नरेंद्र मोदी ने अपने दो लगातार पंचवर्षीय कार्यकालों में राष्ट्र की प्रगति एवं भविष्य की रूपरेखा निरूपित करने वाली जितनी योजनाओं को मूर्त रूप दिया, उतना कार्य पिछले 75 वर्षों में नहीं हो पाया। इन योजनाओं के माध्यम से उन्होंने देश के नागरिकों के जीवन की हर गतिविधि से नकारात्मकता दूर करने का प्रयास किया
देश को स्वतंत्र हुए 75 वर्ष पूर्ण हो गए हैं और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को 9 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। हमें इस बात की खुशी है कि इन 9 वर्षोें में उन्होंने बड़ी ही कार्य कुशलता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है और देश को सभी क्षेत्रों में सफलता व उपलब्धियां दिलाई हैं। उनके काम का दायरा इतना विशाल है कि देश-दुनिया में उनके कार्यों की सराहना एवं प्रशंसा की जा रही है।
तन समर्पित, मन समर्पित।
जीवन का क्षण-क्षण समर्पित॥
इस ध्येय को लेकर एक कर्मवीर योद्धा की भांति वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए परिश्रम की पराकाष्ठा कर रहे हैं। जिसे देखकर हर भारतीय गौरवान्वित महसूस कर रहा है और दुनिया भी आर्श्चयचकित है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अपने विराट और प्रभावशाली व्यक्तिव से सभी का मन मोहने में सफल रहे हैं। इसलिए वह दुनिया भर में सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र बने हुए है।
महात्मा गांधी के सपने को मोदी ने किया साकार
महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने हेतु प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया और इसके सफल कार्यान्वयन हेतु स्वयं हाथों में झाड़ू लेकर स्वच्छता का प्रात्यक्षिक भी दिखाया। आज तक गांधी को छोड़कर किसी ने इस प्रकार का उदाहरण सामने नहीं रखा था। प्रधान मंत्री मोदी की इस प्रेरणात्मक कृति ने सामाजिक, स्कूल, संस्थाएं, शासन-प्रशासन आदि सभी को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया। स्वच्छ भारत अभियान की दिशा में काम करते समय उन्होंने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सब्सिडी देकर शौचालय बनवाने में अहम भूमिका निभाई। जिससे अनेक प्रकार की संक्रामक बीमारियों से मुक्ति मिली। ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के सेहत पर उसका सकारात्मक परिणाम दिखाई दिया।
स्वच्छ भारत ने बदली देश की तस्वीर
नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए गए इस स्वच्छता अभियान से देश के पर्यटन उद्योग को भी बहुत फायदा हुआ है। पहले जब हम पर्यटन या एक्सपोर्ट के काम से विदेश जाते थे, खास तौर पर यूरोप और अमेरिका, तब हमने देखा कि वहां के देश स्वच्छता और स्वास्थ्य को लेकर काफी सचेत रहते हैं। तब मन में आता था कि भारत में ऐसा चित्र कब दिखाई देगा? पर इस काल्पनिक चित्र को प्रधान मंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने बड़ी खुबसूरती से वास्तविकता में बदला है। जिसकी वजह से पर्यटन में काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में नितिन गडकरी ने सड़कों का कायाकल्प कर दिया है। इस कारण रास्तों पर प्रवास का समय कम हो गया है। ईंधन की बचत हुई है और पर्यावरण को भी उसका फायदा हुआ है।
भारत में धार्मिक, सांस्कृतिक पर्यटन आकर्षण का मुख्य केंद्र
भारत में सामाजिक और सांस्कृतिक सभ्यता का पर्यटन सदा ही एक हिस्सा रहा है। मोदी ने कहा कि अगर हमारे देश में सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी, तो पर्यटक आकर्षित होंगे, पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। इसीलिए उन्होंने हर एक राज्य में धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को भी एक नया आयाम दिया है। वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम और केदारनाथ धाम इसके जीवित उदाहरण हैं। इन धामों के पुनरुद्धार के बाद यहां लाखों-करोड़ों पर्यटक आ रहे हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
गुजरात के सरदार सरोवर पर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा स्थापित की गई है, जो विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा है। यहां इस प्रतिमा के अलावा फ्लावर वैली, बटरफ्लाई गार्डन, सफारी पार्क, चिड़ियाघर, चिल्ड्रेंस पार्क आदि कई दर्शनीय स्थल हैं। यह दृश्य काफी विलोभनीय दिखता है। अब तक लाखों पर्यटक यहां आ चुके हैं।
पर्यटन स्थलों से होते हैं भारत की
विविधता में एकता के दर्शन
मोदीजी ने ‘नमामि गंगे’ मिशन के अंतर्गत गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करके पुनर्जीवित किया। इसी के साथ झारखंड का बिरसा मुंडा पार्क, गुजरात का महावीर मंदिर, अयोध्या का राम मंदिर, हिंदू देवता शिव को चित्रित करनेवाली और योग का इतिहास ध्यान में लाने वाली तामिलनाडु स्थित आदियोगी शिव की प्रतिमा, उत्तराखंड की चार धाम यात्रा हरिद्वार, ऋषिकेश, केदारनाथ, बद्रीनाथ जैसे धार्मिक स्थलों को भी सुविधापूर्ण पर्यटन स्थलों में रूपांतरित किया। ये सभी पर्यटन स्थल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं और नए भारत के निर्माण में रंग भरने का काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं इन पर्यटन और धार्मिक स्थलों के कारण सभी प्रांतों के लोगों के एक साथ आने से ‘विविधता में एकता’ की शक्ति का भारत देश सबसे बड़ी मिसाल बन रहा है।
स्वदेशी स्वाभिमान का प्रतीक ‘मेक इन इंडिया’
प्रदान मंत्री मोदी ने अपने महत्वकांक्षी मिशन ‘मेक इन इंडिया’ को सशक्त बनाने के विजन को दर्शानेवाले ‘लायन के सिम्बॉल’ का निर्माण किया। यह लोगो देश को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के संकल्प को दर्शाता है। इस मिशन के अंतर्गत उन्होंने देश में वाणिज्य, उद्योग और आतंरिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनिअरिंग, सॉफ्टवेअर, आर्किटेक्चर, सिविल, रेलवे और रक्षा आदि क्षेत्रों मे संशोधन करने हेतु भारी मात्रा में निवेश किया और उद्योग जगत में ब्रांड इंडिया को मजबूत बनाया। प्राइवेट सेक्टर, स्टील, सीमेंट, ऑटोमोबाइल्स जैसी इंडस्ट्री को भी बढ़ावा दिया। इस वजह से लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध हुए।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भता की ओर अग्रसर भारत
रक्षा क्षेत्र का एक उदाहरण लेते हैं। पहले बिलियंस ऑफ डॉलर्स का हम हर साल इम्पोर्ट करते थे। उसके लिए काफी ज्यादा मात्रा में विदेशी मुद्रा होती थी। वह अब 50 से 70% तक कम हो गया है। पहले की सरकारें आवश्यक शस्त्र वैसे के वैसे ही ले लेती थी। पर मोदी ने कोई भी शस्त्र नए टेकनोलॉजी के साथ स्वीकारने पर जोर डाला। तेजस विमान इसका एक आदर्श उदाहरण है। तेजस एक सीट, एक इंजन वाला और अनेक भूमिकाओं को निभाने में सक्षम एक हल्का युद्धक विमान है। मोदी के विजन के कारण यह विमान भारत द्वारा विकसित हो पाया और भारत का सपना साकार हो सका। आज भारत ने रक्षा क्षेत्र में लगभग 30 हजार करोड़ तक एक्सपोर्ट किया है, यह गर्व की बात है।
युद्ध काल में हथियारों के लिए विदेशों पर निर्भरता हमारे स्वाभिमान के साथ-साथ सुरक्षा की दृष्टि से भी बड़ा खतरा है। यह जानते हुए मोदी ने देश को रक्षा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए भरसक प्रयास किया। पहले साधारण शस्त्रों के लिए भी भारतीय सेना को विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन अब हम विदेशी आयात पर निर्भर नहीं हैं। आज भारत न केवल युद्ध उपकरणों का निर्माण करता है, बल्कि स्वतंत्र रूप से और सहयोग से भी शस्त्र निर्माण करता है। आज हम स्वदेशी हथियारों के निर्माण में तेजी से कार्यरत हैं। इसलिए पाकिस्तान और चीन जैसे देश भारत से डर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने राजनाथ सिंह जैसे सशक्त नेता को देश के रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी सौंपने का सही फैसला लिया है।
मोदी हर साल सैनिकों के साथ दिवाली मनाकर उनका आत्मबल एवं आत्मविश्वास भी बढ़ाते हैं। अग्निवीर योजना के अंतर्गत भारतीय सेना में जोशीले युवाओं की तेजी से भर्ती हो रही है, जिसके चलते बहुत जल्द ही दुनिया में सबसे युवा सेना के रूप में भारतीय सेना पहचानी जाएगी।
जलवायु परिवर्तन में सुधार हेतु मोदी का प्रयास
जीरो कार्बन उत्सर्जन सुनिश्चित करने और पर्यावरण सुरक्षा की नजर से महत्वपूर्ण पहल करते हुए मोदी सरकार सोलर पावर के विकास और विस्तार पर खास ध्यान दे रही है। ग्लोबल वार्मिंग को ध्यान में रखकर 2050 तक भारत में जितने पुराने प्लांट हैं उन्हें बंद करके सोलर प्लांट के विकास और विस्तार पर ध्यान दिया जा रहा है।
मोदी सरकार के प्रयास से पिछले 7-8 वर्षों में सोलर पावर के विकास में तेजी से काम हुए हैं। बिजली आपूर्ति में आत्मनिर्भर होने के साथ ही बिजली की जरूरतों को सौर ऊर्जा पूरी करेगी और ग्लोबल वार्मिंग को कम करेगी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पटल पर पर्यावरण के विषय में भारत के प्रयासों को सबके सामने रखा है।
हर देश सिर्फ अपने बारे में सोच रहा है, जबकि पर्यावरण सभी का बिगड़ता जा रहा है। यदि सभी देश एक परिवार की तरह मिलकर संयुक्त रूप से कार्य करें तो पर्यावरण, युद्ध, सीमा विवाद, संघर्ष, आतंकवाद, व्यापार आदि विषयों को हल किया जा सकता है। हमें विश्व को सुखी बनाना है तो संकुचित सोच को त्यागकर, समग्रता को अपनाना होगा। इस अनूठी सोच को सामने रखकर मोदी ने विश्व को जी 20 की अध्यक्षता में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का संदेश दिया है।
मोदी राज में पाक-चीन पर नियंत्रण
दूसरी ओर उन्होंने आतंकवाद की जननी जिहादी इस्लामिक पाकिस्तान और चीन जैसे विस्तारवादी देशों पर लगातार प्रहार किए हैं। इस वजह से पाकिस्तान और अन्य जगहों से भारत पर होने वाले आतंकवादी हमलों और सीमा पर चीनी घुसपैठ की घटनाओं में कमी आई है।
पूर्वोत्तर के विकास पर फोकस
सेवन सिस्टर्स जैसे भारत के उत्तर पूर्व के राज्य, असम से लेकर जम्मू-कश्मीर तक, सीमा रक्षा के मामले में पूरी तरह से उपेक्षित थे। शुरुआत में ही मोदी ने इस ओर ध्यान केंद्रित किया और जम्मू, कश्मीर, असम, मणिपुर, नगालैंड के लोगों को यह विश्वास दिलाया कि वे भारतवासी हैं। नॉर्थ ईस्ट के लोगों के लिए अलग योजनाएं बनाई। चीनी घुसपैठ रोकने में मोदी के इंफ्रास्ट्रक्चर सिस्टम का बहुत बड़ा योगदान है।
विदेश नीति: वैश्विक स्तर पर प्रमुख खिलाड़ी बना भारत
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जो बोलते हैं, वह करके दिखाते हैं। इसे सिद्ध करने वाले बहुत सारे उदाहरण उन्होंने विश्व स्तर पर सामने रखें है। मोदी ने एक लचीली विदेश नीति भी अपनाई है, जो प्रमुख शक्तियों के साथ भारत के सम्बंधों को मजबूत करने और अपने क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ाने में सहायक है। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, चीन और रुस सहित अनेकों देशों का दौरा किया है और भारत में कई विदेशी नेताओं की मेजबानी की है। उनके नेतृत्व में भारत वैश्विक मामलों में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है।
योग परम्परा से जुड़ी दुनिया
भारत को संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता नहीं मिली है। लेकिन कई बड़े देश मोदी के प्रयासों का समर्थन कर रहे हैं। यह एक आशादायी चित्र है। नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में योग के प्रसार और प्रचार पर बल दिया। नरेंद्र मोदी जब अमेरिका दौरे पर गए थे, उस दौरान नवरात्र चल रहा था और वे उपवास पर थे। परंतु अमेरिकी यात्रा में मोदी के उत्साह और ऊर्जा में कोई कमी नहीं आई। इससे प्रभावित होकर अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ने भी योग आजमाने की इच्छा व्यक्त की। संयुक्त राष्ट्र के सामने ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ घोषित करने का प्रस्ताव भी उन्होंने रखा, जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा स्वीकार कर लिया गया और 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने को मान्यता दी गई। नरेंद्र मोदी की पहल के कारण अब हर साल 21 जून को वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।
शक्तिशाली वैश्विक नेता करते हैं मोदी की प्रशंसा
मोदी की प्रतिभावान शैली से प्रभावित होकर जापान के प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा, युके के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक, ऑस्ट्रेलिया के प्रधान मंत्री – अंथनी अल्बानीज, फ्रांस के प्रधान मंत्री इमानुअल मैक्रोन, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन जैसे बड़े-बड़े देशों के शीर्षस्थ राजनेता आज उनके ऊर्जादायी नेतृत्व की प्रशंसा करते हैं।
विदेशी निवेश आकर्षित करने में मोदी की भूमिका
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की एक अलग छवि प्रस्तुत की है। इस वजह से आज भारत में बड़ी-बड़ी कम्पनियां इन्वेस्टमेंट कर रही हैं। जैसे कि आइफोन की भारत में मैन्युफैक्चरिंग शुरू हो गई है, जल्द ही टेस्ला कार की भी शुरू हो जाएगी। इतना ही नहीं कई बड़ेे इन्वेस्टर्स ऑटो मोबाईल्स की फैक्टरी भी लगा रहे हैं।
अर्थव्यवस्था में पिताम्बरी उद्योग समूह देगा अहम योगदान
पिताम्बरी प्रॉडक्ट्स प्रा. लि. कंपनी नेे 34 वर्ष पूरे कर लिए हैं। होमकेयर डिविजन से शुरू होकर आज पिताम्बरी अन्य विभिन्न क्षेत्रों जैसे मॉडर्न ट्रेड, हेल्थकेयर, फूडकेयर, एग्रिकेयर, सोलर, डिजीकेयर, टुरिज्म, फ्रेंचाइजी, नर्सरी आदि क्षेत्रों में सफलतापूर्वक व्यवसाय कर रहा है। पिताम्बरी उद्योग समूह चलाते समय हमारा कई गवर्नर्मेंट डिपार्टमेंट्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर, लायसनिंग, कानून, परमिशन आदि विभागों से सम्बंध आता था। इस संदर्भ में मैंने प्रधान मंत्री मोदी के कार्यकाल के दौरान जो अनुभव किया वह बहुत ही उत्साहवर्धक है।
हमेशा देश की सेवा करने में वे अनवरत जुटे हुए हैं। हर दिन तीन चार घंटे ही सोते हैं और हर दिन आत्मनिर्भर भारत के नए सपने को साकार करने का सपना बुनते हैं। मुझे आदरणीय नरेंद्र मोदी युगप्रवर्तक प्रधान मंत्री लगते हैं। भारत विश्व इकॉनॉमी में पांचवें स्थान पर है। भारत को 5 ट्रिलियन की ईकोनॉमी बनाने के मोदी के सपने को साकार करने में पिताम्बरी उद्योग समूह के माध्यम से हम अपना पूरा योगदान देंगे।
हम सब मिल कर साथ चले
वैश्विक चुनौती एवं संघर्ष तथा युग परिवर्तन की बेला में भारत को सुरक्षित, समृध्द तथा विकसित राष्ट्र बनाने के लिए युगप्रवर्तक प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हम सब मिल कर साथ चलें। इसी में व्यक्ति, समाज, राज्य एवं देश की भलाई निहित है। इसी भाव को मुखर रूप से और अधिक स्पष्ट करता हुआ यह संघ गीत हम सभी के लिए प्रेरक एवं र्मागर्दशक जान पड़ता है –
युग परिवर्तन की बेला में हम सब मिलकर साथ चले।
मिलकर साथ चले, मिलकर साथ चले॥
देश धर्म की रक्षा के हित, सहते सब आघात चले।
मिलकर साथ चले, मिलकर साथ चले॥
शौर्य पराक्रम की गाथाएं, भरी पड़ी हैं इतिहासों में
परम्परा के चिर उन्नायक, जिए निरंतर संघर्षों में
हृदयों में उस राष्ट्र प्रेम के, लेकर हम तूफान चले।
मिलकर साथ चले, मिलकर साथ चले॥
कलियुग में संगठन शक्ति ही, जागृति का आधार बनेगी
एक सूत्र में पिरो सभी को, सपने सब साकार करेगी
संस्कृति के पावन मूल्यों को, लेकर हम सौगात चले।
मिलकर साथ चले, मिलकर साथ चले॥
ऊंच-नीच का भेद मिटाकर, समरस जीवन को सरसायें
फैलाकर आलोक ज्ञान का, परा शक्तियों को प्रकटायें
निविड़ निशा की काट कालिमा, लाने नवल प्रभात चले।
मिलकर साथ चले, मिलकर साथ चले॥
अडिग हमारी निष्ठा उर में, लक्ष्य प्राप्ति की तड़पन मन में
तन-मन-धन सब अर्पण करने, संघ मार्ग के दुष्कर रण में
केशव के शाश्वत विचार को, ध्येय मान दिन रात चले।
मिलकर साथ चले, मिलकर साथ चले॥
-रविंद्र प्रभुदेसाई