चुनौतियों को निमंत्रण देना और उसे स्वीकार कर उसका सामना करना, यह युवाओं का स्वभाव होना चाहिए। छत्रपति शिवाजी महाराज, बाजीराव पेशवा एवं स्वामी विवेकानंद इसके आदर्श उदाहरण हैं। यदि युवा जोश के साथ होश से काम ले तो संघर्ष से उत्कर्ष की उनकी यात्रा सहज हो सकती है।
हम युवा हैं, हमारे अंदर ऊर्जा का अक्षय भंडार है। हम नई सोच, नए विचारों और नए दृष्टिकोण के धारक हैं। युवावस्था में ही शक्ति और क्षमता का चरमोत्कर्ष होता है। हमारी जिज्ञासा और उत्साह हमें हर चुनौती का सामना करने के लिए प्रेरित करते हैं।
‘हम युवा हैं, हम करें मुश्किलों से सामना
मातृभूमि हित जगे, है हमारी कामना॥
संस्कृति पली यहां पुण्य भू जो प्यारी है
जननी वीरों की अनेक की भरत भू हमारी है
ऐसा अब युवक कहां दिल में जिसके राम ना॥’
यह गीत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में सुना होगा, गाया होगा। इस गीत का एक-एक वाक्य हमें याद दिलाता है कि हमारे जीवन में आने वाली हर मुश्किल एक अवसर है। यह हमें मजबूत बनाने, हमारे ज्ञान को बढ़ाने और हमारे व्यक्तित्व को निखारने का अवसर देती है।
युवा शब्द ऊर्जा, उत्साह, नवीनता और परिवर्तन का प्रतीक है। युवा वह शक्ति है जो समाज को नई दिशा देती है। युवा उत्साह, घोष, उत्कर्ष और संघर्ष ये सभी शब्द युवाओं के जीवन के अविभाज्य अंग हैं। यह वह असीम ऊर्जा है जो युवाओं को नए-नए कार्यों के लिए प्रेरित करती हैं। यह एक ऐसी भावना है जो उन्हें सपने देखने और उन्हें साकार करने के लिए प्रेरित करती हैैं। युवा उत्साह के कारण ही युवा नई तकनीकों को अपनाते हैं, नए विचारों को जन्म देते हैं और समाज में परिवर्तन लाते हैं। यह युवाओं की आवाज है जो समाज को जागरूक करती हैं। युवा घोष के माध्यम से युवा अपने अधिकारों के लिए लड़ते हैं, सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध आवाज उठाते हैं और एक सभ्य समाज के निर्माण के लिए काम करते हैं।
पत्रकार रंगनाथ राम ने गुकेश के लिए लिखा, इतिहास का सबसे कम आयु का विश्व विजेता बनने के बाद गुकेश ने कहा कि उन्होंने विश्व कप जीता है, मगर दुनिया के बेस्ट खिलाड़ी मैगनस कार्लसन हैं। गुकेश की विनम्रता देखकर सचिन तेंदुलकर की याद आ गई।
सचिन और रोजर फेडरर का भी मैं उनके व्यवहार के कारण प्रशंसक हूं। गुकेश, प्रज्ञानंद, अर्जुन इत्यादि भारतीय शतरंज खिलाड़ी प्रतिभाशाली होने के साथ ही बहुत संस्कारी भी हैं। आशा है कि ये सभी लम्बी दौड़ के धावक सिद्ध होंगे।
यहां जिन युवा खिलाड़ियों और उनकी विनम्रता की चर्चा की जा रही है, ये सफल खिलाड़ी आज के युवा हैं। जिन्होंने बहुत संघर्ष के बाद बड़ी-बड़ी सफलताएं अपने नाम की हैं। यह युवाओं के लिए प्रेरणा की बात है कि जब हम किसी परेशानी का सामना करते हैं तो हमारी सहनशक्ति बढ़ती है। हम सीखते हैं कि कैसे धैर्य रखें, कैसे संकटों का सामना करें और कैसे असफलता से हार कर बैठने की जगह उठकर फिर से आगे बढ़ें। परेशानियां हमें नए कौशल और ज्ञान देती हैं। जब हम किसी समस्या का समाधान ढूंढते हैं तो हम नई चीजें सीखते हैं और अपने मष्तिष्क को तेज करते हैं। जब हम किसी मुश्किल का सामना करने में सफल होते हैं तो हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है। हमें पता चलता है कि हम किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं।
युवा देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वे महत्वपूर्ण भूमिका निभा भी रहे हैं। हमारी ऊर्जा, उत्साह और नई सोच देश को आगे बढ़ाने में सहायता कर सकती है। हमें अपनी क्षमताओं पर विश्वास करना चाहिए और हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
देश की नीति बनाने वालों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि किस प्रकार की नीतियों के माध्यम से देश के युवाओं का विकास और उन्नति हों क्योंकि युवा उत्कर्ष के लिए शिक्षा, कौशल विकास और अवसरों का होना बहुत आवश्यक है। जब युवाओं को अपने सपनों को पूरा करने के लिए पर्याप्त अवसर मिलते हैं, तो वे समाज के लिए एक सम्पत्ति बन जाते हैं। युवाओं के जीवन में संघर्ष एक सामान्य बात है। संघर्ष के माध्यम से ही युवा मजबूत होते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं। संघर्ष उन्हें धैर्य, दृढ़ता और लचीलापन सिखाता है। युवा किसी भी देश का सबसे मूल्यवान संसाधन हैं। वे देश के भविष्य का निर्माण करते हैं। युवाओं को सशक्त बनाकर, उन्हें शिक्षित करके और उन्हें अवसर प्रदान करके हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।
वर्तमान में देश के लाखों युवा बेरोजगारी के संकट को झेल रहे हैं। बहुत सारे युवा अपनी जिंदगी का सबसे कीमती समय प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगा देते हैं, जबकि छोटी आयु में ही इनमें से बड़ी संख्या में गुर सिखा कर ऐसे युवा तैयार किए जा सकते थे, जो अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होते।
आज के युवाओं के सामने चुनौतियां और समाधान
आज के युवाओं के लिए रोजगार एक बड़ी चुनौती है। बढ़ती बेरोजगारी और प्रतिस्पर्धा ने युवाओं के सामने कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर युवा का अधिकार है, परंतु आज भी कई युवाओं को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। भ्रष्टाचार, असमानता और सामाजिक बुराइयां आज के युवाओं के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी युवाओं के लिए चुनौती और अवसर दोनों है।
कभी हमने सोचा है कि सचिन ने बल्ला पकड़ने के लिए 18 वर्ष की आयु तक प्रतीक्षा किया होता, लता मंगेशकर संगीत की साधना में 16 वर्ष की आयु को पार करके उतरतीं तो वो दोनों सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर बन सकते थे? कदाचित् कभी नहीं। आज हम बाल मजदूरी का भय दिखाकर बहुत सारे बच्चों की प्रतिभा को समय पर निखरने से क्यों रोक रहे हैं? इस बात पर विचार करना होगा? बच्चों को हम रोजगार करने की अनुमति नहीं दे सकते। यह ठीक है, परंतु यदि कोई बच्चा अपने अभिभावक के साथ परिवार का पुश्तैनी काम सिख रहा है, उसमें हाथ बंटा रहा है। ऐसे बच्चों को हमारा कानून क्यों रोकता है? जब कम आयु में वह अपने गुण पर हाथ आजमाएगा, फिर 18 तक की आयु तक आते-आते उसके पास एक रोजगार होगा और उस रोजगार में उसकी विशेषज्ञता भी होगी। हस्तशिल्प से लेकर हमारे दैनिक जीवन में सहयोगी ऐसे दर्जनों काम हैं, जिसका प्रशिक्षण अपने परिवार के बीच रहकर दिए जाने की अनुमति दी जा सकती है। जिससे रोजगार की समस्या का भी बहुत सीमा तक निदान होगा। इस तरह अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ युवा भी तैयार होंगे, परंतु इस विषय पर देश के नीति निर्माताओं का ध्यान आकृष्ट कराने की आवश्यकता है।
अंत में इतना ही कि हम युवा हैं, हमारे जीवन में कई उतार-चढ़ाव आएंगे, परंतु हमें हार नहीं माननी चाहिए। हमें अपनी क्षमताओं पर विश्वास करना चाहिए और हर मुश्किल का सामना करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। हमें अपनी ऊर्जा और उत्साह का उपयोग देश के विकास में करना चाहिए। आइए, मिलकर एक सुनहरे भविष्य का निर्माण करें।