ बना दिया है। अमृतसर सिखों का पवित्र शहर है। यहीं पवित्र स्वर्ण मंदिर भी है। लेकिन यहाँ के सेहंसरा कलां गाँव की सकरी गलियों के बीच बना चर्च कथित तौर पर धर्मांतरण का केंद्र है। इस चर्च का पादरी गुरुनाम सिंह है जो कि एक पुलिसकर्मी भी है। इस चर्च में रविवार को प्रार्थना होती है। गुरुनाम सिंह का दावा है कि वह सिर्फ प्रार्थना कराता है। लेकिन, सवाल यह है कि यदि वह सिर्फ प्रार्थना कराता है तो लोग ईसाई कैसे बन रहे हैं?

ईसाइयों के लिए पंजाब धर्मांतरण की नई प्रयोगशाला नहीं है। लेकिन यहाँ सैकड़ों पादरी नए हैं। इन पादरियों में अमृत संधू, कंचन मित्तल, रमन हंस, गुरनाम सिंह खेड़ा, हरजीत सिंह, सुखपाल राणा, फारिस मसीह कुछ बड़े नाम हैं। इनका नाम इसलिए बड़ा है क्योंकि ‘पगड़ी वाले ईसाइयों’ की संख्या बढ़ाने में इनका बड़ा योगदान है। पंजाब में इनकी कई शाखाएँ हैं और यूट्यूब पर लाखों फॉलोअर्स भी। ये सभी वे लोग हैं जो या तो पेशे से डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, पुलिस, कारोबारी और जमींदार हैं। वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो नौकरी या काम छोड़कर रविवार को प्रार्थना के नाम पर ईसाइयत का प्रचार करते हैं।

SGPC sends teams across Punjab to counter religious missionary conversions  – HinduTimesCanadaThe pastors of Punjab - India Today

कपूरथला जिले के खोजेवाल गाँव में बना ओपन डोर चर्च पूर्वी यूरोपीय प्रोटेस्टेंट डिजाइन का है। इस चर्च के पादरी हरप्रीत देओल जट्ट सिख हैं, जिनके ऑफिस में बड़े-बड़े बाउंसर्स तैनात हैं। इसी प्रकार बटाला के हरपुरा गाँव के सर्जन-पादरी गुरनाम सिंह खेड़ा भी जट्ट सिख हैं। पटियाला के बनूर में चर्च ऑफ पीस के पादरी मित्तल बनिया हैं। चमकौर साहिब के रमन हंस मजहबी सिख हैं। इन पादरियों में से कई पादरियों के पास निजी सुरक्षा गार्ड भी हैं।

पंजाब में सिखों को ईसाई बनाने के तमाशे ने लाखों लोगों को चर्च तक पहुँचा दिया है। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। हालत यह है कि ईसाई मिशनरी और नरूला जैसे लोगों की मिनिस्ट्री यहाँ के सभी 23 जिलों में फैली हुई हैं। ये मिशनरियाँ माझा और दोआबा बेल्ट के अलावा मालवा में फिरोजपुर और फाजिल्का के सीमावर्ती इलाकों में सबसे ज्यादा सक्रिय हैं। पंजाब में ईसाइयत के प्रचार का बेड़ा उठाए लोगों की संख्या का कोई ठोस आँकड़ा नहीं हैं। लेकिन, इंडिया टुडे की रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुमान के मुताबिक यहाँ पादरियों की संख्या 65,000 के करीब है।
कुछ समय पहले न्यूज़ नेशन ने यूनाइटेड क्रिश्चियन फ्रंट के आँकड़ों के हिसाब से बताया था कि पंजाब के 12,000 गाँवों में से 8,000 गाँवों में ईसाई धर्म की मजहबी समितियाँ हैं। वहीं अमृतसर और गुरदासपुर जिलों में 4 ईसाई समुदायों के 600-700 चर्च हैं। इनमें से 60-70% चर्च पिछले 5 सालों में अस्तित्व में आए हैं।

कुल मिलाकर आज पंजाब की कुछ-कुछ वैसी ही स्थिति तमिलनाडु जैसे दक्षिण के राज्यों में 1980 और 1990 के दशक में हुआ करती थी। हालाँकि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एचएस धामी धर्मांतरण पर अधिक चिंतित नहीं हैं। उनका कहना है, “लोग जिंदगी की समस्याओं के हल के लिए पादरियों के पास जाते हैं। देर-सबेर उन्हें सच्चाई पता चलेगी और वे मूल धर्म में लौट आएँगे।” लेकिन ‘घर-घर अंदर धर्मसाल’ जैसे अभियान बताते है कि स्थिति कितनी विस्फोटक हो चुकी है। इस अभियान के तहत सिख स्वयंसेवक अपने धर्म का प्रचार करने घर-घर जा रहे हैं। इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि पंज प्यारों की जमीन पर देखते-देखते ही कैसे ‘पगड़ी वाले ईसाई’ छा गए। इस सवाल का जवाब देने में जितनी देरी होगी, धर्मांतरण माफिया की जड़ें उतनी ही मजबूत होती जाएगी।

-साभार इंडिया टुडे

 

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Tags: #sikh #panjab #india #convertion #world #hindivivek #wide

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