हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के लेखक मारुति चितमपल्ली जी का स्वर्गवास हो गया। मारुति चितमपल्ली अरण्य ऋषि के रूप में परिचित थे। जंगल और उससे जुड़ा पर्यावरण यह उनके अध्ययन का विषय था। जंगल जीने वाले व्यक्तित्व के रूप में उनकी पहचान थी। जंगल के जैसी अमीरी मुझे कहीं दिखाई नहीं दी, ऐसा उनका कहना था। विदर्भ के जंगलों में उन्होंने जंगल और पशु-पक्षियों पर गहरा अध्ययन किया था। जो समाज में जंगल संदर्भ में संज्ञान बढ़ाने में उपयुक्त रहा। हाल ही में उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था।
हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के प्रारंभिक काल में हिंदी विवेक के नियमित अंक और पर्यावरण विशेषांक में जंगल, पशु-पक्षी और पर्यावरण के संदर्भ में मारुति चितमपल्ली के अनेक आलेख प्रकाशित हुए हैं। स्वयं जंगल जीने वाले और पर्यावरण की दृष्टि से अपने पाठकों को सजग करने वाले जंगल ऋषि मारुति चितमपल्ली जी को हिंदी विवेक मासिक परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि